स्‍वतंत्र भारत : मालिक लूटे मजा, कर्मचारी काटे सजा

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लखनऊ। एग्रो पेपर मोल्डस लिमिटेड जगदीशपुर, एग्रो फाइबर जगदीशपुर, एग्रो पेपर एंड पल्प, एग्रो फाइनेंस एवं प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार की नींव पर हुई थी। यही वजह है की चारों कम्पनियां दम तोड़ चुकी है। जहां इन कम्पनियों पर सरकारी और गैर सरकारी वित्तीय संस्थाओं का करोड़ों रुपए बकाया है वहीं निवेशकों का पैसा भी डूब गया है। जबकि इन कम्पनियों का मालिक विलासतापूर्ण जीवन जी रहा है।

7 अगस्त 1984 को एग्रो पेपर मोल्डस लिमिटेड कम्पनी का रजिस्ट्रेशन हुआ था। इस कम्पनी के चेयनमैन और प्रबंध निदेशक कौशल किशोर श्रीवास्तव, निदेशक नंदकिशोर श्रीवास्तव, जे.सी. मोहंती और वीना श्रीवास्तव थे। इनमें से नंदकिशोर श्रीवास्तव की आकस्मिक निधन हो चुका है। 24 नवम्बर 1984 को  एग्रो पेपर मोल्डस लिमिटेड पूंजी के लिए बाजार में उतरी थी। कम्पनी ने बाजार से करोड़ों रुपए उठाया। लेकिन कुछ सालों के बाद गायब हो गई। तमाम निवेशकों का पैसा डूबा गया। शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।

निवेशकों का करोड़ों रुपए हड़पने के बाद भी कोई कार्रवाई न होने से एग्रो पेपर मोल्डस के प्रबंध निदेशक कौशल किशोर श्रीवास्तव के हौसले काफी बढ़ गए। इसके बाद एग्रो फाइबर, एग्रो पेपर एंड पल्प, एग्रो फाइनेंस कम्पनियां शुरू की। इन कम्पनियों को स्थापित करने के लिए वर्ष 1996 में पिकप से एग्रो पेपर मोल्डस फैक्ट्री के नाम पर 249.57 लाख रुपए ऋण लिया था, जो 31 मार्च 2013 तक बढ़कर 2323.58 लाख रुपए हो गया है। इसी तरह एग्रो फाइनेंस एवं इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर 87.40 लाख रुपए लिए थे, जो अब बढ़कर 2487.17 लाख रुपए हो गया है। इस तरह पिकप का कुल इन दो कम्पनियों पर 4810.75 लाख रुपए बाकी है।

इंडियन आयॅल और पंजाब एंड सिंध बैंक का करोड़ों रुपए बकाया है। अरबों रुपए का कर्जा एग्रो पेपर मोल्डस लिमिटेड जगदीशपुर, एग्रो फाइबर जगदीशपुर, एग्रो पेपर एंड पल्प, एग्रो फाइनेंस एवं प्राइवेट लिमिटेड कम्पनियों पर बकाया है। इसके बावजूद इन कम्पनियों का चेयरमैन के.के. श्रीवास्तव विलासितापूर्ण जीवन जी रहा है। राजधानी लखनऊ के महंगे क्लब एमबी क्लब, गोल्फ क्लब, जिमखाना क्लब, अवध क्लब और दिल्ली व मुम्बई के कई क्लबों की सदस्यता के.के. श्रीवास्तव के पास हैं। इसके साथ ही गोमती नगर के विशाल खण्ड में किराए की आलीशान कोठी में निवास है। इसका सम्पूर्ण खर्च स्वतंत्र भारत की आय से हो रहा है। जबकि स्वतंत्र भारत के कर्मचारियों को बीते छह माह से वेतन नहीं मिला है। इस संबंध में एग्रो पेपर मोल्डस लिमिटेड के मैनेजमेंट से सम्पर्क किए जाने पर प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई।  (क्रमश:)

दिव्‍य संदेश में प्रकाशित अब्‍दुल हसैनन ताहिर की रिपोर्ट.

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