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पॉवर-पुलिस

justice for मां : क्या करें, कैसे करें

मां के लिए न्याय” या ”मां को न्याय” या फिर ”Justice for मां”. ऐसा कोई अभियान शुरू होगा, मुझे उम्मीद न थी. बहुत सारे लोगों के प्रेरित करने से ऐसा होने जा रहा है. इसे हम सब चलाएंगे. पूरे कुएं में भांग पड़ी हो तो चमत्कार की उम्मीद नहीं कर सकते. पर हम सबका छोटा व संगठित प्रयास शायद पाप की लंका में हलचल मचा दे, सोए सिस्टम को जगा सके.

थाने में बंधक बनाकर रखी गईं मां के लिए न्याय अभियान

मां के लिए न्याय” या ”मां को न्याय” या फिर ”Justice for मां”. ऐसा कोई अभियान शुरू होगा, मुझे उम्मीद न थी. बहुत सारे लोगों के प्रेरित करने से ऐसा होने जा रहा है. इसे हम सब चलाएंगे. पूरे कुएं में भांग पड़ी हो तो चमत्कार की उम्मीद नहीं कर सकते. पर हम सबका छोटा व संगठित प्रयास शायद पाप की लंका में हलचल मचा दे, सोए सिस्टम को जगा सके.

पर सवाल है कि आप हम करेंगे क्या. कैसे करेंगे. इसको लेकर कई सुझाव आए हैं. वो नीचे क्रमवार तरीके से दिए गए हैं. इन पर तुरंत अमल की जरूरत है. बाकी आप कुछ सुझाना चाहें तो नीचे कमेंट बाक्स में अपने विचार प्रकट कर सकते हैं.


”Justice for मां”

थाने में बंधक बनाकर रखी गईं मां के लिए न्याय अभियान

थाने में बंधक बनाकर रखी गईं मां के लिए न्याय अभियान

1- नीचे दिए गए सभी शीर्षकों व उससे संबंधित लिंक-यूआरएल को अपने मेल के जरिए अपने कांटेक्ट बुक के सभी लोगों तक पहुंचा दें. नीचे हेडिंग व लिंक के साथ मेल का सब्जेक्ट व संदेश भी लिख दिया गया है ताकि आप कापी कर मेल भेज सकें. नीचे के संदेश सब्जेक्ट व लिंक को कापी कर अपने मेलबाक्स में ले जाएं, कांटेक्ट्स पर क्लिक करें, सभी कांटेक्ट्स को सेलेक्ट करें, फिर कंपोज मेल या ईमेल पर क्लिक कर उसमें इस मैटर को डाल दें. सब्जेक्ट की जगह नीचे दिए गए सब्जेक्ट को डालें और सेंड बटन दबा दें.

————————————

सब्जेक्ट : एक मां को चाहिए न्याय… justice for मां…

संदेश : उम्मीद है आप स्वस्थ सानंद होंगे. एक कंपेन शुरू किया गया है. एक मां को लोकतांत्रिक तरीके से न्याय दिलाने के लिए. अगर वक्त निकाल कर नीचे दिए गए लिंक को क्लिक कर पूरे प्रकरण को समझेंगे और यथोचित पहल करेंगे तो आभारी रहूंगा. पढ़ने के बाद आप न्यूनतम यह कर सकते हैं (अगर उचित लगे तो) कि इस मेल को अपने कांटेक्ट बाक्स के अधिक से अधिक लोगों तक फारवर्ड कर दें.

यह एक पत्रकार की अपने मां के सम्मान के लिए लड़ी जा रही निहत्थी लड़ाई है. हिंसक व हथियारबंद सिस्टम में एक आम जर्नलिस्ट द्वारा अपने परिवार की इज्जत व आत्मसम्मान बचाने का लोकतांत्रिक प्रयास है. इसमें सहयोग दें. अपने स्तर पर भरसक कोशिश शुरू करें कि दोषियों को दंड मिल सके.

धन्यवाद और आभार

http://www.bhadas4media.com/dukh-dard/6969-2010-10-16-11-26-00.html

http://www.bhadas4media.com/dukh-dard/6980-2010-10-17-09-05-00.html

http://www.bhadas4media.com/dukh-dard/6981-legal-provision-arrest-detention.html

http://www.bhadas4media.com/dukh-dard/6982-2010-10-17-09-56-04.html

http://www.bhadas4media.com/dukh-dard/6986-justice-for-mother-part1.html

http://bhadas4media.com/article-comment/6992-2010-10-18-10-30-20.html

http://bhadas4media.com/dukh-dard/6991-jusitce-for-mother-part2.html

http://bhadas4media.com/article-comment/6993-2010-10-18-10-46-56.html

http://bhadas4media.com/article-comment/6994-2010-10-18-11-15-58.html

http://bhadas4media.com/dukh-dard/6995-2010-10-18-11-51-57.html

http://bhadas4media.com/vividh/6996-2010-10-18-12-40-42.html

http://bhadas4media.com/dukh-dard/6999-justice-for-mother-part3.html

http://bhadas4media.com/print/7000-justice-for-mother-part4.html

http://bhadas4media.com/article-comment/7001-2010-10-19-12-10-44.html

http://bhadas4media.com/vividh/7003-2010-10-19-12-32-44.html

http://bhadas4media.com/article-comment/7006-2010-10-19-14-09-59.html

http://bhadas4media.com/article-comment/7008-2010-10-19-14-47-19.html

http://bhadas4media.com/dukh-dard/7010-mother-amar-ujala-fake-reporting.html

http://bhadas4media.com/vividh/7011-jusitce-for-mother-ayodhya-pc.html

http://bhadas4media.com/vividh/7012-justice-for-mother-upsacc-part5.html

http://bhadas4media.com/vividh/7014-2010-10-19-16-59-05.html

http://bhadas4media.com/article-comment/7015-use-rti-in-this-matter.html

http://bhadas4media.com/article-comment/7016-day-1-day-2-day-3-day-4.html

http://bhadas4media.com/article-comment/7017-2010-10-20-06-07-13.html

http://bhadas4media.com/tv/7021-2010-10-20-09-04-08.html

http://bhadas4media.com/vividh/7022-2010-10-20-09-16-02.html

http://bhadas4media.com/article-comment/7029-2010-10-20-11-06-51.html

http://bhadas4media.com/article-comment/7034-2010-10-20-12-15-29.html

http://bhadas4media.com/print/7036-2010-10-22-05-36-47.html

http://bhadas4media.com/dukh-dard/7037-2010-10-22-05-59-33.html

http://bhadas4media.com/vividh/7043-2010-10-23-16-51-08.html

http://bhadas4media.com/print/7044-2010-10-23-18-36-20.html

http://bhadas4media.com/dukh-dard/7048-2010-10-23-19-49-14.html

http://www.bhadas4media.com/vividh/7073-2010-10-26-04-56-15.html

http://www.bhadas4media.com/article-comment/7075-2010-10-26-05-32-11.html

http://www.bhadas4media.com/print/7078-2010-10-26-06-11-27.html

http://www.bhadas4media.com/vividh/7080-2010-10-26-06-30-27.html

http://www.bhadas4media.com/dukh-dard/7094-2010-10-26-14-27-42.html

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2- लखनऊ व दिल्ली में बैठे सत्ताधारी नेताओं, अफसरों, मंत्रियों व आयोगों के पदाधिकारियों को विशेष तौर पर मेल के जरिए इस मामले की शिकायत भेजें. जितनी ज्यादा मेलें जाएंगी, उतनी ज्यादा संभावना सोए हुओं के नींद खुलने की होगी.

3- मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग और अदालतों में इस मसले की शिकायत दर्ज कराई जाए. इसके लिए जरूरी नहीं है कि जिन पर गुजरी है, वही शिकायत दर्ज कराएं. कोई भी पहल कर फैक्स, डाक, निजी तौर पर मिलकर इन आयोगों में शिकायत दर्ज कर सकता है. इसी तरीके से इस मामले को सभी अदालतों के मुख्य न्यायाधीशों तक पहुंचाया जा सकता है. उम्मीद करते हैं कि कुछ संवेदनशील व ईमानदार लोग जरूर होंगे जो नजर पड़ने पर अपने स्तर पर पहल शुरू कर देंगे.

4- अगर आप मीडिया से किसी भी रूप से जुड़े हैं तो इस मसले को किसी न किसी रूप से फ्लैश करें, प्रकाशित करें, प्रसारित करें ताकि यह आवाज, यह अभियान, यह मुद्दा ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे. ज्यादा से ज्यादा लोगों की इसमें भागीदारी हो.  भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित इस प्रकरण से संबंधित सभी खबरों-आलेखों का जिस भी रूप में चाहें, आप इस्तेमाल कर सकते हैं.

5- अगर आप राजनीति में हैं तो इस प्रकरण से जुड़ी सभी सूचनाओं, खबरों, लेखों के प्रिंट निकालकर उसे उपर तक भेजें ताकि संसद से सड़क तक के नेताओं से इस मुद्दे पर सहयोग लिया जा सके, उन्हें यह मुद्दा उठाने, दोषियों को दंडित कराने को आगे आने के लिए प्रेरित किया जा सके.

6- अगर आप पुलिस व प्रशासन से जुड़े हैं और भ्रष्ट नहीं हैं, चोर नहीं हैं तो बेईमान नहीं है, और आपको लगता है कि इस मां के साथ वाकई अन्याय हुआ है तो स्वतः संज्ञान लेकर, अंतरआत्मा की आवाज पर इस मुद्दे पर फौरी कार्रवाई करने के लिए प्रयास शुरू कर करने की कोशिश करें.

7- आप आम नागरिक हैं, सामान्य नौकरीपेशा हैं, बिजनेसमैन-व्यापारी हैं तो आपसे चाहेंगे कि इस मुद्दे को चर्चा का विषय बनाएं. गाजीपुर जिले के पुलिस अधीक्षक, वाराणसी परिक्षेत्र के आईजी व डीआईजी, राज्य के डीजीपी से लेकर मायावती सरकार तक की भर्त्सना करें.

8- आप अगर मानवाधिकार आंदोलन, किसी सामाजिक संस्थान, किसी सोशल एनजीओ, आरटीआई के काम से जुड़े हैं तो इस मसले पर जो भी संभव हो सके, वह करें, शिकायत दर्ज कराएं, सवाल पूछें, उचित मंचों पर आवाज उठाएं.

9- और क्या तरीके हो सकते हैं, वह भी आप सुझाएं और इस पूरे प्रकरण को आगे बढ़ाने के लिए क्या क्या किया जा सकता है, इसके बारे में भी बताएं. लोकतंत्र में आस्था है, सो, इस लोकतंत्र के हर दरवाजे को खटखटा लिया जाना चाहिए. इंतजार करेंगे न्याय का, देर लगे तो लगे, पर हम लोग संघर्ष करते रहेंगे, अगर न्याय हुआ तो ठीक, नहीं हुआ तो रास्ते बहुत हैं.

10- आज विजयदशमी के दिन यह अभियान शुरू किया गया है. आप सभी के संगठित प्रयास, ताकत के बल पर मैं उम्मीद कर रहा हूं कि अगले साल की विजयदशमी से पहले ही इन रावणों की लंका में हम लोग आग लगा चुके होंगे.

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यशवंत

एडिटर, भड़ास4मीडिया

माडरेटर, भड़ास ब्लाग

मेल : [email protected]

मोबाइल : +91 9999330099

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0 Comments

  1. shravan shukla

    October 18, 2010 at 12:52 am

    सर आप के इस कदम पर हर वक्त आपके साथ.
    जय यश
    जय यशवंत

  2. aapkiawaz.com

    October 18, 2010 at 12:53 am

    यशवंत जी, संयोग से आपके ई-मेल का ये हिस्सा नहीं पढ़ पाया था, लेकिन अपने विवेक से लगभग सबसे पहले वही सब करता रहा, जैसा की आपने सुझाव दिया है। मेरे पास सभी एमपी, एमएलए, व अधिकारियों के जरूरत के अनुसार अलग-अलग कटेगरी में फोन व ईमेल रिकार्ड में है। हमे इस सारी मेहनत का फल मिल गया। हमे आशा ही विश्वास है, ये विजयदशमी के दिन छेड़ी लड़ाई अन्यायरूपी रावण का अवश्य वध करने में आपको सफलता मिलेगी। संपादक- आपकी आवाज़.कांम

  3. shyamal kumar tripathi

    October 18, 2010 at 2:26 am

    yaswant bhai pura media jagat aapke sath hi aapke is sarahniya kadam ka hum sab samman karate he

  4. joseph

    October 18, 2010 at 5:30 am

    is tarah se computer ka upyog karane vaalon tak hee pahunch sakenge.isake sath hee post card par shikayat bheji jaani chahiye.kai bar postcard ko yachika maan kar adalaton ne sweekar kiya hai..

  5. Abhishek Anand

    October 18, 2010 at 6:14 am

    मुद्दा ठीक हैं, शीर्षक ठीक हैं, वजह ठीक हैं, शुभारंभ का दिन भी सही पर इसे सिर्फ इस माँ को न्याय मिल जाने के बाद रुक नहीं जाना चाहिए.
    http://www.facebook.com/abhishek.letters

  6. sakhi

    October 18, 2010 at 6:19 am

    यशवंत जी

    आपकी माँ के साथ जो हुआ बहुत बुरा हुआ…और माँ के साथ अन्याय हो और बेटा चुप रहे ये उससे भी बुरा होगा..
    मगर क्या आपकी माँ के साथ जो हुआ वो सिर्फ मायावती के मुख्यमंत्री होने के कारन हुआ है जो आप इस तरह अपने शीर्षक रख रहे है..मेरे ख्याल से आपने ऐसे शीर्षक लोगो को आकर्षित करने के लिए रखे है..या पना गुस्सा सिर्फ मायावती पर दिखाना चाह रहे है .

    ये हाल तो पूरे देश का है. और आज से नहीं न जाने कब से ऐसा हो रहा है..
    में नहीं जानती आपके बारे में जयादा कुछ….मगर हाँ इतना जरुर कहूँगी कि आपका हाला सही नहीं होगा ..क्यों कि आपको मानसिक कष्ट और आत्मिक कष्ट जो हुआ है इस घटना से .
    पर इसके लिए सिर्फ मायावती को दोष न देकर सिस्टम को दोष देना वो भी पूरे देश के , जयादा सही है और उस व्यवस्था को सुधारने का प्रयास करने कि जरुरत है..
    यहाँ मायावती जी है देल्ही में शीला जी है. इन दोनों जगह के अलावा भी हर जगह ऐसा वाकया होता है..जिन प्रदेशो में कोई और मुख्यमंती है .
    सरकार कोई भी हो मुख्यमंती कोई भी हो..ये दुखद घटनाये बहुत समय से हो रही है ..बस फर्क इतना है कि जब खुद पर बात आये तब जाकर इंसान का खून खोलता है और तब जाकर ही वो कुछ सोचता है दिल से.
    वरना अपने कभी कुछ इस तरह कि घटना पर करने का सोचा होगा..

    अब सोचा है अच्छा किया..मैं आपके साथ हूँ..मगर यही गुजारिश है कि किसी वक्ती विशेष पर टिप्पणी न कर इस व्यवस्था को बदलने कि बात करे इस देश को समाज को सुधरने कि बात करे.
    इसी से सर्वजन का भला होगा

  7. vineet kumar

    October 18, 2010 at 6:48 am

    मां सिर्फ औऱ सिर्फ मां होती है। हमने इस घटना को आपकी हटाकर सिर्फ मां पढ़ा है। हम आपके साथ हैं,हम इसे अभियान में किसी भी तरह से आपके काम आ सकें,आपके साथ हैं।.

  8. Amit Luthra

    October 18, 2010 at 11:48 am

    Respected Yashwant ji ,
    Namashakar ,

    yashwant ji jab sey apke mail meli hai maan udaas ho gaya hai , mai hindustan sey aur kuch bhe expect nahi kar sakta system sara ganda hai ,ministery toh khandani business ho gaya hai woh vapari hai humaray leye kaya karaay gaye , hummay apnay huq ke ladae khud ladhni padaye gae….. yashwant ji sab sey pehlay CM sey question kejey , agar woh sahi tara sey jawab nahi detta hai toh uskay estefay ke mang karey ……..muh par keh dejey ga hum he ney tumay minister banaya hai agar humay ensaf nahi milay ga toh tumay minister baanay ka haq nahi ……
    sath mai un police wallo par FIR kar do aur maan hani ka dava kar aur mental torcher ka …….
    mujay etney ganday system key bav zood bhe Indian Law pa barosa hai
    PM Aur President bhe Indian Law key upar nahi hai …..
    bake mannay apane face book aur social site par update kar diya hai …..

    Yashwant ji hum apkay sath hai

    With Respect
    Amit Luthra
    +16179224662

  9. satya prakash "azad"

    October 18, 2010 at 3:15 pm

    is mudde ko jan-jan tak le jayenge…..satya prakash “azad”, president, azad hind manch, varanasi.

  10. uttarakhand vichar

    October 18, 2010 at 4:09 pm

    we are with you yashwant ji …………teem uttarakhand vichar

  11. Dev Tripathi

    October 18, 2010 at 4:37 pm

    भैया प्रणाम,, आज देश मे तमाम ऐसी माएं हैं जिनको न्याय की जरूरत है,,
    उसमे से अगर एक माँ को न्याय मिल जाय तो धरती के इस बेटे को जनकम लेने का
    उद्देश्य पूरा हो जायेगा

    आपका,,,
    देव!!!!

  12. प्रभाकर

    October 18, 2010 at 4:38 pm

    प्रिय यशवंत जी, आपके परिजनो के साथ ऐसी घटना होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, परन्तु ऐसा किसी के साथ न हो सके ऐसी मुहिम चलाई जाना बहुत आवश्यक है। हम अपने तमाम मित्रो सहित इस मुहिम में न सिर्फ पूरी तरह से आपके साथ है बल्कि अपनी ओर से जन-जागरण कर इस नालायक मायावती सरकार की ऐसी-तैसी करने में कोई प्रयास न छोडेगे। श्रीमती यमुना न सिर्फ आपकी मां है बल्कि हम सबकी पूरे देश की मां है।

    सस्नेह,
    प्रभाकर

  13. विजय शंकर पाण्डेय

    October 18, 2010 at 4:39 pm

    आपके अभियान के मामले में जो भी संभव होगा, मैं करुंगा। साभार
    विजय शंकर

  14. Rukhsana Maqsood

    October 18, 2010 at 4:57 pm

    how are you starting where and why
    how can we help you

  15. abhai

    October 18, 2010 at 9:07 pm

    कानपुर में प्रेमप्रकाश का कहर टूटता है तो वो मीडिया को आईना दिखाते हैं और गाजीपुर में जो घटता है उसके लिये आप एसपी, आईजी, एडीजी, डीजीपी से लेकर मायावती तक को दोषी मानने लगते हैं….हम आपकी मां के साथ हुये अन्याय का तीव्र प्रतिकार करते हैं इस कुत्सित कृत्य के दोषियो को सजा मिले…लेकिन प्रेमप्रकाश कैसे न्यायप्रिय हो जाते हैं और गाजीपुर पुलिस गुनाहगार कृपया इसे भी समझाईये…क्योंकि प्रेमप्रकाश के हाथों पिटे तमाम पत्रकार भी कह सकते हैं…कि आखिर वे किससे न्याय मांगे…वे किसी वेबपोर्टल के मालिक नहीं जो अपना दर्द हर किसी से बता सकें……

  16. nitin sharma

    October 19, 2010 at 12:37 am

    in police walo ko dikha dena caheyen ki patrkaro ko loktantra ka cotha stambh kyun kaha jata hai…taki ye police wale kabhi sapne me bhi patrkaro ke sath ya unke pariwar ke sath badsaluki karne ki sapne me bhi n soche

  17. कुमार मयंक

    October 19, 2010 at 1:12 am

    यशवंत जी, आपके परिजनों (घर की महिलाओं) के साथ जो कुछ भी हुआ….वह निश्चित तौर पर वह तानाशाह पुलिस के क़ारतूत को हीं उज़ागर करता है…इससे ज़ाहिर है कि यूपी पुलिस ना तो किसी नियम को मानती है और ना हीं कायदे और कानून को हीं….यानि की कानून यूपी पुलिस के ठेंगे पर…प्रदेश की मुख्यमंत्री भले हीं आला अधिकारियों और अन्य पुलिसकर्मियों को खासकर महिलाओं से तमीज़ से पेश आने की हिदायत देती रही हों…जबकि हर पुलिसकर्मी अपने पासिंग परेड में ईस बात की शपथ लेता है कि मरते दम तक कानून का पालन करेगा और किसी से भी भेदभाव नहीं करेगा…लेकिन यूपी पुलिस के ये पहरुआ तो यह भी भूल गये कि…जो इंसान अमुक़ केस में आरोपी भी नहीं है उसे भी पकड कर थाने का मुंह दिखा दिया….ऐसी पुलिस को क्या कहें जो रसूखदार लोगों के आगे पानी भरे और कमजोर और सभ्य लोगों को कहीं का ना छोडे….क्या देश के सबसे बडे राज्य की यही सच्चाई है…ओ भी उस राज्य की जिसकी क़मान एक महिला के पास है..

  18. Arvind Chauhan

    October 19, 2010 at 2:32 am

    यशवंत जी हम सब आपकी इस लड़ाई में आपके साथ है , जब तक उत्तरप्रदेश का मायावती का तख्ता पलट नहीं होगा, आम आदमी को न्याय मिलना मुश्किल है , मायावती दलितों की मसीहा बनती तो है परन्तु है नहीं है ! उनकी सरकार के कामो में कथनी और करनी में काफी फर्क है ! हमारी सभी उत्तरप्रदेश के लोगो से गुजारिश है कि आने वाले समय में उत्तरप्रदेश के चुनाव में ये मुहीम और जोर शोर जारी रखी जाएगी !

    अरविन्द चौहान
    संपादक
    दैनिक अदित्याज़

  19. awanish yadav

    October 19, 2010 at 3:05 am

    yashwant ji main aapke saath hoon

  20. ANIL ROYAL

    October 19, 2010 at 3:36 am

    यशवंत जी आपकी लडाई मे हम आपके साथ है,आपकी माता जी को बहुत जल्द न्याय मिलेगा

  21. purushottam naveen

    October 19, 2010 at 6:39 am

    जो करें जैसे करें…..हम सब आपके साथ हैं……

  22. Sudhir.Gautam

    October 19, 2010 at 7:57 pm

    Check link at right side bar :http://www.medianukkad.blogspot.com/
    Another mother humiliated
    “Sanwaad Jindabaad, Jindabaad, Jindabaad!!!
    Let them hear the music from every nook and corners of the web media world.

  23. ADARSH

    October 19, 2010 at 8:24 pm

    NYAY HONA CHAHIYE

  24. Manish Singh

    October 20, 2010 at 12:04 am

    Yashwant ji namskar,

    aapne jo muhim suru ki hai usme hum aapke saath hain……..

  25. Jai Prakash Sharma

    October 20, 2010 at 1:24 am

    श्रीमान् क्या कहे हमारे पत्रकार बन्धु चाहे तो इस पूरी व्यवस्था को खोलकर असलियत सामने रख सकते हैं लेकिन मैनें अब तक देखा है कि पत्रकारो के भी राजनेताओं व अधिकारियों से नजदीकी सम्बन्ध होते हैं जिनकी वजह से उनके और उनके परिचितों के कई काम निकलते है। स्थिति यह है कि कुछ पत्रकार अपने आप को किसी नेता व अधिकारी से कम नहीं मानते हैं। अब सीधी सी बात है कि आम आदमी की या जनहित की बात करते हैं तो इषारा मिल जाता है, आपको तो किसी काम के लिए मना नहीं किया है रही बात पब्लिक की तो वो पूरे सिस्टम के लिए खजाना है, जिसको जितना चाहिए ले लेता है। आप इस बारे में चिन्ता ना करें।
    और यहीं से शुरू हो जाता है भ्रष्टाचार जिसके चंगुल में पत्रकार, अधिकारी व नेता तक भी फंस जाते हैं इसलिए भैया शुरूआत तो करनी पड़ेगी। तो हम ना तो कल की बात करेंगं और ना किसी और का इन्तजार करेंगे।
    जय प्रकाष शर्मा
    निवाई, टोंक (राज.)
    9667347290

  26. Bhupendra Singh

    October 20, 2010 at 1:57 am

    Yashwant sir, ye hai UP Police ka kala chehra.ye kisi ke nahin hote.in par bharosa karna bekaar hai.qanoon ka hi danda inki samajh me ata hai.ye sab dekhkar to ek baat saaf ho gayi hai ki patrakar itna zyada asahay agrenzo ke zamaane me bhi nahin tha.apne is kadam ko ek andolan ka roop dijiye.hum sab aapke saath hain.

  27. Bhupendra Singh

    October 20, 2010 at 2:04 am

    yashwant sir, ye hai UP police ka chhupa hua kala chehra.Ye police wale kisi ke nahin hote.Wardi ka rob inko andha kar deta hai.Ye bas kewal kanoon ka hi danda samajhate hain.waise patrakar varg aaj se zyada asahaay angrezo ke zamaane me bhi nahin raha hai. baharhaal aapke dvara uthaye gaye is kadam ko andolan banane ke liye hum sab aapke saath hain.

  28. vijay singh

    October 20, 2010 at 2:27 am

    behad dukhi aur gusse me hu……..up ka jangalraj kab khatm hoga…….

  29. vishnu shanker

    October 20, 2010 at 6:55 am

    सत्ता या सियासत का नही….ये सवाल है मां का….

  30. नीरज

    October 20, 2010 at 11:05 pm

    अदभुत प्रयास है भाई..
    सफल हो.
    नीरज

  31. Dev Tripathi

    October 20, 2010 at 11:06 pm

    अगर अब भी हम चुप रहे तो कल हमारी भी बारी अ सकती है,, अज रिश्तेदार
    पीड़ित हैं कल को हम भी इसी जमात में शामिल होंगे,, इसलिए आइये हम प्राण
    करें की अब हम नहीं सहेंगे,,,,,

  32. Dr. Deo Prakash Singh

    October 21, 2010 at 2:24 am

    yashwant ji, i dont have words to comment but can say..its very painful. its not first case. there was many like this and in future there will be like this. Sitting at that chair, they think that they did wonderful excellent job. But really shameful. Please continue your fight against this. I am with you for this issue.

  33. Rajul Raj Mishra

    October 21, 2010 at 3:18 am

    Yeh Andhe Bahreon ki nagri hai Yashwant ji. Antim sandesh ko chodiye , Aapki Gandhigiri ki yeh “BHADASI” patrkarita MAA ko kahan tak nyay aur samman dilane me sahayak sidh hogi ,pata naheen. Behtar hoga mere Dost, ki turant apne Gaon jayiye aur Aaropiyon ke khilaf morcha khol dijiye taki unko saja mil sake. Yeh tabhi hoga jab apne jile me jakar BAHRE ADHIKARION se milenge dawab dalenge yaa phir court ka sahara lenge. Yaad rakhen MAa ke samman se bad ker kuch bhi naheen .

  34. nilay singh

    October 21, 2010 at 4:43 pm

    ham aapke saath hain

  35. vikas srivastava

    October 21, 2010 at 11:43 pm

    ye kam mera ya kewal apka nahi hai, ye to sabhi ka kartavye hai, lekin manthan karne wali bat ye hai kee akhir aisi paristhitee bani hi kyoun, khai to kuch kami hamme bhi hai. aaj a aap par biti hai, kal koi or. bilkul is mission me main apke sath hun.

  36. subodh

    October 22, 2010 at 2:13 am

    maa ke liye kucha bhi karega…,, use nyay ke ley drdsanklpit yaswant bhai”””” der se sahe nyay milega

  37. sudhir

    October 22, 2010 at 5:53 am

    es mudde par media ko sabit karna hoga ki wo mahaz tamashbin nahin hai, balki media loktantra ka chautha khambha hai. khas kar up ki media ki bhoomika aham honi chahiye. i m with u.
    sudhir
    sub editor, prabhat khabar

  38. अनीस आलम राजस्थान

    October 26, 2010 at 9:29 pm

    यशवंत जी, आपके परिजनों के साथ जो कुछ भी हुआ….वह निश्चित तौर पर पुलिस कि तानाशाही क़रतूतो को हीं उज़ागर करता है,….. यशवंत जी हम सब इस लड़ाई में आपके साथ है

  39. योगराज शर्मा

    October 28, 2010 at 10:02 pm

    सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामलों में स्पष्ट गाइड-लाइन दे, जो पालन नहीं कर रहे उन पुलिसवालों को दंडित करे

    आरोप किसी पर हो, और पुलिस किसी और को ले जाए… वो भी महिला को… किसी भी तरीके से जायज नहीं ठहराया जा सकता… इस तरह का ये पहला मामला नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट चाहे तो इसे उदाहरण मानकर ही स्पष्ट गाइडलाइन दे सकता है… क्या इससे पहले अखबारों, नेट या टीवी पर आने वाली खबरों पर अदालतों ने कभी संज्ञान नहीं लिया… इस बार अदालतों की ये खामोशी क्यों… मायावती या मनमोहन सिंह की सरकार ऐसे मामलों पर चुप बैठ सकती है, आंखें मूंद सकती है… लेकिन अदालत पर तो आज भी देश का भरोसा है…
    यशवंत जी की माता जी के साथ किए पुलिस के दुर्व्यवहार पर सरकारों की चुप्पी बहुत ही शर्मनाक है… पुलिस के उन अधिकारियों की खामोशी भी उन्ही की पोल खोल रही है, जो न्याय दिलाने की कसमें खाकर वर्दी और कुर्सी का रौब झाड़ने में लगे हैं…
    मेरी विनती है माननीय अदालतों से अपना हक दिखाएं… अपनी ताकत का एक बार फिर परिचय दें… अदालत आदेश जारी कर सकती है, उच्च स्तरीय जांच करवा सकती है… लेकिन यूपी पुलिस से नहीं, हम चाहते हैं कि किसी रिटायर्ड जज को जिम्मेदारी सौंपे…
    न्याय पर लोगों का विश्वास बढेगा…

    योगराज शर्मा
    एडिटर इन चीफ
    जर्नलिस्ट टुडे नेटवर्क

  40. surender saini sirsa haryana

    November 30, 2010 at 4:23 pm

    WRITAN BY SURENDE SAINI HARYTANA SIRSA

    YASBANT BHAI APKI DUKH BHARI KAHANI PADKAR BHUT ASCHARY JANAK LAGA AROPI KOI OR HAI OR DANDIT OR KISI KO THARAYA GAYA BHUT GALATHAI SUPRIM COURT KO ASE POLISE BALO KO TURANT SASPEND KARDENA CHAHIYE OR BO BHI EK MAHILA KE UPER ITNA ATYACHAR JO VIPTA AAJ AAP PER AI HAI KAL HUM KISI KE UPER BHI AA SAKTI HAI….. MAYABATI KI SARKAR ANDHI HAI ASI BHRST SARKAR JO BHOLI BHALI JANTA KE VISBAS KO MITI ME MILA DETI HAI ASI NANDHI SARKAR KO TO NANGA KARKE NANGA NACH NACHAYE JO APKI MATA JI KE SATH JO POLISEYA BAYVAHAR HAI BHUT JYADA SARMNAK HAI ADALAT KO APNA SAPST OE SAF AXN LENA CHAIYE BINA DABAB KE VRNA JANTA KA IS SARKAR OR ADALAT SE VISVAS HAMESA KE LIYE UTH JAYEGA ……………………………..YASVANT JI HUM HAMESA APKE SATH HAI

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