: जनता ने खुद चोर पकड़ा और उन्हें बांधकर सरेआम पीटकर अधमरा किया : : पुलिस वाले आए तो तमाशबीन बन पिटाई देखते रहे : चंदौली जिले की घटना की गवाह कुछ तस्वीरें : ये दृश्य पाकिस्तान या अफगानिस्तान के नहीं हैं. ये यूपी के हैं. जी हां, उसी यूपी में जहां आजकल पुलिस परपीड़क बनी हुई है, उगाही में लगी हुई है और जनता है कि चोर-उचक्कों को पकड़ कर प्राकृतिक न्याय देने में जुटी है.
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मुख्यमंत्री मायावती के झूठ को उनकी सीबीसीआईडी ने पकड़ा!
: बबलू और आब्दी की गिरफ्तारी के पीछे का सच : वैसे तो जिंदगी में कोई बात शायद बेमतलब नहीं होती पर उत्तर प्रदेश में तो निश्चित तौर पर हर बात के पीछे कोई ना कोई कारण जरूर होता है. और अक्सर जो दिखता है, सच वैसा नहीं होता. अब जीतेन्द्र सिंह बबलू और इन्तेज़ार आब्दी की गिरफ्तारी का मामला ही ले लीजिए.
ये है बुलंदशहर में मायाराज प्रायोजित जाम में फंसी दलित महिला के मौत के दृश्य
[caption id="attachment_19696" align="alignleft" width="94"]स्वर्गीय गीता[/caption]कभी किसी मां को बिना वजह थाने में बिठा दिया जाता है, क्योंकि ये यूपी है और यहां क्रिमिनल गवरनेंस है, कभी किसी मां की पुलिस-प्रशासन द्वारा लगाए गए जाम में मौत हो जाती है, क्योंकि ये यूपी है और यहां अंसवेदनशीलों का राजपाठ है. बुलंदशहर की घटना लोमहर्षक है. अफसरों का रेला, फौजफाटा लेकिन सब काठ के पुतले. किसी में दिल नहीं जो एंबुलेंस में बैठे मरीज व उसके परिजनों की गुहार को सुने.
ये माया मैम की जूती है, इसे चमकाओ
: शर्म करो यूपी के पुलिस वालों : अगर महिला सामान्य या गरीब घर की है, तो यूपी के पुलिस वाले, सिपाही से लेकर आईपीएस तक, उसे जेल या थाने में डालने से हिचकेंगे नहीं, बिना किसी जुर्म.
यूपी में किधर है लॉ एंड आर्डर!
: फिर एक स्त्री को अपमानित किया पुलिस वालों ने : बनारस में इंस्पेक्टर ने किया यौन उत्पीड़न : उत्तर प्रदेश में यही कमाल है कि ये प्रदेश बहुत हर मामले में बहुत बदहाल है. खासकर कानून-व्यवस्था के मामले में तो इस हाल बेहद बेहाल है. और, खासकर यहां महिलाएं सबसे ज्यादा उत्पीड़ित की जा रही हैं. और, मजेदार है कि एक महिला का राज है. पर महिला के राज में उनके मनमाने अफसर सबसे ज्यादा महिलाओं को ही दुख दे रहे हैं.
Media’s double standards exposed in following rape stories in Bihar, UP
: Patna, (BiharTimes) : A very funny thing happened with television journalism in India on January 13. Several national channels took the Uttar Pradesh chief minister, Mayawati, to task for not expelling from the party the MLA arrested on the charge of raping a 17-year old girl belonging to the Nishad community, an extremely backward caste.
बुरे फंसते जा रहे हैं करमवीर और बृजलाल
: हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने इनके खिलाफ याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट को सौंपा : इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहले से ही है इनके खिलाफ एक याचिका : अब दोनों याचिकाओं की एक साथ शुरू होगी सुनवाई : आईआरडीएस की तरफ से शीलू-दिव्या प्रकरणों में हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में दायर रिट याचिका पर आज याची के वकील अशोक पांडे ने तर्क पेश किये.
मेरी हत्या कराना चाहती हैं मायावती : पुनिया
दलित जाति के पुनिया को दलित जाति के ही मायावती से जान का खतरा है. पुनिया और मायावती, दोनों दलितों के बीच के प्रभावशाली लोग हैं. मायावती यूपी की मुख्यमंत्री हैं जबकि पीएल पुनिया राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष. यूपी के जंगलराज और अराजक कानून व्यवस्था का इससे बड़ा क्या सुबूत हो सकता है कि एक दलित नौकरशाह को जो अब एक आयोग के अध्यक्ष हैं, खुद यूपी की मुख्यमंत्री से जान का खतरा है.
मायावती को राजनीति का भस्मासुर किसने बनाया!
””….मैंने प्रधानमंत्री नरसिंह राव से उस समय सवाल किया था- ”राव साहब आप गांधीवादी नेता हैं और बहुजन समाज पार्टी के लोग गांधी को गाली देते हैं, यह कैसा समझौता है?” इस पर राव साहब ने जवाब दिया- ”आप अच्छी तस्वीर खींचें।” तब मैंने उनसे कहा- ”मैं तस्वीर खींचू या लिखूं, इससे आपका कोई मतलब नहीं होना चाहिए, लेकिन मुझे आपसे सवाल करने का हक है। कृपया करके आप सवाल का जवाब दें।”….””
इस मायावती को हटाना-हराना जरूरी हो गया है
यूपी में जंगलराज चरम पर है. महिला मुख्यमंत्री के राज में महिलाओं की ही इज्जत सबसे ज्यादा असुरक्षित है. कभी निर्दोष महिलाओं को बिना किसी सुबूत रात भर थाने में बिठाए रखने जैसी जघन्य घटना घटित होती है तो कभी नाबालिग लड़की से दुराचार करने वाले बसपाई विधायक को बचाने में पूरा तंत्र लग जाता है. खबर आ रही है कि दुराचार की शिकार नाबालिग शीलू पर दबाव बनाया जा रहा है कि वह अपने आरोप वापस ले ले. इस बारे में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया चेयरमैन एवं बांदा सदर से विधायक विवेक कुमार सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती द्वारा एक अतिपिछड़ी नाबालिग लड़की शीलू के साथ हुए दुराचार की जांच सीबीसीआईडी से कराने का निर्णय लेना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.
पुलिस अफसर की जवांमर्दी और नपुंसक अखबार
आदरणीय यशवंत जी, संपादक, भड़ास4मीडिया, गाजीपुर पुलिस ने आपकी मां के साथ बीते दिनों जो अपमानजनक और अमानवीय व्यवहार किया था, वह अक्षम्य अपराध था और किसी भी दोषी पुलिसिये के खिलाफ कोई कार्रवाई आजतक नहीं हुई। यूपी पुलिस की हैकड़बाजी अब भी चालू है। और, पुलिसियों के इस नेक काम में बनारस के अखबार भी खुलकर साथ दे रहे हैं। आईजी राजेंद्रपाल सिंह की कार संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के सामने से बुधवार को गुजर रही थी। तभी उनकी कार की एक मार्शल या बोलेरो से टक्कर हो गयी। एक पुलिस अधिकारी ने उतर कर न सिर्फ स्वयं गाड़ी चालक व उसके साथ बैठे युवकों को धुना बल्कि साथ चल रहे अर्दली पुलिसियों को ललकार कर युवकों को पिटवाया। पहले तो अर्दली टाइप पुलिसिये युवकों को थप्पड़ रसीद कर रहे थे तब अधिकारी ने ललकार कर कहा-लाठियों से पीटो।
यूपी में माया का जंगलराज : देखिए, मंत्रीजी युवक का अपहरण कर रहे हैं…
यूपी का एक मंत्री पत्रकार को धमका रहा है. वही मंत्री जबरन एक युवक को उठा कर ले जा रहा है. उसके गुर्गे मंत्री के निर्देश पर युवक को डांटते फटकारते लेकर जा रहे हैं. सामने टीवी न्यूज चैनलों के कुछ पत्रकार दिखाई देते हैं तो मंत्री व उसके गुर्गे उन्हें भी धमकाते हैं. कुछ पत्रकार तो भाग जाते हैं और कुछ पत्रकारों को डांट कर मंत्री भगा देता है लेकिन कुछ पत्रकार ऐसे भी हैं जो मंत्री की धमकी के बावजूद अपना काम ईमानदारी से करते हैं.
यूपी के मंत्री अवधेश वर्मा की जर्नलिस्ट को धमकी
: धमकी का टेप सुनने के लिए नीचे दिए गए आडियो पर क्लिक करें : सेवा में, यशवंतजी, भड़ास4मीडिया, महोदय, निवेदन है कि मैं सौरभ दीक्षित शाहजहांपुर में दो न्यूज चैनलों का संवाददाता हूं. 4 दिसंवर को जिला पंचायत चुनाव में बसपा के मंत्री ने संजीव कुमार को जबरदस्ती पुलिस से पकड़बा लिया था. इस युवक ने बसपा प्रत्याशी के खिलाफ हाईकोर्ट में एक यचिका दायर की थी जिसमें यह था कि जिला पंचायत का बसपा से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी ने दो-दो मतदाता पहचान पत्र बनवा रखे हैं.
ये राडिया हैं, वो मां थीं
: जांच एजेंसियों का दोहरा चरित्र : कभी-कभी अपनी कमज़ोरी और कानून को लागू करने वाली मशीनरी के करतूत को देख कर आम आदमी यक़ीनन शर्मिदां होता होगा। देश के सबसे बड़े घोटाले की बड़ी सूत्रधार नीरा राडिया से पूछताछ के लिए सीबीआई उनके घर गई। इसी घोटाले से जुड़े कई पत्रकारों से अटे पड़े चैनल पर ख़बर थी कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है कि महिला आरोपी से पूछताछ के लिए थाने नहीं बुलाया जा सकता इसीलिए सीबीआई राडिया के घर पूछताछ के लिए उनके घर गई…। उफ्फ कितना फर्क है कानून के पालन करने वालों और ख़बरे परोसने वालों के चरित्र में।
लुच्चा लोकू, बेईमान बृजलाल…
[caption id="attachment_18732" align="alignleft" width="179"]लुच्चा लोकू और बेईंमान बृजलाल[/caption]: क्योंकि मां को न मिला न्याय : बेईमान इसलिए क्योंकि यूपी के एलओ साहब उर्फ लॉ एंड आर्डर के एडीजी उर्फ अघोषित डीजीपी बृजलाल ने निर्दोष मां को बिना वजह 15 घंटे थाने में बिठाने वाले गाजीपुर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक एल. रवि कुमार उर्फ लोकू रवि कुमार उर्फ रवि कुमार लोकू उर्फ लोकू उर्फ लोक्कू को बख्श दिया है. सिर्फ थानेदार पर गाज गिराई, उसे लाइन हाजिर करके. मां को थाने में बिठाए जाने के वीडियो टेप होने के बावजूद, पुलिस प्रशासन के सभी फ्रंट पर घटना की शिकायत किए जाने के बावजूद बृजलाल बेईमानी कर गए और खुद को व लोकू को बचा ले गए. लोकू डीआईजी के पद पर लखनऊ में पीएसी का कामधाम देख रहा है.
हार गए पत्रकार, जीत गई माया सरकार
: इसलिए लड़ाई जारी रहे : पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में पुलिस अफसरों के बड़े भारी संख्या में तबादले हुए. सत्तर के आस-पास. इनमे हर रैंक के अफसर थे- एसपी भी, डीआईजी भी, आईजी और एडीजी तक. इनमे कुछ तबादले खास तौर पर गौर करने लायक थे- एक पूरब में गाजीपुर का, एक उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का और एक उत्तर प्रदेश के पुराने औद्योगिक नगर कानपुर का. इन तीनों को मैं एक अलग नज़र से इसीलिए देख रही हूँ क्योंकि इन तीनों ही जगह पर पिछले एक-डेढ़ महीने के अंदर पत्रकारों से जुड़े बड़े-बड़े कांड हुए थे.
कनाडा से अमितायु ने मां के लिए न्याय मांगा
यशवंत जी, आपसे उस दिन उत्तर प्रदेश पुलिस की करतूत पर बातचीत फोन से की. आपका जुझारूपन काबिले तारीफ है. कुछ मात्र सोचते रह जाते हैं, और आपने उस सोच को क्रियान्वित करने की पूरी कोशिश की. विश्वास है आप द्वारा चलाया गया अभियान और भी लोगों को न्याय दिलाएगा. ईश्वर आपको सफलता दें. कुछ विचार इसी सन्दर्भ में लिखकर भेज रहा हूं. अगर इससे आपके अभियान को सहयोग मिले तो अवश्य छापिएगा. और कोई भी सहयोग की आवश्यकता हो तो कहिएगा. आभार.. अमितायु, कनाडा
मां को न्याय दिलाने को मायावती को पत्र भेजा
बरेली निवासी शिक्षक और सोशल एक्टिविस्ट कुशल प्रताप सिंह ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को लंबा-चौड़ा पत्र लिखकर पत्रकार यशवंत सिंह के मां को थाने में बंधक बनाए जाने की घटना के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. रजिस्टर्ड डाक से भेजे गए इस पत्र में पूरे प्रकरण की सिलसिलेवार जानकारी दी गई है और गाजीपुर पुलिस के रवैए पर कई सवाल खड़े किए गए हैं. कुशल प्रताप सिंह द्वारा भेजा गया पत्र इस प्रकार है-
जिनमें अपराध करने की हिम्मत नहीं अब वही भले!
यूपी में हर सरकार कानून का राज चलाने का दावा करते हुए आती है पर जल्दी ही न्याय-देवी की ऐसी मूर्ति में बदल जाती है जिसकी आंखे पारदर्शी पट्टी के पीछे से विरोधियों को घूर रही हैं और जिसने न्याय के तराजू को अपने स्वार्थों की तरफ झुका रखा है। इस “टेनीमारी” का नतीजा यह कि समूचा परिदृश्य अपराधियों के अनुकूल हो उठता है, लोग त्राहिमाम करने लगते हैं। पर यह जो त्राहिमाम सुनाई पड़ता है क्या वह सचमुच की पीड़ा और आम नागरिक की सुरक्षा की चिन्ता से पैदा हुआ है, इसकी पड़ताल करने की जरूरत है।
यशवंत जी, ये आपका निजी मामला नहीं है
ये हम सभी जान रहे हैं कि यशवंत जी की मां श्रीमती यमुना सिंह, चाची श्रीमती रीता सिंह और चचेरे भाई की पत्नी श्रीमती सीमा सिंह को दिनांक 12-10-2010 को रात में लगभग नौ बजे गाजीपुर जिले के नंदगंज थाने की पुलिस ने उनके गाँव अलीपुर बनगांवा से जबरन उठा लिया.
लोग चुप रहते हैं, इसलिए ढीठ हो जाती है पुलिस
यशवंत जी नमस्कार, मैंने अपने एक पुलिस अधिकारी मित्र के जानकारी देने पर आपके मां की दर्द भरी दास्तान पढ़ी. यद्यपि लेख के अनुसार जिम्मेदार भी मेरा ही महकमा है पर फिर भी कहने का साहस जुटा रहा हूं क्योंकि कुछ और ना सही, आपके दर्द में सहभागी ही बन सकूं. इस तरह की घटनाएं इसलिए होती हैं कि हम सब कुछ सह जाते हैं, कहने, शिकायत करने और कानूनी कदम नहीं उठाते. ऐसे में कानून को ताख पर रखने वाले लोग ढीठ व निश्चिंत हो जाते हैं.
पुलिसवालों के खिलाफ अपहरण का मुकदमा दर्ज हो
सवाल सिर्फ ये नहीं है कि एक पत्रकार की मां को थाने में घंटों बैठाए रखा गया। सवाल ये भी नहीं है कि पुलिस ने ऐसा क्यों किया क्योंकि पुलिस तो जबसे पैदा हुई है तबसे ही अपराध सुलझाने, आरोपी को पकड़ने के लिए इस काम का सहारा लेती रही है। अब सवाल ये है कि जब सारे सबूत सामने हैं तो जिन पुलिसवालों ने ये किया उनके खिलाफ क्यों नहीं अपहरण का मुकदमा दर्ज किया जाए।
मां को न्याय मिले बिना अभियान खत्म
यही सच है. बिना न्याय मिले अभियान खत्म. हर दरवाजे खटखटा लिए. सबको मेल भेज दिया. सब तक घटनाक्रम की जानकारी पहुंचा दी. पर हुआ कुछ नहीं. माया सरकार के नेता कान में तेल डाले मस्त है. सत्ता द्वारा संरक्षित व पोषित अधिकारी विवेकहीन व तानाशाह हो चुके हैं. सो, वे दोषी भी हों तो उनका बाल बांका हो नहीं सकता, और वे अपने दोषी अधीनस्थों का बाल बांका करेंगे नहीं.
यूपी सरकार अपने अफसरों पर अंकुश लगाए
प्रेस क्लब अयोध्या ने गाजीपुर के नंदगंज थाने में महिलाओं को बंधक बनाए जाने की घटना पर एक बैठक कर यूपी सरकार और पुलिस अधिकारियों की निंदा की. पत्रकारों ने यूपी सरकार से मांग की कि वे अपने अफसरों पर नजर रखे ताकि किसी निर्दोष का उत्पीड़न न हो. प्रेस क्लब अयोध्या की बैठक के बाद जारी प्रेस विज्ञप्ति इस प्रकार है–
इमोशनल टार्चर पर पुलिस अधिकारी खामोश!
‘justice for मां’ अभियान को समर्थन देते हुए देहरादून, मुजफ्फरनगर और नोएडा से प्रकाशित ‘रॉयल बुलेटिन’ हिंदी दैनिक ने खबर को प्रमुखता के साथ पेज एक पर प्रकाशित किया है. खबर के साथ थाने में बंधक बनाकर रखी गई महिलाओं की तस्वीर भी है जिस पर कैप्शन दिया गया है- ”बिना अपराध की सजा”. संबंधित खबर को नीचे प्रकाशित कर रहे हैं, जिसे आप आराम से पढ़ सकते हैं.
नारियों का अनादर करना, ये कहां लिखा है!
[caption id="attachment_18349" align="alignleft" width="63"]भूपेंद्र सिंह गर्गवंशी[/caption]: ब्रिटिश काल की इस पुलिस का चरित्र बदलो : अंग्रेजों के राज में जब देश गुलाम था, तब 1861 में फिरंगी हुकूमत ने भारत देश की जनता के ऊपर दमन करने के लिए ‘पुलिस’ महकमें का गठन किया था। तत्समय की पुलिस हिन्दुस्तान के लोगों को जिस तरीके / ढंग से प्रताड़ित करती थी, वह रवैय्या आजादी के 63 वर्ष बाद भी नहीं बदला है।
मीसा हो चाहे फांसी, यह तो महासमर है…
[caption id="attachment_18348" align="alignleft" width="63"]धीरेंद्र श्रीवास्तव[/caption]भाई यशवंत जी, मां को थाने में रोके जाने की घटना की आज जानकारी मिली। पुलिस तो इस तरह के कारनामे करती रहती है। ऐसे मामलों में उसकी जितनी भी निंदा की जाय, कम है। पर, कोई शासन ऐसे संवेदनशील मामले में गूंगा-बहरा और हृदयहीन बना रहेगा, जनप्रतिनिधि भी तमाशबीन बने रहेंगे, इसकी कतई उम्मीद नहीं थी।
मायावी पुलिस ने माताओं का फिर किया अपमान
मायावती की मायावी पुलिस ने फिर महिलाओं के गिरहबान पर हाथ डाल दिया। चुनावी झगड़े में शामिल लोगों को तो पुलिस नहीं दबोच सकी, लेकिन बाराबंकी के एक प्रतिष्ठित परिवार पर उसने कहर ढा दिया। गाड़ियां तोडीं, खिड़की-दरवाजे ढहा दिये और जो भी मिला, उसे लाठियों से जमकर पीटा। इतने पर भी मन नहीं भरा तो घर की महिलाओं को बाल पकड़ कर घसीटा और उन्हें जीप पर ठूंस कर थाने में सीखचों के पीछे धकेल दिया। हैरत की बात तो यह रही कि इस पूरे पुलिसिया कर्मकाण्ड का नेतृत्व बाराबंकी की महिला एएसपी श्रीपर्णा गांगुली ने किया।
यूपी पुलिस की दबंगई के सामने महिलाएं बेबस
नई दिल्ली, महानगर संवाददाता : अंग्रेजों ने हिन्दुस्तानी पुलिस का गठन हिन्दुस्तानियों पर ही राज करने के लिए किया था। अंग्रेज तो चले गए लेकिन पुलिस आज भी राज करने वाले अंदाज में ही काम कर रही है। खासतौर से उत्तर प्रदेश की पुलिस का तो दबंगई में कोई जवाब नहीं। प्रदेश के जिला गाजीपुर के थाना नंदगंज की पुलिस की हरकतों से तो यही झलकता है। पुलिस ने तमाम नियम कानूनों को ठेंगा दिखाते हुए एक पत्रकार की बूढ़ी मां, अपाहिज चाची और बेबस भाभी को 18 घंटे थाने में बिठाए रखा।
मायावती, अपने अफसरों की करतूत देखो
सुश्री मायावती जी, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश, माननीया, हम आपका ध्यान उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमलों की ओर दिलाना चाहते हैं। पत्रकारों पर ये हमले अपराधी तत्वों द्वारा नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश पुलिस के अफसरों द्वारा किए जा रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि जैसे पुलिस ने पत्रकारों से कोई बदला लेने की ठान रखी है। कानपुर में पुलिस के एक आला अफसर अखबारों को सबक सिखाने पर तुले हुए है। लखनऊ में हाल ही में दिल्ली की जामा मससिद के शाही इमाम ने एक पत्रकार को सवाल पूछने पर पीट डाला।
ये डीजीपी करमवीर नहीं, चिरकुटवीर है
: प्रेस कांफ्रेंस में सवाल सुन भागा यह पुलिस अधिकारी : दिव्या हत्याकांड की जांच अपराध शाखा के हवाले : मायावती का रंगढंग उनके सिपहसालारों पर भी चढ कर बोलने लगा है। पुलिस के मुखिया करमवीर सिंह कानपुर की दस साल की मासूम दिव्या के साथ हुए बलात्कार और हत्या पर अपना पक्ष रखने के लिए मीडिया से बात करते समय आज मायावी अंदाज में दिखे और इस प्रेस कांफ्रेंस में पूछे गये सभी सवालों को यह कहते हुए टाल गये कि इन सवालों पर यह प्रेस कांफ्रेंस नहीं बुलायी गयी है।
लाठी न खरीद पाए तो लाठियों से पीटा
: जौनपुर में पुलिस वालों ने दुकानदार को सरेआम बेइज्जत किया : कान में तेल डाल माया भजन गा रहे करमवीर और ब्रजलाल : यूपी पुलिस किस कदर बेलगाम हो गई है, इसके नित नए नए वाकये सामने आ रहे हैं. ऐसे ऐसे प्रकरण पता चल रहे हैं जिसे सुनकर किसी भी सभ्य इंसान का सिर शर्म से झुक जाए. लेकिन यूपी पुलिस के मुखिया करमवीर और उनके सहयोगी ब्रजलाल का सिर कतई शर्म से नहीं झुकता क्योंकि ये दोनों बेहद बेशर्म हो चुके हैं, अपनी जनता के प्रति, अपनी ड्यूटी के प्रति, अपने दायित्व के प्रति और लोकतंत्र के प्रति. इन दोनों अधिकारियों ने मान लिया है कि सिर्फ मायावती के प्रति निष्ठावान होने, सिर्फ मायावती के आगे सिर झुकाने के कारण उनका कोई बाल बांका नहीं कर सकता.
फोटोग्राफर राजीव यूपी पुलिस का नया शिकार
बदायूं से खबर है कि हिंदुस्तान अखबार के फोटोग्राफर राजीव कुमार को पुलिस वालों ने इसलिए पीट दिया क्योंकि वे पुलिस द्वारा खुलेआम प्रताड़ित किए जा रहे एक युवक की तस्वीर ले रहे थे. तस्वीर खींचते देख पुलिस वालों ने आपा खो दिया और राजीव को पीटना शुरू कर दिया. उत्तर प्रदेश में बेलगाम हो चुकी पुलिस आए दिन मीडिया वालों व उनके परिजनों पर हमले कर रहे हैं और उनके साथ अमानवीय व्यवहार कर प्रताड़ित कर रहे हैं.
पुलिस का रवैया स्तब्धकारी है : हरिवंश
प्रिय यशवंत, अभी-अभी जस्टिस फॉर माँ कैंपेन के बारे में जानकारी मिली. मां के साथ पुलिस ने जो सुलूक किया, वह स्तब्धकारी है. आज भी पुराने युग के बर्बर कानूनों को सत्ता इस्तेमाल करे, इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है.
मीडिया की खबर लेती मायावती सरकार
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में दलित, वंचित, महिला और मीडिया सभी सरकार के निशाने पर हैं। कभी बुजुर्ग महिला को बंधक बनाकर रात भर थाने में रखा जाता है तो एक दलित बच्ची के साथ अगड़ी जातियों के दबंग लंपट सामूहिक बलात्कार करते हैं और पुलिस इसकी रपट लिखने में कोताही करती है। अपाहिज महिला को थाने में ढाई घंटे तक खड़ा रखा जाता है। कानपुर में पुलिस एक के बाद दूसरे अख़बार की खबर लेने में जुटी है। इसे लेकर पत्रकार संगठन आवाज उठा रहे हैं। यह कोई एकाध घटना नहीं है बल्कि मायावती के सत्ता में आने के बाद से यह सिलसिला जारी है।
हे महान महान महिलाओं, कुछ करो, कुछ बोलो
[caption id="attachment_18336" align="alignleft" width="91"]उमाशंकर उपाध्याय[/caption]: हमें न्याय चाहिये…….! : किसी की ख़ातिर अल्ला होगा, किसी की ख़ातिर राम, लेकिन अपनी ख़ातिर तो है माँ के आँचल में ही चारों धाम….. पवित्र देवभूमि भारत….., जहां राम कृष्ण और गौतम बुद्ध जैसे महापुरूष पैदा हुए…. जिस देश में आदि काल से माँ की पूजा की जाती हो…..उसी देश में एक माँ को सरेआम प्रताणित करती उत्तर प्रदेश की पुलिस क्या बताना चाहती है…..?
एक आईपीएस भी है अन्याय का शिकार
: पत्नी लिखेंगी अपने पुलिस अधिकारी पति के संघर्ष की कहानी : पूरी कहानी किताब के रूप में दो महीने में हाजिर होगी : नाम होगा- “अमिताभ ठाकुर स्टडी लीव केस” : बात बहुत छोटी सी थी. और आज भी उतनी बड़ी नहीं. मसला मात्र छुट्टी का था. लेकिन कहते हैं ना कि बात निकले तो बहुत दूर तलक जायेगी. इसी तरह यह बात भी जब शुरू हुई तो बस बढती ही चली गयी. और अब तो इस मामले में छह-छह केस हो चुके हैं.
मां, पत्रकार और अखबार
: जैसे मां के लिए यशवंत लड़ रहे, उसी तरह पत्रकार को पीटने वाले बुखारी को सजा दिलाने और हिंदुस्तान अखबार पर अत्याचार करने वालों के खिलाफ उठ खड़े होने की जरूरत : खिलाफ खड़े होने इन दिनों भड़ास एक बहुत ही महत्वपूर्ण आन्दोलन को लेकर आगे बढ़ा हुआ है- ”जस्टिस फॉर मां”. मैं और आईआरडीएस तथा नेशनल आरटीआई फोरम संस्थाएं, जिनसे मैं जुडी हुई हूँ, की पूरी टीम इस मामले के यशवंत जी के साथ अपने पूरे दमख़म से है. जिस तरह से यशवंत जी इस मामले को आगे बढ़ाएंगे, हम लोग उसके अनुसार साथ रहेंगे.
शांत होकर बोलिए वरना फोन रख दूंगा : आईजी
: आरपी सिंह ने शाम तक जांच रिपोर्ट गाजीपुर से आ जाने की बात कही : निर्दोष महिलाओं को थाने में 18 घंटे तक बंधक बनाकर रखे जाने के मामले में अभी तक कोई कार्रवाई न होते देख आज भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह ने वाराणसी जोन के आईजी आरपी सिंह से फोन पर बात की. तीन प्रयासों के बाद आईजी से बात हो सकी. उसके पहले उनके अधीनस्थ बताते रहे कि साहब शहर में गए हैं तो साहब डीआईजी साहब के साथ मीटिंग में हैं. बाद में हुई बातचीत में आईजी आरपी सिंह ने कहा कि उन्होंने गाजीपुर के एसपी से रिपोर्ट मंगाई है.
थैंक्स सीएनईबी, मां के दर्द को समझा
सीएनईबी न्यूज चैनल ने ‘justice for मां’ कंपेन में शरीक होते हुए पत्रकार यशवंत सिंह की मां व परिवार की अन्य महिलाओं को थाने में बंधक बनाकर रखे जाने की घटना से संबंधित खबर का प्रसारण किया. कल प्राइम टाइम पर दिखाई गई इस स्टोरी में यूपी पुलिस पर थू-थू किया गया. मोटी चमड़ी वाले अफसरों पर इस खबर का कितना असर पड़ेगा, ये तो नहीं पता लेकिन इस खबर के दिखाए जाने से देश भर के करोड़ों लोगों को पता चल गया है कि यूपी की मायावती सरकार में कानून और व्यवस्था का क्या हाल है और पुलिस किस कदर बेलगाम और निरंकुश है.
मां को न्याय दिलाने के लिए राज्य मानवाधिकार आयोग को प्रेषित कंप्लेन
सेवा में, राज्य मानवाधिकार आयोग, लखनऊ, विषय- तीन महिलाओं को 12 घंटे तक थाने में बंधक बनाए रखने के मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर आवश्यक कार्यवाही करने हेतु, श्रीमान जी, मैं यशवंत सिंह पुत्र श्री लालजी सिंह निवासी ग्राम अलीपुर बनगांवा थाना नंदगंज, जनपद गाजीपुर, उत्तर प्रदेश (हाल पता- ए-1107, जीडी कालोनी, मयूर विहार फेज-3, दिल्ली-96) हूँ. मैं वर्तमान में दिल्ली स्थित एक वेब मीडिया कंपनी भड़ास4मीडिया में कार्यरत हूं. इस कंपनी के पोर्टल का वेब पता www.bhadas4media.com है. मैं इस पोर्टल में सीईओ & एडिटर के पद पर हूं. इससे पहले मैं दैनिक जागरण, अमर उजाला. आई-नेक्स्ट आदि अखबारों में विभिन्न शहरों में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहा हूँ. पिछले दिनों दिनांक 12-10-2010 को समय लगभग 10 बजे रात को मुझे गाजीपुर जिले के नंदगंज थाने के अपने गाँव अलीपुर बनगांवा से मेरे मोबाइल नंबर 9999330099 पर मेरे परिवार के कई लोगों के फोन आए.
मां के पांव छुओ, बृजलाल!
: मायावती के चरणों में सैंडिल पहनाने वाले उत्तर प्रदेश पुलिस के सबसे चर्चित आईपीएस यानी अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक बृजलाल के बेचारे बन जाने का राज क्या है : भारतीय दंड विधान का दंड यानी डंडा जिसके हाथ में आ जाता है वह अपने आपको खुदा से कम नहीं समझता। बीट कांस्टेबल अपने हिस्से के इलाके का खुदा होता है, थानेदार एक पूरी बस्ती का खुदा होता है, डीएसपी एक इलाके का खुदा होता है और एसपी पूरे जिले का खुदा होता है।
justice for मां : जैसे जैस वक़्त गुज़र रहा है, अपमान की पीड़ा बढ़ती ही जा रही है
राष्ट्रपति महिला… महिला के हाथ में केंद्र सरकार का रिमोट… सूबे की महिला मुखिया… इन सबकी मौजूदगी में एक बेबस मां का अपमान का एक दिन… दो दिन… तीन दिन… बीतता जा रहा है. दोषी जस के तस हैं… अपनी जगह पर हैं… बिना डर और भय के… जैसे उनके लिए कुछ हुआ ही न हो… आरोपी के घर की महिलाओं को थाने में लाकर बंधक बनाने की पुलिसिया परंपरा को खत्म की लड़ाई है यह… किसी यशवंत की लड़ाई नहीं है… किसी एक मांग की जंग नहीं है… 3 जुलाई 2003 को मेरा चार साल का बेटा मुझको हमेशा के लिए छोड़कर चला गया…. न जाने क्यों ये कहते हुए संकोच नहीं हो रहा कि जैसे जैसे वक़्त गुज़रता जा रहा है, दर्द तो कम नहीं हुआ मगर मानो सबर सा आता जा रहा है…. मगर आप यक़ीन मानिए कि उत्तर प्रदेश पुलिस के हाथों मेरी अपनी ही नहीं बल्कि हर पत्रकार की माता के अपमान की ख़बर सुनने के बाद जैसे जैस वक़्त गुज़र रहा है, अपमान की पीड़ा बढ़ती ही जा रही है…. हम इस मामले को भावनाओं के साथ साथ एक पत्रकार की हैसियत से भी लोगों को दिखाना चाहते हैं…. माता जी मेरी हो या यशवंत, किसी पत्रकार या इंसान की, उसके हम चरण तो स्पर्श कर सकते हैं लेकिन ये सोच भी नहीं सकते कि उसके आंचल को गम का साया भी छू सके….
justice for मां : Use RTI in this matter
Dear Yashwant Ji, Today, I came to know the news regarding your mother. Its really painful for people like me and u who are in Delhi and struggling to write their destiny on their own and are far away from their family (parents). I can feel it.
पत्रकार संगठनों ने मां के अपमान के खिलाफ आंदोलन की तैयारी शुरू की, सरकार को कड़ी चेतावनी
लखनऊ : न्यूज पोर्टल भड़ास4मीडिया के सम्पादक यशवन्त की मां एवं घर की महिलाओं को गाजीपुर पुलिस द्वारा थाने में रात भर बैठाये रखने और उनके साथ अभद्रता करने एवं कानपुर स्थित हिन्दुस्तान एवं हिन्दुस्तान टाइम्स कार्यालय पर पुलिस द्वारा किये गये हमले तथा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना बुखारी द्वारा पत्रकार वार्ता में एक पत्रकार पर किये गये हमले की जन जागरण मीडिया मंच सहित विभिन्न पत्रकार संगठनों ने कटु निन्दा करते हुये उत्तर प्रदेश सरकार एवं पुलिस के आला अधिकारियों एडीजी ला एंड आर्डर ब्रजलाल और होम सेक्रेट्री दीपक कुमार से जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की हैं. अधिकारियों ने जांच में दोषी पाए जाने वाले पुलिस कर्मियों को दंडित करने का आश्वासन राजधनी के पत्रकारों को दिया है. जनजागरण मीडिया मंच सहित राजधानी के विभिन्न पत्रकार संगठनों ने सभी मामलों में पुलिस के रवैये की तीखी आलोचना करते हुए इसे लोकतंत्र पर हमला करार दिया. जनजागरण मीडिया मंच के महासचिव रिजवान चंचल, अध्यक्ष हरिपाल सिंह, भारतीय पत्रकार महासंघ के अध्यक्ष डा. भगवान प्रसाद उपाध्याय सहित विभिन्न पत्रकार संगठनों के पत्रकारों ने चर्चित न्यूज पोर्टल भड़ास4मीडिया के सम्पादक यशवन्त के परिजनों के साथ हुये अमानवीय व्यवहार के मसले की कटु निंदा की. दोषियों को तत्काल दंडित करने की मांग करते हुए श्री चंचल ने पत्रकारों पर बढ़ते पुलिसिया उत्पीड़न पर गहरा आक्रोश व्यक्त करते हुये आंदोलन छेड़े जाने की भी चेतावनी दी है.
‘justice for मां’ अभियान में यूपीएसएसीसी भी शामिल
: मीडिया और मीडियावालों पर पुलिसिया दबंगई की कड़ी आलोचना की : UPSACC resented atrocities on media : Lucknow : U.P. Accredited Correspondent Committee today expressed its strongly resentment during the press briefing of the Home Department at media Centre before Home Secretary Dipak Kumar and ADG (L&O) over police attack on the Kanpur office of the Hindustan Times and Hindustan, illegal detention of the mother of Yashwant Singh Editor Bhadas4media.com at Nandganj Police Station of Ghazipur District and no action against Imam Bukhari who thrashed a journalist in police presence his press conference. Mr Brij Lal assured action in all the three issued raised today. The matters were raised by veteran journalist Ram Dutt Tripathi of BBC, Sharat Pradhan of IANS and office bearers of the Committee. Terming such incident as cowardly, unlawful and unbridled act of terror to curb freedom of press which is duty bound to inform its readers true and correct state of affairs, the President of the Committee Hisamul Islam Siddiqui, Vice President Mudit Mathur and Secretary Yogesh Mishra appealed the journalist community to act in solidarity with the journalists fraternity who are committed to bring out truth before public despite pressures from all the corners.
‘jusitce for मां’ अभियान में शामिल हुआ अयोध्या प्रेस क्लब
‘justice for मां’ अभियान में अयोध्या-फैजाबाद प्रेस क्लब ने शामिल होने की घोषणा की है. इस मुद्दे पर क्लब के पदाधिकारियों की एक बैठक बुलाई गई है. प्रेस क्लब अयोध्या के महासचिव चंदन श्रीवास्तव ने एक बयान जारी कर माता जी का पुलिस थाने में घंटों बंधक बनाकर रखने की घटना की निंदा की.
मेरी मां की इज्जत मीडियावालों ने ही उछाल दी
: यूपी पुलिस के एक दीवान की व्यथा कथा : यशवन्त जी, आपकी मां व आपके परिवार की औरतों के साथ गाजीपुर की पुलिस ने जो व्यवहार किया वह वास्तव में शर्मनाक है। इसके लिए दोषी पुलिसकर्मियों को नियमानुसार दण्डित किया जाना चाहिए। परन्तु दोस्त, इस प्रकार की शर्मनाक घटनाओं को कहां–कहां होने से रोका जाय, जो जहां है, वह वहीं अपराध कर रहा है। मेरे साथ भी दिनांक 4.10.2010 को घटना घटित हो गयी, जिसमें मेरी मां को बिना किसी कारण ‘‘अमर उजाला’’ दैनिक समाचार पत्र वालों ने खबर बनाकर छाप दिया। मैं कितने पाठकों से कहता घुमूं कि दिनांक 4.10.2010 को छपी खबर असत्य है और सम्बन्धित रिपोर्टर कुछ गलत कार्य करवाना चाहता था, न करने पर उल्टी–सीधी खबर बनाकर छाप दिया, जो असत्य है। आपके पास तो तमाम साधन है, जिसके माध्यम से आप अपनी बात सभी से कह सकते हैं, कार्यवाही करा सकते हैं, परन्तु मैं तो असहाय हूं, क्योकिं मै उत्तर प्रदेश पुलिस में एक दीवान हूं। मेरे व मेरी मां के बारे मे दिनांक 04.10.2010 को ‘‘अमर उजाला’’ दैनिक समाचार पत्र में छपी खबर को इस मेल के साथ अटैच कर रहा हूं, जिसको आप पढ़कर समझ सकते हैं कि यह खबर है या किसी का उपहास। इस खबर से ‘‘अमर उजाला’’ वाले समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं? इस सम्बन्ध में समाचार पत्र में प्रकाशित सम्पादक के नाम एक नोटिस दिनांक 04.10.2010 को ही द्वारा ई–मेल से भेजा, परन्तु आज तक कोई उत्तर नहीं आया है, उत्तर की जगह पर सम्बन्धित रिपोर्टर द्वारा ‘‘देख लेने’’ की धमकी भी दी जा रही है। भेजा गया नोटिस नीचे है और साथ ही अमर उजाला में प्रकाशित खबर की कटिंग है. -दिनेश कुमार सरोज, मुख्य आरक्षी, सर्विलांस सेल, जनपद देवरिया
इस खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया
प्रिय भाई यशवंत जी, सादर नमस्कार, आपकी पूज्य माताजी चाची जी और उनकी बहू के साथ गाजीपुर पुलिस द्वारा की गई बदतमीजी की खबर ने अंदर तक हिला दिया. आप जैसे पत्रकार की माताजी के साथ यदि ऐसा हो सकता है तो उत्तर प्रदेश में आम आदमी के साथ पुलिस क्या कुछ नहीं कर सकती, यह कहना मुश्किल नहीं है.
गाजीपुर के पत्रकारों ने कहा- शेम शेम पुलिस
गाजीपुर पत्रकार एसोसिएशन की कैम्प कार्यालय, टैगोर मार्केट, कचहरी, गाजीपुर में आयोजित एक बैठक में गाजीपुर पुलिस के रवैए को शर्मनाक करार दिया गया. बैठक में भडास4मीडिया के सीईओ व एडिटर यशवंत सिंह जे गाजीपुर के नन्दगंज थाने के बनगांवा गांव में रहने वाले परिजनों के साथ पुलिस के शर्मनाक व्यवहार की निंदा की गई. बैठक में कहा गया कि गाजीपुर निवासी यशवंत वर्तमान में दिल्ली रहकर अपना कार्य कर रहे हैं. उनकी मां गांव पर ही रहती हैं. पिछले दिनों पंचायत चुनाव को लेकर हुए हत्या के बाद पुलिस आरोपियों पर शिकंजा कसने के लिए इनकी मां यमुना सिंह के साथ ही उनकी विकलांग चाची जो चल फिर पाने में असमर्थ हैं, के साथ ही 2 अन्य महिलाओं को थाने पर पूरी रात व अगले दिन दोपहर तक अवैध तरीके से बैठाये रखा.
आपके साथ, मां के साथ हम सभी खड़े हैं
: justice for मां : आपके साथ, मां के साथ, हम सभी खड़े हैं। हां, यह विडंबना ही है कि आजादी के ६० साल बाद भी पुलिस और प्रशासन आम आदमी के साथ सामंत की तरह व्यवहार कर रहा है। ब्रिटिश लोगों ने इस पुलिस को भारतीय लोगों के दमन के लिए ट्रेनिंग दी थी। पुलिस रक्षा करने के बजाय दमन करने लगी। जबकि ब्रिटेन में पुलिस आम लोगों के साथ सभ्यता के साथ पेश आती है।
justice for मां : डीएनए, लखनऊ ने फिर साबित की अपनी जनपक्षधरता, मां को समर्थन
[caption id="attachment_18317" align="alignleft" width="207"]डीएनए, लखनऊ में प्रकाशित खबर[/caption]: पत्रकार की मां व परिजनों को बंधक बनाए जाने की खबर पहले पेज पर प्रमुखता से प्रकाशित की : गाजीपुर के पुलिस अधीक्षक का बयान प्रकाशित कर रवि कुमार लोकू के झूठ की खोली पोल : लखनऊ और इलाहाबाद से प्रकाशित अखबार डेली न्यूज एक्टिविस्ट ने अपनी जनपक्षधरता को फिर साबित किया है. परेशान, उत्पीड़ित और सरकार व सिस्टम से त्रस्त लोगों की आवाज जोरशोर से व बिना डरे उठाने वाले इस अखबार ने आज के अपने संस्करण में पहले पन्ने पर पत्रकार यशवंत सिंह के परिजनों के साथ हुए बुरे व्यवहार की खबर समग्रता के साथ छापी है. ऐसे मामले में जिसमें पुलिस उत्पीड़न की तस्वीरें व वीडियो जैसे प्रमाण मौजूद हैं, गाजीपुर के पुलिस अधीक्षक का यह बयान देना कि उन्हें इस प्रकरण के बारे में पता ही नहीं, यह दर्शाता है कि गाजीपुर पुलिस की मंशा ठीक नहीं है.
justice for मां : मां को न्याय दिलाने के आदेश, अफसरों की जांच टीम बयान लेने गांव गई
‘justice for मां’ अभियान शुरू होने के बाद यूपी पुलिस को रक्षात्मक मुद्रा में आना पड़ा है. गाजीपुर के एएसपी (सिटी) शलभ माथुर के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम लखनऊ से मिले निर्देश के बाद जांच के लिए मां युमना सिंह के नंदगंज थाने स्थित अलीपुर बनगांवा गांव पहुंची. इस टीम में गाजीपुर के भुड़कुड़ा सर्किल के क्षेत्राधिकारी (सीओ) धर्मेंद्र सिरोही भी थे. साथ में अन्य कई पुलिस अधिकारी व कर्मी थे. नंदगंज थाने में कार्यरत कुछ पुलिसकर्मी भी थे. इन लोगों ने तीनों महिलाओं से एक एक कर बयान लिया. मौके पर पीड़ित महिलाओं के परिवार के दो वकील भी मौजूद थे, रामनगीना सिंह और शशिकांत सिंह. करीब तीन घंटे के अपने बयान में तीनों महिलाओं ने अपने उपर गुजरी एक एक बात को दोहराया.
यूपी के अफसर बोले- जांच कराएंगे, दंडित करेंगे
: justice for मां : लखनऊ से सूचना आ रही है कि आज शाम उत्तर प्रदेश शासन के दो बड़े अधिकारियों एडीजी ला एंड आर्डर ब्रजलाल और होम सेक्रेट्री दीपक कुमार की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकारों ने पत्रकारों व उनके परिजनों के उत्पीड़न का मामला प्रमुखता से उठाया. गाजीपुर जिले के नंदगंज थाने में पत्रकार यशवंत के परिवार की बेकसूर महिलाओं को बंधक बनाकर रखने के मसले को अफसरों के समक्ष उठाते हुए कई पत्रकारों ने पुलिस के रवैये की आलोचना की और जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की. सूत्रों के मुताबिक ब्रजलाल और दीपक कुमार ने इस मसले की जांच कराने और दोषी पाए जाने पर दंडित करने का आश्वासन आक्रोशित पत्रकारों को दिया.
…तो वो मां, और अब ये बहन हाजिर हैं
: पुलिसिया कहर का शिकार हर चौथे पत्रकार का परिवार : जबसे मैंने अपने मां के साथ हुए बुरे बर्ताव का प्रकरण उठाया है, मेरे पास दर्जनों ऐसे पत्रकारों के फोन या मेल आ चुके हैं जिनके घरवाले इसी तरह की स्थितियों से दो चार हो चुके हैं. किसी की बहन के साथ पुलिस वाले माफियागिरी दिखा चुके हैं तो किसी के भतीजे के साथ ऐसा हो चुका है. इंदौर से एक वरिष्ठ पत्रकार साथी ने फेसबुक के जरिए भेजे अपने संदेश में लिखा है- ”यशवंत जी, मैं आप के साथ हूं. मेरे भतीजे के साथ भी ऐसा दो बार हो चुका है. मैं आप की पीड़ा समझ सकता हूँ. मैं एक लिंक भेज रहा हूँ, जहाँ मैने आप की ओर से शिकायत की है. सड़क पर मैं आप के साथ हूँ.” इस मेल से इतना तो पता चलता ही है कि उनके भतीजे पुलिस उत्पीड़न के शिकार हो चुके हैं. अब एक मेल से आई लंबी स्टोरी पढ़ा रहा हूं जिसे लिखा है पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार जगमोहन फुटेला ने. फुटेला ने अपने राइटअप का जो शीर्षक दिया है, ” …तो वो मां, और अब ये बहन हाज़िर हैं…”, उसे ही प्रकाशित किया जा रहा है. जितने फोन संदेश व मेल संदेश आए, उसमें अगर मैं अनुपात निकालता हूं तो मोटामोटी कह सकता हूं कि हर चौथे पत्रकार का परिजन पुलिस उत्पीड़न का शिकार है. श्रवण शुक्ला वाले मामले से आप पहले से परिचित हैं.
उनकी जगह मेरी मां होतीं तो!
यशवंत भाई, मुझे अब रहा नहीं जा रहा है. मुझे ऐसा लग रहा है कि हम लोग कितने असहाय हैं कि हम अपनी मां तक की इज्जत-मान-सम्मान की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं. सिस्टम इतना क्रूर व हिंसक हो गया है कि अब हमारी निर्दोष बेटियों-माओं-भाभियों-चाचियों तक को नहीं बख्शा जा रहा है. हमारे पत्रकार साथी चुप बैठे हैं. मैं कुछ लिख रहा हूं. इसे publish जरूर करना. एक और बात भाई साहब. मैं आपके साथ हूँ. किसी भी पदेशानी में याद जरूर करेंगे मुझे.
आपका
अभिजीत सिन्हा
सीनियर करेस्पांडेंट
रफ्तार टाइम्स न्यूज, पटना
यशवंत की मां नहीं, मेरी-तेरी-सबकी मां
: हम सबकी मां-बेटियों की लड़ाई है यह : साधन संपन्न घरों की महिलाओं को नहीं पकड़ती पुलिस : औरत होना और आर्थिक रूप से कमजोर होना अपराध तो नहीं : संविधान, कोर्ट, कानून सबमें है महिलाओं के सम्मान की रक्षा की व्यवस्था लेकिन पुलिस नहीं मानती और परिजन रह जाते हैं चुप : यशवंत जी ने एक लड़ाई शुरू की है, अपनी माँ को गाजीपुर जिले के नंदगंज थाने में बंधक बनाए जाने, घर से अवैध तरीके से थाने लाए जाने के खिलाफ. यशवंत जी ने घटना के बारे में लगभग सारी बातें बता दी हैं, इसीलिए उस पर कोई टिप्पणी नहीं करुँगी लेकिन जैसा कि मैंने कल भी उनसे कहा था, मैं यह चाहूंगी और मैं यह मानूंगी कि यह लड़ाई अपने अंजाम तक पहुंचे. इसीलिए ही नहीं कि ये हम लोगों के अज़ीज़ यशवंत जी की लड़ाई है बल्कि इसीलिए भी क्योंकि वे एक ऐसे मामले को लेकर आगे बढे हैं जो हमारे पुलिसिया व्यवस्था की एक बहुत बड़ी समस्या है. और इस रूप में यह यशवंत जी की समस्या से आगे बढ़ कर मेरी, आपकी सबकी समस्या बन गयी है. समस्या के मूल में हमारी कानूनी व्यवस्था और उसका व्यवहारिक जीवन में अनुपालन है. नियम कहता है महिला को बिना गिरफ्तार किये थाने नहीं ले जा सकते, महिला से पूछताछ के लिए उसके घर पर ही जाना पड़ेगा, महिला को थाने में भी अलग रखा जाए, सभी अभियुक्तों और गिरफ्तारशुदा लोगों के मानवाधिकारों की पूरी रक्षा हो.
बैठी रहीं, पुलिसिया गुंडों के बीच, रात भर…
युवा और प्रतिभाशाली पत्रकार मयंक सक्सेना ने थाने में कैद मां के बारे में सोचते हुए एक कविता लिखी है. इन दिनों यूएनआई टीवी, दिल्ली में कार्यरत मयंक ने ‘justice for मां’ कंपेन से खुद को जोड़ते हुए इस मामले से संबंधित सभी खबरों, तस्वीरों, वीडियो को अपने सभी परिचितों के पास मेल से भेजा है और ‘justice for मां’ कंपेन से जुड़ने का आग्रह किया है. मयंक की कविता इस प्रकार है-
jusitce for मां : वीएन राय ने दिया समर्थन
: लखनऊ में आज शाम को यूपी के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष उठेगा मुद्दा : आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने मानवाधिकार हनन पर चिंता जताई : घटनाक्रम के बारे में जानकारी मिलने पर देश भर के पत्रकार स्तब्ध : चार महिलाओं को बंधक बनाकर पूरी रात और अगले दिन दोपहर तक गाजीपुर जिले के नंदगंज थाने में रखने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. जिसे भी इस प्रकरण के बारे में पता चल रहा है कि वह सब पढ़ने-जानने के बाद स्तब्ध हो रहा है. देश भर से फोन और मेल भड़ास4मीडिया टीम के पास आने का सिलसिला जारी है.
Justice for मां : गाजीपुर के एसएसपी को चिट्ठी
[caption id="attachment_18311" align="alignnone" width="505"]गाजीपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एल. रवि कुमार (फाइल फोटो)[/caption]
Date: 2010/10/18, Subject: तीन महिलाओं को 12 घंटे तक थाने में बंधक बनाए रखने के मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने हेतु, To: spgzr@up.nic.in, Cc: dgp@up.nic.in, dgpolice@sify.com, adglo@up.nic.in, श्रीमान एल. रवि कुमार जी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश, मैं यशवंत सिंह आपसे मुखातिब हूं. दिल्ली में एक वेब मीडिया कंपनी में कार्यरत हूं. इस कंपनी के पोर्टल का नाम www.bhadas4media.com है.
justice for मां : क्या करें, कैसे करें
”मां के लिए न्याय” या ”मां को न्याय” या फिर ”Justice for मां”. ऐसा कोई अभियान शुरू होगा, मुझे उम्मीद न थी. बहुत सारे लोगों के प्रेरित करने से ऐसा होने जा रहा है. इसे हम सब चलाएंगे. पूरे कुएं में भांग पड़ी हो तो चमत्कार की उम्मीद नहीं कर सकते. पर हम सबका छोटा व संगठित प्रयास शायद पाप की लंका में हलचल मचा दे, सोए सिस्टम को जगा सके.
गूंगी-बहरी-अंधी मायावती सरकार के लिए
मेरी मां यूपी के गाजीपुर जिले के नंदगंज थाने में पूरी रात बंधक बनाकर रखी गईं. साथ में विकलांग चाची को भी रखा गया. चाची की बहू को भी. इसके प्रमाण के तौर पर तीन वीडियो दे रहा हूं. वीडियो में एक चौथी बुजुर्ग महिला भी हैं, जो बैठी हैं, वे एक अन्य आरोपी के परिवार की हैं, शायद उसकी मां हैं. इन लोगों ने थाने के अंदर मीडियाकर्मियों को अपना बयान दिया. इसमें सब कुछ बताया.
Legal Provision regarding arrest-detention
I just went through the Article written by Mr Yashwant Singh about his mother’s alleged detention in the Nandganj police station in Ghazipur district in Uttar Pradesh. There I saw the voice of a son who had been deeply and vigorously purturbed by whatever had happened to his mother, far away from his place of residence.
असहाय यशवंत और यूपी का लोकतंत्र
: क्या पत्रकार का असहाय होना जुर्म है? : आज ना जाने क्यों अपने पत्रकार और ईमानदार होने पर पहली बार शर्म आ रही है। आज दिल चाह रहा है कि अपने सीनियर्स जिन्होंने हमको ईमानदार रहने के लिए शिक्षा दी उन पर मुकदमा कर दूं। साथ ही ये भी दिल चाह रहा है कि नई जनरेशन को बोल दूं कि ख़बर हो या ना हो, मगर ख़ुद को मजबूत करो।
क्योंकि वो मायावती की नहीं, मेरी मां हैं
[caption id="attachment_18303" align="alignleft" width="309"]: गाजीपुर के नंदगंज थाने के भीतर बिना अपराध जबरन बंधक बनाकर रखी गईं महिलाएं : लाल साड़ी में खड़ी मेरी मां, पैर व कूल्हे में दिक्कत के कारण लेटी हुईं चाची, बैठी हुईं दो स्त्रियों में चचेरे भाई की पत्नी हैं. एक अन्य दूसरे आरोपी की मां हैं.[/caption]वो मायावती की नहीं, मेरी मां हैं. इसीलिए पुलिस वाले बिना अपराध घर से थाने ले गए. बिठाए रखा. बंधक बनाए रखा. पूरे 18 घंटे. शाम 8 से लेकर अगले दिन दोपहर 1 तक. तब तक बंधक बनाए रखा जब तक आरोपी ने सरेंडर नहीं कर दिया. आरोपी से मेरा रिश्ता ये है कि वो मेरा कजन उर्फ चचेरा भाई है. चाचा व पिताजी के चूल्हे व दीवार का अलगाव जाने कबका हो चुका है. खेत बारी सब बंट चुका है. उनका घर अलग, हम लोगों का अलग. उस शाम मां गईं थीं अपनी देवरानी उर्फ मेरी चाची से मिलने-बतियाने. उसी वक्त पुलिस आई. ये कहे जाने के बावजूद कि वो इस घर की नहीं हैं, बगल के घर की हैं, पुलिस उन्हें जीप में बिठाकर साथ ले गई. चाची व चाची की बहू को भी साथ ले गई. चाची के कूल्हे का आपरेशन हो चुका है. पैर व कूल्हे की हड्डियां जवाब दे चुकी हैं. सो, चलने-फिरने में बड़ी मुश्किल होती है. लेकिन हत्यारोपी मेरा चचेरा भाई है, चाची का बेटा है, सो उन्हें तो पुलिस थाने में जाना ही था.