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स्टेट्समैन अखबार के पत्रकार एमएल कोतरू अपने मकान में बार चलाते थे

विजेंदर त्यागी: पीसीआई और मेरी यादें – पार्ट चार : प्रेस क्लब में घपले होते रहे. क्लब लुटता रहा. क्लब के लिए 7 नंबर रायसीना रोड पर एक जगह अलाट हुई. पदाधिकारी गण उसे 25 से 30 हज़ार रुपये रोज़ के रेट से किराए पर देने लगे. एक दिन इस कोठी को सरकार ने सील कर दिया. उसमें जो सामान रखा गया था उसका कहीं कोई पता नहीं है.

विजेंदर त्यागी

विजेंदर त्यागी: पीसीआई और मेरी यादें – पार्ट चार : प्रेस क्लब में घपले होते रहे. क्लब लुटता रहा. क्लब के लिए 7 नंबर रायसीना रोड पर एक जगह अलाट हुई. पदाधिकारी गण उसे 25 से 30 हज़ार रुपये रोज़ के रेट से किराए पर देने लगे. एक दिन इस कोठी को सरकार ने सील कर दिया. उसमें जो सामान रखा गया था उसका कहीं कोई पता नहीं है.

बाद में हमारे मित्र विनोद शर्मा की टीम जीती, जिस में प्रकाश पात्रा अध्यक्ष और संजीव आचार्य महासचिव बने. एमएल कोतरू का चुनाव : प्रेस क्लब में लूट सेन, मार सेन और अन्य कलाकारों की कमी कभी नहीं रही. एक और कलाकार एमएल कोतरू साहब थे, जो अंग्रेज़ी अखबार स्टेट्समैन में कार्यरत थे. क्लब का सचिव विजय पाहुजा उनका ख़ास व्यक्ति था. उसी से वे अपने सारे काम करवाते थे. वह अपने काकानगर वाले सरकारी मकान में बार चलाते थे. उनके घर के दरबार में वही माहौल रहता था जो प्रेस क्लब में होता है. कोतरू साहब चुनाव लड़ रहे थे. कई बार लोगों ने मुझसे कहा कि कोतरू साहब आपको याद कर रहे हैं. एक दिन एक साथी मुझे लेकर कोतरू साहब के घर चला गया. मुझे देख कर उन्हों ने मुझे गले लगा लिया.

कोतरू साहब ने कहा कि मुझे अब कोई चिंता नहीं है. मुझे आपकी ज़रुरत थी, यहाँ आकर आपने वह पूरी कर दी आपने आकर मेरी बात रख ली. मुझे भी शराब का गिलास दिया गया. मैं ने कह दिया कि मैं तो शराब नहीं पीता. लेकिन बाकी साथी अपने गले तर कर रहे थे. मैं दस मिनट के बाद चला आया. कोतरू साहब चुनाव जीत गए. सवाल उठता है कि जब क्लब घाटे में रहता है तो क्लब चलाने वालों के घरों और अड्डों पर महफिलें क्यों क्लब के पैसे से चलती हैं. कोतरू साहब के ज़माने में उनके चहेते पदाधिकारी गण  आपस में बन्दरबाँट कर लिया करते थे. क्लब के 200 अंडे और 50 मुर्गे रोज़ चूहे खा जाया करते थे. क्लब में बड़े-बड़े फ्रिज रखे हैं तो वहां चूहे कैसे पहुंचते हैं. एक और सदस्य ओंकार सिंह कहा करते थे कि कोतरू बड़ा चूहा है और क्लब का सचिव विजय पाहुजा छोटा चूहा. यही लोग क्लब की बंदर बाँट कर रहे हैं. क्लब की कौन परवाह करता है. चुनाव तो आते-जाते रहते हैं. विजय पाहुजा ही कोतरू का ख़ास आदमी था. उन्होंने ही क्लब में उसकी नौकरी पक्की की थी.

चाँद जोशी का कार्यकाल : चाँद जब प्रेस क्लब के महासचिव थे तो उनके अध्यक्ष एआर विग थे. उसी वर्ष राष्ट्रपति केआर नारायणन एक समारोह में उपस्थित हुए. एआर विग को प्रद्योत लाल ने एक संक्षिप्त नोट राष्ट्रपति के सम्मान में बोलने के लिए लिख कर दिया था. विग 8 दिनों तक उस लिखे हुए नोट को कमरा बंद करके याद करते रहे, परन्तु अंतिम समय में वह राष्ट्रपति के सामने बोल नहीं पाए. लोगों ने उनका खूब मजाक उड़ाया. चाँद जोशी एक जुझारू और कर्मठ पत्रकार थे. उनकी नसों में मजदूरों के लिए काम करने की भावना उनके पिता पीसी जोशी से आई थी. पीसी जोशी बहुत दिनों तक कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव रह चुके थे. चाँद जोशी के बड़े भाई दिल्ली की एक संस्था (एनसीआरसी) में काम करते थे. दोनों भाई अपने-अपने काम में निपुण थे.

चाँद जोशी प्रेस क्लब में घूम-घूम कर, छुप-छुप कर कर्मचारियों की गतिविधियों पर नज़र रखते थे. उन्हों ने सुन रखा था कि प्रेस क्लब के चूहे 200 अंडे और 50 मुर्गे रोज़ खा जाते हैं, इसलिए क्लब में कर्मचारियों ने कहाँ अंडे छुपा रखे हैं, उस पर वे नज़र रखते थे. इसी वजह से कर्मचारी उनसे भयभीत रहते थे. चाँद जोशी के ज़माने में प्रेस क्लब में अनेकों कार्यक्रम आयोजित किये गए. विभिन्न प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को बुलाकर कई कार्यक्रम करवाए गए. मुख्यमंत्रियों और उद्योगपतियों की मदद से उन्हों ने क्लब को नई बिल्डिंग के लिए एक करोड़ से ज्यादा रुपए दिलवाए,  परन्तु न जाने वह पैसा कहाँ चला गया. चाँद जोशी जिन लोगों को क्लब में बुलाते थे उनकी खिंचाई भी खूब होती थी. कई बार तो नेताओं के पास कोई जवाब ही नहीं होता था. एक बार चर्चा हुई कि एक कर्मचारी ने चाँद जोशी को क्लब से शराब की बोतल लेकर जाते हुए पकड़ लिया था. काफी शोर शराबा हुआ परन्तु नंदा ने उन्हें क्लब से शराब नहीं ले जाने दी. चाँद और उनके बड़े भाई सूरज दोनों की मृत्यु इसी शराब की लत की वजह से हुई. चाँद जोशी ने अपने कार्यकाल में करीब 45 कर्मचारियों की नौकरी को स्थायी कर दिया था. जिसकी वजह से क्लब पर आर्थिक बोझ बढ़ गया था.

…जारी….

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इसके पहले के पार्ट एक, दो और तीन पढ़ने के लिए नीचे के शीर्षकों पर क्लिक करें…

इन्हें प्रेस क्लब आफ इंडिया में घुसते हुए डर लगता है

एक रात क्लब सदस्यों ने हल्ला मचाया- शराब में मिट्टी का तेल मिला है

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वह गर्लफ्रेंड के साथ नाचने लगा तो पत्नी ने चप्पलों की बौछार कर दी

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लेखक विजेंदर त्यागी देश के जाने-माने फोटोजर्नलिस्ट हैं और खरी-खरी बोलने-कहने-लिखने के लिए चर्चित हैं. पिछले चालीस साल से बतौर फोटोजर्नलिस्ट विभिन्न मीडिया संगठनों के लिए कार्यरत रहे. कई वर्षों तक फ्रीलांस फोटोजर्नलिस्ट के रूप में काम किया और आजकल ये अपनी कंपनी ब्लैक स्टार के बैनर तले फोटोजर्नलिस्ट के रूप में सक्रिय हैं. ”The legend and the legacy : Jawaharlal Nehru to Rahul Gandhi” नामक किताब के लेखक भी हैं विजेंदर त्यागी. यूपी के सहारनपुर जिले में पैदा हुए विजेंदर मेरठ विवि से बीए करने के बाद फोटोजर्नलिस्ट के रूप में सक्रिय हुए. विजेंदर त्यागी को यह गौरव हासिल है कि उन्होंने जवाहरलाल नेहरू से लेकर अभी के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तस्वीरें खींची हैं. वे एशिया वीक, इंडिया एब्राड, ट्रिब्यून, पायनियर, डेक्कन हेराल्ड, संडे ब्लिट्ज, करेंट वीकली, अमर उजाला, हिंदू जैसे अखबारों पत्र पत्रिकाओं के लिए काम कर चुके हैं. विजेंदर त्यागी से संपर्क 09810866574 के जरिए किया जा सकता है.

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