1992 बैच के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर के अध्ययन अवकाश के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट), लखनऊ के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में रिट पेटिशन 268/ 2011 दायर किया था. आज (09/03/2011) उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के इस रिट याचिका को बलहीन बताते हुए खारिज कर दिया है.
आज जस्टिस देवी प्रसाद सिंह और जस्टिस एससी चौरसिया के बेंच में याची के अधिवक्ता अशोक पाण्डेय ने अन्य बातों को रखने के साथ यह भी बताया कि ठाकुर को पिछले दो सालों से वेतन तक नहीं मिल रहा है. कोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता द्वारा एफिडेविट दायर करने के लिए अतिरिक्त समय मांगने के अनुरोध को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने अपने निर्णय में कहा कि चूँकि कैट ने एक समय सीमा के अंदर ठाकुर के स्टडी लीव सम्बंधित प्रकरण निस्तारित करने का आदेश दिया था, अतः इसे लंबित रखने का कोई कारण नहीं दिखता है. उच्च न्यायालय ने आदेशित किया कि ठाकुर के स्टडी लीव प्रकरण में राज्य सरकार दो सप्ताह के अंदर निर्णय करे.
अमिताभ ठाकुर ने 30/04/2008 को दो सालों के लिए आईआईएम लखनऊ में फेलो प्रोग्राम इन मैनेजमेंट कोर्स के लिए अध्ययन अवकाश हेतु आवेदन किया था. राज्य सरकार ने जानबूझ कर यह प्रकरण काफी समय तक लंबित रखा. इस पर ठाकुर ने केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट), लखनऊ और उच्च न्यायालय में कई मुकदमे दायर किये और तब जा कर उन्हें असाधारण अवकाश मिला. आगे चल कर कैट, लखनऊ ने मूल वाद संख्या 238 of 3009 में 07/07/2010 को राज्य सरकार द्वारा अध्ययन अवकाश नहीं दिए जाने के लिए बताए गए तीनों कारणों को बलहीन करार करते हुए उन्हें अस्वीकृत कर दिया और कहा कि राज्य सरकार ठाकुर के स्टडी लीव के सम्बन्ध में चार सप्ताह में नियमानुसार निर्णय ले.
इसके बाद भी राज्य सरकार द्वारा इसका पालन नहीं किया गया और अमिताभ ठाकुर द्वारा गृह सचिव, भारत सरकार जीके पिल्लई, प्रमुख सचिव गृह कुंवर फ़तेह बहादुर और डीजीपी करमवीर सिंह पर अवमानना याचिका दायर की गयी. कैट ने इन तीनों को नोटिस जारी करते हुए 21/02/2011 तक कैट के आदेशों का पालन करने के आदेश दिए. कंटेम्प्ट से बचने और कैट के आदेश का पालन नहीं करने की मंशा से उत्तर प्रदेश शासन ने उच्च न्यायालय में यह रिट दायर किया था.
डॉ. नूतन ठाकुर
संपादक
पीपल’स फोरम, लखनऊ
Comments on “अमिताभ ठाकुर स्टडी लीव प्रकरण : हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार की याचिका खारिज की”
बेशर्म सरकार के ये बेशर्म कारिंदे।
कमिटेड ब्यूरोक्रेसी के नाम पर बने दरिंदे।
खैर, कोई बात नहीं।
वह सुबह बस आने ही वाली है।
एक बात और। हमारे एक मित्र ने सुनाया कि अकबर ने बीरबल से पूछा कि ऐसी कौन से बात है जो अच्छे दिन गुजार रहे लोगों को नागवार लगती है और बुरे दिन गुजारने वालों का दिल खुश कर देती है।
बीरबल ने जवाब दिया:::: यह वक्त गुजर जाएगा।
court ke aadesh ka samman hona chhiye. sarkar apni manmaani karne se baj aaye.