पिछले एक वर्ष अर्थात 20 सितम्बर 2010 से 20 सितम्बर 2011 के मध्य उत्तर प्रदेश सूचना एवं जन संपर्क निदेशालय द्वारा विभिन्न चैनलों तथा टेलीविजन पर कुल नौ बार विज्ञापन दिया गया, जिसमें कुल 18.45 करोड़ रुपये का व्यय हुआ था. यह सूचना मेरे द्वारा उत्तर प्रदेश शासन के सूचना और जनसंपर्क विभाग द्वारा आरटीआई के अंतर्गत इस अवधि में उत्तर प्रदेश सूचना एवं जन संपर्क निदेशालय द्वारा विभिन्न चैनलों तथा टेलीविजन पर प्रसारित कराये गए सरकारी एडवरटीजमेंट के सम्बन्ध में मांगी सूचनाओं के उत्तर में दी गयी है.
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राजदीप सरदेसाई की करतूत जगजाहिर करने वाली तहलका टीम को बधाई
: आशीष खेतान को सच लिखने और सिद्धार्थ गौतम को सच बोलने के लिए विशेष तौर पर बधाई : तहलका ने सचमुच देश की पत्रकारिता की गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाया. एक से बढ़कर एक बड़ी खबरें ब्रेक की. कैमरे के सामने नोटों की गड्डियां लहराते भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण का चेहरा सभी को याद होगा.
सुबोध यादव के बर्खास्तगी का आदेश सतही और दोषपूर्ण
: नेशनल आरटीआई फोरम इसकी भर्त्सना करती है : उत्तरदायी एवं पारदर्शी गवर्नेंस के क्षेत्र में कार्य कर रहे नेशनल आरटीआई फोरम उत्तर प्रदेश में आईपीएस अधिकारियों के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले जीआरपी गोरखपुर के सिपाही सुबोध यादव की जल्दीबाजी में एसपी जीआरपी गोरखपुर द्वारा की गयी बर्खास्तगी की कटु निंदा करती है.
”विवाहेतर संबंध क्या किसी को पीटने का अधिकार दे देता है?”
: दरोगा ने कहा – पत्नी बदचलन है इसलिए मैं तो उसे मारूंगा : मेरे पति अमिताभ जी के दफ्तर में मीनाक्षी नाम की एक महिला कॉन्स्टेबल काम करती है. कुछ दिनों पहले भड़ास पर मेरे पति ने उसकी कहानी पुलिस कांस्टेबल मीनाक्षी की संघर्ष यात्रा शीर्षक से आप लोगों को बतायी थी. मई में लिखे इस लेख के बाद करीब चार महीने बीत गए और मीनाक्षी की दशा बद से बदतर होती जा रही है.
क्या आईपीएस अफसर पर जीवन भर तलवार लटकाए रखेंगे?
मैं ने अपने पति अमिताभ जी से जुड़े कई मामले भड़ास पर रखे, जिन में उन्हें बिना किसी कारण के प्रदेश सरकार से प्रताडित और परेशान होना पड़ा पर उन्होंने बिना हार माने और बिना किसी के सामने झुके किस तरह अपने अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष किया और कई मामलों में विजय भी हासिल की.
यूपी के होते जूलियन असांजे तो बुरा हाल करती भ्रष्ट माया सरकार
यह तो हम सभी जानते हैं कि विकिलीक्स पर हमारे देश की एक महाराज्ञी सरीखी नेता सुश्री मायावती के विषय में काफी-कुछ खरी-खरी बातें लिखी गयी थीं. इनमे जो महत्वपूर्ण बातें थीं वे यह कि मायावती आत्ममुग्ध नेत्री हैं जिनके अंदर प्रबल तानाशाही प्रवृत्ति है और वे अपनी महानता के दिवा-स्वपनों में खोयी रहती हैं.
अमिताभ एवं नूतन ने एडीजी से की अभद्र जीआरपी वालों की शिकायत
कल रात दिनांक 10/08/2011 को नौचंदी एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या 14511) के सेकंड स्लीपर एस7 कोच में मैं और मेरे पति श्री अमिताभ, वर्तमान में एसपी, ईओडब्ल्यू, मेरठ के पद पर तैनात हैं, पीएनआर संख्या 2323939475 सीट संख्या 31, 32 पर लखनऊ से मेरठ यात्रा कर रहे थे. यहाँ हम लोगों के साथ एक अजीब और दुर्भाग्यपूर्ण हादसा हुआ. हमारे गाड़ी में बैठने के कुछ समय बाद जीआरपी के दो सिपाही आये और हम सभी लोगों से बहुत ही गंदे और अभद्र ढंग से कहने लगे कि हम अपने सामान आदि को चेन से बाँध लें.
प्रेस काउन्सिल ने दैनिक जागरण, लखनऊ के संपादक को नोटिस भेजा
कुछ दिनों पहले दैनिक जागरण में मुझसे जुडी एक खबर प्रकाशित हुई थी, ‘असली राज’ शीर्षक से. इस सम्बन्ध में भड़ास पर एक खबर भी छपी थी- नाम से ‘ठाकुर’ शब्द हटाना जागरण वालों को नहीं पचा. बात यह हुई थी मेरे पति अमिताभ जी द्वारा अपना उपनाम हटाये जाने पर दैनिक जागरण के 10 अप्रैल 2011 के लखनऊ संस्करण के पृष्ठ संख्या 13 पर ‘सत्ता के गलियारे से’ शीर्षक अंतर्गत छपे एक खबर ‘असली राज’ छपी थी.
क्या पत्रकारों को कानून तोड़ने का हक है?
किसी भी व्यक्ति की निजी जिंदगी और उसके क्रिया-कलापों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए उस व्यक्ति का फोन टेप करने की बात कोई नई नहीं है. पर यह बात भी उतनी ही सच है कि हरेक व्यक्ति की अपनी एक निजी जिंदगी होती है, जिसे वह सबके सामने नहीं लाना चाहता. ऐसे में चोरी-छुपे फोन हैक कर किसी की बातें सुनना और फिर उसे सार्वजानिक कर देना न सिर्फ उस व्यक्ति के निजता के अधिकारों का हनन है बल्कि अपराध भी है.
दहेज उत्पीड़न कानून का दुरुपयोग करने वालों को मिले सजा
बिना लड़की की मर्जी के किये गये विवाह का क्या दुष्परिणाम हो सकता है इस बात का अंदाजा मेरठ में हुए एक विवाह और उसके बाद उत्पन्न हुई स्थिति को देख कर लगाया जा सकता है. घटना कुछ इस प्रकार है कि नेहा नाम की एक लड़की जिसकी शादी उसके पिता ने उसकी मर्जी के विरुद्ध नितीश नाम के युवक के साथ तय की थी.
साइबर क्राइम पर हिंदी में पहली पुस्तक
हिंदी में विधि सम्बंधित अच्छी पुस्तकों का हमेशा अभाव माना जाता रहा है और खास कर ऐसे विषयों पर, जिसमे तकनीकी मामले भी शामिल हों, तो लगभग नहीं के बराबर पुस्तकें मिलती हैं. आज जब चारों तरफ इन्फार्मेशन टेक्नोलोजी और साइबर जगत की धूम मची हुई है, हम पाते हैं कि हिंदी में इस विषय में सही जानकारी देने वाली पुस्तकें जल्दी नहीं मिलती.
अंततः मिली स्टडी लीव : पढ़ना उतना आसान नहीं रहा
एक बहुत लंबे संघर्ष के बाद मेरे पति अमिताभ जी को अंततः उत्तर प्रदेश शासन ने नियमों के अनुसार आईआईएम लखनऊ में मानव संसाधन प्रबंधन कोर्स हेतु अध्ययन अवकाश दे ही दिया. दिनांक 02/06/2011 के उत्तर प्रदेश शासन के आदेशों के अनुसार उन्हें को दिनांक 10/06/2009 से 17/02/2011 तक की अवधि के लिए अखिल भारतीय सेवा ( अध्ययन अवकाश) नियमावली 1960 के नियम चार के अंतर्गत अध्ययन अवकाश दिया गया.
तीन नए अखबारों की तीन दिशाएं
: प्रस्तुति में डीएनए और जनसंदेश से आगे हैं जनवाणी : पिछले कुछ दिनों में मुझे कई सारे नए अखबारों के संपादक या मालिक से मिलने का मौक़ा मिला, जिसके बाद मेरे मन में एक बात निश्चित तौर पर आ गयी है कि इलेक्ट्रौनिक मीडिया तथा वेब मीडिया के आ जाने के बाद भी प्रिंट मीडिया अभी पूरी दमदारी से कायम है. हमारे देश में, खास कर हिंदी बेल्ट में, वैसे भी कई बार प्रिंट मीडिया को एक बहुत बड़ा लाभ मिलता है. वह है आम लोगों की वेब के प्रति गैर-जानकारी तथा अनभिज्ञता.
मुआवजे के लिए लड़ रहा मनवीर तेवतिया अपराधी है!
प्रशासन के लिए हर वह आदमी अपराधी होता है जो जनता की बात करे और जनता के पक्ष में बोले. कम से कम जनविरोधी शासन के साथ तो ऐसा ही होता है, और यही हाल उस जन विरोधी शासन के हुकुमबरदारों का भी होता है. कुछ ऐसा ही बयान मैंने कल टीवी में और आज अखबारों में मनवीर सिंह तेवतिया के बारे में देखा. मनवीर सिंह तेवतिया कौन हैं और क्या करते हैं, मैं ज्यादा नहीं जानती.
छोटेलाल की मौत और यूपी पुलिस का विद्रूप चेहरा
आज सुबह मुझे एक ऐसी खबर मिली जो उत्तर प्रदेश पुलिस की हकीकत को और जोरों से बयान करती है. यह खबर जुडी हुई है लखनऊ स्थित न्यूज़ एक्स के फोटोग्राफर गोपाल चौधरी से. गोपाल भाई गोरखपुर के रहने वाले हैं और पिछले काफी समय से लखनऊ में इलेक्ट्रॉनिक चैनलों में कैमरामैन का काम कर रहे हैं.
मायावती ने सचिव विजय सिंह के गलत आदेश को किया रद्द
मेरे पति और 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी अमिताभ जी ने एक लम्बे समय से अपने तमाम सेवा सम्बंधित मामलों में अपनी लड़ाई लड़ने का काम जारी रखा है. हम सब जानते हैं कि यह एक मुश्किल रास्ता है और इसमें समय भी बहुत अधिक लगता है. हम यह भी जानते हैं कि कोर्ट में मामलों का शीघ्र निस्तारण नहीं हो पाता, वर्षों लग जाते हैं. इसकी तुलना में सरकार यदि चाहे तो काम आनन-फानन में हो जाते हैं.
अवैध कमेले की काली सत्ता और सिसकता न्याय
: हाजी याकूब कुरैशी और हाजी अखलाख के संरक्षण में चल रहा है यह कारोबार : मैं एक ऐसी समस्या से आप सभी लोगों को रूबरू कराना चाहती हूँ, जिसके बारे में अभी मेरठ के बाहर बहुत कम लोग जानते हैं, पर जब अपने आप में बहुत ही गंभीर और खतरनाक समस्या है. यह मामला है मेरठ के कमेले का. कमेला मेरठ में जानवरों का कटान करने वाला स्थान को कहते है.
भूषण पिता पुत्र पर चुप क्यों हैं सिविल सोसायटी के लोग
कल मैंने समाचारों में देखा था कि प्रसिद्ध पत्रकार और भ्रष्टाचार-विरोधी कार्यकर्ता विनीत नारायण ने यह मांग रखी थी जब तक प्रशांत भूषण और उनके पिता शांति भूषण के खिलाफ जो गंभीर आरोप लगाए गए हैं, उनकी जांच हो कर उसका दूध का दूध, पानी का पानी नहीं हो जाता तब तक इन दोनों पिता-पुत्र को भ्रष्टाचार-विरोध के लिए बनने वाले लोकपाल बिल की ड्राफ्टिंग कमिटी से अलग रहना चाहिए.
अमेरिका और भारत की पुलिसिंग में कुछ बुनियादी अंतर
मैं अभी बोस्टन में हूँ और अब शनैः-शनैः अपनी यात्रा के अंत की ओर बढ़ रही हूँ जब मैं तेइस तारीख को न्यूयार्क इंटरनेशनल एअरपोर्ट से वापसी के लिए हवाई जहाज पर बैठूंगी. कल मुझसे मिलने सत्येन्द्र आये थे. उनके भाई प्रणव भागीरथ को हम लोगों ने इस वर्ष का आईआरडीएस का मानवाधिकार विषयक पुरस्कार दिया था. प्रणव नीदरलैंड्स की राजधानी एम्स्टर्डम में रहते हैं और वहीं से सामाजिक संचेतना वाले कई सारे लोगों का समूह बना कर भारत में बुलंदशहर के आसपास कार्य संचालित करते हैं, जबकि उनके भाई सत्येन्द्र बोस्टन में हैं.
”लोकपाल बिल हेतु ज्वायंट ड्राफ्टिंग कमिटी मात्र सलाहकारी, सरकार का निर्णय होगा अंतिम”
: सरकार उसकी रिपोर्ट मानने को बाध्य नहीं- अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल डॉ. अशोक निगम : लखनऊ के अधिवक्ता अशोक पांडे तथा सामजिक कार्यकर्त्री डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में दायर रिट याचिका संख्या 3556/ 2011(एमबी) में शनिवार (16/04/2011) में केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने एक बहुत महत्वपूर्ण सूचना दी.
आईआरडीएस प्रदान करेगा आलोक तोमर की स्मृति में पुरस्कार
: प्रतिवर्ष प्रिंट और न्यू मीडिया के पत्रकारों को मिलेगा यह सम्मान : इंस्टीट्यूट फार रिसर्च एंड डॉक्युमेंटेशन इन सोशल साइंसेज (आईआरडीएस) की तरफ से हर वर्ष छह क्षेत्रों में युवा हस्ताक्षरों को आईआरडीएस अवार्ड प्रदान जा रहे हैं. ये क्षेत्र हैं- पत्रकारिता, मानव अधिकार, विधि एवं न्याय, चिकित्सा तथा स्वास्थ्य, प्रबंधन तथा शासकीय सेवा. इनमे से पत्रकारिता के क्षेत्र में दिया जाने वाला पुरस्कार हैं- सुरेन्द्र प्रताप सिंह पुरस्कार. ये सभी पुरस्कार ऐसे व्यक्तियों के नाम से हैं जिनकी मृत्यु अल्प अवस्था में ही तब हो गयी थी जब वे अपने कार्यों के चोटी पर थे और उनसे अभी बहुत कुछ अपेक्षित था.
पाकिस्तान में आई बाढ़, अमेरिका जिम्मेदार!
पाकिस्तानी बाढ़ में अमेरिका का हाथ. जी हाँ, कुछ किसी तरह के ख्याल होते हैं पाकिस्तान की बहुसंख्यक आबादी के. मैं अभी जिस बीस दिनों के अमेरिकी ट्रिप पर यहाँ यूएसए आई हूँ उसमे मेरे साथ अफगानिस्तान के एक और पाकिस्तान के तीन लोग भी साथ आये हैं. अफगानिस्तान के मोहम्मद अनीस हेरात के एक सरकारी कार्यालय के डाइरेक्टर हैं जबकि पाकिस्तान के फैसल अहमद, मोहम्मद असगर और मोहम्मद आरिफ रहीम तीनों ही प्रोविंसियल सिविल सर्विस के अधिकारी हैं.
”कमेटी में होंगे अन्ना हजारे के पांच नुमाइंदे”
अन्ना हजारे के प्रयासों के बाद भारत सरकार द्वारा जन लोकपाल विधेयक के सम्बन्ध में जिस प्रकार से सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया गया वह निश्चित रूप से सराहनीय है. इस प्रस्तावित विधेयक की आवश्यकता और इसकी महत्ता के विषय में हम सभी भलीं-भाति परिचित हैं, अतः मैं उस पर नहीं जाते हुए सीधे एक ऐसे मुद्दे पर आती हूँ जो आज जल्दीबाजी में कर तो दिया गया है पर आगे चल कर इसके अत्यंत गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
“पेड न्यूज़ और भारतीय पत्रकारिता” शीर्षक पर लघु शोधपत्र आमंत्रित
हम सभी जानते हैं कि पेड न्यूज़ अर्थात मालिकों के स्तर पर ही एकमुश्त पैसे लेकर किसी व्यक्ति के पक्ष में प्रायोजित खबरें प्रकाशित करने का रोग आज हमारी पत्रकारिता के लिए एक बहुत बड़े संकट और भारी समस्या के रूप में उभर कर सामने आया है. मैं कुछ दिनों पहले प्रसिद्ध सम्मानित पत्रकार पी साईंनाथ के लखनऊ में आयोजित एक संभाषण कार्यक्रम में गयी थी.
अच्छा, आप आईपीएस हैं, पहले क्यों नहीं बताया?
मेरठ आने से ठीक पहले मैं अपने पति अमिताभ जी के साथ डीआरएम, पूर्वोत्तर रेलवे के कार्यालय गयी थी. हमें वहाँ डीआरएम, पूर्वोत्तर रेलवे के जन सूचना अधिकारी से मिलना था. उसके पीछे पृष्ठभूमि यह थी कि पिछले साल जून में अमिताभ मेरा पटना तक का एक टिकट वापस करने गोमतीनगर रेलवे स्टेशन गए थे.
राज्य सूचना आयोग के दंड पुनर्विचार की प्रक्रिया विधि विरुद्ध
: डा. नूतन ठाकुर की याचिका पर हाई कोर्ट का निर्णय : आज 14 मार्च को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लखनऊ खंडपीठ में नेशनल आरटीआई फोरम की कन्वेनर डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग तथा अन्य के विरुद्ध दायर रिट याचिका में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस फर्डिनो रिबेलो तथा जस्टिस देवी प्रसाद सिंह की पीठ ने इस याचिका को निस्तारित किया.
दीपक आजाद, अमिताभ ठाकुर समेत छह को आईआरडीएस अवार्ड
गैर सरकारी संगठन इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च एण्ड डाक्युमेंटेशन इन सोशल साइन्सेंस (आईआरडीएस), लखनऊ द्वारा वर्ष 2011 के लिये छह क्षेत्रों में विशिष्ट उपलब्धियां हासिल करने वाले युवाओं को आईआरडीएस अवार्ड प्रदान किये जा रहे हैं. ये क्षेत्र हैं- पत्रकारिता, मैनेजमेंट, चिकित्सा तथा स्वास्थ्य, शासकीय सेवा, मानव अधिकार तथा विधि एवं न्याय.
अमिताभ ठाकुर स्टडी लीव प्रकरण : हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार की याचिका खारिज की
1992 बैच के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर के अध्ययन अवकाश के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट), लखनऊ के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में रिट पेटिशन 268/ 2011 दायर किया था. आज (09/03/2011) उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के इस रिट याचिका को बलहीन बताते हुए खारिज कर दिया है.
बृजलाल भी लल्लनजी की तर्ज़ पर चलना पसंद करते हैं!
शरद जोशी के उपन्यासों पर आधारित लोकप्रिय धारावाहिक “लापतागंज” में एक बहुत ही मजेदार चरित्र हैं लल्लन जी. लल्लन जी पीडब्ल्यूडी में काम करते हैं और इस बात पर उन्हें काफी अभिमान भी है. उनका एक खास अंदाज़ है कि जब तक कोई उन्हें सीधे तौर पर कोई बात नहीं कहता है, वे उसे ना तो सुनते हैं और ना उससे अपना कोई मतलब मानते हैं. वे वहीं खड़े रहेंगे, सारी बात उनके सामने होती रहेगी पर उनका कहना होगा कि हमसे क्या मतलब, क्योंकि किसी ने मुझे सीधे तो कहा नहीं है.
मुख्यमंत्री मायावती के झूठ को उनकी सीबीसीआईडी ने पकड़ा!
: बबलू और आब्दी की गिरफ्तारी के पीछे का सच : वैसे तो जिंदगी में कोई बात शायद बेमतलब नहीं होती पर उत्तर प्रदेश में तो निश्चित तौर पर हर बात के पीछे कोई ना कोई कारण जरूर होता है. और अक्सर जो दिखता है, सच वैसा नहीं होता. अब जीतेन्द्र सिंह बबलू और इन्तेज़ार आब्दी की गिरफ्तारी का मामला ही ले लीजिए.
पब्लिक को नौकर मानने का पुलिसिया माइंडसेट : डॉ. मंजूर अहमद
: इंटरव्यू : डॉ मंज़ूर अहमद (पुलिस अधिकारी, शिक्षाविद और राजनेता) : वर्ष 73 में जो पुलिस रिवोल्ट हुआ उसमे गलतियां अफसरों की थी : जब मांग नहीं सुनी जाती है तो पुलिस एसोशिएशन के लिए आवाज़ उठती है, जो जायज है : हमारे एक डीजी थे, बहुत ईमानदार, वो रिटायर होने के बाद वो थाने जाने से बहुत डरते थे :
डॉ. नूतन ठाकुर प्रतिष्ठित अमेरिकी प्रोग्राम के लिए चयनित
: अनुभा रस्तोगी और प्रदीप भी आतंत्रित : पत्रकार तथा सामजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर, कन्वेनर नेशनल आरटीआई फोरम, लखनऊ को अमेरकी सरकार के प्रतिष्ठित इंटरनेशनल विजिटर लीडरशिप प्रोग्राम के लिए चयनित किया गया है. यह अमेरिकी सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसमे लोक प्रशासन, एनजीओ प्रशासक, अकादमिक क्षेत्र तथा मीडिया कर्मियों को अमेरिका में अमेरिकी शासकीय व्यवस्था की पारदर्शिता से रू-ब-रू करने के लिए आमंत्रित किया जाता है.
हिंदी संस्थान में अध्यक्ष एवं निदेशक की नियुक्ति करे राज्य सरकार
: डॉ. नूतन ठाकुर एवं अन्य की याचिका पर हाईकोर्ट ने दिया आदेश : डॉ. नूतन ठाकुर के साथ निर्मला राय, डॉ. प्रणव कुमार मिश्रा, राजेंद्र प्रताप सिंह तथा अन्य लोगों द्वारा उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान की बदहाल व्यवस्था और पुरस्कारों के प्रति लापरवाहीपूर्ण नज़रिए के दृष्टिगत एक रिट याचिका उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के लखनऊ खंडपीठ में दायर की गयी थी. इसमें प्रतिवादी प्रमुख सचिव भाषा, उत्तर प्रदेश, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान तथा निदेशक, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान बनाए गए. याचिकर्ता के वकील अशोक पाण्डेय हैं.
अमरनाथ पाण्डेय पर हमला करने वालों पर रासुका लगे
: कई संगठनों ने लखनऊ में किया प्रदर्शन : गणतंत्र दिवस के दिन बुधवार को सोनभद्र जिले में आरटीआई कार्यकर्ता अमरनाथ पाण्डेय पर जानलेवा हमला हुआ. नेशनल आरटीआई फोरम के साथ अग्रणी फाउन्डेशन, सीसीआरएस, यूथ इनिशिएटिव तथा अन्य तमाम सामाजिक संगठन एवं अधिवक्ता समुदाय ने इस घटना के विरोध में एक मीटिंग और प्रदर्शन शहीद स्मारक, गाँधी पार्क, लखनऊ में किया.
करमवीर सिंह और बृजलाल के खिलाफ याचिका
: दिव्या एवं शीलू प्रकरण में आईआरडीएस ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दायर की : आज 17/01/2011 को स्वयंसेवी संगठन इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च एंड डाक्यूमेंटेशन इन सोशल साइंसेज (आईआरडीएस) ने शीलू और दिव्या प्रकरणों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में एक रिट याचिका दायर किया है. भारत सरकार, द्वारा गृह सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार, द्वारा प्रमुख सचिव गृह और प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, सीबीआई, सीबी-सीआईडी, करमवीर सिंह, डीजी, उत्तर प्रदेश तथा बृज लाल, एडीजी (ला-ऑर्डर तथा अपराध) इसमें प्रतिवादीगण बनाए गए हैं. वादी की ओर से अधिवक्ता अशोक पाण्डेय हैं.
करमवीर और बृजलाल के खिलाफ कार्रवाई हो
: दिव्या एवं शीलू मामले में आईआरडीएस ने की मांग : कानपुर में 27 सितम्बर 2010 को दिव्या के साथ हुए दुराचार और उसकी हत्या तथा 12 दिसंबर 2010 को बांदा में शीलू के साथ हुए संभावित गैंग-रेप के मामले में स्वयंसेवी संगठन इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च एंड डोक्युमेंटेशन इन सोशल साइंसेज (आईआरडीएस) का मत है कि इस मामले में वास्तविक न्याय नहीं हुआ है. अब इन दोनों मामलों में यह साबित हो चुका है कि स्थानीय पुलिस ने निर्लज्ज तरीके से असल अपराधियों की पूरी तरह मदद की.
कैट ने यूपी के कई अफसरों को नोटिस जारी किया
केन्द्रीय प्रशासनिक अभिकरण (कैट) के लखनऊ बेंच ने आज (13/01/2010) को केन्द्रीय गृह सचिव गोपाल कृष्ण गोखले, प्रमुख सचिव गृह उत्तर प्रदेश कुंवर फ़तेह बहादुर तथा करमवीर सिंह, पुलिस महानिदेशक, यू पी के विरुद्ध अवमानना की नोटिस जारी की है. ये नोटिस कैट द्वारा 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर, जो वर्तमान में आईआईएम लखनऊ में फेलो प्रोग्राम इन मैनेजमेंट कोर्स में असाधारण अवकाश पर हैं, के अध्ययन अवकाश से सम्बंधित एक प्रकरण में जारी किये गए हैं.
शीला की जवानी और मुन्नी की बदनामी से उथल-पुथल
: डा. नूतन ठाकुर ने प्रस्तुत किया एफिडेविट : लखनऊ की सामजिक कार्यकत्री डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा मुन्नी बदनाम और शीला की जवानी गानों को प्रतिबंधित करने हेतु इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में जो रिट याचिका संख्या 12856/2010 दायर किया गया है उसमें एक पूरक एफिडेविट भी प्रस्तुत किया है. इस पूरक एफिडेविट में यह कहा गया है कि रिट याचिका दायर करने के बाद से डॉ. ठाकुर के संज्ञान में कम से कम आधा दर्ज़न ऐसे मामले आये हैं जिनमें इन गानों के प्रसारण के बाद से मारपीट, हत्या, छेडखानी, मानसिक कष्ट जैसे गंभीर दृष्टांत हुए हैं.
बिजेंद्र यादव को शहीद नहीं कर पाओगे!
तो क्या सिपाही बिजेंद्र यादव शहीद हो गए हैं? जैसी कि मुझे पहले से भी उम्मीद थी, उत्तर प्रदेश के इस वीर और साहसी सिपाही को बहादुरी और जज्बे के साथ अपनी बात कहने की सजा झेलनी पड़ी है. अभी कुछ दिनों पहले ही हम लोगों ने बिजेंद्र यादव के बारे में यह जाना था कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के अधीनस्थ पुलिस वालों के हितों के रक्षार्थ एक एसोशिएशन बनाया है, जिसकी जरूरत हम सभी लोग खुद ही एक लंबे समय से महसूस कर रहे हैं.
द फ्रेश ब्रू : कहानी अपने चुने रास्तों की
आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर तथा आईआईएम लखनऊ के द्वितीय वर्ष के छात्र अमित हरलालका द्वारा “द फ्रेश ब्रू – क्रोनिकल ऑफ बिजनेस एंड फ्रीडम” नामक पुस्तक लिखी गयी है. एलकेमी पब्लिशर, नयी दिल्ली द्वारा प्रकाशित होने वाली इस पुस्तक में आईआईएम लखनऊ के पच्चीस ऐसे विद्यार्थियों की जीवन गाथा है, जिन्होंने सामान्य जीवन पथ छोड़ कर अपनी मर्जी का कैरियर चुना.
अश्लील गानों पर रोक की मांग क्यों?
मैंने दो-तीन दिन पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है, जिसमे दो फिल्मों- तीस मार खान और दबंग के निर्माता-निर्देशक, सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सेंसर बोर्ड) तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को प्रतिवादी बनाया है. इस याचिका में मैंने दो गानों दबंग का गाना ‘मुन्नी बदनाम हुई’ और तीस मार खान का गाना ‘शीला की जवानी’ को पब्लिक डीसेंसी, मोरालिटी, पब्लिक आर्डर के खिलाफ मानते हुए उन्हें सिनेमेटोग्राफी एक्ट के धारा 5(बी)(1) का उल्लंघन होने के आधार पर इन गानों पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है.
शीला की जवानी और मुन्नी की बदनामी ठीक नहीं
: प्रतिबंध लगाने के लिए याचिका दायर : आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लखनऊ बेंच में डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा तीस मार खान के निर्माता ट्विंकल खन्ना, शिरीष कुंदर, रोनी स्क्रूवाला तथा निर्देशक फराह खान, दबंग के निर्माता अरबाज़ खान, मलाइका अरोड़ा तथा ढीलीन मेहता एवं निर्देशक अभिनव कश्यप, सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सेंसर बोर्ड) तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के विरुद्ध एक रिट याचिका दायर किया गया. अशोक पांडे इस प्रकरण में याचिकर्त्री के अधिवक्ता हैं.
तहलका के साथ खड़े हों
मैं तहलका के साथ हूँ. ठीक है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में आज साप्ताहिक समाचार पत्रिका ‘तहलका’ के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की गयी है. यह भी ठीक है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सुशील कुमार मिश्रा की ओर से ‘तहलका’ के खिलाफ दायर याचिका में पत्रिका के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई की मांग की गयी है. जानकारी के अनुसार मिश्रा की दलील है कि ‘तहलका’ के 18 दिसंबर 2010 के अंक में उच्च न्यायालय के 35 न्यायाधीशों की तस्वीरें प्रकाशित की गयी हैं और इसमें उनकी ‘मानहानि’ करती टिप्पणियां भी प्रकाशित की गयी हैं. बताया जा रहा है कि न्यायालय द्वारा बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई किए जाने की संभावना है.
हथियारों की सौदागरी और मीडिया ट्रायल
मैंने कुछ दिनों पहले यहीं भड़ास पर लखनऊ से निकलने वाले अखबार निष्पक्ष प्रतिदिन के संस्थापक-संपादक जगदीश नारायण जी का एक इंटरव्यू भेजा था, जिसे यशवंत जी ने प्रकाशित किया था. इस इंटरव्यू को ले कर कई टिप्पणियां आयीं, लेकिन एक ऐसी टिप्पणी थी जो मुझे यकबयक अतीत के झरोखे में ले गयी. यह टिप्पणी थी इंडिया न्यूज़ की विशेष संवाददाता नसीम अंसारी की. अपनी टिप्पणी में नसीम ने मुझे मेरे पति अमिताभ ठाकुर के गोंडा जिले के एसपी के रूप में किये गए तथाकथिक दुष्कृत्य के बारे में याद दिलाया और इसी आधार पर उन्होंने यह भी कह दिया कि उस रिपोर्ट के आधार पर जगदीश नारायण ने मेरे पति से जरूर कोई सौदेबाजी की होगी.
धमाके का खेल और आईबी की सूचना
मायावती और केन्द्र सरकार में अभी तकरार चल रही है कि वाराणसी बम धमाके में किसकी गलती मानी जाए. होम मिनिस्टर पी चिदंबरम भी सब जगह नहीं जाते पर वाराणसी तुरंत पहुँच गए क्योंकि वहाँ राजनैतिक खेल जो खेलना था. आते ही यह बयान भी दे दिया कि केन्द्र ने तो राज्य सरकार को चेताया था पर राज्य सरकार ने उस पर समय रहते ध्यान नहीं दिया. लिहाजा इस बम धमाके के लिए राज्य सरकार की शिथिलता ही प्रमुख कारण है.
ब्लैकमेलर तो वीर, बरखा और प्रभु जैसे लोग हैं
: इंटरव्यू – जगदीश नारायण शुक्ला (वरिष्ठ पत्रकार, लखनऊ) : जगदीश नारायण शुक्ला अपने ही ढंग के आदमी हैं और कुछ विचित्र किस्म के पत्रकार भी. जो सोचते हैं सो करते हैं, जो सही लगता है, वह लिखते और छापते हैं, दिन भर सरकार और व्यवस्था से लोहा लेते रहते हैं लेकिन इस प्रक्रिया में कभी थकान नहीं महसूस करते. सफ़ेद लहराते बाल और दुबले-पतले शरीर वाले शुक्ला जी वास्तव में अपनी मर्ज़ी के मालिक हैं. निर्भीक पत्रकारिता की धारणा, जो पहले हम लोगों के मन में रहा करती थी, ये उसके जीते-जागते प्रतीक हैं. सबसे विचित्र बात ये है कि उम्र के साथ भी उनकी आक्रामकता और उनके तेवरों में कोई कमी नहीं आई है. शुक्ला जी का हिंदी दैनिक ”निष्पक्ष प्रतिदिन” लखनऊ में धमाके करता रहता है. हाल ही में उन्होंने इसे सांध्य से सुबह का बनाया.
विकीलीक्स की पत्रकारिता को सलाम
विकीलीक्स को सलाम. वास्तव में 2006 में स्थापित विकीलीक्स ने पत्रकारिता और शासकीय अभिलेखीकरण को एक नयी दिशा प्रदान की है और आज विकीलीक्स का लोहा सारा विश्व मान रहा है. इस मीडिया समूह की स्थापना का उद्देश्य गोपनीय तथा अज्ञात सूत्रों के माध्यम से तमाम गोपनीय शासकीय तथा अशासकीय दस्तावेजों को लीक करके इनकी सूचना आम जन तक लाना था. अपने शुरुआत के एक साल के अंदर ही विकीलीक्स के पास बारह लाख से अधिक अभिलेख आ चुके थे, जिनमे कई तो ऐसे गहन, गंभीर दस्तावेज़ थे जिन्होंने अमेरिका तक को हिला कर रख दिया. ऑस्ट्रेलिया के इन्टरनेट उपयोगकर्ता जूलियन असांज इसके मूल प्रवर्तक माने जाने हैं.
वे बोले- मेरे संपादकीय के खिलाफ लिखो, मैं छापूंगा
[caption id="attachment_18635" align="alignleft" width="96"]रामदत्त त्रिपाठी[/caption]: इंटरव्यू – रामदत्त त्रिपाठी (वरिष्ठ पत्रकार) : रामदत्त त्रिपाठी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. उत्तर प्रदेश का कोई ऐसा कोना नहीं है जहां उनके जानने-चाहने वाले लोग भारी तादाद में नही मिल जाएंगे. जिस प्रकार बीबीसी पूरे विश्व और भारत में निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए प्रसिद्ध है, उसी प्रकार लंबे समय से बीबीसी के उत्तर प्रदेश प्रभारी रामदत्त इस विशाल प्रदेश में अपनी निष्पक्ष, सारगर्भित शब्दावलियों और साफगोई के लिए जाने जाते है. पिछले दिनों उनसे पीपुल्स फोरम, लखनऊ की संपादक नूतन ठाकुर ने कई मुद्दों पर बातचीत की. पेश है कुछ अंश-
मंजुनाथ समाज के लिए सच्चे आदर्श : अमिताभ ठाकुर
: पुण्यतिथि पर याद किए गए : इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च एंड डाक्युमेंटेशन इन सोशल साईंसेज (आईआरडीएस) तथा नेशनल आरटीआई फोरम की तरफ से आईआईएम लखनऊ के पूर्व छात्र मंजुनाथ शंमुगम की याद में एक मीटिंग आयोजित की गयी. मंजुनाथ शंमुगम की हत्या खीरी लखीमपुर जिले में वहाँ के एक पेट्रोल पम्प मालिक ने अपने गुंडों के साथ मिलकर मात्र इसीलिए कर दिया था, क्योंकि मंजुनाथ ने उसके गलत मीटर इस्तेमाल और मिलावटी पेट्रोल के खिलाफ कार्रवाई की थी.
सरकार की दुनिया : बड़े साहब की जांच करेंगे छोटे साहब

‘इस दाल में कुछ काला है’
इन दिनों लखनऊ में एक मामला काफी चर्चा में है. ऊपर से तो मामला छोटा सा ही नज़र आता है- चोरी का, पर अंदरखाने बात कुछ ज्यादा ही गंभीर दिख रही है. ये हम सभी जानते हैं कि पुलिस वाले ज्यादातर चोरी के मुक़दमे लिखते ही नहीं और बड़ी मुश्किल से यदि लिख भी दें, तो उनमें चीज़ों और रुपये की बरामदगी लगभग नहीं के बराबर होती है. ऐसे भी वे लोग चोरी के मामलों को बहुत ही हल्की निगाह से देखते हैं. इसमें उन्हें कुछ खास सनसनी फैलने वाली बात नहीं नज़र आती.
यशवंत जी, ये आपका निजी मामला नहीं है
ये हम सभी जान रहे हैं कि यशवंत जी की मां श्रीमती यमुना सिंह, चाची श्रीमती रीता सिंह और चचेरे भाई की पत्नी श्रीमती सीमा सिंह को दिनांक 12-10-2010 को रात में लगभग नौ बजे गाजीपुर जिले के नंदगंज थाने की पुलिस ने उनके गाँव अलीपुर बनगांवा से जबरन उठा लिया.
बिजनेस वर्ल्ड पत्रिका पर मुकदमा
: आईआरडीएस की सचिव डा. नूतन ठाकुर ने दायर किया : पत्रिका में छपे एक लेख से चरित्र हनन का आरोप : आनंद कुमार, संस्थापक, सुपर 30, पटना के विरुद्ध नयी दिल्ली से प्रकाशित बिजिनेस वर्ल्ड नामक पत्रिका के अक्टूबर प्रथम अंक में, जो 11 अक्टूबर 2010 को प्रकाशित हुआ था “Super 30: True Or False? The success story that got Anand Kumar much fame now has many holes” अर्थात “सुपर 30: सत्य या असत्य? आनंद कुमार को असीम लोकप्रियता दिलाने वाली सफलता की कहानी में कई सारे छेद हैं” नामक एक लेख प्रकाशित हुआ. उक्त लेख की लेखिका शालिनी एस शर्मा हैं.
शराबी-कबाबी प्रत्याशी और हरिवंश राय बच्चन
क्या उत्तर प्रदेश में इन दिनों हो रहे पंचायतों के चुनावों में तमाम शराबी-कबाबी प्रत्याशी और अमरकृति “मधुशाला” के रचयिता हरिवंश राय बच्चन में कोई कामन प्लेटफ़ॉर्म भी है? कल बहराइच (यूपी) के एक फ्रीलांस जर्नलिस्ट व सोशल एक्टिविस्ट हरिशंकर शाही का जो मेल मिला उससे तो कुछ ऐसा ही जान पड़ता है. उन्होंने अपने मेल में लिखा कि “समाचार पत्र हिंदुस्तान के लखनऊ से प्रकाशित बहराइच संस्करण में डा. हरिबंश राय बच्चन कि रचना मधुशाला की पंक्तियों का बहुत अभद्र प्रयोग हुआ है.” उनका यह अनुरोध था कि- “कृपया मदद करें साहित्य का मजाक ना बनने दें.”
फोटो जर्नलिस्ट राजेश ने ललित भनोट पर लगाया धोखाधड़ी का आरोप
: मुकदमा दर्ज करने के लिए थाने में दी तहरीर : उत्तर मध्य सांस्कृतिक केन्द्र, इलाहाबाद के निदेशक के खिलाफ भी शिकायत : पहले से ही विवादित रहे कॉमनवेल्थ आर्गेनाइजिंग कमेटी पर एक और आरोप लगा है. यह आरोप लगाया है इलाहाबाद के फोटो जर्नलिस्ट राजेश कुमार सिंह ने. राजेश ने इलाहाबाद के सिविल लाइंस में दिए गए तहरीर में आरोप लगाया कि उनके साथ धोखाधड़ी की गई है.
महारानी या राजकुमार ना करें खेल का उदघाटन
: आरटीआई फोरम की कन्वीनर डॉ. नूतन ठाकुर ने खटखटाया कोर्ट का दरवाजा : कॉमनवेल्थ गेम्स का उदघाटन ब्रिटेन की महारानी से कराने के बजाय भारत के राष्ट्रपति से कराने के लिए एक याचिका दायर की गई है. याचिका में मौलिक अधिकारों के हनन की बात भी कही गई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच में आर्टिकल 226 के अंतर्गत दायर रिट याचिका की संख्या 9565/2010 है.
‘हां, डीजीपी तो मेरा पुराना साथी है’
“ओहो, तो आप अमिताभ की वाईफ हैं. हाँ, परसों मिला था विक्रम भाई के ऑफिस के सामने.” ये वे शब्द हैं जो आम-तौर पर मुझे तब सुनने को मिले जब मैं लखनऊ में किसी पत्रकार से मिली और मेरा परिचय कराया गया. यहाँ अमिताभ हुए मेरे पति अमिताभ ठाकुर, जो उत्तर प्रदेश में एक आईपीएस अधिकारी हैं और विक्रम भाई हुए विक्रम सिंह या कोई भी वह आदमी जो उस समय उत्तर प्रदेश पुलिस में डीजीपी हों.
माया की मार से त्रस्त एक डिप्टी एसपी
: सीबीआई में रहते माया से पूछताछ की थी : साजिश-फ्राड के जरिए प्रताड़ित किए गए : कोर्ट ने सरकार को फटकारा, जुर्माना ठोंका : मैं आप तक एक ऐसे मामले को पहुंचा रही हूं जिससे अंदाजा लगा सकते हैं कि ईमानदार-कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति बगैर गलती किस हद तक प्रताड़ित किया जा सकता है।