इन दिनों आईआईएमसी गरमाया हुआ है. नए छात्रों के साथ नए सत्र की शुरुआत भले हो गई हो, पर पुराने कई छात्र बेहद नाराज हैं. आईआईएमसी प्रशासन की हिप्पोक्रेसी का खुलासा करके इन छात्रों ने रख दिया है क्योंकि आईआईएमसी प्रशासन व शिक्षण से जुड़े कुछ लोगों ने कई छात्रों के साथ सौतेला व्यवहार करते हुए अपनी निजी खुन्नस निकालने में लगे थे. तो क्या आईआईएमसी में भी यह सिस्टम हो गया है कि जो मुझे सूट नहीं करेगा, उसे शूट कर दिया जाएगा….??
फिलहाल यहां फेसबुक पर चल रही एक बहस को देते हैं जिसे अनूप आकाश वर्मा ने शुरू किया है… आरोप कितने संगीन हैं, यह देख पढ़ सकते हैं :
: पूर्व छात्र योगेश कुमार शीतल का दावा- वो पैरवी से दाखिले वाली बात आईआईएमसी के प्राध्यापक आनंद प्रधान जी ने कही थी : “जब प्रधान सर ने मुझे कक्षा में कहा था कि मेरा दाखिला यहां पैरवी से हुआ है तो मैं प्रधान सर के केविन में गया था जहां उन्होंने बिल्कुल उलट बात कही थी. प्रधान सर से मेरे कई व्यक्तिगत अनुभव हैं लेकिन चूँकि वो मेरे शिक्षक हैं इसलिए मै उन्हें सरेआम नहीं करना चाह रहा. बरखा प्रकरण में उन्होंने मुझे नोटिस थमा दिया फिर भी मैंने अपने ब्लॉग में उनके खिलाफ लगभग चुप रहा लेकिन अब लगता हैं कि मैंने गलत किया चुप रहकर.” -योगेश कुमार शीतल का बयान.
दरअसल, बात पिछले वर्ष यानि की सत्र २०१०-११ की है. जगह है भारतीय जन संचार संस्थान, अरूणा आसफ अली मार्ग, नई दिल्ली. पत्रकारिता का एक नामचीन शिक्षण संस्थान. भावी पत्रकारों से कक्षा खचाखच भरी हुई है. संस्थान के हिन्दी पत्रकारिता विभाग के प्राध्यापक क्लास ले रहे हैं. तभी किसी छात्र के बेवजह सवाल पर अचानक प्राध्यापक का गुस्सा फूटता है– “अरे यार, तुम्हारा एडमिशन कैसे हुआ है, मुझे पता है. बैठ जाओ..” प्रत्यक्षदर्शी बताते है कि गुरुवर की इन बातों का उस छात्र पर कोई ख़ास असर नहीं हुआ. बाद में प्राध्यापक को भी अहसास हुआ होगा कि उन्हें यूं इस तरह खुलेआम नहीं कहना चाहिए था. मगर प्राध्यापक की उस गर्जना ने संस्थान की पूरी व्यवस्था को कई-कई बार नए-नए सिरे से सोचने-विचारने और मथने पर मजबूर कर दिया. सत्र २०१०-११ को खोदेने पर पता चला कि जिस छात्र को कक्षा में बेइज्जत किया गया, उसका राज क्या है? महाशय को डांट पिलाई गई तो भला क्यों? कारण हम बताते हैं. दरअसल जब सभी को दाखिले के लिए इंटरव्यू देने के लिए बुलाया तो उसमें साहब का नाम ही नहीं था, मगर श्री…….. (नाम लेना ज़रूरी नहीं समझता) की वजह से उसे जो प्रदान हुआ उसमें उसे एक ऐसे असीम आनंद की अनुभूति हुई कि कहने ही क्या. .जी हां! उस छात्र का नाम इंटरव्यू की सूची में न होने पर भी मुख्य दाखिला सूची में आ गया था ….है न गज़ब..??
खैर! ये तो रही सत्र २०१०-११ की कहानी. अब सुनिए सत्र २०११-१२ की एक और ऐसी ही रोचक कथा. लेकिन मित्रों मैं इस कथा को पूरा नहीं कहूंगा. आप ऐसा करिए की मेरी प्रोफाईल में आईये वहाँ पर सिद्धांत तिवारी जी ने भी यही कथा लिखी है जो इस सत्र की है. चलिए थोड़े में सुना देता हूँ. इस बार भी बात कुछ ऐसी ही है. एक होनहार जो भावी पत्रकार भी है इस सत्र यानि कि २०११-१२ हिन्दी पत्रकारिता की प्रवेश परीक्ष में बैठता है. अब ज़रा गौर कीजिएगा. बाद में रिज़ल्ट आता है. इंटरव्यू के लिए छात्रों को बुलाया जाता है. बदकिस्मती से लिस्ट में बेचारे का नाम नहीं आता है. मगर उसे अपने ऊपर पूरा भरोसा था. बोला, ऐसा हो ही नहीं सकता. सो उसने लगे हाथों सूचना के अधिकार का उपयोग शुरू किया. संस्थान का प्रशासन घबराया और आपाधापी में उसे बुला मामूली औपचारिकता पूर्ण कर कह दिया- “भईया! अईसा करो अब निकलो और सोमवार को आकर फीस भरा कर दाखिला ले लेना”. मारे खुशी के उसका ठिकाना ही नहीं रहा. सचमुच ये बेहद खुशी की बात थी. मगर ये प्रकिया कुछ समझ नहीं आई और नाहक ही दिमाग पर जोर डालने पर मजबूर करती है. ये मामला आखिर है क्या? ये गलती है या कुछ और गड़बड़झाला है? ज़वाब कौन देगा?
नोट : (इस संबंध में मेरे पास सबूत मौजूद हैं. उन लोगों की रिकार्डिंग जिन्होंने (सत्र २०१०-११ के छात्र) उस कक्षा वाली घटना को बताया. साथ ही बाकी नीचे वाली कथा के संबंध में सिद्धांत तिवारी जी से मिल सकते हैं. आपके सुझावों का भी इंतजार रहेगा. अभी तक सबसे ज्यादा सीट चोरी के मामले ओबीसी के सामने आये हैं,इस और भी ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है) ये किस्से बार-बार आईआईएमसी में ही क्यों होते हैं? माज़रा क्या है?
Chaudhary Prashant Chahal : Anoop Aakash Verma tum select hue ki nahi….. yaar tumne result to bataya nahi IIMC ka ???
Anoop Aakash Verma : hahahaha….ho jata to IIMC kaise khodtaa……hahahah
Chaudhary Prashant Chahal : To ye usi ka frustration hai ??
Anoop Aakash Verma : aur sunaaiyee aap in dino kahan apni sevaaye (patrkaaritaa)de rahe hai…??
Anoop Aakash Verma : hahahahaha…..bhai roll no k saath likh rahaa hu..dhyaan se padiye….
Anoop Aakash Verma : JA10081
Chaudhary Prashant Chahal : To tum hi ho vivadit ??
Anoop Aakash Verma : VIVAADIT….wo kaise?
Chaudhary Prashant Chahal : Its your Roll. No. right ?? Some people do think that you got selected because of peer pressure of urs on IIMC.
Anoop Aakash Verma : ruku ruku ruku…….bhaiyaa ye roll no. us shks ka hai jiskaa nam sakshatkaar k liye bulaaye gaye logo ki soochi me nahi tha..magr dakhile ki soochi me aa gaye……savaal yahi hai ki kaise….???…koi teesraa rastaa hai kyaa?
Chaudhary Prashant Chahal : arrey yaar tum apna batao !!! tumhara roll no. kya hai ??
Anoop Aakash Verma : meraa TO ADMISHAN HI NAHI HUAA….
Anoop Aakash Verma : SAAKSHAATKAAR ME HI RAH GAYE BHAI…
Anoop Aakash Verma : khair, ye bataaiye in dino kahan apni sevaaye (patrkaarita) de rahe hai…????
Chaudhary Prashant Chahal : SWAYAMSEVAK hai aaj kal !!
Chaudhary Prashant Chahal : Khair is maamle main samasya kya hai ye hi nahi samajh a raha
Anoop Aakash Verma : yaar kamaal karte ho prashan..?
Anoop Aakash Verma : bhai ek roll no jo saakshaatkaar ki list me nahi hotaa magr admishan ki list me hotaa hai…gazab hai aapko ye saamny lagtaa hai..ye apane aap me aapko ek ghotaalaa nahi lagataa …??
Anoop Aakash Verma : koi “teesaraa raastaa” bhi hai kya admishan ka?
Anoop Aakash Verma : hahahahahha
Anoop Aakash Verma : kahan gaye prashan bhai….kuchh galat kahaa kyaa maine..??
Chaudhary Prashant Chahal : Tum logon ki hi baaten do tarfa hai…… Wo itna talented hai ki select hona hi tha ?? Ya RTI daali to usse dar ke IIMC walon ko use lena hi pada ?? Dono hi baaton main IIMC ko paak saaf chit milegi. Kuch kagazi gadbadiyon ke chalte galati se uska naam reh gaya…..
Anoop Aakash Verma : aapke is zavaab ko salaam hai…
Chaudhary Prashant Chahal : haan agar tumhare paas saboot hai, aur use public kar sakte ho to karo …….. yadi general category main uske marks 30-35 ke beech hai to beshak ye ghotala hai !!
Anoop Aakash Verma : RTI ka wait ho raha hai…
Chaudhary Prashant Chahal : kyunki 35 written main bhi hue…… aur poore ghootale ke baad bhi 15 marks interview main hue. tab bhi total 50 hota hai. itne main dakhila asambhav hai. !!!
Chaudhary Prashant Chahal : Abey tumhare paas praman hai kya phir ??? Jhooti hawa bana rahe ho …….. Maanhaani ka mukadma kar diya to patrakarita bhool jaoge !!!
Anoop Aakash Verma : are yar lablabaao nahi……jo list out hui thi wahi hai..aur usi k aadhaar par kah rahaa hu…..aur zaraa kaan khol kar suno…ptrakaaritaa bhool jaau..isliye isame nahi aayaa…samjheeeee…….
Anoop Aakash Verma : mai sawamsevak patrkaar nahi hu…..
Chaudhary Prashant Chahal : Tum Prime time ki masala news daalte raho !! Bina praman sab khaarij…..
Anoop Aakash Verma : achchaa…..!!……
Anoop Aakash Verma : bhai mai graameeen patrkaaritaa karane waalaa seedhaa-saadhaa patrkaar hu…..ye prime time k masaale apani samajh se pare hai….
Shravan Kumar Shukla : yaar sabkuch to thik hai… ab itna to fayda uthane ka hak banta hai na? hahahaha.. waise last me OBC lagane ki jarurat nahi thi.. fir bhi IIMC me agar jugaad se kaam ban gya to DIRECT varta jaisi jagah se shuruwat.. chahe aye ya na aaye.. .yeh paripati hai aur mai janta hoon… aur uske baad jugaadu sanskriti se kahi aur ek kone me naukri karke ghis ja rahe hain.. khair IIMC me pahle jaisi bata nahi.. ab yahi sab to bacha hai inke karne ke lie.
Ravi Kant Sharma : योगेश शीतल मानसिक रूप बीमार है यह 2010 -२०११ की पूरी क्लास जानती है! बस उसे हॉस्पिटल में भर्ती करना चहिये! आनंद सर पर जो आरोप लगा रहे हैं! वो सूरज पर थूकने के समान हैं! सूरज का कुछ नहीं होने वाले है उलटा तुम लोगो का मुहं गन्दा होगा! आनंद सर के विचारों का मैं सबसे बड़ा विरोधी हूं! लेकिन वो बहुत इमानदार और महान इन्शान है !
Shravan Kumar Shukla : hahha.. mahan hamesha mahan hote hain.. jabtak ki daag n alag jaaye… kaiyo ko janta hu.. inhe bhi shamil kar. lo upar ka dwaab raha ho ya niji mamla.. lekin gadbad hui hai matlab hui hai /.
Anoop Aakash Verma : मेरा माननीय श्री रविकांत जी से एक मात्र प्रश्न है की जो आदमी (योगेश शीतल)मानसिक रूप से इतना बीमार रहा है शुरू से ही उसे आईआईएमसी ने फिर किस स्तिथि में स्वीकार किया था…????……क्या माप दंड था…??…वो कौन सा “तीसरा रास्ता” जहां लोगों को बड़े आराम से आनंद की अनुभूति हो जाती है…..??….ज़रा बताएँगे….या फिर वो संस्थान में आकर ही अपना मानसिक संतुलन खो बैठा..??…….आप भी वही से पढ़े हैं …और मुझे तो ठीक-ठाक जान पड़ते हैं…..
Neeraj Bhai Patel : bhai IIMC main addmission ka gadbadjhala koi nai bat nahi yahan obc, sc students hamesha dhage jate hain….pichle sal merit main main 5th number tha fir bhi mujhe obc main dala gaya tha….mere hi jaise obc sc milakar kul 19 students the jinko general ki list main aana chahiye tha….is bat ka jinko saboot chahiye unko main RTI ki prati upalabdha kara sakta hoon….
Anoop Aakash Verma : Neeraj Bhai Patel ye to achcaa huaa aap aa gaye….aap hi k kuchh saathi yahaan apne hi logo ko pagal karaar karane me lage huye hai…
Anoop Aakash Verma : jo baat seedhi hai usse ulat doosari baat me ghuse ja rahe hai……bhaiyaa jo chori hui ya ho rahi hai usi ko doharaa rahaa hu
Neeraj Bhai Patel : chandrakanta rathour ke 71 no. hone ke bad bhi usko sc main rakha gaya tha.2010-2011 main saboot hai…RTI
Anoop Aakash Verma : ab kahaan hai wo log jo abhi tak chillaa rahe the…??
इन्हें भी जरूर पढ़ें-
”आनंद प्रधान के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को बल मिल रहा है”
Mukesh Kumar Jha
August 3, 2011 at 11:38 am
आईआईएमसी पर किसी भी प्रकार के आरोप को स्वीकार्य नहीं किया जा सकता है.यदि यहाँ पर पैरवी के माध्यम से स्टुडेंट्स का चयन होता तो मैं आज मीडिया में नहीं होता.प्रधान सर पर लगने वाले यह आरोप सरासर बकवास है . इस बात को मुझसे बेहतर मेरे वरिष्ठ जानते हैं ..यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि मेरी परिवारिक पृष्ठभूमि इतनी मज़बूत तो नहीं ही है कि मेरी पैरवी लग सके ….फिर भी आईआईएमसी में मेरा चयन हुआ था ….मेरे जैसे कितने स्टुडेंट्स का इस संस्थान में चयन हो चुका है ,, यह आप आसानी से पता लगा सकते हैं ….खुद की खामियों के लिए दुसरे को जिम्मेदार ठहराना कहीं से उचित नहीं है ….थोड़ी बहुत गलतियाँ तो कहीं भी हो जाती है, इसे बेबजह तुल देना इतना भी सही नहीं है ..
Neeraj Asthan
August 3, 2011 at 12:47 pm
इन बातों को वही लोग तूल दे रहे हैं जिन्हें कैम्पस प्लेसमेंट नहीं मिलता… हर बैच में ऐसे कुछ लोग होते है, ये उनके खिलाफ तो कुछ नहीं बोलते जो कुछ पढ़ाते लिखाते नहीं.
YOGESH KUMAR SHEETAL
August 3, 2011 at 1:08 pm
मै अपने ऊपर लगे दाग को धोना चाहता हूं, इस आर्टिकल में कुछ संशोधन की जरुरत है, मसलन मेरा रिटेन और इंटरव्यू सबकुछ ठीक से होने के बाद भी कक्षा में प्रधान सर का कहना था कि मैं यहां पैरवी से आया हूं, मै बताना नहीं चाह रहा था लेकिन अब साफ़ कर देना चाहता हूं कि मैंने आई आई एम सी की प्रवेश परीक्षा दो बार दी थी. पहली बार मेरा चयन रिटेन में ही हो पाया था साक्षात्कार में मै छंट गया था, अगर पैरवी वाली बात में दम है तो उसी साल मेरा दाखिला हो जाना चाहिए था. पैरवी किसी और ने की होगी और बदनामी मेरे मत्थे मढ़ दी गई. इसका कारण बस ये था की संस्थान में होने वाले केम्पस प्लेसमेंट में बेहद कम पैसे दिए जाने की बात मैंने भड़ास के मंच से उठाई थी. इस कथित गलती की सजा कोई शिक्षक किसी छात्र को ये कह कर नहीं दे सकता की उसकी प्रतिभा में ही खोंट है, उस घटना के बाद मुझे जिन आरोपों का सामना करना पड़ा और मेरी जितनी बदनामी हुई उसकी तुलना में ये सब कुछ भी नहीं है. प्रधान सर अपना बोया हुआ काट रहे हैं. मै चाहता हूं की मेरी कोपी सार्वजनिक की जाय और अगर ये साबित होता है कि मेरा दाखिला किसी के आशीर्वाद से हुआ है तो मै पत्रकारिता से संन्यास लेने के साथ ही संस्थान में कभी कदम नहीं रखूँगा. साथ ही संस्थान में दाखिले पर कोई शक कि गुन्जाईस नहीं रहे इसके लिए जरुरी है कि इस सत्र हुए नामांकन प्रक्रिया कि निष्पक्ष जांच हो.
YOGESH KUMAR SHEETAL
August 4, 2011 at 5:43 am
केम्पस प्लेसमेंट कोई मोक्ष की प्राप्ति नहीं है कि जिसे मिला वो तर गया और जिसे नहीं मिला उसकी आत्मा भटक रही है. प्रतिक्रिया देते वक्त अपने विवेक से आम लें.