इस समय फेसबुक पर “आई हेट गाँधी” नाम से एक ग्रुप अस्तित्व में है, जिसके बारे में मैंने हाल ही में जाना है. ग्रुप के रिकॉर्ड के अनुसार यह मार्च-अप्रैल 2010 में शुरू हुआ. वर्तमान में (03/01/2010, 12.25 AM) 2484 लोग ऐसे हैं जो इस ग्रुप से संबद्ध हैं. इस ग्रुप के सूचना पृष्ठ पर कुछ भी नहीं लिखा हुआ है, पर इस ग्रुप को देखने से दिख जाता है कि इसमें वे लोग हैं जो सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, महाराणा प्रताप, शिवाजी, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल जैसे अन्य महान लोगों को पसंद करने वाले लोगों का समूह है. साथ ही ये सारे लोग अति तीव्रता से महात्मा गाँधी के प्रति नफरत और घृणा का भाव रखते हैं.
पेज देखने से दिखता है कि इन लोगों के अनुसार महात्मा गाँधी खिलाफत आन्दोलन की गडबडियों, मोप्ला दंगों, सुभाष बोस को कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाने, पंडित नेहरु को प्रधानमन्त्री बनाने, सरदार पटेल को नेहरु के रास्ते से हटाने, भगत सिंह की फंसी की सजा के प्रति गलत प्रतिक्रिया करने, देश के बंटवारे, पाकिस्तान को पचपन करोड़ रुपये दिलवाने जैसे सभी कार्यों के लिए व्यक्तिगत तौर पर दोषी हैं.
साथ ही इस ग्रुप के लोग यह भी दावा करते हैं कि गाँधी ने छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप, गुरु गोविन्द सिंह जैसे महान देशभक्तों के योगदानों को कमतर आँका था, सरदार उधम सिंह, जिन्होंने जनरल ओ’डायर को मारा था, के कृत्य की निंदा की थी, दिल्ली में स्वाधीनता के बाद पक्षपातपूर्ण आचरण किया, देश में छद्म-धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा दिया और क्रांतिकारियों के योगदान को समुचित महत्व नहीं दिया.
वैसे तो इन सारे विषयों पर लोगों के अपने मत-मंतव्य हो सकते हैं, पर जो बात वास्तव में बहुत गंभीर है वह यह कि इनमे से कई लोगों ने खुलेआम महात्मा गाँधी के लिए अशोभनीय शब्दों का प्रयोग किया है जो स्पष्टतया अत्यंत निंदनीय और अग्राह्य हैं. इनमे सार्वजनिक तौर पर गाली-गलौज भी शामिल है. गाँधी जी से घृणा रखने वालों का समूह होने के नाते यहाँ वैसे तो लगभग सभी लोगों की टिप्पणियां ही महात्मा गाँधी के प्रति कटु हैं पर जिन लोगों ने समस्त मर्यादाएं पार कर ली हैं, उनमें आईएमएस के अभिजीत सिंह, पुणे विश्वविद्यालय के बिपिन गोयल, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी, कुरुक्षेत्र के देवेन्द्र शर्मा, बोकारो (झारखण्ड) के गदाधर घोषाल, पालन कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलोजी के गौरब बैनर्जी, मुंबई विश्वविद्यालय के हर्षिल भंडारी, बीआईटी मैंगलोर के निखिल मुरली, हिंदू कॉलेज, मुरादाबाद के शिक्षित कुमार, शिवकाशी के विग्नेश एनवी आदि प्रमुखतया शामिल हैं.
यद्यपि इन लोगों के ये कृत्य स्पष्टतया आपराधिक कृत्य हैं पर चूँकि ये सभी युवा दिखते हैं जिनके पास एक लंबा भविष्य है, अतः मैंने इन सबों को अपने कृत्य के लिए माफ़ी मांगने और भविष्य में इस प्रकार के आपराधिक कार्यों से दूर रहने के बारे में व्यक्तिगत ईमेल भेजा है. साथ ही मैंने फेसबुक से भी इस ग्रुप को तत्काल हटाने की मांग की है. पन्द्रह दिन में यथोचित कार्यवाही नहीं होने पर मैं नियमानुसार इन सभी लोगों और फेसबुक के खिलाफ विधिक कार्यवाही करूँगा.
अमिताभ ठाकुर
आईपीएस
प्रियंशु सिंह
January 16, 2011 at 1:20 pm
मिस्टर अमिताभ ठाकुर मुझे तो आप चंगेज़ खान का अवतार दिखाई दे रहे है| आप होते कौन है इस तरह की विधिक कार्यवाही करने वाले या फेसबुक से इस ग्रुप को हटाने वाले|सुनो मिस्टर अमिताभ स्वतंत्रता हमे मिस्टर गांधी या अपने जीवन से भी अधिक प्यारी है, यदि मिस्टर गांधी को आप या देश राष्ट्रीय पुरुष मानता है तो मिस्टर गांधी की अच्छाई या बुराई का परीक्षण करने का अधिकार हर भारतीय नागरिक को है|अपना मंतव्य और अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का अधिकार हर व्यक्ति को है|ये हिन्दुस्तान है जो अपने राम या क्रष्ण के भी हर कार्य को भले -बुरे के पेमाने पर तोलकर देखता है फिर गांधी की तो बिसात ही क्या| तुम आई पी एस हो न तो मे यू पी एस सी को राय दूंगा की वो राष्ट्र की जीवंतता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए अपने कृटेरिया मे बदलाव करे जिससे तुम जैसे लोग इसमे न आ सकें| तुम जैसे लोगो ने ही इस देश का बेड़ा गर्क कर दिया क्योकि —–
1, तुम जैसे लोगो ने व्यक्ति -पुजा को बढ़ावा दिया है जिससे हम भारत वासियो मे तर्क करने की शक्ति समाप्त हो गयी है और हम भेड़चाल की तरह किसी भी नेता को स्वीकार कर लेते है और ठगे जाते है| व्यक्ति के अच्छे -बुरे गुणो का परीक्षण क्या केवल हम इस आधार पर ही न करे की वो मोहनदास गांधी थे जो की गलत हो ही नहीं सकते| तुम जैसे लोगो के कारण आज भी देश मे लोकतंत्र नहीं है क्योकि यहा आज भी मिस्टर नेहरू और उसके वंश की निर्बाध सत्ता है |
2, तुम जैसे लोगो के कारण ही आज भारत मे फ्यूडलिज़्म जिंदा है| मुझे बताओ की क्या वजह है की देश मे सारी राजनेटिक पार्टियो मे वंशवाद है, बड़े नेताओ के लड़के ही उनके उत्तराधिकारी क्यो बनते है, क्या उनके लड़के ही योग्य है और कोई भी भारतवासी योग्य नहीं है
3, मुझे बताओ की तुम जैसे लोग करप्शन के खिलाफ क्यो नहीं बोलते हो ? इसका जबाब मेरे पास है कि तुम जैसे लोगो की औकात नहीं है की उन महाभ्रष्ट सत्ताधारी लोगो के खिलाफ कुछ भी कर सको| यदि तुम ऐसा करने की जुर्रत करोगे तो तुम्हारा आई पी एस का बिल्ला उतरने मे 5 मिनट भी नहीं लगेगे| जनता के पैसे पर ये महाभ्रष्ट गुलछर्रे उड़ते है और तुम उनकी सेवा करते हो| मिस्टर अमिताभ हम अच्छी तरह जानते है की देश मे कितना और कैसा लोकतंत्र है| लोकतंत्र शब्द को प्रयोग कर लोगो को बेबकूफ बनाया जाता है, सत्ता जिनके हाथ मे ब्रिटिश टाइम मे थी उन जैसी प्रव्रत्ति के लोगो के हाथो मे आज भी है और तुम जैसे लोगो का लिबासना और एन पी ए मे ब्रेनवाश किया जाता है |
4, मिस्टर अमिताभ कृपया गांधी पर इतने उत्तेजित मत हो, मिस्टर गांधी की जगह तुम इतना इस देश और इसकी समस्यायों के बारे मे सोचो तो इस देश का भी भला होगा | देख लो उस अरविंद केजरीवाल को जो गांधी के बारे मे न सोचकर आर टी आई के माध्यम से इस देश व इसकी जनता के बारे मे सोच रहा है |
स्वतंत्रता , आत्मसममान और राष्ट्र —इनसे बड़ा न तो कोई गांधी है और न नेहरू , मिस्टर अमिताभ हम प्राण देकर भी इनकी रक्षा करेगे| राष्ट्र का भला गांधी की नीतियो से नहीं चाणक्य की नीतियो से होगा
mahandra singh rathore
January 6, 2011 at 4:37 am
amitabh ji ne acchi shruaat ki hai. gandhi ji ke khilaph anargal likhna or gali galouj karna kissi ko shoba nahi deta. facebook per rashtarpita ki khilaph likhne wale desh se mafi mange or is kraty ko chor den. maharana partap or gandhi mai anatar ho sakta hai per eek ki puja dusre ko gali thik nahi hai. amitabh thakur ji aap muhim mai lege rehe karwan banta jayega. thanks.
SANJAY BHATI Editor SUPREME NEWS mo. 9811291332
January 5, 2011 at 4:34 pm
sir, ise kanuni ladai banane ki koyi jarurat nahi hai .hum aapki or aapke dil me gandi je k liye jo bhavna hai uski kadar karte hai . lekin hamari rai se isme vo kare jis se ghandhi jee ki atma ko dukh na ho.virodh ka gandhi jee ka bhi apna koyi tarika raha hoga use apnao. bura mat manna police ki nokri or gandhi bhakti hajam nahi hota .or rahi bat ashobhaniy sabdo or gali-galoch ki to aapke vibhag se jada ye roag or kahi nahi hai. do char mamle vibhag k logo par darj karva do . koyi sant. mathama ye bat karta to bat or thi aapka ye sab likhana or kanuni karvahi k liye kahana eak esha majak hai jasa gandhi k nam par sadhan sampan log das k kamjor logo k sath karte rahate hai.is majak ko hamari sasker bhi janta k sath karti hai .gandi ji ke siksha (gandhivad) ko takatwar /satta /sarkar or adhikar sampan log jo khud to AK47 se lees rahate hai or nihate logo ko gandhi ji ka path padhate hai . asliyat me too aaj k yuva inhi jase ghandhi bhagto k karan ghandhi jee k liye ashobniy bhasa or galio dane ko majbur hai. ashhay log gali hi to de sakte vo bhi likh kar. socho kya jo nojawan ghandhi ji ko ashobniy bhasa or gali-gloch se bhari bate likh rahe hai ve amitab thakur k bare me ashe sabdo ka paryog kar sakte hai .or yadi aap unke khilap isse sambhindhit kanuni karyahi kroge to bhi ve aapke iss karya k liya likh kar gali nahi depayege or iske badle bhe ve ghandhi jee ko hi gali dange …………..?
kanchan
January 5, 2011 at 1:34 pm
अमिताभ जी पहले तो आपको बहुत धन्यवाद कि इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया। दरअसल, जिस तरह सोशल नेटवर्किंग साइट बेलगाम हो रहे हैं, उससे समाज में नये ताह का खतरा पैदा हो गश है। गांधी जी सैद्धांतिक रूप से कुछ लोगों के लिए गलत हो सकते हैं। लेकिन दुनिया के बडे समूह में उनकी सख्शियत इज्जत भरी निगाहों से देखी जाती है। सवाल केवल गांधी जी के प्रति अपशब्दों के प्रयोग का नहीं है। सोशल नेटवर्किंग साइट किसी मुद्दे पर बेबाक टिप्पणी के बहाने असंस्कृत व असभ्य शब्दों का प्लेटफार्म बनता जा रहा है। इसे रोका जाना चाहिये। नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब इन साइटों पर ओसामा बिन लादेन जैसे लोगों तुलना लोग चंद्रशेखर आजाद या सुभाष चंद्र बोस से करते कुछ लोग मिल जायेंगे। समस्या गंभीर है, इन साइटों पर हमारी युवा पीढी भी बेधडक प्रवेश कर रही है। तोडमरोड कर या फिर कथित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर महापुरुषों के व्यक्तित्व पर प्रहार भविष्य के लिए घातक साबित हो सकता है। हम और हम समझते हैं कि हम जैसे काफी संख्या में लोग आपके साथ हैं।
raju
January 5, 2011 at 10:10 am
अफसरशाही के अच्छे प्रतिनिधि हो सकते हैं आप। न गांधी को समझते हैं और न अभिव्यक्ति की आजादी को। अपने तमगों का इस्तेमाल कर सबका दिमाग खा रहे हैं। पता नहीं आईपीएस और आईआईएम वाले और भड़ास वाले भी कैसे-कैसे लोगों को चुनते हैं। कीजिए जो करना चाहते हैं। पर, लफ्फाजी से ज्यादा आगे शायद ही आप बढ़ पाएं। बड़ा आये गांधी की इज्जत करनेवाले। गांधी के विचारों का क-ख भी आपमें नहीं झलकता। नमस्कार।
madan kumar tiwary
January 4, 2011 at 3:47 pm
I am agree with u Mr. Sudhir Gautam. that is the best way to counter such type of the things. draw longer line. Though most of members are rotten potatos.
मदन कुमार तिवारी
January 4, 2011 at 12:47 pm
अमिताभ जी आपको गांधी को दी गई गाली बुरी लगी वहां तक तो ठिक है लेकिन आपने कानुनी काररवाई की धमकी देकर एक तरीके से सेंसरशिप वाली बात की है। वैसे आप फ़ेसबुक से उसे हटवा सकते हैं लेकिन उसे हटाने से लोगों का विचार नही बदलने वाला। व्यक्तिगत तौर पर मैं इस तरह की धमकियों को किसी की तााशाही के रुप में देखता हूं। अच्छा होता आप तर्क के सहारे उनको समझाते । वैसे भी तकनीक के ईस दौर में आप इस तरह के ग्रुप को नही रोक सकते । जब अमेरिका असांजे को नही रोक पाया। जहां वेबसाईट की नियामक संस्था का हेड आफ़िस है। let the people decide what is wrong. dont impose ur views. if mejority like gandhi few people cant make significant change . thousand of people appreciate Hitler but we know what he was.
sudhir.gautam
January 4, 2011 at 12:39 pm
Amitabh Bhai, constructive way will be you should start a group “I love Gandhi” on Facebook itself and counter misinterpretations these young brothers/sisters carrying (if its not true) about the most charismatic man of his times.
Legal fight will be sheer wastage of time, energy and money and it wont be serving the actual purpose i.e. there is no point inhibiting people from one school of thought instead we must create another.
And before all that my humble suggestion is bought a few books on “Mahatma Gandhi” Start with one by Jad Adams “Gandhi – Naked Ambition” or one written by Gandhiji itself “My experiment with truth”
You wanna do something why not constructive, it seems you still wanna command people policing way, there is another always “Gandhigiri” if you really believe in it.
“गांधीजी होते तो क्या करते” विधिक कार्यवाही या कुछ और रचनात्मक ? उनके अनुयायियों को भी वही करना चाहिए. “हिंसा कमजोर लोगों का मार्ग है और आसान दिखता है होता नहीं , अहिंसा बहादुरों का मुश्किल लगता है पर होता है आसान”
उम्मीद करता हूँ भावना को समझेंगे और शब्दों का कोई मोल नहीं है सिवाय भावनाओं के सम्प्रेषण के.
raman
January 4, 2011 at 10:02 am
Dear Amimabh ji, I appreciate you for taking note of it. i fully supprot you
Anurudh Pratap Singh
March 19, 2011 at 4:48 pm
Amitabh Sir ye belagam naujavan hain,ye ek din apne parentes ko gali de sakte hain,
kukurmutte jaise ug institute bina kisi entrance ke admission le kar,chhichhoree harkat karne vale bad kisi mamuli see company me mamuli see job karne vale naujawan hain ,ye kya samjhenge desh ko,pahle khud ko samjh len,,i am doing complete support to you
jitender verma
October 26, 2012 at 8:28 am
ye baat to saabit hai k gandhi ne desh k liye kya kiy a….aur bhagat singh ne kya kiya ye bhi pata hai………….lekin agar tum logon ko kahun ki gandhi ki pic nikalo netpar to naa jaane kitni mil jayengi kabhi ladki k sath kabhi neta k sath ,,,,aur agar bhagat singh ki kahun ..to jyada se jyada 3 ya 4 ek hat wali , ek charpaai wali etc etc….. ye dono azaadi se lad rahe the ….lekin sochne waali baat ye hai ki azaadi milti kaise hai ?? maang kar jaise gandhi kar rahe the ya cheen kar jaisa bhagat singh kar rahe the ……..to ek example pesh karta hhu jab ram ji ne banwaas liya to unhone kayi saare rakshas ka wadh kiya aur unke raaja ko unka rajya sounpa…..jab unhone sugreev ko bali se ladne k liye kaha to iska matlab tha k bali jo galat kaam kar raha hai apne rajya mein wo band ho thik waisa hi bhagat singh ne kiya …main unko ram ji nhi kehh raha bas ye keh raha hu k wo unke raaste par chale jisse wo ram ji jaise oratit ho sakte hai,,,,thik usi tarah jis tarah aaj k neta ko ravaan kehte hai ya kaale angrej kyunki wo bhi unke raaste par chal rahe hai ……..aur aakhiri baat ….ye baat to lord mclow bhi keh gaya tha k jo angerji shiksha mein padhai karega wo shareer se bhale hi hindustani ho lekin aatma se angrej hoga….ab ye btao k bhagat singh foregn gaye the study k liye ya gandhi ya nehru////decide ur self……sirf sachaai ka sath do pakshpaat naa karein kyunki logon ko dhoka de sakte ho apne aap ko nahi ..jab maut aayegi tab ye baat bhi yaad aayegi