एक आईपीएस को निपटाने में जुटा राष्ट्रीय सहारा अखबार

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लायजनिंग के लिए कुख्यात सहारा समूह के हिंदी अखबार राष्ट्रीय सहारा में जब किसी अधिकारी, जज या नेता के खिलाफ कोई सीरिज शुरू हो जाए, कोई बड़ी खबर एक्सक्लूसिव तरीके से छापी जाए तो यकीन मानिए, यह सब इसलिए होगा क्योंकि उस अधिकारी या उस अधिकारी के परिवार से जुड़े व किसी बड़े ओहदे पर आसीन व्यक्ति से सहारा का काम नहीं निकल सका होगा. लखनऊ के एसएसपी और डीआईजी रह चुके आईपीएस अधिकारी राजीव कृष्ण के खिलाफ खबर छपी है.

यह खबर राष्ट्रीय सहारा हिंदी अखबार के सभी संस्करणों में पहले पन्ने पर छह कालम में टाप बाक्स स्टोरी के रूप में छापी गई है, राजीव कृष्ण की फोटो समेत. शीर्षक है- ”ये हैं आईपीएस राजीव कृष्ण, पद का दुरुपयोग करना कोई सीखे इनसे”. इस हेडिंग को देखकर कोई भी समझदार आदमी सोचेगा कि अचानक सहारा को हो क्या गया है. क्या उसने हर एक शख्स को नैतिकता का पाठ पढ़ाने की ठान ली है और इसी क्रम में उसने आईपीएस अफसरों की पोलखोल का प्रोग्राम शुरू किया और पहली कड़ी में राजीव कृष्ण पर स्टोरी की है… और ये सिलसिला जारी रहेगा… अगर सिलसिला जारी रहता तो ठीक था. सभी आईपीएस पर एक-एक कर स्टोरी छपती तो भी ठीक था. पर ऐसा कुछ नहीं है.

सिर्फ राजीव कृष्ण के खिलाफ स्टोरी छापी गई है और निशाना बनी हैं उनकी पत्नी जो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में कार्यरत हैं और आईआरएस हैं. अभी भी नहीं समझे. तो समझ लीजिए. सहारा समूह का काम जिन कुछ डिपार्टमेंट्स से ज्यादा पड़ता है उनमें नंबर एक पर इनकम टैक्स है, नंबर दो पर प्रवर्तन निदेशालय है, नंबर तीन पर रिजर्व बैंक आफ इंडिया और सेबी आदि हैं. लंबी लिस्ट है. इन विभागों संस्थानों के अफसर अगर सहारा के हिसाब से नहीं चलते तो सहारा इनके पीछे हाथ धोकर पड़ जाता है और इन्हें येन केन प्रकारेण इतना बदनाम करता है कि बेचारे अधिकारी नप जाते हैं या अलगाव में पड़ जाते हैं. पहले पूरी स्टोरी पढ़िए और फिर अपनी राय दीजिए कि आखिर राष्ट्रीय सहारा में पहले पन्ने पर टाप छह कालम में एक आईपीएस के खिलाफ खबर क्यों छपी है. और अगर, किसी को इस स्टोरी के छपने के पीछे की असली कहानी पता हो तो वो भी हम तक भेजे, उसे भी प्रकाशित किया जाएगा.

मत भूलिए कि अभी कुछ ही दिनों पहले प्रवर्तन निदेशालय के एक अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी कि सहारा वाले कुछ पत्रकार कंपनी का काम न होने पर करियर तबाह कर देने की धमकी दे रहे थे. और तब सुप्रीम कोर्ट ने सहारा के पत्रकारों के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे. अगर वो अधिकारी सुप्रीम कोर्ट न गया होता तो इन दिनों उसके भी खिलाफ कई खबरें सीरिज के रूप में सहारा में छप चुकी होतीं. इसलिए अब जरूरी हो गया है कि वो लोग सामने आएं जो जिन्हें सहारा ग्रुप किसी भी तरह से ब्लैकमेल कर रहा हो.

यशवंत

एडिटर, भड़ास4मीडिया

yashwant@bhadas4media.com


ये हैं आईपीएस राजीव कृष्ण, पद का दुरुपयोग करना कोई सीखे इनसे

पंकज कुमार/एसएनबी

आईआरएस पत्नी की करतूतों को छिपाने के लिए नियम कानून की उड़ाई धज्जियां

नई दिल्ली। लखनऊ में एडिशनल कमिश्नर इनकम टैक्स के पद पर तैनात मीनाक्षी सिंह ने अपने ऊपर चल रही विभागीय जांच को रोकने का अनूठा प्रयास किया। करतीं भी क्यों न, उनके पति राजीव कृष्ण लखनऊ के एसएसपी/डीआईजी पद पर तैनात जो थे। दरअसल मीनाक्षी सिंह के खिलाफ शिकायत महानिदेशक सतर्कता, आयकर को भेजी गई थी। कानूनन प्रक्रिया के तहत डिपार्टमेंट ने इस मामले की जांच सतर्कता विभाग को सौंप दी। सीवीओ, डीजीआईटी सुधा शर्मा इस मामले की जांच कर रही थीं लेकिन जांच किसी नतीजे पर पहुंचीं भी नहीं थी कि इससे पहले ही मीनाक्षी सिंह ने अपने पति एसएसपी/डीआईजी राजीव कृष्ण के पद का बेजा इस्तेमाल करते हुए अपने खिलाफ दर्ज शिकायत को फर्जी बताते हुए अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया।

इतना ही नहीं 3 अक्टूबर 2010 को धारा 91, सीआरपीसी के तहत हजरतगंज कोतवाली लखनऊ ने महानिदेशक सतर्कता, आयकर विभाग को नोटिस भेजा । इस पर विभाग ने हजरतगंज कोतवाली को जवाब भी भेजा लेकिन पुलिस सीजेएम लखनऊ से इस आशय का आदेश निर्गत कराने में कामयाब रही जिसमें सतर्कता विभाग को मीनाक्षी सिंह के खिलाफ चल रही जांच से जुड़े सारे कागजात पुलिस को सौंपने का आदेश दिया गया। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के सतर्कता विभाग ने अपने ही विभाग की अधिकारी मीनाक्षी सिंह से जुड़े सारे कागजात पुलिस को सौंपने से इनकार कर दिया। दरअसल जांच पूरी नहीं हुई थी और विभाग ये समझ चुका था कि अपने खिलाफ चल रही भ्रष्टाचार की जांच को रोकने के लिए मीनाक्षी सिंह ने अपने पति के पद का बेजा इस्तेमाल किया है। इस बीच मीनाक्षी सिंह सहित एक और इनकम टैक्स अफसर के खिलाफ कमिश्नर इनकम टैक्स (अपील) वीपी सिंह ने चेयरमैन सीवीडीटी (सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स) से शिकायत की जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा।

बीपी सिंह के खिलाफ पुलिस गैरजमानती वारंट लेकर घूम रही थी। वहीं सीवीओ, डीजीआईटी जो कि मीनाक्षी सिंह के खिलाफ जांच कर रही थी के दफ्तर को सर्च करने का आदेश भी पुलिस के पास था। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के इतिहास में यह पहला मौका था जब एक एडिशनल कमिश्नर ने अपने खिलाफ चल रही जांच की पत्रावली प्राप्त करने के लिए अपने ही विभाग के दफ्तर का सर्च वारंट जारी कराने का आदेश निर्गत कराया। ऐसा इसलिए संभव हो पाया क्योंकि उनके पति राजीव कृष्ण लखनऊ के एसएसपी/डीआईजी पद पर तैनात थे। अगर राजीव कृष्ण नैतिकता का थोड़ा भी ध्यान रखते तो अपने पत्नी के खिलाफ चल रही विभागीय जांच को रोकने के लिए ऐसा मायाजाल रचने से पहले हजार बार सोचते। अपने खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किए जाने के बाद कमिश्नर इनकम टैक्स (अपील) बीपी सिंह ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की शरण ली। वहीं डिपार्टमेंट ने यूपी पुलिस और राज्य के खिलाफ रिट पिटीशन दिल्ली हाईकोर्ट में डाली। मीनाक्षी सिंह के खिलाफ लगे आरोपों की जांच अब सीबीआई कर रही है।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने दिल्ली हाईकोर्ट से मांग की है कि हजरतगंज कोतवाली पुलिस को जांच से जुड़े मामले में हस्तक्षेप करने से रोका जाए। साथ ही हजरतगंज पुलिस को जांच कर रही सीवीओ, डीजीआईटी के दफ्तर को सर्च करने से रोका जाए। जाहिर है मीनाक्षी सिंह की सारी कवायद पुलिसिया जांच करा क्लोजर रिपोर्ट लगवाने की थी ताकि विभागीय जांच में उनके ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की कलई न खुल जाए। मीनाक्षी सिंह ने इस कहावत को चरितार्थ किया कि सइंया भए कोतवाल, अब डर काहे का। इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए मीनाक्षी सिंह को एडिशनल कमिश्नर पद से हटाकर रेंज का चार्ज दिया गया, फिर ट्रेनिंग कॉलेज भेजा गया और अब वह टीडीएस का काम देख रही हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई ने पूरे घटनाक्रम की नए सिरे से जांच शुरू कर दी है।

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Comments on “एक आईपीएस को निपटाने में जुटा राष्ट्रीय सहारा अखबार

  • कमल शर्मा says:

    कांच के घर में रहने वालों को दूसरे के घर पर पत्‍थर नहीं फेंकना चाहिए।

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  • धीरेन्द्र says:

    रिपोर्ट से तो कहीं कुछ नहीं दिखाई देता..

    Reply
  • यशवंत खबर उठाई है. ब्लैकमैल पर उतारू हो गया है सहारा इंडिया परिवार. लंदन में होटल और दूसरी प्रापर्टी खरीदने के लिए आईसीआईसीआई और एक्शिस बैंक के ज़रिए मॉरीशस से अरबों रुपये ट्रांसफर कराए गये.अब तो सहाराश्री ‘फेमा’ (फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट) में भी फँस गया है. पूरी खबर ये रही:
    Sahara group under ED scanner for Fema violation[b][/b]
    The Enforcement Directorate (ED) is investigating the Sahara group for alleged violation of the Foreign Exchange Management Act (Fema) for purchasing the Grosvenor hotel and another property in the UK. According to sources, the Directorate has officially communicated to the Reserve Bank of India (R BI) in this regard for getting more information after investigators questioned officials of two banks — the ICICI and the Axis Bank.

    Sources allege that these two banks were involved in transferring of funds to Mauritius in December last year.

    The Sahara group has dismissed the charges. Sahara spokesperson Abhijit Sarakar told PTI that both the ICICI Bank and Axis Bank had done their complete due diligence while transferring the funds overseas, which were used to invest in the hospitality sector overseas.

    “At every stage, there has not been a single incident of violation of any regulatory or legal requirement. The flow of funds is very much in accordance of the objects of the respective companies and we have been very open right from the beginning about the entire transaction and there is nothing to hide from the authorities concerned,” the spokesperson added.

    The ED suspects “contravention” of the Foreign Exchange Management Act (FEMA) in this deal as the funds were allegedly routed through Mauritius — a tax haven. Sources also said the ED would now issue notices to the Sahara group under FEMA laws.(Hindustan times 2.6.2011)
    http://www.hindustantimes.com/Sahara-group-under-ED-scanner-for-Fema-violation/Article1-704960.aspx

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  • kumar sauvir says:

    agar baat rajeev krishna ki hae to yeh policiya bahut hi badtameej aur ghamandi bhi hae.
    sahara ki kartoot ka samarthan nahi, lekin rajeev jaise policiyo ne police ki chhavi kharab hi ki hae
    kumar sauvir

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