दायें बैठे गेस्ट पे सवाल दाग महान मुख्य सम्पादक का हमेशा बायें देखना ही काफी नहीं था. अब तो उनके चिरकुटों को भी झेलना पड़ रहा है. बाजारू और छिछले अखबारों की तरह सबसे पहले ब्रेक और फिर अपनी खबर का असर बताने के अब आदी हो चुके टाईम्स नाऊ ने 19 जनवरी के दिन तो निहाल ही कर दिया. अपने मुख्य संपादक को खिड़की में लेकर चैनल ने शपथ ग्रहण समारोह से कोई दो घंटे पहले बताना शुरू किया कि उनके हाथ बनने वाले मंत्रियों के नामों की सूची लगी है उनके विभागों के बंटवारे के साथ.
ये भी कि कौन कौन अब धूल फांकेगा. चैनल जिन मंत्रियों को संत्री होते बता रहा था उनमें राजा वीरभद्र सिंह का नाम शामिल था. उनके फोटू समेत. इससे बेखबर कि हिमाचल में कांग्रेस की वो कितनी बड़ी मजबूरी हैं. और तो और चैनल वीरप्पा मोइली को भी बाहर हुआ बता रहा था. अपनी इस खबर को पचवाने के लिए उसने अति विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से ये भी बताना शुरू कर दिया था कि अगले क़ानून मंत्री खुर्शीद आलम होंगे.
शपथ ग्रहण हुआ तो ऐसा कुछ नहीं हुआ. चलिए, ये भी माफ़. होता है आपका आकलन या आपकी उत्कट इच्छा जो कभी पूरी नहीं होती. अंदाज़े में सच की संभावना देख लेना या किसी फुकरे को असल जानकार मान लेने की गलती भी चलो माफ़. किसी एक नेता के ज़रिये पार्टी की प्रदेश में हैसियत की बेसिक जानकारी भी चलो न सही. पर भैया, ये तो बताओ कि शपथ समारोह ख़त्म हो जाने और राष्ट्र गीत के बाद सबके सरक लेने के घंटे भर बाद भी आप दुनिया को ये ब्रेकिंग कैसे दिखाते रहते हो कि समारोह शुरू हुआ है? और ये भी कि व्यक्तियों और विभागों के बारे में आपकी भविष्यवाणी पूरी तरह सच साबित हुई है? कुछ तो शर्म करो यार…!!!
जगमोहन फुटेला
वरिष्ठ पत्रकार
चंडीगढ़
Comments on “कुछ तो शर्म करो ‘टाइम्स नाऊ’ वालों!”
सही बात है…………….
हमारे यहां केबुल पर बहुत सारे चैनल नहीं आते , नेट पर कभी -कभार देख लेता हूं , अगर फ़ुर्सत में रहा । लगता है बरखा और संघवी ने टाईम्स नाउ ज्वाईन कर लिया है । रह गई शर्म की बात तो जाने दो यार बेहाया के??????????? रुख जनमे ओकरा लागी छाहें बा । यानी बेशर्मी की बात बेमानी , ईटीवी आजकल एक नये मेहमान का स्वागत कर रहा है जो सच्ची बात सुनायेंगे , लेकिन अंकुर वाला सच नही,सीधी से गचा खा गये तो सची पे आ गयें इससे गच्चा के बाद हा हा समझ गये न। वैसे टाइम्स की जागोरी धर अच्छी लगती है स्टाईल तो ऐसे देती है जैसे सीमा मुस्तफ़ा या बरखा हो, क्लास ली है , बिहार चुनाव के दौरान , नक्सल कवरेज में। अंग्रेजी बोल-बोल कर लोकल स्टींगरो पर धौंस जमा रही थी , लेकिन चचा राम यानी मैं जब पहुंचा तो फ़िर नानी याद आ गई। सीधे भिडा दिया बारुदी सुरंग वाली जगह पर ।
jagmohan ji, vaise ye khurshid alam koun sahab hain?