चैनलों पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों या खबरों पर नजर रखने के लिए केंद्र सरकार ‘प्रसारण सामग्री शिकायत परिषद’ बनाने जा रही है. 13 सदस्यीय परिषद का गठन मनोरंजन चैनलों की प्रतिनिधि संस्था इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन की सलाह पर किया जा रहा है. परिषद में प्रसारण उद्योग तथा नागरिक समाज के सदस्य शामिल होंगे.
सूचना-प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने उद्योगों की प्रतिनिधि संस्था सीआईआई द्वारा टीवी कार्यक्रमों की गुणवत्ता पर आयोजित सेमीनार में कहा कि परिषद के गठन से टीवी कार्यक्रमों पर नजर रखने के लिए एक सही तंत्र बनाया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में 13 सदस्यीय इस प्रसारण सामग्री शिकायत परिषद की स्थापना करने का प्रस्ताव प्रसारण जगत के लोगों और सूचना एवं प्रसारण सचिव के बीच एक साल से अधिक समय तक हुए विचारविमर्श के बाद आया.
अंबिका ने कहा कि यह एक स्वनियामक व्यवस्था है और सरकार का इससे कोई सरोकार नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि अभी केवल प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया गया है और इसे मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा. मंत्री ने कहा कि कुछ कार्यक्रमों, खास कर मनोरंजन वाले चैनलों पर प्रसारित होने वाले कुछ कार्यक्रम को लेकर लोगों को होने वाली असुविधा दूर करने के लिए विचार-विमर्श जरूरी था.
मंत्री ने कहा कि उनका मंत्रालय आत्मनियंत्रण का पक्षधर है. उन्होंने कहा कि न्यूज चैनलों की संस्था न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन ने अच्छी पहल की है और मंत्रालय के साथ मिलकर आत्मनियंत्रण का प्रमाण पेश किया है. सोनी ने कहा कि दूरदर्शन की मुफ्त डीटीएच सेवा पर मौजूदा 57 की जगह 97 चैनल उपलब्ध कराने को स्वीकृति दे दी गई है. दिसम्बर तक 97 चैनल उपलब्ध हो जाएंगे. 12वीं योजना तक चैनलों की संख्या 200 करने की योजना है.
subodh kumar
February 19, 2011 at 12:46 pm
बहुत ज़रूरी है की इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर नज़र रखने की. दुनिया भर का पत्रकार हो गया जो लोगो लेकर घूमता है पर यह नहीं पता पत्रकारिता क्या होती है
rajkumar sahu, janjgir chhattisgarh
February 19, 2011 at 9:07 am
ye sabhi prayaas ek baar phir doordarshan ke naam ko chamka dega.
rahi baat, commety banaane ki soch achchi hai.
santosh jain.raipur
February 19, 2011 at 9:36 am
news bradcoster assn ko badhayee,apne hath se khud ko hatkadi pahnane ka souk ish desh me badhta hi ja raha hai