जब नीतीश को लगी मिर्ची, बोले-ये आई नेक्स्ट क्या है?

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आज मुख्यमंत्री का जनता दरबार था. इसके बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में जब आई-नेक्स्ट के रिपोर्टर उज्जवल ने उनसे दो सवाल पूछे तो वो तिलमिला गए. उज्जवल ने पूछा क़ि बिहार में बिजली संकट का कोई समाधान क्यों नहीं निकल पा रहा तो नीतीश कुमार ने इसका गोल-मटोल जवाब दे दिया. कहा कि बिजली केंद्र से ही नहीं मिल पा रही है. ऐसे में बिहार सरकार कुछ नहीं कर सकती. जब उज्जवल ने दूसरा सवाल पूछा तो नीतीश तिलमिला गए. उन्हें दूसरा अखबार पढ़ कर आने क़ि नसीहत दे डाली.

पूछा कि आप किस अखबार से आये हैं? जवाब मिला-आई नेक्स्ट. तब पूछा- ये आई नेक्स्ट क्या है? कहां से छपता है? रिपोर्टर जवाब देता इसके पहले फिर बोले, जब इतना शौक है तो अखबार भिजवा दिया कीजिये.  इस पूरी बातचीत को कई कैमरामैनों ने रिकॉर्ड कर लिया. आज पटना की मीडिया में यह बात पूरी तरह चर्चा में है. दरअसल,  आज के आई  नेक्स्ट में पहले पेज पर बिजली संकट को लेकर शशि रमण की रिपोर्ट छपी है. हेडिंग है- अंधेर नगरी चौपट—. नीतीश कुमार इसी खबर से खार खाए हुए थे. इसके पहले भी आई  नेक्स्ट ने सरकार की कमियों को उजागर किया है.

पटना में जब अधिकतर अखबार और पत्रकार सरकार की चापलूसी में लगे हैं, आई  नेक्स्ट ने वहां तथ्यपरक खबरों से सरकार की कमियां उजागर की हैं. नीतीश मंत्रिमंडल के गठन के बाद आई  नेक्स्ट ने छापा कि इस सरकार के कुल ३० में से १४ मंत्री दागी हैं. उनके खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं. फिर छपा क़ि अपराधी विधायक सुनील पाण्डेय को किस तरह से नीतीश का संरक्छन  प्राप्त है. आई  नेक्स्ट ने पहले पेज पर नीतिश का पैर छूते सुनील पाण्डेय की फोटो छापी.

रूपम पाठक बलात्कार मामले को भी इसी अख़बार ने उजागर किया. राष्ट्रकवि दिनकर के मकान पर सुशील मोदी के भाई द्वारा कब्जे की खबर भी इसी अखबार ने छापी. इसके अलावा 408 करोड़ रूपये गायब होने और 15000 करोड़ का हिसाब नहीं दिया जाने क़ि खबर भी आई  नेक्स्ट ने पहले पेज पर छापी थी. महालेखाकार क़ि रिपोर्ट के आधार पर छापी इस खबर को भी उज्जवल ने ही ब्रेक किया था. इन सब खबरों से नीतीश कुमार पहले से ही आई  नेक्स्ट के खिलाफ हैं. आज उनका गुस्सा सार्वजनिक तौर पर दिख गया.

इस बाबत आई नेक्स्ट पटना के संपादक रवि प्रकाश का कहना है क़ि हम तो सिर्फ सच छाप रहे हैं. सारी खबरें सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट के आधार पर ही छापी हैं. हम किसी प्रकार क़ी व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करते. अखबार का यही काम भी है. अगर यह बात मुख्यमंत्री को ख़राब लगती है तो इसमें अख़बार का कोई दोष नहीं है. ज्यादा बेहतर होगा, सरकार अपने सिस्टम को सुधारे.

नीतीश कुमार द्वारा प्रेस कांफ्रेंस में आई-नेक्स्ट के रिपोर्टर से सवाल-जवाब करने से संबंधित वीडियो देखें, क्लिक करें- ye inext kya hai…

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Comments on “जब नीतीश को लगी मिर्ची, बोले-ये आई नेक्स्ट क्या है?

  • prabhat pandey says:

    बिहार में जागरण की पत्रकारिता कर रहा है.. बाकि सब तो धंधे में जुटे है… ऐसा नहीं कि जागरण पाक साफ है.. लेकिन शैलेंद्र दीक्षित (संपादक) के अंदर के पत्रकार को कोई नहीं खरीद सकता।

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  • kuldeep Bhardwaj says:

    उम्दा,बधाइयाँ , बेहतरीन ….आईना झूठ नहीं बोलता ….
    तल्ख़ तेवर और हकीकत का आईना दिखाया …आई नेक्स्ट परिवार ने तो …सुशासन महोदय अख़बार का नाम ही भूल गए ….सम्मानिये रवि प्रकाश भाई जी और उज्जवल भाई जी बहुत खूब ….निरंतरता बनाये रखिये सुशासन महोदय अख़बार का नाम और बहुत कुछ जान जायेंगे ….

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  • nandkishor says:

    😀
    jab akhabar sach bolta hi to merchi to lagne hi hai , chplosi par neta tika hota hi , unhay kun samchhye ki nedk neyre rakhiy agnan kuti chhabay
    ben pani bin sabuna nirmal kare kare bihar

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  • chandan Singh says:

    पटना के मीडिया संस्थान में अभी भी कुछ अच्छे पत्रकार बचे है जिसने अपनी जमीर को नितीश के सामने झुकne नहीं deta hai ……. उज्जवल जी ने जिस तरह से बिहार के तानासाह सरकार से सवाल किया वह चापलूस पत्रकारों के लिए सिक्षा प्रद बाते है ……… क्या बिहार के मीडिया ने नीतीश सरकार से समझोता कर लिया है कि जो बोल दे वही छाप दो …… और बाद में मैनेज करलूँगा ……. अरे चाटुकारों ( सिर्फ चाटुकार ) आज I next के साथ हुआ है कल सबो के साथ होगा तैयार रहो …… आज दुसरे पे मजा लेते हो कल अपनी बरी आने वाली है …….. बिहार को up बनने मत दो
    ……..

    संपर्क
    चन्दन सिंह
    सहरसा
    http://saharsatimes.blogspot.com

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  • धन्यवाद आइ नेक्स्ट की पुरी टीम को कि आप बिकाउ नहीं …आज मैं भी उस प्रेस सम्मलेन मैं मौजूद था जहाँ यह तमाम वाकिया हुआ …वैसे जिस तरह से उज्जवल ने सवाल पर सवाल दागे वह लाजवाब था …पर शायद जो सवाल
    उज्जवल ने उनसे पूछे उनका जवाब नितिश ने तो गोल मटोल दिया ही पर अख़बार पढने कि नसीहत वाले मामले पर उज्जवल को उल्टा जवाब देना चाहिए था …क्योंकि जब बिहार के काबिल मुख्यमंत्री को यह नहीं पता कि आइ नेक्स्ट क्या है तो वह दुसरो को अखबार पढने कि नसीहत नहीं दे सकते ….अब शायद बिहार के तमाम अखबार को थोडा शर्म करना चाहिए कि इस तरह दलाली कर अखबार चलने से अच्छा है कोठा वाला धंधा शुरू कर दें …..क्योंकि बिहार मैं जब बिपक्ष नहीं तो जनता अब अखबार के सामने ही आस लगा बैठी है पर जिस तरह से बिहार के अख़बार काम कर रहें है उससे ऐसा लगता है कि अब आम आदमी कि सुनने वाला कोई नहीं ….अब तो नई पीढ़ी ऐसे हालत को देख कर यह कहने लगी है कि स्वतंत्रता आन्दोलन मैं भी अख़बारों कि कोई भूमिका नहीं रही होगी…. युवा भी सही सोचते हैं कि जब अख़बारों के अभी यह हालत हैं तो उस वक़्त क्या रहा होगा ….

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  • nagmani pandey says:

    aaj ke samaya me koi bhi neta dudha se dhoya nhi hai…. lekin nitish ne bihar ko kaphi pargati kiya hai ye bhi nhi bhule …. pahle bihar sirf or sirf bahubali logo ke nam se pahchana jata tha …lekin ab BIHAR VIKASH KI OR ke nam se bhi pahchana ja rha hai is ka sereh nitish gov. ko hi jata hai… i next itna sahi hai to itna dino tak lalu sarkar ka bahubali raj tha to Q nhi likhe …is se to hum yahi samjhenge ki i next ne nitish ke khilap likhane ki supari le rkhi hai… hamare khane ka matlab hai agar aap jab sahi nhi kr sakte to kam se kam jo kar rha hai use to supot kre ….agr thodi galti ho to use bataye ye nhi ki uski badnami kare

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  • anurag pradhan says:

    आज मै वेहद खुश हूँ की चलो inext के बारे में तो नीतीश जी कों आज पत्ता चला,वैसे तो मालूम था ही लेकिन उनको लगता था की कौन ये ……., अब प्रेस कांफ्रेस में तो लोगों के सामने ही जान गये, की पटना का भी कोई पेपर है जो मेरे साथ नहीं है, क्यों की उज्ज्वल के सवाल से उनको लगा हो गा ये कौन पत्रकार आगया है जो मेरे साथ हाथ में हाथ मीला कर नहीं चल रहा है,क्यों की मीडिया के बड़े-बड़े हॉउस का हाथ नीतीश जी ने बांध दिया है(मै हाथ बंधना जो लिखा है वह शयद कोई ना समझ से लेकिन जो मीडिया वाले रहे गे वाह ये समझ जायेगें) हमें कुछ सूत्रों से हमें पता चला है की जो भी मीडिया हॉउस उनके खिलाफ रिपोर्ट लिखते है या चलते है उस हॉउस कों नीतीश जी सरकारी add से वंचित कर देते है !

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  • anurag pradhan says:

    आज मै वेहद खुश हूँ ,क्यों की नीतीश जी कों तो चलो आज प्रेस कांफ्रेंस में ये पत्ता चला की पटना में भी कोई पेपर है जो मेरे साथ हाथ में हाथ डाल कर नहीं चल रहा है ,वैसे तो नीतीश जी कों inext के बारे में पहले से मालूम था पर वे ये सोचते थे की कौन यह पेपर पर ….,इसका प्रूफ वीडियो में आप देख सकते है ,क्यों की उज्जवल जी के सवाल पर जिस तरह वह अपना चेहरा कर लिये थे और अपना बेबकूफी भरा जबाब वह इस बात के लिए काफी है क्यों की जब कोई व्यक्ति किसीसे नफ़रत या उससे जलता हो तो वह उस व्यक्ति कों नीचा दिखने की कोशिस करता है और आज वैसा ही हुआ है , सूत्रों से मालूम चला है की नीतीश सरकार के खिलाफ कोई भी मीडिया हॉउस लिखता या दिखाता है तो उसको सीएम साहब सरकारी add नहीं देते है , और कुछ मीडिया हॉउस पर तो नीतीश जी अपना आधिपत्य जमा लिये है ,और पटना के कुछ बड़े पत्रकार का उन्होंने हाथ भी बांध दिया है,और जब कोई वरिष्ट पत्रकार नीतीश जी के खिलाफ लिखने से नहीं डरते है और लिखते है तो उनका रिपोर्ट ही प्रकाशित नहीं होता है |

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  • V.S.Nandan says:

    दलाली-चापलूसी और प्रशंसा में अंतर करने की कला कोई कथित नागमणि पाण्डेय जी से पूछे ! आप के हीं शब्दों में agar aap jab sahi nhi kr sakte to kam se kam jo kar rha hai use to supot kre ….agr thodi galti ho to use bataye ye nhi ki uski badnami kare क्या इतना भर लिख देने से आप बिहार के शुभचिंतक हो गए ,या नीतीश कुमार के ,पाण्डेय जी आपने जो हरा चश्मा पहना है उसमे सुखा घास भी आपको हरा नज़र आ रहा है ,ये आपकी गलती नहीं है ! और तो और आप मीडिया को भी वही चश्मा पहनकर देखने बोलते है ! क्या आपको पता है की इन पांच वर्षों में दुसरे प्रदेशों में क्या कार्य हुआ है, क्या बिहार के सभी गावों में बिजली ,पानी,सड़क और स्वास्थ की समस्या अनबरत नहीं है तो फिर आपको खूंटे में ही बंधकर रहना चाहिए ……..

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  • ashutosh kumar pandey says:

    सरकारी विज्ञापनों से अटे पड़े रहने वाले अखबारों को इस वाकये से सीख लेनी चाहिए। बादशाह की उसके सामने की गई निंदा चापलूसों से ज्यादा वैलेवल उसे बना सकता है। आज के दौर में यह माना जा सकता है कि पत्रकारिता में प्रतिबद्धता दूर की कौड़ी हो गई है। लेकिन यह भी है कि पेशेवर होते हुए भी प्रतिबद्ध हो सकते हैं। पेशेवर आप इस मायने में कि आपके संस्थाने के अलग विभाग द्वारा विज्ञापन का प्रयास किया जाता है। उसे आप छोड़कर अपने कर्तब्यों से कोताही न करें। और नीतीश जी को इस मामले पर तिलमिलाने की वजाए खुश होना चाहिए था कि बिहार में कोई मी़डिया उनके साथ है। मुझे जहां तक लगता है कि नीतीश जी का असली शुभचिंतक आई नेक्सट ही है।
    और इस मामले में धन्यवाद के पात्र इस टेबलायड अखबार के संपादक रवि प्रकाश हैं। हालाकि वे मेरे गुरुभाई हैं। लेकिन खासकर पटना में उज्जवल जैसे पत्रकारों का एक समय इसी आईनेक्सट में दम घुटता था। जब उन्हें जनसरोकार की खबरों को लिखने के लिए स्पेश खोजने पड़ते थे। रवि प्रकाश ने उसी अखबार में इस तरह की खबरों को तरजीह देकर एक उदाहरण पेश किया है। और यह भ्रम भी टूटा है कि स्टेसमैन और द हिंदू पढ़ने वाले कभी आई नेक्सट नहीं पढ़ते। लेकिन हाल में पटना संस्करण की स्थिति देखकर ऐसा लगता है कि दैनिक जागरण उसके सामने छोटा पड़ गया है और सभी से चरण स्पर्श कराने वाले जागरण के संपादक को भी सीख लेनी चाहिए की खबरें क्या होती हैं। नीतीश जी के केवल नाराजा हो जाने से यही जागरण किसी रिपोर्टर का ट्रांसफर तक कर दिया था। ऐसा नहीं सही आलोचना भी समाज,सरकार और पूरे देश को सही रास्त दिखा सकती है।……….उदाहरण में हम अन्ना की आलोचना को ले सकते हैं……….धन्यवाद।

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  • madan kumar tiwary says:

    नीतीश कुमार एक तानाशाह हैं , उनको पता तो सबकुछ था , लेकिन नीचा दिखाने के लिये दर्शाया की आई नेक्स्ट के बारे में उन्हें पता नही है । दुर्भाग्य तो यह है कि नीतीश जब ड्रामा कर रहे थें तो बाकी चमचे पत्रकार ह्स -हस कर उनका साथ दे रहे थें, आज लालू पत्रकारों को ढुंढते चल रहे हैं, जब नीतीश हटेंगे तो ढुंढने पर भी उन्हे कोई मददकार पत्रकार नही मिलेगा क्योंकि अभी जो नीतीश की चमचागिरी कर रहे हैं , उस समय जो सता में रहेगा उसकी करेंगे । वैसे मेरा भी एक प्रश्न है , बिहार के किस राजनेता के पुत्र ने लाखो खर्च करके हुक्का पिने के लिये विशेष कमरा बनाया है , दुसरा सवाल है किस राजनेता को ब्लैक डाग रोज चाहिये । नीतीश जी को पता है दोनो प्रश्नों का जवाब ।

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  • amarendra yadav says:

    jab sach samne aayega to nitish babu tilmilayege hi.bhai unko yad nahi ki unka diya gaya aid keval chunav tak hiprabhavi tha,ab media karmi apna kam kar rahe hai to kahe tilmila rahe hai nitish babu?

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  • hun, ise kahte hain Nau sau chuha khake billee haz ko chalee. ham khub jante hai i-next aur jagran group kee haqiqat.
    yasvant G suchna ko apnee samajh ke hisab se edit-padtal V kar liya kijiye ya nahin to likh dijiye- yah vigyapti hai.
    Vastav me Bihar kaa sara akhbar Nitish ka khilauna hai.

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  • kaalchinta says:

    बड़ी हैरत होती है जब ऐसी घटनाओं का ज़िक्र करते हुए लोग गाम्भीर्य का आवरण ओढ़ते हुए टिप्पणी करते हैं कि लालू के ज़माने में अराजकता थी लेकिन ऐसी तानाशाही नहीं थी. टाइम्स ऑफ़ इंडिया के उत्तम सेन गुप्ता और जी न्यूज़ के श्रीकांत प्रत्युष पर गोलियां चलवाकर किस लोकतांत्रिक परम्परा का निर्वहन किया जा रहा था यह तो ऐसे तुलनात्मक अध्ययन करने वाले विद्वान साथी ही बतला सकते हैं.

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