जागरण वालों के पत्रकारिता संस्थान जेआईएमएमसी (जागरण इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एंड मास कम्युनिकेशन) के फाउंडेशन डे पर कई छात्र बिना खाए रह गए. उन्हें जागरण वालों ने खाना नहीं दिया. नौकरी देने का वादा कर लाखों रुपये लेकर सिर्फ डिग्री-डिप्लोमा थमाने वाले जागरण के मालिकानों ने ऐसा सख्त नियम बना रखा है कि उनकी तिजोरी में सिर्फ माल आए, जाए एक भी टका नहीं. शायद इसी नियम के कारण जेआईएमएमसी वालों ने फाउंडेशन डे पर कई छात्रों को खाना नहीं खिलाया.
जेआईएमएमसी ने 30 अप्रैल को फाउंडेशन डे रखा था. इस आयोजन में नए-पुराने छात्रों को बुलाया गया था. यहां पर लंच और कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था. एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आयोजकों ने संस्थान के सभी सीनियर छात्रों को इसका आमंत्रण पत्र भेजा था. उसमें मैं और मेरे कुछ अन्य दोस्त भी शामिल थे. इसमें कमी ये हुई कि हमलोगों ने उसका रिप्लाई नहीं दिया था. पर ज्यादातर दोस्तों ने आमंत्रण पत्र का रिप्लाई किया था. शायद इस रिप्लाई के आधार पर ही भोजन तैयार कर रहे थे.
हम लोग जब लंच के लिए गए तो हमलोगों को खाना नहीं दिया गया. उसने बताया कि मैं ऐसा नहीं कहूंगा कि बात यहां केवल खाने की है, पैसा खर्च कर हम होटल में भी खा सकते थे. बात ये है कि हम अपने उस संस्थान गए हुए थे जहां से हमने पत्रकारिता की शिक्षा ली थी. हमलोगों से कहा गया कि बिना टोकन के कुछ खाने को नहीं दिया जाएगा. ये भी कहा गया कि आप लोग बिना स्लिप के अंदर कैसे चले आए. हमने बताया कि हमलोगों को इन्वीटेशन भेजा गया था, पर वो लोग सुनने को तैयार नहीं हुए.
उसने बताया कि यहां बात केवल खाने भर की नहीं है. हमें बुलाया गया था, हमें पढ़ाने वाले भी पहचानते थे, परन्तु इसके बाद भी जिस तरह का रवैया हमलोगों के साथ अपनाया गया वह बहुत अपमानित करने वाला था. जागरण ग्रुप ने तो बनियागिरी की हद ही पार कर दी. हमलोगों को अपने को सबसे बड़ा अखबार बताने वाले ग्रुप के संस्थान की हालत पर तरह आया, हम सभी मित्र वापस चले आए.
Comments on “जागरण की दरिद्रता”
:),,,,,, this is not true………..