: दोनों के खिलाफ एफआईआर की सिफारिश : प्रसार भारती के भूतपूर्व चीफ एग्जीक्यूटिव अफसर और दूरदर्शन के भी मुखिया रह चुके सरदार बीएस लाली के अलावा दूरदर्शन की भूतपूर्व महानिदेशक अरुणा शर्मा को 135 करोड़ रुपए का नुकसान करवाने वाले एक सौदे का सूत्रधार होने के इल्जाम में जेल जाना पड़ सकता है। कॉमनवेल्थ के दौरान हुए घोटालों की जांच करने वाली वी के शुंगलु की एक सदस्यीय कमेटी ने सबसे पहली सिफारिश बीएस लाली और अरुणा शर्मा के खिलाफ की है।
सिफारिश यह है कि इन दोनों के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कर के ठगी, जालसाजी और बेईमानी का मुकदमा चलाया जाए। भारत के दूरदर्शन को 135 करोड़ रुपए का घाटा इसलिए हुआ था क्योंकि लाली और अरुणा शर्मा ने कॉमनवेल्थ प्रसारण अधिकारों के मामलों से अपने हाथ खींच लिए हैं और लंदन की एक कंपनी एसआईएस लाइव को यह अनुबंध मिल गया था। प्रारंभिक जांच के बाद लाली को पिछले वर्ष 21 दिसंबर को निलंबित कर दिया गया था। श्री शुंगलु ने अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट सचिव के एम चंद्रशेखर को तीन दिन पहले यानी शनिवार को सौंप दिए मगर अब तक सरकार की ओर से कोई पहल नहीं हुई है। श्री शुंगलु ने कहा कि कायदे से यह अनुबंध दूरदर्शन को ही मिलना चाहिए था और कोई प्रतियोगी नहीं होना चाहिए था। मगर जानबूझ कर दूरदर्शन को किनारे किया गया।
शुंगलु की रिपोर्ट 55 पन्नों की हैं मगर इसके साथ एक हजार पन्नों के दस्तावेज भी लगे हैं। इस रिपोर्ट में साफ लिखा हुआ है कि एसआईएस को 246 करोड़ रुपए में प्रसारण का यह ठेका लाली और अरुण शार्मा की मदद से ही मिला। रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि कवरेज की वास्तविक कीमत 111 करोड़ मात्र थी और आश्चर्यजनक बात यह है कि जिस देश में भारत सरकार के दूरदर्शन सहित चौदह चैनल हों और अच्छी तरह सक्षम छह प्राइवेट टीवी चैनल हों वहां लंदन की एक कंपनी को खोज कर उसे अनुबंध देना सिर्फ भ्रष्टाचार का सबूत हैं।
जांच में पाया गया है कि जिस दिन एसआईएस लाइव नाम की कंपनी को यह ठेका मिला उसने जूम कम्युनिकेशंस को यह ठेका दे दिया और 70 करोड़ रुपए तीन घंटे में कमा लिया। जूम कम्युनिकेशन ने यह ठेका 176 करोड़ में लिया था और 111 करोड़ में अपना काम कर के और अपना मुनाफा कमा कर जूम कम्युनिकेशन आराम से निकल लिया। ऐसे रातों रात होने वाले मुनाफों के सौदों में लाली और अरुणा शर्मा ने कुछ नहीं कमाया हो, इतने संत और साध्वी ये लोग नहीं है। शुंगलु कमेटी की रिपोर्ट पर मनमोहन सिंह सरकार क्या अमल करती है, यह जल्दी ही पता लग जाएगा। सच तो यह है कि एसआईएस लाइव का चालीस प्रतिशत भुगतान यानी 96 करोड़ रुपए रोक दिए गए हैं और इस पर ब्रिटिश हाई कमीशन को ऐतराज है।
ब्रिटिश हाई कमीशन ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अलावा विदेश मंत्रालय को लिखा है कि एसआईएस सत्तर साल पुरानी विश्व स्तरीय कंपनी हैं और इसके साथ अन्याय करना दुर्भावना का प्रतीक है। यह बात अलग है कि एसआईएस को बीबीसी ने पिछले तीस वर्षों में एक भी प्रसारण का अनुबंध देने से इनकार कर दिया है जबकि इस दौरान कई निजी भारतीय कंपनियों को भी प्रसारण अधिकार दिए गए हैं। ब्रिटिश उच्चायोग के अधिकारी सोमवार को इस मामले में सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी से मिले और उन्हें राजनयिक रिश्तों का भी हवाला दिया। राजनयिक रिश्ते के मामले में अंबिका सोनी को नहीं फंसाया जा सकता क्योंकि उनके पति राजनयिक थे और वे पूरी दुनिया में राजनयिकों के बीच पूरा जीवन उठती बठती रही है। साभार : डेटलाइन इंडिया
Comments on “जेल जा सकते हैं लाली और अरुणा!”
main sart lagakar kah sakta hu sab saleey bach jayenge/sabhi sarkari offices me bhrastachar hi to yogyta hai/koun chutia dudh dene wali gay(cow) ki lat khakar uski tang todega,Hey uparwale ab to dharti par aakar apne hone ka saboot De DO