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दैनिक जागरण की है यह खेल भावना!

काशी पत्रकार संघ और प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में सिगरा स्टेडियम में विगत 23 सालों से दिवंगत पत्रकार कनिष्क देव गोरावाला की स्मृति में एक टूर्नामेंट कराया जाता है जिसका नाम है ‘कनिष्क देव गोरावाला स्मृति मीडिया क्रिकेट।’ यह मीडिया क्रिकेट के नाम से ही प्रसिद्ध है। इसमें सभी मीडियाकर्मी हिस्सा लेते हैं। पर, लगता है दैनिक जागरण, वाराणसी को काशी पत्रकार संघ के नाम ही एलर्जी है। तभी जब समस्त अखबार इस खबर को तीन से चार कालम में फोटो सहित छाप रहे हैं, जागरण में इस बाबत एक लाइन खबर नहीं छप रही है।

<p style="text-align: justify;">काशी पत्रकार संघ और प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में सिगरा स्टेडियम में विगत 23 सालों से दिवंगत पत्रकार कनिष्क देव गोरावाला की स्मृति में एक टूर्नामेंट कराया जाता है जिसका नाम है ‘कनिष्क देव गोरावाला स्मृति मीडिया क्रिकेट।' यह मीडिया क्रिकेट के नाम से ही प्रसिद्ध है। इसमें सभी मीडियाकर्मी हिस्सा लेते हैं। पर, लगता है दैनिक जागरण, वाराणसी को काशी पत्रकार संघ के नाम ही एलर्जी है। तभी जब समस्त अखबार इस खबर को तीन से चार कालम में फोटो सहित छाप रहे हैं, जागरण में इस बाबत एक लाइन खबर नहीं छप रही है।</p> <p style="text-align: justify;" />

काशी पत्रकार संघ और प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में सिगरा स्टेडियम में विगत 23 सालों से दिवंगत पत्रकार कनिष्क देव गोरावाला की स्मृति में एक टूर्नामेंट कराया जाता है जिसका नाम है ‘कनिष्क देव गोरावाला स्मृति मीडिया क्रिकेट।’ यह मीडिया क्रिकेट के नाम से ही प्रसिद्ध है। इसमें सभी मीडियाकर्मी हिस्सा लेते हैं। पर, लगता है दैनिक जागरण, वाराणसी को काशी पत्रकार संघ के नाम ही एलर्जी है। तभी जब समस्त अखबार इस खबर को तीन से चार कालम में फोटो सहित छाप रहे हैं, जागरण में इस बाबत एक लाइन खबर नहीं छप रही है।

शुरू के कुछ दिन तक तो जागरण का बच्चा अखबार आई-नेक्स्ट ने इस समाचार को कवर किया, पर अब वह भी मौन हो गया है। आई-नेक्स्ट अब मीडिया क्रिकेट खबर को लेकर अपने बड़ारू के पदचिह्न पर चल पड़ा है। ये दोनों ही अखबार अब कनिष्क देव गोरावाला स्मृति मीडिया क्रिकेट को कवर नहीं कर रहे हैं। मजे की बात यह कि बीते दो दशक से जागरण इस खबर को बराबर कवर करता रहा है, क्योंकि स्वर्गीय कनिष्क देव गोरावाला कभी दैनिक जागरण, वाराणसी के खेल पेज पर बतौर उप संपादक काम किया करते थे। यही नहीं जागरण इस टूर्नामेंट में बढ-चढ़कर हिस्सेदारी तो लेता ही था अपितु अपनी पूरी एक टीम उतारता था, जिसके अगुवा समाचार संपादक राघवेंद्र चढ्ढा खुद हुआ करते थे। यह खबर न छापने के बाबत जब पड़ताल की गयी तो कुछ मनोरंजक तथ्य हाथ लगे।

दरअसल, कर्मचारी मुद्दे को लेकर समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन और काशी पत्रकार संघ ने जागरण सहित बनारस के सभी अखबारों को भविष्य निधि और श्रम नियमों के उल्लंघन मामले में संबंधित विभागों में घसीट रखा है। बाकी अखबारों ने तो इसे सामान्य घटना मानकर स्पोर्टिंग्ली लिया, पर जागरण ने इसे प्रेस्टिज बना लिया। परिणाम यह हुआ कि उसने न सिर्फ काशी पत्रकार संघ से संबंधित प्रेस कान्फ्रेंसों बल्कि उसके समस्त कार्यक्रमों में अपने कर्मचारियों की मौजूदगी पर रोक लगा दी, अपितु अपने सभी 47 पत्रकारों को काशी पत्रकार संघ और उसके अधीनस्थ चल रहे प्रेस क्लब की सदस्यता से इस्तीफा दिलवा दिया।

यही कारण है कि जागरण ने अपनी सच्ची खेल भावना का परिचय देते हुए सबसे पहले मीडिया क्रिकेट की खबर पर रोक लगा दी। बाद में जब जागरण के बड़ारू को लगा कि उनका बच्चा अखबार तो यह खबर छाप रहा है तो गांधीनगर मठ के जोर देने के बाद उस पर भी रोक लगा दी गई। अब दोनों ही अखबारों के पाठक काशी पत्रकार संघ के तत्वावधान में आयोजित हो रहे इस महत्वपूर्ण मीडिया इवेंट की खबर पढ़ने से वंचित रह जा रहे हैं। क्या यह पाठकों के सूचना पाने के अधिकार का हनन नहीं माना जाएगा?  साभार : पूर्वांचल दीप

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0 Comments

  1. Sanjay Bhati Editor SUPREME NEWS

    December 20, 2010 at 8:58 am

    jagran media me apni tanashahi ko manvane ke liye ase akhbaro ko to band karvana chahata hai jo uski marji ke khilaf ya jagran k khilaf khabar chapte hai jagran walo ka bas chale to ye logo k sar kalam karva thega . aap jagran se virodh karne walo ki achi kabro k prkashan ki ummid karte ho . dusre jagran wale to police, parshasan,or noida- greater noida pradhikaran k adhikario k sath cirket khelte hai jise adhakario se satgat karne k liye mahol to banta hai patrkaro k sath khelne or patrkaro k khel ki khabro se kya labh . SANJAY BHATI mo. no 9811291332

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