यशवंतजी, मेरा नाम मनोज कुशवाहा है. मैं, रामब्रजेश पाल, शैलेंद्र झा, टीएन नकवी और भारत सिंह भूषण दिल्ली से प्रकाशित हो रहे एक दैनिक अखबार में काम करते थे. नवभारत, ग्वालियर का डीटीपी स्टाफ वेतन को लेकर 15 दिन का हड़ताल किया और अखबार छोड़कर भोपाल चला गया. इसके बाद 9 सितम्बर को नवभारत, ग्वालियर के संपादक श्याम पाठक का फोन हमारे पास आया.
फोन पर उन्होंने कहा कि आप पांच लोग कल से हमारे यहां चले आओ. मेरा अखबार निकालना है. कैसे भी निकालो सेलरी की चिंता मत करो. आपको सेलरी प्रत्येक 10 तारीख को मिल जाएगी. आप चाहे तो एडवांस के तौर पर रुपये ले लो. जब हम उनसे मिलने गए तो उन्होंने कहा कि कल से ज्वाइन कर लो. वेतन की चिंता मत करना, मैं बैठा हूं, आपको जब भी जरूरत हो तब रुपये ले जाना.
हमलोग उनके आश्वासन पर 10 सितम्बर को अखबार ज्वाइन कर लिया. हमलोगों को काम करते पूरा एक माह हो गया, पर वेतन अभी तक नहीं मिला. हम घर के पैसे से पेट्रोल जलाकर ऑफिस काम करने आ रहे थे. हमने वेतन मांग तो कोई जवाब नहीं दिया गया. अपने साथ धोखा होने के बाद हम पांचों ने 13 अक्टूबर को सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद जब हमने श्याम पाठक से पूछा कि वेतन लेने कब आएं तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. यशवंत जी आप हमारी परेशानी को अपने पोर्टल पर जगह दें ताकि श्याम पाठक की सच्चाई तथा हमारा दर्द सबके सामने आ सके.
मनोज कुशवाहा
mrmanoj1010.955@rediffmail.com
Comments on “”नवभारत के श्याम पाठक ने हम पांचों के साथ धोखा किया है””
Nvabharat me ashutish srivastav jaise log adhikari hain ,to yahi sab hoga na…. akhbar badh nahi raha ,na hi growth ki taraf dhyan hai…ab staff ke salary hi marenge na..
bhai apako apane sathiyan ka bhi khyal rakhana tha, jo unhe thokha de sakata hai to bhir app ko kya nahi
Shyam Pathak ( BACHCHA PATHAK ) chor hai..wo aisa hi kam karta hai.