निशंकनामा पढ़ेंगे तो आप भी शरमा जाएंगे

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दीपक आजाद
दीपक आजाद
देहरादून। पैसे लेकर खबरें छापना यानी पेड न्यूज सिंड्रोम को लेकर मीडिया घरानों पर आलोचनाओं का कोई असर होता नहीं दिख रहा है। जाति-धर्म की संकीर्णताओं से लेकर सत्तासीनों की चाटुकारिता से आगे बढ़कर अखबारों में बैठे चारणाभाट अब नंगई पर उतर आए हैं। चाटुकारिता के स्पेशल पेज छापे जा रहे हैं, बिना कहीं एडीवीटी लिखे।

उत्तराखंड में देहरादून से प्रकाशित राष्ट्रीय सहारा ने आपदा पीडि़तों की आड़ में मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की ऐसी भांडगिरी की कि उन्हें मसीहा की उपाधि से नवाज डाला। ”मुसीबत से मारे लोगों को मिल गया मसीहा” नाम के मुख्य शीर्षक से निशंक की ऐसी चरणवंदना की कि बंददिमाग आदमी तो आदमी, कुत्ता भी शरमा जाये। दैनिक अखबार राष्ट्रीय सहारा ने 17 अक्टूबर के अंक ‘फोकस’ नाम से आपदा से जूझ रहे लोगों के जख्मों पर ऐसा नमक छिड़का कि ”कवि हृदय” लेकर पैदा हुए मुख्यमंत्री भी इस सहारापुराण से खुद के भगवान होने का भ्रम पाल सकते हैं।

सहारा ने उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा में मुख्यमंत्री निशंक के कवि हृदय संवेदनाओं को सूली पर चढ़ाते हुए एक पूरा पृष्ठ ही अपनी काहिली और उनकी बहादुरी को समर्पित कर डाला। दुनिया में किसी भी सत्ता के शीर्ष पुरुष के यशोगान में लिखे ऐसे अखबारी शब्दावली किसी को भी अपना खुदा होने का दंभ पालने के लिए काफी है। इस मामले में भारत जैसे देश में ही कोई मुख्यमंत्री अपने हमपदवी कुर्सी पर विराजमान निशंक से इर्ष्या कर सकता है। आखिर उनके पास ऐसा कौन से सम्वेदनाओं से लबालब कवि हृदय है जो अखबारी संपादकों को इतना प्रफुल्लित कर बैठता है कि सारी सीमाएं बेमानी लगने लगती हैं।

‘संकट में हम सफर’, इस सब हेडलाइन से सहारा कहता है- ”19 सितंबर को रविवार होने के बावजूद मुख्यमंत्री सचिवालय पहुंचे और शासन के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की। प्रदेश जब प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहा था, तब मुख्यमंत्री प्रभावितों तक पहुंचने का यत्न करते रहे। पीडि़तों के बहुमूल्य जीवन को बचाने का मकसद लेकर मुख्यमंत्री हर सुबह प्रभावित क्षेत्र तक जाते और किसी की सांस उखडऩे से बचा लेते। प्राकृतिक आपदा के तांडव में रेसक्यू मैन मुख्यमंत्री अपना जान की परवाह किए बिना खराब मौसम और क्षतिग्रस्त सड़क की बाधाओं को पार करते हुए पीडि़तों के बीच पहुंचते रहे….।”

अब यह तो राष्ट्रीय सहारा के स्थानीय विद्वान संपादक महाशय ही जानते होंगे कि सीएम ने कितनों की उखड़ती सांसों को जीवनदान दिया। अखबार ने इसके अलावा भी निशंकनामे में ऐसे कई हेडलाइन और क्रॉसर दिए हैं जो बताते हैं कि शीतल शाहब शायद किसी कर्ज को चुकता कर रहे हैं। मसलन, ”पीडि़तों तक पहुंचे जनता के खेवनहार”, ”टिमटिमाने लगीं सालों से बुझी उम्मीदें”, ”मौत से जूझते लोगों के लिए बने फरिश्ता”,  ”कुदरत का कहर देख पलकें नम”, ”लोगों के दुख देखकर छलछलाई आंखें” जैसी शब्दालियों से कर्मकांडी चरणवंदना कर सारे पुण्य-पापों का हिसाब चुकता किया गया। इन सारे धतकर्मों के बावजूद यह भी सब अंधेरे में ही है कि इस निशंकनामे से मिला धन सहारा के खाते में गया या फिर किसी और के।

राष्ट्रीय सहारा में प्रकाशित 'फोकस' नामक विशेष पेज : ये पेड न्यूज है या रीयल न्यूज?

खैर, एक मुख्यमंत्री का गुणगान करती इस सहारावाणी से सहारा से जुड़े पत्रकारों के एक तबके में असंतोष है। लेकिन दूसरी तरफ आपदा प्रबंधन की असफलताओं को लेकर दूसरे बड़े अखबारों और मंझोले पत्र-पत्रिकाओं में सरकार की काहिली की ओर इशारा करती रिपोर्ट छपने से सरकार चला रहे भाजपाई भी असहज वाली मुद्रा में हैं। इस तरह की खबरें भाजपा के लिए भी परेशानी का सबब बन रही हैं। मदद की आस में दिन काट रहे आपदा पीडि़तों को यह सब उनके जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा लग रहा है। अलबत्ता, पत्रकारिता के नाम पर सहारा जैसे बड़े मीडिया घराने की इस वेश्याकारिता से भाजपा या निशंक को कितना फायदा या नुकसान होगा, यह बात दीगर है, लेकिन पत्रकारिता में इस तरह कलमवीरों का नंगईनामा तो बेपर्दा हो गया। निशंक को मसीहा और फरिश्ता जैसे उपाधियों से उपकृत करने वाली सहारा की मंडली फिलहाल तो अमृतपान में मस्त है और निशंक किसी और जगह किसी दूसरे निशंकनामे की स्क्रिप्ट तैयारे करने में।

लेखक दीपक आजाद हाल-फिलहाल तक दैनिक जागरण, देहरादून में कार्यरत थे. इन दिनों स्वतंत्र पत्रकार के रूप में सक्रिय हैं.

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Comments on “निशंकनामा पढ़ेंगे तो आप भी शरमा जाएंगे

  • दिपक जी आपके हौसले को मेरा सलाम! निशंक वन्दना मुख्यमंत्री जी के लिए कोई नया खेल नहीं है, वे इस तरह की वन्दना करवाने के आदी है। इस से पूर्व भी 2002 के विधानसभा चुनाव में भी युगवाणी के सम्पादक श्री संजय कोठियाल, निशंक वन्दना कर चुके है, युगवाणी के फरवरी 2002 के अंक में छपी इसी तरह की चरण वन्दना ‘‘भा.ज.पा. की नैया के खेवन हार निशंक‘‘ ने भाजपा की नैया ही डुबो दी थी, अब 2010 में छपे इस विज्ञापन से जनता क्या निर्णय लेगी देखते है। पर थावर चंद गहलोत जी सावधान।
    जनता बेवकूफ नहीं है।

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  • अमित गर्ग. जयपुर. राजस्थान. says:

    आज कल पत्रकारों को चरण स्पर्श की बीमारी सी लग गयी है. तभी तो आगे बढ़ेंगे. काम नहीं हो रहा तो कोई बात नहीं चाटुकारिता तो मज़े से कर ही लेते हैं.

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  • narayan pargain says:

    hi deepak ji aap ka alakh pada kafi had tak thik tha lakin ak baat sai mai sahmat nahi hu ki jis tarah shabodd ko likh gaya hai wo cm ki chavi ko prabvat karta hai aur aap bhi to ho patrkar

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  • यशवंत जी आपने बिलकुल ठीक लिखा है……निशंक जी ने पुरे के पुरे पहाड़ बेच डाले, नेशनल चैनल्स ने भी खूब जमकर दिखाया लेकिन निशंक का कुछ नहीं बिगाड़ पाए. रिजनल मीडिया तो निशंक जी ने पूरी तरहां खरीदा हुआ है. आज तक चैनल ने hydro का बड़ा खुलासा किया था इन्होने हाई कोर्ट से परियोजनाओ को ख़ारिज करे जान छुड़ाई थी…… आजकल ऋषिकेश के एक जमीन मामले में फंसे हुए हैं देखते हैं क्या होत्ता है

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  • I think in this news there is a concept of [b]pink-journalism[/b] within. U may call it paid-news too..but the mode of payment can be differ in many ways like advertisement, good books and other benefits personal or company manner. Mr CM can be a good poet, leader or administrator..but not “ Masahiya”

    He is a public-server and public is consumer in every manner. [b]Did he spend single rupees from his own pocket,[/b] I don’t think so. My friends [b]it’s are money from are paid-taxes and we are the real consumer at the front of every government[/b]. We are not bagger, it’s our right. When I was studying in north campus of DU, our teachers use to taught us that Neta can be noble and called statesman but [b]no on one can be the father of a nation because nation is above all[/b] – as per the Mr. Gandhi himself said. Always keep in your mind that [b]we live in a welfare state..Not in a Oligarchy!![/b]

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  • राहुल says:

    ”पीडि़तों तक पहुंचे जनता के खेवनहार”, ”टिमटिमाने लगीं सालों से बुझी उम्मीदें”, ”मौत से जूझते लोगों के लिए बने फरिश्ता”, ”कुदरत का कहर देख पलकें नम”, ”लोगों के दुख देखकर छलछलाई आंखें” इस निशंकनामें को पढ़कर लगता है कि UK की जनता रामराज्य में जी रही है। हो सकता है मुख्यमत्रीं असमे में इतने अच्छे हो..लेकिन क्या हम आज भी किसी निशंकी राम को राजा और खुद को प्रजा माननें को तैयार है..मेरे ख्याल में तो नहीं, हम भारत के लोग आजाद जनता है..गुलाम प्रजा नहीं। लोकतंत्र में ताकत और हुकूमत लोक की ही होनी चाहिये और अगर सहारा की तर्ज पर निशंकजी भी खुद तो निरंकुश मसीहा माननें लगे..तो यें बीजेपी सरकार की जीत हो सकती है..जनतंत्र की नहीं..। आखिर सत्ता-पैसा और सरोकरा आपका है – किसी सीएम की खैरात का नहीं..।

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  • smily raturi , dehradun says:

    sach kaha deepak ji aapne ..Nishank ke raaj me jahan maha ghotalon ka vyappar charam per hai aur har jagah bhajpa sarkar ki tthoo tthhoo ho rahai hai, wahin per har bada samachar patr sarkar ki bhaandgiri me utar aaya hai..abhi kuch din pahle hi dainik jagran ne front page per ek khabar chhapi ki ‘ taiyar hai mukhiya ji ka aashiyana.” aaj tak mukhiya ka aashiyana aur wazir e aajam shabd tto sunte aaye tthe lekin mukhiya ji shabd pahle page per sabse upar kabhi nahi padha ttha…doosri baat ye ki lekh padh ke estuti jyada lagti hai lekh kam..jahan sooba shok me dooba hai aapda ke wahan mukhiya ne naye aashiyane me hawan kara ke jaane ka mann bana liya, iss per ungli uthane ki bajay nishank ki charan vandana, kuch tto khaas hai, chahe wo nishith joshi se juda maamla ho jiski wajah se amar ujala munh nahi kholta, chahe atul bartaria ko bureau pramukh se hatwane ke liye kushal kothiyal ke prayaas , sare samapadak aaj baalti me paani bhar rahe hain nishank ke aangan me aur uzrat kama rahey hain…aise me uttarakhand me bhajpa ka tto bhavishya andhkarmay hai hi, sath hi bade media houses se bhi janta ka aitbaar utttha hai ‘…

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  • Sanjay Nagpal says:

    Bhai Azad ji,
    Vastav me Media dwara hi Sarkaaro ki Stuti gaan karna,4th Stambh ka apmaan karna jaisa Kaam hai,Kintu purn roop se Vyavasaik ho rahi Patrakarita ka ye nayaab Udhaaran bhi hai. Mai to kahunga ki Patrakarita hi mauka parast ho chuki hai, Yadi Desh ke Development ki jagah kuch Swarth parakh Log eaisa Kratya karte hai to vo bahut SHARAM NAAK hai…

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  • akash sharma says:

    देहरादून में तो आजकल दलाली करने व चाटुकारिता करने निशंकी झूठी तारीफें करने वाले एकत्र हो रहे हैं। बड़ी शर्म की बात है। बाहर से आये कुछ पत्रकारों ने इसे ओर भी बढ़ा दिया है।

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  • Virendra Singh says:

    Azad Ji
    True to say, media should raise the voice of people. That is why it is called fourth estate of democracy. But at the same it should also commend the welfare works and good works of the government. If a daily newspaper highlights the notable relief and rescue operation launched under the leadership of the Uttarakhand Chief Minister, it should also be publicized. The reader of news paper likes to know whatever is going on in the state. May it be bad or good. The news paper is not meant for publishing only ‘bad news’, as people think of. It should, if it is in the interest of people. When Edmund Burk termed the ‘Press’ as fourth estate of the democracy, he meant that its should stand as watchdog of public rights.

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  • ram_s1@yahoo.co.in says:

    निशंक जी के कारनामो का सिलसिला यंही खत्म नहीं होत्ता, कुछ दिन पहले ये हिंदुस्तान के स्थानीय संपादक दिनेश पाठक को आपदा के दौरान पहाड़ का दौरा करने साथ ले गए थे मजे की बात ये है की साथ में कोई कैमरा या कैमरामैन नहीं था……… तो क्या ये उन्हें हवाई दौरा कराने ले गए थे…….. वाह!! निशंक जी वाह!! पाठक जी…….. आपदा के नाम पर उत्तराखंड की भोली, मासूम जनता के पैसे पर हवाई दौरे

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  • ram_s1@yahoo.co.in says:

    Pargain जी आप भी उन्ही चाटुकारों में से एक हैं जो नेताओ के तलुवे चाटते हैं………आपको दीपक की भाषा से बड़ी तकलीफ हो रही है

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  • PARGAI KA COMMENT PAD KER BAHUT DUKH HUA, IS PAD KER LEGTA HAI YA TO PAGAI JI KO PATERKARITA CHOD DENI CAHIYE , YA MUJHE HI IS BARE MAIN KUCH SOCNA PADEGA KI PATERKARITA KARU KA CARAN VENDNA KERNE WALO KE SATH RAHU

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  • Deepak bhai bahut bahut dhanywad…

    Janpaksh ke editor Charu Tiwari Ji ne apne colum me bhi is baat ko rakha hai.. is abhiyan mai aap akaile nahi hai…pahad ke sarokaro ke patrakaar abhi Jinda hai…

    [img]http://i244.photobucket.com/albums/gg3/mohan24aug/CharuTiwaricopy.jpg[/img]

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  • yogesh bhatt says:

    syabas deepak…….kam sy kam tumny yeh himmat to jutai…aaj tak mainy kisy bhi portal par koi comment nahi diya laikin na jany kyo aisa lag raha ki ek antheen sy banty ja rahy saisily ko todna hoga. sawal nisank aur media ky kuch chatukaro ka nahi hai….sawal hai systum ka…akhir yeh faraib kab tak chalyga….akhir kahi na kahi to javab daina hoga….mujy pash ki ek kavita KATIL ky panktiya yad aa rahi hai.

    “yeh bhi sidh ho chuka hai ki insani sakal sirf CHAMCHY jaisy nahi hoti, balki dono talvary pakdy lal ankho wali kuch murtiya bhi mom ky hoti hai, jinhy halka sa saik daikar koi jaisy sanchy mai chahy dhal sakta hai…….”

    yeh panktiya samarpit un kAGJI SAIRO ky nam jo ya to kagaj ky tukdo par SAIR banaty hai aur jo sirf kagaj par hi SAIR banny ki jugat mai jiy jaty hai…..unhy bhi yeh panktiya samrpit hai jinhy khud ky bary mai mashia banany aur mashiha hony ky galatfhami hai….

    sach to yeh hai ki aap na to “TEER” hai aur na hi “TALWAR”
    aap aaj “SEELAN BHARI DEEWAR KY BHEETAR KY DO SURAG HAI”
    jinmy sy deewar ky pichy ka saitan apna difence daikhta hai.
    aap to “GAIHU KI KATAI MAI GIRY HUY CHANY HAI”
    aur mitty nai aapka bhi hisab karna hai
    aap to ek thokar bhi nahi “APKO SAYAD APNY ASTITAV KA BHRAM HAI”

    Reply
  • दिपक जी आपके हौसले को मेरा सलाम! निशंक वन्दना मुख्यमंत्री जी के लिए कोई नया खेल नहीं है, वे इस तरह की वन्दना करवाने के आदी है। इस से पूर्व भी 2002 के विधानसभा चुनाव में भी युगवाणी के सम्पादक श्री संजय कोठियाल, निशंक वन्दना कर चुके है, युगवाणी के फरवरी 2002 के अंक में छपी इसी तरह की चरण वन्दना ‘‘भा.ज.पा. की नैया के खेवन हार निशंक‘‘ ने भाजपा की नैया ही डुबो दी थी, अब 2010 में छपे इस विज्ञापन से जनता क्या निर्णय लेगी देखते है। पर थावर चंद गहलोत जी सावधान।
    ‘‘निशंक जी जनता बेवकूफ नहीं है।

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  • Sujeet Negi says:

    हम सभी उस दिन को कैसे भूल सकते हैं जिस दिन राज्य में आपदा से सबसे अधिक मौते हुयी थी और दूसरी तरफ निशंक जी ने अपने घर पर अपनी कैबिनेट के विस्तार की दावते भिन भिन व्यंजनों के साथ उड़ाई थी……. क्या निशंक जी को नहीं मालूम था की दिन में ४ दर्ज़न से अधिक मौत हुयी हैं…….. और अगर सूबे के मुखिया को ये भी नहीं मालूम था तो इस्तीफ़ा दे दे……. और अगर मालूम था डूब मरे

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  • दीपक तुमने कहा की “”आखिर उनके पास ऐसा कौन से सम्वेदनाओं से लबालब कवि हृदय है जो
    अखबारी संपादकों को इतना प्रफुल्लित कर बैठता है कि सारी सीमाएं बेमानी लगने लगती हैं””

    दीपक निशंक जी पास जनता का लूटा हुआ वो पैसा है जो वो दिन रात इन चाटुकार संपादको में बांटते है

    Reply
  • दिपक जी आपके हौसले को मेरा सलाम! निशंक वन्दना मुख्यमंत्री जी के लिए कोई नया खेल नहीं है, वे इस तरह की वन्दना करवाने के आदी है। इस से पूर्व भी 2002 के विधानसभा चुनाव में भी युगवाणी के सम्पादक श्री संजय कोठियाल, निशंक वन्दना कर चुके है, युगवाणी के फरवरी 2002 के अंक में छपी इसी तरह की चरण वन्दना ‘‘भा.ज.पा. की नैया के खेवन हार निशंक‘‘ ने भाजपा की नैया ही डुबो दी थी, अब 2010 में छपे इस विज्ञापन से जनता क्या निर्णय लेगी देखते है। पर थावर चंद गहलोत जी सावधान।
    ‘‘निशंक जी जनता बेवकूफ नहीं है।

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  • gajesinghbisht says:

    maja aa gaya guru. ye madari wale ke jamure hia deepak bhai.ye chatukarita ka paath path kar aaye hai.ye dhug dhugi bhajakar sabko nchana chahte hai.talwe chatkar hi inka pat bharega. gaje singh bisht rajsthan

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  • naveen from dehradun says:

    Deepak Ji Aapne thik kaha. darasal bjp wale to yahi karte hain aap lok shabha chunaw me bhi dekh chuke hain paid news ka role. newspaper walon ne harish rawat ko haridwar mein third position mein dikhaya tha, lekhin waha khud to jete hi anya sansad bhi jete. akhbar mein to wahi chapta hai jo neta chate hain. paisa bolta hai, lekhin sahra jaise newspaper mein nishank charnbana dekh bahut dukh hua.apne jo likha us himmat ke liye bhahut bahut bhadhai.
    naveen dehradun

    Reply
  • hi deepak ji aap ka alakh pada is pradesh main kya ho raha hai nisank ji na apna ash paas yse logo ko rakha jo ander hi ander nisank ji or is pradesh ko khatm kar rha hai jo unka apna hai unko khude jhudha aarop laga kar khude se dur kar liya hai . nisank ji ka paas abhi bhi samay hai apna dil se is pradesh ka bare main soche or apno ko apne paas laye jin me kabiliyat bhi hai or faithful bhi. uttrakhand bhi gujrat ho jayega.

    Reply
  • Shankar Thapliyal says:

    Ye Narayan Pargaygain aaj aapne ko bada Patrakar bata raha hai aur patrakaron ko rasta dikhana chah raha hai ye luch hi samay pahle ek Akhbar ka dehardun main hawkar tha , Dehradun main ise kai log hain jo aaj hawkar se patrakar ban baithe hain, Enki mansikta kya hogi ye aap log jante hi honge, Abhi kuch din Pahle Inhe Janab ne Dehradun Media Centre se Mukhya mantri Nishik ke khilaf ek samachar Bhadas par load kiya tha Jab Sarkar ne eski janch ki to pata chala ki ye to Narayan Pargain ne hi Likha to Pargain sahib CM ke kai Darbariyon se Safai dete phire ki unhone hi likha aur kiske kane par wo likha wo bhi pata chal gaya , Bhai Ye to Darpok hai aap jan hi sakte hain ki hawkar main kitana Dam hoga jo wo patrakar ka mukabla kar sake

    Reply
  • kumar singh says:

    मित्रों मुझे लगता है,आप लोग पत्रकारिता में कम और ऐसे काम में या इस तरह एक दूसरे की खिचायी करने में आप लोग ज्यादा ध्यान लगाते है…मैं एक फोन की दुकान चलाता हूं….पत्रकार लोगों से मिलना बहुत अच्छा लगता है…टीवी देखने का मुझे बहुत शोक है…लेकिन सिर्फ विनोद दुआ जी के पढ़ते हुए देखना अच्छा लगता है…मुझे नहीं मालूम ये निशंक कैसे मुख्यमंत्री है,लेकिन मैने सुना हैं कि जिन पत्रकारों को मुख्यमंत्री मदद नहीं करते वह उसके ऐसे ही कपड़े उतार देते है,शायद यहां भी आप लोग ऐसा ही कर रहे है,आज हमारे देश में कई लोग भूखे मर रहे है,अमीर लोग मजदूरों का शोषण कर रहे है,देश में हर रोज हमारी बच्चीयों के साथ रेप हो रहे है,हमारे अपनों की हत्या की जा रही है,लूट-मार की ख़बरे भी आप देखाते ही है,लेकिन अखबार की छोटी सी जगह पर और टीवी में कुछ सैंकिड के लिए। फिर आप कहां से ईमानदार है,आप कहां आम आदमी के साथ न्याय कर रहे है। सरकार कहीं की भी हो,मुझे लगता है,उसके माध्यम से भले ही थोड़ा हो लेकिन भला तो किसी न किसी का हो ही रहा होगा। आप अपने गिरैबान में एक बार झांक मित्रों की आप यह कौन से पत्रकारिता कर रहे है,मैं एक आम आदमी है,भाड़सा पर सप्ताह में एक बार आप लोगों की खीच-तान देखता हूं तो मुझे शर्म आती है,जब आप लोग अपने आपस के लोगों के ही मुददे नहीं सुलझा पाते तो,हम अपनी दुखों में आपको कैसे शामिल करें,या आप पर कैसे विश्वास करें,कई बार लगता हैं आप भी दिल्ली और उत्तर प्रदेश जैसे हो गए हो,जो बिना पैसे लिए कुछ करते ही नहीं,या फिर किसी सरकारी अफसर के बाबू,
    मित्रों में आप लोगों से क्षमा मांगता हूं,यदि मैने कुछ गलत कहां हो,लेकिन मेरी समझ जहां तक है,मुझे लगता है,ये पत्रकारिता तो नहीं है,ये तो धंधा है…धंधा…लेकिन इससे नुकसान तो आप लोगों का ही हो रहा है….कुमार सिंह

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  • Anil Balooni says:

    ख़बरदार होशियार!! अगर किसी भी पत्रकार ने महामहिम निशंक जी पर कोई कमेन्ट किया तो उसके और उसके परिवार के खिलाफ फर्जी एस/एस टी एक्ट में मुक्कदमा दर्ज कर दिया जायेगा….. या फिर किसी अन्य मामले में फंसा दिया जायेगा और ये चाटुकारों की फ़ौज आग में तेल डालने का काम करेग. अगर इस सबके लिए तैयार हैं आओ उत्तराखंड को भयमुक्त बनाओ…….जय उत्तराखंड

    Reply
  • अरे एक चीज तो बताना भूल ही गया……दुधिया बाबा जिसको अभी निशंक जी ने 8 एकड़ जमीन कौड़ियो के दामो पर दे डाली…… ये ही नहीं ऋषिकेश के चिदानंद को भी गौन्शाला के लिए कई एकड़ जमीन दे डाली.. अरे हाँ एक बात और….प्रभातम कंपनी..अब ये मत पूछना की कौन… वोही जिसे कुम्भ मेले में मीडिया सेंटर का काम मिला था भाई उत्तराखंड Roadways की १००० बसे और सभी बस अड्डो पर विज्ञापन के लिए ३ साल का टेंडर मात्र ३ करोड़ में जी हाँ सिर्फ ३ करोड़ में…. अब खेल समझिये…
    उत्तरखंड Roadways की बसे वापस विज्ञापन हेतु सरकार को चौगुने दामो पर… जैसे की हैल्थ, टुरिज्म, शिक्षा जैसे विभागों को……. यकीन नहीं हो रहा न… तो भैया आर टी आई लगा लो… हाथ कंगन को आरसी क्या

    चलिए एक और खुलासा कर देता हूँ.
    जब ये हैल्थ मिनिस्टर थे तो इन्होने अपने श्यामपुर के आयुर्वेदिक कॉलेज जिसे इनकी बेटी चलती है, अपनी करीबी निदेशक से एन .ओ . सी दिला डाली…अब कहेंगे की इसमें बुरा क्या है. जी Uttarakhand कर्मचारी नियमवाली में लिखा है की अगर आप अपने किसी सगे सम्बन्धी का काम करते हैं तो आपको बताना पड़ता है, नोटिंग करनी पड़ती है की मेरा सगा सम्बन्धी है…… आप कहेंगे निदेशक इनकी रिश्तेदार कहाँ से हुयी…..जी जो आयुर्वेदिक कॉलेज है न जी उसमे निदेशक के पति ट्रस्ट के अध्यक्ष पद पर हैं जी जांच तो खंडूड़ी जी ने करा ही दी थी लेकिन कुछ नहीं कर पाया कोई…

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  • Ankit Semwal says:

    अबे टेलेफोन की दूकान चलने वाले, फर्जी कुमार सिंह, ये कैसा नाम हुआ कुमार सिंह……….. तुम भी कोई पत्रकार ही हो लेकिन कहीं फट न जाये इसलिए फर्जी नाम से कमेन्ट कर रहे हो…..दूकान टेलेफोन की चलते हो बात दुनिया की समझाते हो चिरकूट…….तुम भी हो तो कोई न कोई सी एम् के चाटुकार ही……ही ही हे हे

    Reply
  • अपने को ठगा सा महसूस करता इंसान says:

    प्रिये भाई लोगो, सादर वंदना. आप लोग बिलकुल भी नहीं डर रहे हैं.ऊपर बलूनी जी ने कहा है की मुक्कदमा दर्ज हो सकता है, आप फिर भी बेधड़क होकर लिखे जा रहे हैं.. लगता है की ये एक आन्दोलन की शुरुआत की चिंगारी है, जैसा की उत्तराखंड के निर्माण के लिए हुआ था. तीर से न तलवार से, भ्रष्ट डरता है तो सिर्फ पत्रकार से….
    भाई लोगो मेरा निवेदन है की आप सब भी मिलकर रहे हैं. एक दुसरे के सुख दुःख में काम आये. हमारी कौम में परेशानी ये ही है की हम अपनों की ही जड़े काटते हैं.. और उसका फायदा ये भ्रष्ट नेतागण उठाते हैं… कसम खाओ की आज से सभी पत्रकार बंधू एक दुसरे के साथ कंधे से कन्धा मिलकर खड़े होंगे
    क्या हमने उत्तराखंड इस लिए बनाया था की ये नेतागण इससे बेच डाले. शराब माफिया यहाँ आकर हमारी संपदाओं का बलात्कार करे. जल विद्युत् परियोजनाए बांटी जाती हैं तो १००० मेगावाट में से हम ७ स्थानीय लोगो को क्या मिलता है मात्र ३.५ मेगावाट.. और एक ही परिवार के अनिला महाजन और उसके पति ललित महाजन और उनकी कंपनी साईं इंजीनियरिंग को २२५ मेगावाट. अमित मोदी एक साथ १० कंपनियों में निदेशक बन प्रदेश की ३०० मेगावाट बिजली लूट लेता है. ये हम लोगो के साथ खिलवाड़ नहीं है तो और क्या है. दुधिया बाबा के बारे में ऊपर रिया ने लिखा की करोड़ो की जमीन कौड़ियो में दे डाली, पहाड़ में १ नाली जमीन के लिए जुते घिस जाते हैं गरीब आदमी के तब भी पट्टे पर जमीन नहीं मिल पाती. ठीक है हम लोग भी कम नहीं हैं लेकिन हम आटे में नमक खात्ते हैं नाकि नमक में आटा. सब जानकर भी चुप हैं तो हम भी कम भ्रष्ट नहीं हैं.. आने वाली पीढियों के साथ अच्छा नहीं कर रहे…हम उस बिल्ली की तरहां है जो आँख बंदकर के दूध पीती है और सोचती है की उसे कोई नहीं देख रहा.अब सोने पे सुहागा क्या हुआ की हमने दूध की रखवाली के लिए बिली को ही बिठा दिया.१० साल पहले पैदा हुए इस उत्तराखंड नाम के बच्चे को पोलिओ मत होने दो वर्ना हमारी आने वाली पीढ़िय कर्ज से दबी होंगी और हमे पानी पी पीकर गालिया देंगी

    अब और नहीं लिख पाउँगा, लिखते लिखते थोडा भावुक हो गया हूँ.
    कुछ बुरा लगा हो तो माफ़ करियेगा.

    Reply
  • Praveevn Kumar dandriyal says:

    क्या आपने सुना है निशंक जी भी तिवारी की राह पर चल निकले हैं. क्या है कालीदास रोड का सत्य, क्या है लाटूश रोड लखनऊ में गुजारी रातों का सत्य ?
    सुना है की आजकल सुबह ५ बजे सी एम् साहब की कार को लोगो ने कालिदास रोड स्थित एक मकान से कई बार निकलते देखा है, इतना ही नहीं सी एम् साहब की पुरानी महिला मित्र के पति पी डब्लू डी में जमकर ठेकेदारी कर माल कम रहे हैं. इतना ही नहीं प्रदेश में चल रहे एक रीजनल चैनल में भी सी एम् साहब ने इन्हें निदेशक बनवा डाला, वाह! अँधा बांटे रेवड़ी महिला मित्रो के पतियों को दे!!!!!!!
    भाई ये बनती बबली का राज क्या है, अरे वोही जो पसेफिक होटल के रूम नो. १०८ में थी. अब इन राजो के बारे में कोई बताये तो जाने

    Reply
  • gaje singh bisht says:

    are sheetal ji ko to dauad ka aijent hona chahiye tha.galti se editor ban gaye.bhai logo aajad ki pith thapthpaoge se kam nahi chalega.ab ham sab ko kalam uthani hogi.

    Reply
  • kuldeep rawat says:

    har kaam me maal kamata
    uppartak hi ye pahunchata
    marata hi tadi tadi leta lakdi padi- padi
    kavita dujo se likhwata
    doctreat ki degri pata
    bateai karta badi badi
    leta lakdi padi padi
    roj katora le kar ghumea
    der der ke khak ye chumea
    danveer ke rat chadi
    leta lakadi padi padi
    ankhodo ka ye kheel khele
    lagh raha janta ko teel
    janta socheea ghadi ghadi
    leta lakdi padi padi

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  • kuldeep rawat says:

    deepak bhai me aap ko warning de raha hu aap jaldi se nisank jee ke talwee chaat lo nahi to anzaam ke jimedaar aap khud hongee yaad karo
    DANIK -PRABHAT {evening-news paper} ke saath kya huwa tha 10—15 din tak office me tala jad diya gaiya tha baki aap ki marji

    KULDEEP RAWAT
    PAURI GARHWAL

    Reply
  • depak ji manay aap ka leakh paada aacha tha par parveen dandriyal ji nay bhi ek aacha swaal poocha hain ;D jiska jawab toh kisi ko dena hoga ? chalo parveen bhai dhay khay aap kay jawaab kabb miltaa hain ?

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  • salil barthwal says:

    Riyaji ap nar hain ya nari ye to bata dijiye. Nam likhti hain riya aur likhte hain BATANA BHOOL GAYA . Kya ye mane ki namo ki tarah baten bhi farji hain ?

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  • mohit agrarwal says:

    Akhir patrakar aisa kam karte he kyon hain ki unpar jhootha(?) mukadma dair karne ki naubat aye. Agar vo nirbhik aur sammanjanak patrakarita karna chahte hain to satta ke lobh aur usse milne vale labhon se door rahen. Lekin patrakaron ka to ajkal ye hal hai ki swayam sheeshe ke gharon me rahkar doosre par patthar uchhalte hain.

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  • Nishank ka cabinet vistar to sabko yad hai lekin apda ki ghadi me satpal maharaj ka apna janmadin dhoom dham se manana kisi ko dikhai nahi diya. patrakarji is par bhi thodi si kalam chalaiye varna lagega ki ap bhi mota return gift liye baithen hain maharajji se.

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