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निशंक की तानाशाही और बड़े अखबारों की नंगई

उत्तराखंड में सीएम रमेश पोखरियाल निशंक के आगे बड़े मीडिया घराने दुम हिला रहे हैं। निशंक जैसा चाहते हैं, नाम के ये बड़े अखबार उन्हीं के इशारे पर तय कर रहे हैं कि उन्हें अपने पाठकों को कौन खबर देनी है, और किसे छुपाना है। पत्रकार उमेश कुमार के घर की कुर्की प्रकरण इसका ताजा उदाहरण है। अमर उजाला और दैनिक जागरण, दोनों ने ही चार जून को देहरादून में हुई इस पुलिसिया कार्रवाई की कोई कवरेज नहीं की।

उत्तराखंड में सीएम रमेश पोखरियाल निशंक के आगे बड़े मीडिया घराने दुम हिला रहे हैं। निशंक जैसा चाहते हैं, नाम के ये बड़े अखबार उन्हीं के इशारे पर तय कर रहे हैं कि उन्हें अपने पाठकों को कौन खबर देनी है, और किसे छुपाना है। पत्रकार उमेश कुमार के घर की कुर्की प्रकरण इसका ताजा उदाहरण है। अमर उजाला और दैनिक जागरण, दोनों ने ही चार जून को देहरादून में हुई इस पुलिसिया कार्रवाई की कोई कवरेज नहीं की।

दैनिक हिन्दुस्तान ने पांच जून के अंक में सिंगल कॉलम की खबर दी, पर उसने भी उमेश कुमार की पत्रकारीय पहचान छुपा दी। इन तीनों ही प्रमुख अखबारों के सात जून के अंक में उमेश कुमार को ईनामी बदमाश घोशित करने का पुलिसिया विज्ञापन फोटो के साथ प्रकाशित किया गया है। इस पूरे प्रकरण पर उमेश की मां आत्मदाह की धमकी भी दे चुकीं हैं, लेकिन यह खबर भी ये सभी अखबार हजम कर गए।

यहां तक कि कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत ने अपनी प्रेस में भी निशंक पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाते हुए जमकर खिंचाई की, लेकिन अखबार और चैनलों ने इसे भी खबर नहीं बनाया। जब अखबार अपने पाठकों को एक समाचार एजेंसी के मालिक और मुख्यमंत्री के बीच चल रही लड़ाई की खबर देने की ताकत नहीं रखते, तो इससे समझा जा सकता है कि उत्तराखंड में किस तरह मीडिया निशंक की चरणबंदना करने में पिला पड़ा है। देहरादून से छपने वाले छोटे समाचार पत्रों ने इस पूरे प्रकरण की व्यापक कवरेज जरूर की है।

राज्य में बेबाकी से सवाल उठाने वाले पत्रकारों को आपातकाल जैसे हालातों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार ने या तो उनके विज्ञापन बंद कर दिए हैं, या फिर दमनात्मक कार्रवाई कर रही है। एक समाचार एजेंसी के मालिक के घर कुर्की की खबर अखबारों द्वारा छुपाने से पता चलता है कि राज्य के मीडिया घराने किस तरह निशंक के इशारे पर नाच रहे हैं। अगर मीडिया घराने निशंक के कहने पर काम नहीं कर रहे, तो यह कैसे हो सकता है कि पहले दिन अखबार पत्रकार के घर की कुर्की की खबर को छुपा देते हैं, और दो दिन बाद इन्हीं अखबारों में पुलिस की ओर से उमेश कुमार को ढाई हजार रूपये का इनामी बदमाश घोशित करने का विज्ञापन छप जाता है। उमेश कुमार अपराधी हैं या नहीं, अंततः इसका फैसला तो अदालत में ही होना है, लेकिन निशंक और राज्य के बड़े अखबार जिस तरह एक सुर में बतिया रहे हैं, उससे दोनों का नंगापन उजागर जरूर होता है।

देहरादून से दीपक आजाद की रिपोर्ट

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0 Comments

  1. Ramesh

    June 8, 2011 at 4:09 pm

    वाह!! दीपक पहली बार लगा की तुम में आग है, उत्तराखंड के भडवे पत्रकार हैं और पत्रकार संगठन.. पर ये तय है जिस उमेश को पुरे राज्य की एस ओ जी, एस टी ऍफ़ और तीस मारखां अधिकारी ने पूरी ताकत झोंक कर भी पकड़ नहीं पाए … उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा.. पूरी ताकत के साथ वापसी करेगा.. येही मौका है उसके साथ खड़े होने का, आज तुम उसके साथ खड़े होंगे तो कल वो आपके साथ खड़ा होगा… वो कितना सक्षम है ये तो पूरी सरकार को दिखा ही चूका है.. उमेश जी … जय हो भगवान् आपकी रक्षा करेंगे.. विजयी भव:

  2. rahul kumar

    June 8, 2011 at 7:05 pm

    kabar ko flash karna paper ka kam hai news nahi lagi to ho saktaa hai ki koi news nahi chpnaa chtaa hai is mai nisik ki baat kaha sai aa gayi deepak ji aap bhi to jagran mai tab aap nai kitani news sarkar kay khilaff likhi us ka bhi to jawab do fir ap to news ko pee jatay ho sachhi news ko liknay ki himaat dekoo jamin wali news ko likoo kab tak chupp kar rakoo gay sach ka samaa karoo bhai jasay yaswat ji kartay hai aap ki news sai sabti ho gay ki aap sach ko nahi dekna chatay

  3. raj

    June 9, 2011 at 6:16 am

    Nishank ko tanashah kahte ho to ye bhadas kya kam tanashah hai. Pichhle dino se iski ye tanashahi aur hijdapan chal raha hai ki jo bhi Umesh ke against sachhai batana chahta hai uska comment ye prakashit he nahi karte. Main bhi iska shikar hoon aur mere kai mitra bhi jo Umesh jaise patrakar ki kali kartooton ka pardaphash karna chahte the. Thu hai tum par Yashwant.

  4. faisal khan

    June 9, 2011 at 7:11 am

    dipak azad ji apne sahi likha hai ki bade akhbar tanashah ho gaye hain.aap to jante hi hain ki ye bade akhbar aur inke malik ve riporter apne aap ko turram khan samajhte hain magar kehte hain ki jiske sath upar wala hota hai uska koi kuchh nahi bigad sakta.aur rahi baat nishank ki to uski to vo halat hone wali hai ki bechara mun dikhane layaq nahi rahega is ilection mai.tab iski halat kiya hogi iska andaza iske dalle patrkar bhi nahi laga sakte magar ye dalle patrkar to hain hi dalle phir doosri sarkar ki chakri karenge kiyunki inki kismat mai sirf dalalpana aur bhadva giri hi likh di gayi hai aur rahi baat umesh ji ki to agar vo sahi hain ti bedagh nikal ayenge ghabrana kaisa..m faisal khan,,saharanpur

  5. Ramesh

    June 9, 2011 at 3:07 pm

    ये भडवा राहुल कुमार कोई और नहीं निशंक का दलाल नारायण परगयी है, यकीन नहीं आता तो इसकी ईमेल का आईपी एड्रेस चेक कर लो

  6. harsh

    June 9, 2011 at 6:52 pm

    Ramdev ne nishank k khilaf sabse pahle satyagarah shuru kar dena chahiye… uttarakhand ki is pavan dharti ko isne apne karmo se dushit kar diya hai… patrakaro ko bhii is nishank ne manage kiya hua hai…. 2012 me iske hath se satta jani tay hai…. bhajpa pta nahi kyu khandoori ko aage nahi kar rahi hai? isse laakh guna achchi satta to unhone chalayi thi…….

  7. anil gupta

    June 10, 2011 at 4:40 am

    Yashwant ji you are regularly ignoring black side of Umesh Sharma…He belong from Gaziabad, not from Uttrakhand, He is known as land graber in Uttrakhand. After 1990 we have seen thousands criminals,land graber mafia, builders has come in to media. They are missusing their media face, it is for the media to wake up timely, otherwise INDIa will see rebilion against media….Parbhash Joshi is not with us now, he was so much worried on this trend in Media. There is need of new rules for starting news channels, newspapers, news agencies, news portals, these peoples should be debared. Newspapers industry….now media is not a misson, but there must be sanctity.

    Anil Gupta

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