बीसी खंडूरी की ईमानदारी पर विकीलीक्स का तमाचा

घपले-घोटालों को लेकर निशंक की घेराबंदी करने में बीसी खंडूरी ने हर वो दांव चला जो उन्हें सीएम की कुर्सी पर पुनः बैठा सकता था। सो उत्तराखंड में भाजपा में कथित तौर पर ईमानदार चेहरे के रूप में जाने जाने वाले खंडूरी इन दिनों राज्य को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के दावे दर दावे कर रहे हैं। लेकिन खंडूरी खुद दूध के धुले नहीं है। जी हां, यह पूरी तरह सच है।

राजीव वर्मा और शशि शेखर को टका-सा मुंह लेकर लौटना पड़ा खंडूरी के यहां से!

आजकल जिन मीडिया घरानों के पास कथित रूप से पत्रकारिता का ठेका है, वे पत्रकारों को पत्रकार नहीं बल्कि दलाल बनाने में लगे हुए हैं. वे अपने संपादकों को संपादक कम, लायजनिंग अधिकारी ज्यादा बनाकर रखते हैं. ताजा मामला हिंदुस्तान टाइम्स जैसे बड़े मीडिया हाउस का है. बिड़ला जी के इस मीडिया घराने की मालकिन शोभना भरतिया हैं. उनके हिंदी अखबार के प्रधान संपादक शशि शेखर हैं.

राजेंद्र जोशी नहीं दे रहे हैं सेलरी के चौंतीस हजार रुपये

: नए लोग मीडिया में आएं तो हरामियों से निपटना भी सीखकर आएं : सेवा में, संपादक जी, bhadas4media, महोदय, चार महीनो से मैं डिप्रेशन में आ चुका हूँ. मुझे लगता है कि जब तक मैं अपनी पूरी भड़ास न निकाल लूँ, मुझे सुकून नहीं मिलेगा. इसलिए मैं आज अपनी आपबीती आपके पोर्टल के जरिये सबको बताना चाहता हूँ ताकि मेरे साथ साथ मेरे दूसरे साथी भी इस खबर को पढ़ कर हकीकत जान सकें.

खण्डूरी थे तो लोस में हारे, खण्डूरी हैं तो विस में हारेंगे!

: उत्तराखण्ड भाजपा में घमासान : बीसी खण्डूरी धनुष-बाण लिये हुए अपने प्रतिद्वंद्वी को ढूंढ रहे हैं : उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री अपनी महान उपलब्धि बताते हुए कह रहे हैं कि शासन व प्रशासन में शुचिता व पारदर्शिता लाने के लिए प्रभावी पहल की गयी है। सुराज, भ्रष्टाचार उन्मूलन व जन सेवा के नाम से अलग विभाग बनाया गया है, लोकायुक्त को और अधिक सशक्त व प्रभावी बनाने के लिए प्राविधान किए जा रहे हैं।

खंडूरी ईमानदार हैं तो जरा सारंगी के तार छेड़ कर दिखाएं!

क्या आपको लगता है कि खंडूरी कुछ अलग, कुछ नया कर पाएंगे? यह सवाल उत्तराखंड के एक पत्रकार ने मुझसे पूछा तो मैंने प्रश्नवाचक मुद्रा में सिर हिला दिया. उन्होंने संक्षेप में समझाया- ”सब सेटिंग गेटिंग का खेल है. खंडूरी और निशंक में आपसी गठबंधन है. अंदरखाने डील हो चुकी है. तू मेरी धोती ना खोल, मैं भी तुझे नहीं छेड़ंगूा. निशंक के समय में जो भ्रष्टाचार हुए उसकी किसी भी जांच में निशंक नहीं फंसने वाले, यह पहले से तय हो चुका है.

निशंक के पाप का घड़ा भरा, हर कोई विदाई गीत गा रहा

निशंकदेहरादून सरगर्म है. निशंक की विदाई के गीत गाए जाने लगे हैं. खंडूरी के खास लोग खंडूरी को फिर से मुख्यमंत्री बनाए जाने के फैसले पर बधाई लेने लगे हैं. भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने की तैयारी कर चुकी भाजपा को पहले अपने घर को साफ करना पड़ रहा है. इसी कारण पिछले महीने कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदुरप्पा को हटाने का फैसला भाजपा आलाकमान को लेना पड़ा.

उत्तराखंडी जनकवि की आडियो सीडी ”अब कथगा खैल्यू” ने उड़ाई निशंक की नींद

उत्तराखंडी जनकवि और लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी की हालिया रिलीज ऑडियो सीडी ‘अब कथगा खैल्यू’ (अब कितना खायेगा) की 2 जून से अब तक 10 हजार से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं. यूट्यूब पर इस एल्बम के कुछ गीतों के मुखडे़ अपलोड किए गए हैं. फेसबुक पर सैकड़ों लोग इसे अपनी वाल (मुखपृष्ठ) पर चस्पा कर चुके हैं. आखिर ऐसा इस सीडी में क्या है जो लोग इसे हाथों हाथ खरीद रहे हैं?

राजेंद्र यादव का हांफना और निशंक की रचना छापना

यशवंत

हिंदी पट्टी के लोगों में उद्यमिता के लक्षण कहीं दूर दूर तक नहीं होते. सिपाही से लेकर कलेक्टर तक बनने की हसरत लिए बच्चे जवान होते हैं और बीच में कहीं घूसघास के जरिए या टैलेंट के बल पर फिटफाट होकर नौकरी व उपरी कमाई का काम शुरू कर देते हैं और इस प्रकार जिंदगी की गाड़ी टाप गीयर में दौड़ाने लगते हैं.

अमित के परिजनों को दो लाख दिलाने के लिए सीएम से मिले मीडियाकर्मी

देहरादून के पत्रकारों ने शुक्रवार को उत्‍तराखंड के मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक से मुलाकात की तथा दो सूत्री मांगों का ज्ञापन उन्‍हें सौंपा। पत्रकारों ने मांग की कि दिवंगत पत्रकार अमित चौहान के परिजनों को आर्थिक सहायता राज्‍य सरकार की ओर से प्रदान की जाए। गौरतलब है कि 22 जनवरी को सीएम के एक कार्यक्रम के कवरेज के दौरान पत्रकार अमित चौहान की मौत हो गई थी।

रामदेव के भाजपा एजेंट होने की चुगली करते ये दो वीडियो

: क्या भाजपा नेताओं के इशारे पर टूटा बाबा का अनशन? : निशंक-आडवाणी और निशंक-रामदेव वार्तालाप सुनिए :  उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने मीडिया वालों के सामने फोन पर आडवाणी और रामदेव से बातचीत की थी. यह बातचीत रामदेव के अनशन खत्म होने से ठीक पहले हुई.

निशंक की तानाशाही और बड़े अखबारों की नंगई

उत्तराखंड में सीएम रमेश पोखरियाल निशंक के आगे बड़े मीडिया घराने दुम हिला रहे हैं। निशंक जैसा चाहते हैं, नाम के ये बड़े अखबार उन्हीं के इशारे पर तय कर रहे हैं कि उन्हें अपने पाठकों को कौन खबर देनी है, और किसे छुपाना है। पत्रकार उमेश कुमार के घर की कुर्की प्रकरण इसका ताजा उदाहरण है। अमर उजाला और दैनिक जागरण, दोनों ने ही चार जून को देहरादून में हुई इस पुलिसिया कार्रवाई की कोई कवरेज नहीं की।

घोटालों का पर्दाफाश करने वाला पत्रकार ढाई हजार का इनामी बदमाश घोषित

: उत्तराखंड में उत्पीड़न की इंतहा : उमेश के बहाने परिजनों को प्रताड़ना : उमेश की मां ने निशंक को हिजड़ा कहा : अजब समय है. भ्रष्टाचारी मलाई खा रहे हैं और भ्रष्टाचार से लड़ने वाले इनामी बदमाश घोषित किए जा रहे हैं. भट्ठा पारसौल में किसान आंदोलन को लीड करने वाले तेवतिया को माया सरकार ने पचास हजार का इनामी बदमाश घोषित कर दिया.

घर-घर गूंज रहे निशंक के घोटाले

[caption id="attachment_20520" align="alignleft" width="105"]नरेंद्र सिंह नरेंद्र सिंह[/caption]: निशंक की करतूतों पर लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने लांच की आडियो सीडी :  यूपी सूचना विभाग की नौकरी में रहते हुए सरकारी दमन की चिंता किए बगैर उत्तराखंड आंदोलन को अपनी आवाज देने वाले प्रसिद्ध गढ़वाली लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी की एक आडियो सीडी से इन दिनों निशंक सरकार घबराई हुई है।

मुख्यमंत्री निशंक को पत्रकार उमेश कुमार ने दी चुनौती

umesh kumarनिशंक: जितना परेशान करना हो कर लो, पर एक आंधी आएगी और तेरा सब कुछ उड़ा ले जाएगी : उत्तराखंड की भ्रष्ट सरकार जवाब दे कि क्या भ्रष्टाचार का खुलासा करना अपराध. अगर है तो मैंने ये अपराध किया है. अगर मैंने स्टिंग करके उत्तराखंड राज्य की 56 हाइड्रो परियोजनाओं को लूटने से बचाया है तो यही काम मेरा दोष व मेरा अपराध बना दिया गया है.

निशंक का न्योता- रामदेव उत्तराखंड में सत्याग्रह करें, दिक्कत न होगी

दिल्ली के रामलीला मैदान से पुलिस कार्रवाई के जरिए सत्याग्रह-अनशन खत्म कराके बाबा व उनके भक्तों को बेदखल किए जाने के बाद जो ताजी स्थिति है, उसके मुताबिक रामदेव को सेना के हेलीकाप्टर से हरिद्वार ले जाया जा रहा है.  केंद्रीय गृह सचिव जीके पिल्लई भी बता चुके हैं कि आपरेशन रामदेव के तहत बाबा को हरिद्वार भेजा जाएगा. उधर, बाबा के हरिद्वार पहुंचने की भनक मिलते ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के अंदर की राजनीतिक आत्मा जाग चुकी है.

निशंक सरकार ने घोटालों का पर्दाफाश करने वाले पत्रकार का घर कुर्क कराया

उत्तराखंड में मीडियाकर्मियों का दमन जारी है. पत्रकार से राजनेता बने और फिर सीएम की कुर्सी पर आसीन हुए रमेश पोखरियाल निशंक की सरकार में दर्जन भर पत्रकारों को येनकेन प्रकारेण परेशान किया गया है. सबसे ज्यादा अगर कोई पत्रकार सताया गया है और सताया जा रहा है तो वे हैं उमेश कुमार. एनएनआई न्यूज एजेंसी के संचालक उमेश ने निशंक सरकार के कई घोटालों का पर्दाफाश किया.

वायस ऑफ़ नेशन का प्रसारण फिर ठप, लगा ताला

देहरादून से प्रसारित वायस आफ नेशन न्यूज चैनल का प्रसारण तीसरी बार बंद हो चुका है. बताया जा रहा है कि एनएसपीटीएल का बकाया न चुका पाने के बाद इस चैनल का लिंक काट दिया गया.  बिजली का बिल पांच लाख से ज्यादा बकाया होने पर बिजली काट दी गई. कर्मचारियों की छह महीनों की तनख्वाह नहीं दी गई है. कई कर्मचारियों के खिलाफ चोरी की झूठी रिपोर्ट लिखा दी गई. कई कर्मियों के साथ बदतमीजी की गई.

मुख्यमंत्री को ब्लैकमेल करने का आरोप! लखनवी पत्रकार बना उत्तराखंड पुलिस का शिकार

: उत्तराखंड सरकार की मीडिया को पालतू बनाने या परेशान करने की घटिया मानसिकता का विरोध करें : लखनऊ में लाइवन्यूज नाम से न्यूज एजेंसी चला रहे पत्रकार आसिफ अंसारी को उत्तारखंड की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. मिली जानकारी के मुताबिक आसिफ अंसारी पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को ब्लैकमेल करने का आरोप है.

निशंक की मुसीबत बढ़ी, महाकुंभ घोटाले पर कोर्ट में खींचे गए

: 11 मई को होगी सुनवाई : उत्‍तराखंड के मुख्‍यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की परेशानी और बढ़ गई है. जिस महाकुंभ के नाम पर निशंक नोबेल पुरस्‍कार की मंशा पाल रखे थे, उसी महाकुंभी घोटाले में उनके पैर फंस गए हैं. कैग रिपोर्ट को आधार बनाते हुए एक याचिका नैनीताल हाईकोर्ट में दाखिल की गई है. जिसे कोर्ट ने स्‍वीकार कर लिया है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 मई को तय की गई है. इस बार निशंक का इस मुसीबत से निकलना आसान नहीं दिख रहा है.

ब्लागरों की जुटान में निशंक के मंचासीन होने को नहीं पचा पाए कई पत्रकार और ब्लागर

: गंगा घोटाले को लेकर कुछ लोगों ने आवाज उठाई : पुण्य प्रसून बाजपेयी और खुशदीप सहगल ने किया बहिष्कार : नुक्कड़ समेत कई ब्लाग व ब्लाग एग्रीगेटर चलाने वाले और हिंदी ब्लागिंग को बढ़ावा देने के लिए हमेशा तन मन धन से तत्पर रहने वाले अपने मित्र अविनाश वाचस्पति का जब फोन आया कि 30 अप्रैल को शाम चार बजे दिल्ली के हिंदी भवन (जो गांधी शांति प्रतिष्ठान के बगल में है) में ब्लागरों की एक जुटान है तो मैं खुद को वहां जाने से रोक नहीं पाया.

कैग ने बनाई रेल, निशंक जा सकते हैं जेल

दीपक आजादहरिद्वार कुंभ के लिए नोबेल प्राइज पाने की लालसा रखने वाले मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के दावों की पोल खुल गई है। कैग की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि किस तरह आंख मूंदकर कुंभ के नाम पर निशंक की छत्रछाया में उनके चहेते नौकरशाहों ने करोड़ों के वारे-न्यारे किए। न केवल कुंभ में अनाप-शनाप खर्च किया गया, बल्कि कमीशनखोरी के लिए ठेकेदारों को करोड़ों का लाभ पहुंचाया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने निशंक का सुख-चैन छीना

: स्टर्डिया घोटाले पर हफ्ते भर में जवाब मांगा : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक लगातार अपने ही फंदे में घिरते जा रहे हैं. जब तक वे किसी एक विवाद पर धूल-मिट्टी डालकर सुख-चैन का एहसास करना शुरू करते हैं कि तभी अचानक दूसरा बड़ा विवाद प्रकट हो जाता है. जून 2010 में ऋषिकेश में जिस स्टर्डिया घोटाले का खुलासा हुआ था, उस पर सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका को संज्ञान लेते हुए निशंक सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

पोर्टलों की खबर से निशंक सरकार की घेरेबंदी शुरू, विपक्ष ने की सीबीआई जांच की मांग

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक घिरते जा रहे हैं. एनएनआई और भड़ास4मीडिया पर निशंक सरकार के नए घोटाले के बारे में खबर छपने के बाद राज्य की विपक्षी पार्टियां सक्रिय हो गई हैं और पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है. इस बाबत पिछले दिनों उत्तराखंड राज्य के कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत ने देहरादून में प्रेस कांफ्रेंस की और निशंक सरकार पर हमला बोलते हुए घपलों-घोटालों की सीबीआई जांच के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया.

गुस्ताखी माफ : नाराज न होना ज्ञानी निशंक और महान मायावती

जो बात लिख लिख कर पढ़ा पढ़ा कर दिखा दिखा कर आप पाठकों दर्शकों को नहीं समझा सिखा बता पाते, वो काम कार्टून और एनीमेशन सेकेंड्स में कर देते हैं. आज आपको कुछ कार्टून और एनीमेटेड वीडियो दिखा रहे हैं. एक कार्टून उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के राजकाज से संबंधित है तो दूसरा यूपी में चरमराई पुलिस व्यवस्था पर. एनीमेटेड वीडियो एनडटीवी के गुस्ताखी माफ प्रोग्राम के हैं. यूपी की मुख्यमंत्री बहन मायावती पर केंद्रित हैं. एनडीटीवी की पापुलेरिटी में गुस्ताखी माफ कार्यक्रम का खास योगदान है. एनीमेटेड कैरेक्टर्स के जरिए गुस्ताखी माफ में सच्चा और तीखा वार किया जाता है ताकि मुस्कराएं भी, और सोचें भी. उम्मीद है आनंद आएगा. जय हो. -यशवंत

बौखलाए सीएम निशंक ने पत्रकार उमेश कुमार के घर धावा बोलने के आदेश दिए

: उत्तराखंड पुलिस ने उमेश कुमार के नोएडा स्थित घर को घेरा : गिरफ्तारी कर अपमानित करते हुए उत्तराखंड ले जाने पर तुली : एनएनआई और भड़ास4मीडिया पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के महाघोटाले के बारे में खबर छपने के कुछ ही देर बाद निशंक का माथा घूम गया और उन्होंने उमेश कुमार के खिलाफ बर्बर कार्रवाई शुरू करा दी है. अभी तक पत्रकार उमेश कुमार के घर और मकान को निशाना बनाए मुख्यमंत्री निशंक ने अब सीधे उमेश और उनके परिजनों को शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने का इरादा कर लिया है.

निशंक सरकार का महाघोटाला

: इस भाजपाई मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोड़ दिए :  अपने एक प्रिय की कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए निशंक ने उत्तराखंड की जनता और उत्तराखंड के सौंदर्य का सौदा कर डाला : नियमों को ताक पर रखकर उत्तराखंड को न्यूनतम 2500 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया :  निशंक के कोप के शिकार पत्रकार उमेश कुमार और उनकी न्यूज एजेंसी एनएनआई ने किया महाघोटाले का सनसनीखेज खुलासा : इस महाघोटाले पर उत्तराखंड की मीडिया मौन, लेकिन नेताओं ने मुंह खोलना शुरू कर दिया :

निशंक ने अभिमनोज और सुंदरचंद ठाकुर को सम्‍मानित किया

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने नवी मुंबई के वाशी में 15 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले ‘उत्तराखंड एम्पोरियम और अतिथिगृह’ का शिलान्यास किया. इस अवसर पर मुख्यमंत्री निशंक ने दैनिक ‘नवभारत’ के स्थानीय संपादक अभिमनोज व ‘नवभारत टाइम्स’ के स्थानीय संपादक सुंदरचंद ठाकुर को शॉल-श्रीफल और पुष्पगुच्छ से सम्मानित किया.

मजाक बनी उत्तराखण्ड में प्रेस मान्यता

: आंख मूंदकर दी गयी राज्य में पत्रकार मान्यता : आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को मिली पत्रकार मान्यता : एलआईयू जांच पर उठने लगे सवाल : देहरादून। उत्तराखण्ड राज्य में पत्रकार मान्यता एक मजाक बनकर रह गयी है। सूचना एवं लोक संपर्क विभाग द्वारा दी जाने वाली पत्रकार मान्यता से ऐसे लोगों को लाभान्वित कर दिया गया है जो आपराधिक प्रवृत्ति के हैं। इतना ही नहीं, कई लोग तो स्वयं को दूसरे राज्यों में मृत भी घोषित कर चुके हैं।

निशंक का फर्जी हलफनामा और माया की उछाल!

निशंक : मुख्यमंत्री ने दो साल में दो हजार फीसदी की रफतार से बढ़ाया बैंक बैलेंस : दिल्ली से महाराष्‍ट्र-आंध्र, कनार्टक से उत्तराखंड तक भ्रष्ट नेता-नौकरशाहों का पापी गठजोड़ दिन दूनी-रात चौगुनी रफ्तार से घोटालों की गंगा में डुबकी लगा रहा है, बगैर किसी लोकलाज या भय के। बात उत्तराखंड की हो तो दस साल का यह हिमालयी राज्य देश के भ्रष्ट राज्यों से कहीं भी पीछे नहीं है।

निशंक के सहारे दुकान सजाने वाले ये युवा पत्रकार

[caption id="attachment_18878" align="alignleft" width="80"]चारु तिवारीचारु तिवारी[/caption]राजधानी दिल्ली में पहाड़ के युवा पत्रकारों की एक बड़ी जमात है, जो लंबे समय से उत्तराखण्ड के तमाम सवालों को लेकर सक्रिय रहे हैं। हालांकि पहाड़ के पत्रकारों की यहां एक संस्था उत्तराखण्ड पत्रकार परिषद के नाम से पिछले ढाई दशक से अस्तित्व में है। यह बड़े पत्रकारों का संगठन है, इसलिये चाहकर भी नये लोग इसमें शामिल नहीं हो पाते हैं। ये पत्रकार पहाड़ के अन्य संगठनों के साथ मिलकर काम करते रहे हैं। वे चाहते थे कि एक नया संगठन बनाकर पहाड़ के जनसरोकारों की धारा को पत्रकारिता के मंच से आगे बढ़ाया जाये। एक पूरा ब्लूप्रिंट बनाया गया.

सरकार बेचेगी अमर उजाला के ‘उत्‍तराखंड उदय’ को!

जी हाँ, अब निशंक सरकार अमर उजाला का एक प्रकाशन “उत्तराखंड उदय” बेचने जा रही है. गत दिवस अमर उजाला ने इसके उदघाटन पर निशंक को मुख्य अतिथि बनाया था. सो बताया जा रहा है कि सरकार ने इसे बेचने की जिम्मेदारी ले ली है. 200 रुपये की इस किताब के ढेर सभी जिलों के सूचना विभागों को भेज दिए गए हैं.

हे प्रतापी निशंक इस ‘पापी विवेक’ का भांडा तो फूटना ही था!

दीपक अरबों के भूमि घोटाले में घिरे उत्तराखंड के पत्रकार मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की अदा भी निराली है। पहले कायदे कानूनों को ठेंगा दिखा घोटाला करो और फिर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो समझो हो गई बल्ले-बल्ले। लेकिन पाप का घड़ा फूटने लगे तो बचाव के लिए बेशर्मी की हद तक उतर जाने में भी कोई संकोच नहीं। एक के बाद एक घोटालों में घिरते देख निशंक की अब तक की शैली यही है। लेकिन आखिर काली करतूतों पर पर्दा भी चढ़े रहे तो कब तक, वह तो कभी न कभी बेपर्दा हो ही जाती है।

निशंक के ओएसडी अशोक शर्मा को लीडरशीप अवार्ड

[caption id="attachment_18739" align="alignleft" width="90"]अशोक शर्मा अशोक शर्मा [/caption] डा. अशोक कुमार शर्मा को पीआर के क्षेत्र में उत्‍कृष्‍ट कार्य के लिए पब्लिक रिलेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया (पीआरएसआई) सम्‍मानित करेगी. डा. शर्मा उत्‍तराखंड के सीएम के ओएसडी हैं. पीआरएसआई द्वारा लीडरशीप अवार्ड 2010 उन्‍हें पब्लिक रिलेशन प्रोफेशन में उत्‍कृष्‍ट एवं बेहतरीन योगदान के लिए दिया जा रहा है. उन्‍हें यह पुरस्‍कार कोलकाता में 16-18 दिसम्‍बर को होने वाले पीआरएसआई के 32वें नेशनल कांफ्रेंस में प्रदान किया जायेगा.

सूचना विभाग का हाथी, चोरी का संपादकीय और प्रकाशक निशंक

दीपककिसी सूबाई सरकार के लिए सूचना महकमा उसके आंख-कान की भूमिका में होता है, जो उसकी योजनाओं को, उसके क्रियाकलापों को जनता तक पहुंचाने के लिए मीडिया के बीच एक कड़ी की भूमिका अदा करता है। इसका एक काम और भी होता है सरकार के पक्ष-विपक्ष से तालुक रखने वाली अखबारी कतरनों को समेटते रहना, ताकि सत्तासीन खुली आंखों से देख सकें। पर आज के राजाओं का सत्ता के मद में चूर होने का ही तकाजा है कि वे अपनी आलोचना बर्दाश्त नहीं कर पाते और जो ऐसा करते हैं, उनके कान मरोड़ने के लिए सूचना विभाग जैसे विशालकाय हाथी की कमान उनकी मुठठी में होती है।

प्रवासी पंछी हैं प्रभात डबराल

दीपक आजाददेहरादून। पत्रकार से सूचना आयुक्त बने प्रभात डबराल के उत्तराखंडी प्रेम को लेकर राज्य के मीडिया हलकों में एक तल्ख बहस चल रही है। कहा जा रहा है कि डबराल एक ऐसे प्रवासी पंछी हैं जो अपना बुढ़ापा काटने के लिए उत्तराखंड चले आए हैं। ऐसे में अब प्रभात को ही साबित करना होगा कि उन्होंने महज बुढ़ापा काटने भर के लिए दिल्ली से देहरादून के लिए उड़ान नहीं भरी है। वे ऐसा कर पाते हैं या नहीं, यह समय बताएगा।

मर्सिया पढ़ना हो तो उत्तराखंड चले आइये

दीपकझूठ के पांव नहीं होते, यह अतीत का फलसफा सा लगता है। पर झूठ के पांव तलाशने हों तो देव-प्रेतात्माओं की ‘मरू-भूमि’ उत्तराखंड में इसके दर्शन किए जा सकते हैं, वह भी बिना किसी लागलपेट के। तहलका को दिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के इंटरव्यू के कुछ अंश सच-झूठ की सियासत का मर्सिया पढ़ने जैसे किसी दर्शन पर सिर खुजाने जैसा है।

हर पन्द्रहवें दिन पत्रकारों से मिलेंगे मुख्यमंत्री निशंक

देहरादून से सूचना है कि मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने प्रदेश के पत्रकारों की समस्याओं को दूर करने के लिए कमर कस ली है. उन्होंने हर महीने की 15 तारीख को प्रदेश के पत्रकारों से मिलने का ऐलान किया है. मुख्यमंत्री इस दिन पत्रकारों से मिल कर उनकी समस्याओं को सुनेंगे और उन्हें तुरंत दूर करने का प्रयास करेंगे.

निशंकजी, मेहरबानी बड़े अखबारों पर ही क्यों!

: निशंक सरकार ने छोटे अखबारों के विज्ञापन का भुगतान अभी तक नहीं किया : उत्तराखण्ड सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग ने साप्ताहिक व छोटे समाचार पत्रों के कई माह पुराने विज्ञापन बिलों का भुगतान नहीं किया है. इससे इन अखबारवालों की दीवाली फीकी रही. हरिद्वार में कुंभ को सम्पन्न हुए 9 माह से अधिक बीत गये और सरकार ने कुंभ के सफल आयोजन पर वाहवाही भी लूट ली लेकिन उत्तराखण्ड की मीडिया को दिये गये विज्ञापनों का भुगतान अभी तक नहीं किया.

21000 करोड़ का झूठ

: लगता है आपके मुख्यमंत्री पिस्तौल पाने के लिए तोप का लाइसेंस मांग रहे हैं : बरसात का कहर अभी थमा भी न था कि मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से 21 हजार करोड़ का राहत पैकेज मांगकर अपने अफसरों से लेकर भाजपा के बड़े नेताओं को हैरत में डाल दिया। विशेषज्ञ सशंकित थे कि नौकरशाही मुख्यमंत्री के भारी भरकम आंकड़े के बराबर की आपदा को फाइलों में कैसे डिजायन कर सकेगी।

चाटुकारिता, जीहुजूरी और विज्ञापन

आजाददुनियाभर के धर्मग्रंथ ढेर सारे नीति वाक्यों से लदे-पड़े हैं। अपने अनुचरों को राह दिखाने दिखाने वाले इन नीति मंत्रों की झलक हर रोज हमारे-तुम्हारे दरवाजे पर दखल देने वाले अखबारों के आगे-पीछे के पन्नों पर दर्ज होती है। पर क्या हमारे समय में अखबारी लाल इन पर अमल करते हैं? इस सवाल का जवाब कुछ हां, कुछ ना में ही हो सकता है।

नैनीताल में मीडिया सेंटर बनाने के आदेश

नैनीताल के पत्रकारों को मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने दीवाली का तोहफा दिया है. मुख्यमंत्री ने लंबे समय से जिले में मीडिया सेंटर बनाने की पत्रकारों की मांग को स्वीकृति देते हुए जिले के हलद्वानी में मीडिया सेंटर बनाने का आदेश दिया है. सरकार ने इसके लिए विभिन्न सुविधाओं के साथ साथ दो पदो के सृजन की भी स्वीकृति प्रदान की है.  सोमवार को राजधानी देहरादून में इसकी जानकारी देते हुए राज्य मीडिया सलाहकार समिति के अध्यक्ष डा. देवेन्द्र भसीन ने बताया कि पत्रकारों की सुविधा के लिए राज्य सरकार द्वारा हलद्वानी नैनीताल में मीडिया सेंटर स्थापित किया जा रहा है.

शपथ ग्रहण कर प्रभात ने नई जिम्मेदारी संभाली

[caption id="attachment_18325" align="alignnone" width="505"]शपथ ग्रहण करते प्रभात डबराल. शपथ ग्रहण करते प्रभात डबराल. [/caption]

देहरादून से खबर है कि उत्तराखण्ड की राज्यपाल मार्ग्रेट आल्वा ने आज मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की उपस्थिति में राज्य सूचना आयोग के नवनियुक्त मुख्य सूचना आयुक्त नृप सिंह नपल्च्याल, राज्य सूचना आयुक्त अनिल कुमार शर्मा तथा प्रभात डबराल को पद और दायित्व की शपथ दिलायी. शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन राजभवन के प्रेक्षागृह में किया गया.

तर्क-सच्चाई रखना चमचागिरी है तो मैं चमचा हूं

पत्रकारों के हितों की चिंता उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने हमेशा की है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है कि डॉ. निशंक के कार्यकाल में पत्र-पत्रिकाओं तथा इलेक्ट्रानिक मीडिया, वेब मीडिया की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है. प्रदेश का पत्रकार कहीं भी कैसे भी संकट में फंसा हो तो मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने उनकी पहले चिंता की है.

भड़ास ने निशंक की छवि धूमिल की!

आदरणीय यशवंत जी, सादर नमस्कार, आपकी चर्चित वेबसाइट भड़ास4मीडिया में मंगलवार 21 सितंबर 2010, 11 बजकर 03 मिनट पर प्रकाशित लेख ”पत्रकार के पीछे पड़ा पत्रकार मुख्यमंत्री” पढ़ा। मन को बड़ी ठेस पहुंची, वो इसलिए कि मेरे मन में आपके प्रति जो सोच बनी थी, वह इस लेख को पढ़कर धूमिल हो उठी। यशवंत जी, आपकी वेबसाइट में प्रकाशित यह लेख उत्तराखण्ड राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. रमेष पोखरियाल निशंक को बदनाम करने की एक निंदनीय कोशिश है। मैं हैरत में हूं कि आप जैसे विद्वान और गंभीर पत्रकार ने कैसे यह लेख बिना किसी छानबीन के अपने वेब पेज पर प्रकाशित कर दिया।

विधानसभा में गूंजा पत्रकारों के उत्‍पीड़न का मामला

विधान सभा के मानसून सत्र में राज्य में पत्रकारों के उत्पीड़न को लेकर जोरदार बहस हुई। कांग्रेस विधायक और सदन में नेता प्रतिपक्ष डा. हरकसिंह रावत ने इस मामले को उठाते हुए कहा कि राज्य में पत्रकारों का उत्पीड़न किया जा रहा है और छोटे पत्र-पत्रिकाओं पर सरकार के पक्ष में खबर लिखने का दबाव डाला जा रहा है। उन्होंने एक पत्रकार संगठन द्वारा विगत दिनों सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग के सामने किए गए प्रदर्शन का उदाहरण देते हुए कहा कि स्थिति विस्फोटक हो गई है और पत्रकारों को अपनी बात कहने के लिए धरना-प्रदर्शन का सहारा लेना पड़ रहा है।

‘पत्रकार’ के पीछे पड़ा ‘पत्रकार मुख्यमंत्री’

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री निशंक पत्रकार रहे हैं. उन्हें पत्रकारिता के दांवपेंच खूब पता हैं. पटाना-डराना-मनाना उन्हें अच्छी तरह आता है. इसीलिए उत्तराखंड में पत्रकारों के बीच उनकी जय-जय रहती है क्योंकि वे ज्यादातर को खुश रखते हैं. अमर उजाला, हिंदुस्तान, राष्ट्रीय सहारा, दैनिक जागरण में निशंक की जय-जय छपती रहती है.

सीएम के हाथों जर्नलिस्ट स्मारिका विमोचित

मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने देहरादून एनेक्सी स्थित आवास पर जर्नलिस्ट यूनियन ऑफ उत्तराखण्ड की स्मारिका का विमोचन किया। इस अवसर  पर मुख्यमंत्री डॉ. निशंक ने पत्रकारों को संबोधित किया।