: इस भाजपाई मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोड़ दिए : अपने एक प्रिय की कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए निशंक ने उत्तराखंड की जनता और उत्तराखंड के सौंदर्य का सौदा कर डाला : नियमों को ताक पर रखकर उत्तराखंड को न्यूनतम 2500 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया : निशंक के कोप के शिकार पत्रकार उमेश कुमार और उनकी न्यूज एजेंसी एनएनआई ने किया महाघोटाले का सनसनीखेज खुलासा : इस महाघोटाले पर उत्तराखंड की मीडिया मौन, लेकिन नेताओं ने मुंह खोलना शुरू कर दिया :
उत्तराखंड राज्य में भाजपा की सरकार है और यहां के मुख्यमंत्री भाजपा नेता रमेश पोखरियाल निशंक हैं. निशंक नेतागिरी में आने से पहले पत्रकार रहे हैं, शायद अब भी पत्रकार हैं क्योंकि ये जो अखबार निकालते हैं, वो अब भी निकल रहा है, और, बिल्ली के भाग्य से छींका टूटने वाली ”खंडूरी-कोश्यारी आपसी खींचातानी परिघटना” के चलते ये महोदय राज्य के मुख्यमंत्री बन गए और अभी तक इस कुर्सी पर जमे हुए हैं. राजनीति और पत्रकारिता में सक्सेस होने के सारे गुर जानते हैं निशंक. सो, सत्ता मिलते ही सबसे पहला काम शुरू किया खुद की तिजोरी भरने का. इस परिघटना में घोटाले पर घोटाले किए जा रहे हैं. उनके लिए गए जिन निर्णयों से फलीभूत होने वाले घोटाले को पकड़ लिया जाता है, कोर्ट या मीडिया द्वारा, उस निर्णय को निशंक खुद रद कर देते हैं क्योंकि वे नहीं चाहते कि कोई घोटाला इतना तूल पकड़े की उनकी कुर्सी ही चली जाए.
लेकिन वे एक कदम पीछे हटाकर चुप नहीं बैठते. फिर दो कदम आगे छलांग लगा देते हैं. देश में चल रहे घोटाले के अखिल भारतीय मैराथन में भाजपाई निशंक कांग्रेसी नेताओं को भरपूर चुनौती दे रहे हैं. छोटे और प्यारे प्रदेश उत्तराखंड की जनता से पूछिए, वो निशंक को गरियाती मिलेगी, लेकिन निशंक को इससे फरक नहीं पड़ता. वे तो सिर्फ एक चीज चाहते हैं कि उनकी पार्टी के बड़े नेता और बड़े अखबार और बड़े चैनल न गरियाएं और न उंगली उठाएं, बस. सो, इन सबों को साधते रहते हैं निशंक. लेकिन घोटाले छुपते नहीं. निशंक सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करने की मुहिम चला रहे देहरादून के पत्रकार और उद्यमी उमेश कुमार ने अपनी न्यूज एजेंसी एनएनआई द्वारा निशंक के एक नए और बड़े घोटाले का खुलासा किया है. उमेश कुमार के पोलखोल अभियान से भन्नाए निशंक ने सारा जोर उमेश कुमार को बर्बाद करने में लगा दिया है. इसी कारण उमेश के रीयल इस्टेट के कारोबार को छिन्न-भिन्न किया जा रहा है.
पिछले दिनों अचानक दो घंटे की नोटिस पर उमेश की कंपनी के बनाए कई मकानों को तोड़ दिया गया. उमेश और उनके परिजनों के खिलाफ कई तरह की फर्जी रिपोर्ट मुकदमें आदि लिखाए जा चुके हैं और लिखाए जा रहे हैं. इस सबसे जूझते हुए भी उमेश कुमार लगातार निशंक के महाघोटालों का पर्दाफाश कर रहे हैं. जिस ताजे मामले का खुलासा उमेश कुमार ने एनएनआई के जरिए किया है, वो न सिर्फ चौंकाने वाला है बल्कि भ्रष्टाचार को लेकर निशंक सरकार की हो रही किरकिरी को और ज्यादा बढ़ाने भी वाला है. इस महाघोटाले पर उत्तराखंड की मीडिया ने चुप्पी साध रखी है. लेकिन नेताओं ने इस महाघोटाले के बारे में जनता के बीच चर्चा करना शुरू कर दिया है. उत्तराखंड की मीडिया भले मैनेज्ड हो, पर न्यू मीडिया के लोगों ने इस महाघोटाले की प्रत्येक परत का खुलासा करने का काम शुरू कर दिया है. हाइड्रो प्रोजेक्ट फिर स्टर्डिया घोटाले के बाद निशंक ने ये कौन सा नया महाघोटाला कर दिया है, आइए इसके बारे में संक्षेप और सरल तरीके से एक-एक पेंच को जानें.
एक हैं डीवी राव. निशंक के बेहद करीबी हैं और निशंक नामधारी कई घपले-घोटालों के साथी हैं. इस नए महाघोटाले में भी इसी व्यक्ति का हाथ है. कुछ समय पहले हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के अरबों रूपए के घोटालों में भी यही शामिल रहा है. डीवी राव और डाडामुंडी शांति किरण क्रमशः डाडामुंडी अन्नाई प्रावइवेट लिमिटेड और देव भूमि एनर्जी के भी मालिक रहे हैं जो अरबों रुपये के हाइड्रो घोटाले में शामिल कंपनियां थीं. यह इस बात के लिए भी चर्चित रहा था कि एक ही रात में इस व्यक्ति ने अपनी पत्नी के नाम पर देहरादून में एक कंपनी खरीदकर तीन प्रोजेक्ट हासिल कर लिए थे. एक प्रसिद्ध चैनल ने जब इस कंपनी का मूल पता तलाशने की कोशिश की तो उस कंपनी के दिए गए पते पर कोई नहीं मिला. उस वक्त की पावर पॉलिसी से खिलवाड़ करते हुए उक्त व्यक्ति ने चार प्रोजेक्ट नियम विरूद्ध हासिल कर लिए थे. चूंकि घोटाला खुल गया था तो इसलिए इसे रद्द करना पड़ गया था. इस डीवी राव की निशंक सरकार से गहरी सांठगांठ है क्योंकि इन घोटालों को राज्य सरकार की मिलीभगत से अंजाम दिया गया है. प्रदेश में लघुजल विद्युत परियोजना के आवंटन और उसे रद्द करने के खेल में भी एक प्रमुख खिलाड़ी के तौर पर इसने अपनी भूमिका निभाई थी.
इसी डीवी राव के स्वामित्व वाली गुड़गांव स्थित कंपनी श्रावंथी एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को गैस आधारित ऊर्जा उत्पादन के लिए निशंक सरकार ने सारे नियमों-कानूनों-सलाहों-सिद्धांतों को ताक पर
12 प्रतिशत फ्री ऊर्जा को भी कंपनी अपने पास रखकर उसे बेच सके, ऐसा आपराधिक फायदा कंपनी को पहुंचाने के लिए इस परियोजना को औद्योगिक विकास विभाग के सामने पेश और इसी विभाग के जरिए पास कराया गया. इस कंपनी के साथ राज्य सरकार ने उर्जा क्रय करने का पहला अधिकार राज्य सरकार को मिलने संबंधी कोई अनुबंध नहीं किया. ऐसा अनुबंध प्रत्येक राज्य सरकारें ऐसी कंपनियों के साथ करती हैं ताकि राज्य की जनता का भला हो सके लेकिन निशंक सरकार को यह अनुबंध करना याद नहीं रहा, और यह अनुबंध न करके निशंक सरकार ने उत्तराखंड के साथ धोखा किया. केंद्र सरकार प्रत्येक राज्य को उर्जा नीति के तहत कुछ प्रतिशत उर्जा राज्य की जनता की भलाई के लिए प्रदेश सरकार को देती है. इसका प्रयोग जनता की भलाई के लिए शुरू की गई परियोजनाओं में किया जाता है लेकिन निशंक सरकार ने इस उर्जा को भी श्रावंथी कंपनी को समर्पित कर दिया. ज़ाहिर है इसका इस्तेमाल कंपनी अपने फायदे के लिए करेगी और इससे जनता को कोई भी लाभ नहीं होने वाला.
श्रीवंथी एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड का गठन 6 अप्रैल 2009 को हुआ था. इसे ऊर्जा उत्पादन की अनुमति औद्योगिक विभाग के नोटिफिकेशन सं. 2039 द्वारा दिनांक 4.11.2009 को प्रदान की गयी. कंपनी ने जो आवेदन औद्योगिक विकास विभाग, उत्तराखंड को प्रेषित किया उसमें न तो गैस अथारिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) से गैस आपूर्ति की अनुमति मिलने का कोई प्रमाणपत्र है, न ही कंपनी ने अपना कोई टेक्निकल व फाइनेंसियल स्टेटस पेश किया है. इस कंपनी का शेयर कैपिटल मात्र एक लाख है, फिर भी इसे अनुमति प्रदान कर दिया गया. इस कंपनी ने अपनी कोई बैलेंस शीट आवेदन पत्र के साथ संलग्न नहीं की. कंपनी द्वारा महज सौ रुपए के स्टांप पेपर पर तहसील काशीपुर के किसानों के साथ किए गए अनुबंध की छाया प्रतिलिपि आवेदन पत्र के साथ संलग्न कर दिया गया. इसके अनुसार कंपनी का केवल 21 एकड़ (8 हेक्टेयर) ज़मीन के अनुबंध थे जबकि कंपनी द्वारा 18.92 हेक्टेयर (46.75 एकड़) भूमि की सूची संलग्न की गई एवं 18.92 हेक्टेयर खरीद करने की अनुमति मांगी. कंपनी द्वारा किसानों से ली गई भूमि का सौ रुपए के स्टांप पर अनुबंध किया गया. इससे राजस्व की अत्यधिक हानि हुई है. कंपनी द्वारा जो अनुबंध प्रस्तुत किया गया, उनका मूल्यांकन 4 करोड़ 9 लाख बनता है, जिस पर 32 लाख रूपए स्टांप देयता बनती है और कंपनी द्वारा मात्र 1200 रुपए स्टांप शुल्क दिया गया.
कंपनी को जब इस प्रोजेक्ट के लिए 2009 में मंजूरी दी गई उस वक्त राज्य में गैस अधारित प्रोजेक्ट्स के लिए कोई नीति नहीं थी. लेकिन दिसंबर 2010 में आनन-फानन में यह पॉलिसी बना दी गई. इसके पीछे वजह है कस्टम विभाग द्वारा चेन्नई में इस कंपनी के मशीनों को क्लीयरेंस देने से मना कर देना. वे मशीनें उर्जा उत्पादन के लिए लाई गई थीं जबकि कंपनी के पास उद्योग आधारित सर्टिफिकेट था. जाहिर है इससे कंपनी को काम में बाधा पहुंचने वाली थी और उनका भारी नुकसान होने वाला था. यहीं पर घोटालेबाज निशंक की सरकार ने सारे नियम कानून को ताक पर रखते हुए उस कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए रातों रात यह नीति बनाई. कंपनी द्वारा जो तथ्य दिए गए उनका पूर्ण रूप से सत्यापन भी नहीं किया गया. भारत सरकार द्वारा परियोजना को केवल 12 हेक्टेयर भूमि क्षेत्रफल पर लगाने की अनुमति प्रदान की गई, जबकि उत्तराखंड सरकार द्वारा 18.2 हेक्टेयर भूमि क्रय करने की अनुमति प्रदान की गई जो कि पूर्णतयः नियमों के विरूद्ध है. कंपनी को 6 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि क्रय करने की अनुमति दी गई एवं उसका भू-उपयोग भी औद्योगिक दिखाया गया. इस कंपनी के लिए कृषि भूमि को औद्योगिक भूमि में बिना कोई शुल्क लिए परिवर्तित कर दिया गया.
इस कंपनी के मामले में भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का घोर अराजक उल्लंघन उत्तराखंड सरकार ने किया है. पर्यावरण मंत्रालय ने यह कहा था कि यह भूमि बेहद उपजाऊ है इसलिए परियोजना के लिए किसी और जगह का चुनाव कर लिया जाए पर राज्य सरकार ने इसको कोई भाव न देते हुए प्रमुख कृषि भूमि को औद्योगिक क्षेत्र में बदल दिया. किसी क्षेत्र में उद्योग वहां की भौगोलिक स्थिति के अनुसार लगाने की गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया. पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जो टर्म ऑफ रिफरेंस दिए गए, उसमें जमीन की सीमा 30 एकड़ थी. फिर 46 एकड़ की परमीशन राज्य सरकार द्वारा कैसे प्रदान कर दी गई? जबकि नियम मुताबिक इसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य है. उत्तराखंड सरकार द्वारा 4 नवंबर 2009 को विशेष औद्योगिक क्षेत्र की घोषणा की गई लेकिन पर्यावरण मंत्रालय द्वारा इसकी मंजूरी 5 नवंबर को दी गई थी.
फिर यहां सवाल यह उठता है कि कैसे उत्तराखंड की महाभ्रष्ट सरकार ने पहले ही इसे औद्योगिक क्षेत्र घोषित कर दिया. इस क्षेत्र में प्रोजेक्ट लगाने पर क्षेत्र में पड़ने वाले पर्यावरणीय प्रभाव के विषय में पर्यावरण नीति का इस प्रकरण में अनुसरण नहीं किया गया और न ही कोई पब्लिक हियरिंग कराई गई है, जैसा कि नीति में प्रावधान था. राज्य सरकार ने गैस बेस्ड थर्मल पावर प्लांट की अनुमति इस संदर्भ में बिना नीति बनाए दे दी. राज्य की बिजली खरीदने पर पहला अधिकार का प्रयोग भी नहीं किया गया जबकि राज्य सरकार वर्तमान में राज्य बिजली जरूरत को पूरा करने के लिए महंगी दरों पर बाहर से बिजली खरीद रही है. बिना नीति के राज्य को रायल्टी संबंधी नुकसान तो हुआ ही साथ ही फ्री बिजली मिलने के विकल्प की भी ऐसी की तैसी हो गई. जबकि इस प्रोजेक्ट में राज्य की जमीन के उपयोग के साथ-साथ जल संसाधन का भी लगातार दोहन होगा जिसके एवज में राज्य को इस प्रोजेक्ट से कुछ भी हासिल होने नहीं जा रहा है.
वर्तमान में राज्य में सौ मेगावाट से ज्यादा की जल विद्युत उत्पादन की नीति है जिसके मुताबिक 12 प्रतिशत के हिसाब से राज्य को फ्री बिजली तीस साल तक मिलनी थी. यह वर्तमान प्रोजेक्ट पर अगर लागू होती तो इसका मूल्यांकन करीब करीब 4 हजार करोड़ रूपए बैठता है. क्या यह प्रदेश की हानि नहीं है. क्या इसमें कंपनी को सीधे-सीधे फायदा नहीं पहुंचाया गया? उत्तराखंड की वर्तमान सरकार द्वारा इस प्रकरण में निभाई गई भूमिका के कारण राज्य को हुई राजस्व हानि पर एक नजर डालते हैं… कुल उत्पादन 225 मेगावॉट का 12 प्रतिशत फ्री यानि 27 मेगावॉट फ्री. एक मेगावाट पर डे का मतलब 24000 यूनिट पर डे. फ्री मिलने वाले रोजाना के 27 मेगावाट को साल के 365 दिन के लिए यूनिट में कनवर्ट करें तो कुल 236520000 यूनिट होता है और अगर Rate per unit = साढ़े पांच से लेकर साढ़े सात पर यूनिट हो तो तकरीबन औसतन 82.5 करोड़ रुपये प्रति साल के हिसाब से हर साल उत्तराखंड प्रदेश को नुकसान होगा. सोचिए, तीस साल तक 12 प्रतिशत फ्री बिजली कंपनी द्वारा दिए जाने के अधिकार का राज्य सरकार द्वारा उपयोग न किए जाने से कितना बड़ा नुकसान राज्य को होगा. 82.5 करोड़ रुपये में 30 का गुणा कर लीजिए, पता चल जाएगा कि निशंक सरकार ने कितना बड़ा (तकरीबन 2500 करोड़ रुपये का) घपला प्रदेश की जनता के साथ किया है. मिनिस्ट्री ऑफ कारपोरेट अफेयर्स से प्राप्त कागजात की कुछ प्रति यहां संलग्न है. इसमें कंपनी का नाम, मालिक और उनके आवासीय पते के जरिए मामले को आसानी से समझा जा सकता है.
Comments on “निशंक सरकार का महाघोटाला”
nishank to uttarakhand ka sabse bada chor hai….lekin sach to yeh hai ki uttarakhand main khanduri ke alawa koi imaandar neta hai hi nahi……or khanduri ko bjp wale chor nahi chahte…..ab kya hoga pta nahi….waise umesh bhai aap bhi patarkarita ke naam par apne dukan chala rhe ho….par theek hai tum to 9 ka nukshaan kar rhe ho ye saale chor neta to 100 ka nukshan kar rhe hain…..rajya ki janta ke paas behtar cm or neta chunney ka option hi nahi hai….
nishank sarkar ko kyu nahi haata paa rahi bjp, kya isme bjp ka koi laalach hai
kya partarkaro ka uttpidan asie hi hota rahega,agar partarkar janta ke samne inka sach nahi rekhga toh koun aage aayega
NNI UMESH BHI NISAK SAI BADA CHOR HAI
nishank ko yah samajhna hoga ki satta ka nasha jayada din tak nahi rahta ..bade bado ka nahi raha to nishan kitne kaudki ka..abhi arsh par bahut jald fursh par hoga
उमेश जी और उनेक परिवार पर मुकदमा करके निसंक अपनी ताकत का जोर दिखा रहा है.घमंड तो रावण का भी नहीं रहा था
यह अफसोस की बात है कि अपने घोटाले को छिपाने के लिए यह भ्रष् मुख्मंत्री इसे बेनकाब करने वाले पत्र कार पर कहर ढा रह ाहै । एनएनआई के संपादक ,उनके बीवी , भांजे आदि पर मुकदमा करके निशंक अपने कारनामों को छुपाना चाहेत है।मीडिया को आगे आना चाहुिए
kya in mukdmo se darkar umesh kumar ko pichhe hat jane chahiye? sabse bada sawal
इस पूरे मामले पर मीडिाय की उदासीाता घिनौना है .इस भ्रष्टाचारी को स्खत सज ामिलवनी चाहिे
go ahead mr umesh..wwe r with u
parivar insan ki weakness hoti haio isliye nishank ummesh kumar ke aalawa unke famaily par bhi nishana sadh rahe hai
logon ko aage aana chaye..nishank ko barkhsat karna chahiye..uspa cbi jach baithani chahiye..bjp bhi congress ki tarah bhrasht prty hai ,sab milkar loot rahe hi deshjs ko
प्रिय यशवंत जी, NNI आपको विज्ञापन देता है इसका अर्थ यह नहीं है की आप पत्रकारिता की निष्पक्षता को इस प्रकार धूमिल करे. खबर देना इक अलग बात है, परन्तु अपने विज्ञापन दाता के हित में आप स्वयं पार्टी बन गए हैं. और आपने दुसरे पक्ष को बिना जाने एक ऐसे व्यक्ति जिस पर न जाने कितने मुकदमे प्रदेश और प्रदेश से बहार चल रहे हैं. और अधिकतर मुकदमे निशक कार्यकाल से पहले के हैं, जिनका कुछ विवरण यह है.
NCR संख्या ७५ ए/०४ धारा ३२३, ५०४ भादवि थाना डालनवाला.
मु. अ. सं. २४८/०५ धारा ३९२ भादवि थाना डालनवाला.
NCR संख्या ११७/०६ धारा ३२३, ५०४ भादवि थाना डालनवाला.
मु. अ. सं. १६/०७ धारा ४२० /४६७ /४६८ /१२० बी /५०६ भादवि थाना रायपुर. दिनांक १३-०३-२००९ को आरोप पत्र सं. – ३१ ए/०९ न्यायालय प्रेषित.
ऐसे कई मुकदमे न्यायालय में चल रहे हैं ऐसे भूमाफिया को आप पत्रकारों की किस समानित श्रेणी में रखते हैं, और आपके द्वारा लगाया गया लेख आपका स्वयं का न होकर के NNI की कॉपी है.
मेरे को इससे जादा कुछ नहीं कहना.
ek patrkaar ho kar is tarak ka kaary nishank ko ghrina ka paatra banata hai.agar unhe is baat par yakin nahi hota to jaanch karani chahiye wah bhi nispaksha bhaw se..
निशंक से मोर्चा लेने वाले पत्रकार उमेश कुमार के खिलाफ निशंक ने क्या क्या किया, उसकी एक झलकी…
-पहली ऍफ़आईआर दर्ज की गयी पति -पत्नी के खिलाफ गंभीर धाराओं…. एस सी/ एस टी एक्ट में…. घटना उस समय की दिखाई गयी जब उमेश विदेश में थे…. सबसे बड़ा गजब की पुलिस ने चार्जशीट भी दाखिल कर दी कि घटना घटित हुयी है…. हाई कोर्ट ने स्टे दिया, अगर उमेश विदेश में न होते तो शायद ही कोई ताकत उन्हें जेल जाने से बचा पाती.
-दूसरी ऍफ़आईआर- किसी और के मामले में उमेश को शामिल करते हुए की गई. उमेश और उनके भांजे प्रवीण के खिलाफ 120B यानी षड़यंत्र करना… मजे की बात है की ये मुक्कदमा सरकारी मशीनरी एमडीडीए ने कराया… इसमें भी हाई कोर्ट ने स्टे दे दिया.
-तीसरा मामला, उमेश और उनके भांजे के काम्प्लेक्स को बिना अपील का समय दिए ध्वस्त करने के आदेश देने संबंधी. ये आदेश दे डाले एमड़ीड़ीए ने.. अगले दिन तोड़ने की तैयारी थी लेकिन बदकिस्मती इनकी की विश्वकर्मा पूजा थी इसलिए मशीनरी का इस्तेमाल नहीं कर पाए… इसी दिन उमेश ने स्टे ले लिया कोर्ट से लेकिन कुछ दिनों पहले अचानक लाव लश्कर के साथ निशंक के कारिंदों ने कांप्लेक्स ढहा डाला…
-उमेश के घर के सामने बन रहे निजी डुप्लेक्स का चालान कर डाला ये कहते हुए कि अवैध निर्माण चल रहा है, जब कि उमेश ने नक़्शे जमा कराये तो ये कहते हुए सील करने के आदेश दे डाले की नक्शों के विपरीत निर्माण कार्य चल रहा है,, मजे की बात की पक्ष रखने का समय भी नहीं दिया…. १३ को नोटिस दिया की १५ जून को सील कर देंगे… इसमें भी उमेश ने १४ को जून को कोर्ट से स्टे ले लिया
-एनएनआई के राजपुर रोड पर चल रहे स्टूडियो का भी एमड़ीड़ीए ने अवैध निर्माण बताते हुए चालान काट दिया, इसमें भी उमेश ने नक़्शे जमा कराये तो कहने लगे की आप बेसमेंट का निर्माण कर रहे हैं. उमेश ने कहा की निरिक्षण कर ले की बेसमेंट नहीं है तो बोले की देखने से प्रतीत हो रहा है
-एनएनआई जो कि राज्य की ही नहीं देश की प्रतिष्ठित एजेंसी है उसका नाम तक सूचना विभाग की डायरी से उड़ा दिया ….
-निशंक के जुल्मोसितम की लंबी लिस्ट है.. पाप का घड़ा जब भरेगा तो फूटेगा…. लेकिन उमेश से अपील है कि वे हार न मानें, निशंक के घाटाले का खुलासा करते रहें, ऐसी धमकियां और जुल्म जो सह लेते हैं वे ही जननायक कहलाते हैं… उमेश तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं….
lagaataar kangreson ko jimmedaar thahrane waale bhajpaayee ab kyun aage nahi aate,? karnaatak ke baad uttarakhand mein bhi bhajpaayee ne ghotala kiya hai aur ab to sarkaar sinajori bhi kar rahi hai. jis nirvik patrakaar ne is baat ko uthaya hai uspar ab waar kar rahe hain
NNI ke umesh ji ne behtreen kaarya kiya hai. aur jis tarah nishank unke khilaaf yojnabadhh tarike se galat aarop laga kar pariwaar waalon ko dara rahe hain isse unki naamardgi jag jaahir ho rahi hai.
sachchayee ke daman aise hi kiya jata hai jaise nishank kar rahe hain..
bharat mein sachhayee bolne waalon ki kya sthiti hoti hai ye sabhi jaante hain. umesh ji aap behtar kaam kar rahe hain.. satydev mahadev aap par jarur prasann honge
aakhir netaon ko ho kya gaya hai? agar vaastaw mein sarkaar ghotalon se ghiri hai to sabse pahle unhe istifa dena chahiye aur fir baad mein nyayik vyastha ke taha deshdroh ka mukdama chalate hue faansi ki saza honi chahiye…ek poore raashtra…par kalank hai ye…
aakhir netaon ko ho kya gaya hai? agar vaastaw mein sarkaar ghotalon se ghiri hai to sabse pahle unhe istifa dena chahiye aur fir baad mein nyayik vyastha ke taha deshdroh ka mukdama chalate hue faansi ki saza honi chahiye…ek poore raashtra…par kalank hai ye…
aab maano saata ka upyog srif aur srif neta jaan aapna heet sadhne k lye karte hai……is lye tho bharat jaise desh mai ghotalo ki bharmar ho raha hai aisa hi ek ghotala uttrakhnd k sarkar dwara kya gaya jo aab tak sabse bada ghotalo mai s ek hai……aab janta ki fikr kisko hai baas neta gan tho is kahwat ko sahi karne mai lage hai ki aapna ghar bharta bhand mai jai janta……neta ji sudhar jaye ye janta hai sab janti hai ………….
wah nishank sarkaal, bahut khoob, janta ne chuna aur janta ko he choona laga rahe hain, pradesh ke liye to socha hota, aap to desh ke sabse badey bhrast raj neta ho… Jai ho bhrast nishank ki….
फर्जी समीर त्यागी… वो तो दिख रहा है की एन एन आई के उमेश के खिलाफ कितने मामले दर्ज है… विदेश में होते हुए, पति-पत्नी के खिलाफ एस/एस टी की ऍफ़ आई आर कैसे दर्ज हो गयी… भांजे के खिलाफ एम् ड़ी ड़ी ए ने कैसे मुक्काद्मा दर्ज करा दिया… और जो मुक्काद्मा कल सरकार ने दर्ज कराया है की पति-पत्नी ने विज्ञापन माँगा जिला सुचना अधिकारी से, विज्ञापन न मिलने पर दोनों ने जान से मरने की धमकी दी… मीडिया के इतिहास में ये पहला मामला है… तुम साले समीर फर्जी… सी एम् निशंक के दलाल दीखते हो
निशंक दलालों जिस मुद्दे पर बात हो रही है कमेन्ट सिर्फ उस पर करो नाकि निजी चीजों पर
uttarakhand ke media me dalal havi ho gaye hain, ye sab Nishnk ke changu mangu hain, hindustan ka resident editor Dinesh Pathak to iska dalali ka hamsfar hai. or akhbar bhi yese hi hain. sab dalali me lage huye hain, is state ko barbaad kar rahe hain[b][/b]
[b]mai bas yahi kahunga k taali ek hath se nahi bajti hai or yaha uttrakhand media paise ki bhuki ho chuki hai sach koi likhna nahi chata hai
yaha sab paise ka bolbala hai koi virodh nahi karna chata hai or agar koi karta hai to uska muh paise se bhar diya jata hai ya biwi baccho ko marne ki dhamki de di jati hai …………………………………….. or bhi bhaut kuch hai ek chote se break k baad [/b]
निशंक ने उत्तराखंड में लूट खसोट मचाई हुई है… करोडो के वारे न्यारे किये जा रहे है.. पर
डॉक्टर साहब ने मीडिया को मेनेज किया हुआ है…. पार्टी के अन्दर के कई विधायक भी निशंक से खफा बताये जा रहे है
…अगर यही रहा तो उत्तराखंड में भाजपा का २०१२ में पत्ता साफ़ हो सकता है…. पार्टी हाई कमान को सोचना होगा चुनावो से पहले खंडूरी को आगे कर चुनाव में जाना
फायदे का सौदा होगा … निशंक को आगे किया तो लुटिया डूब जाएगी…… निशंक उत्तराखंड में भ्रष्टाचार की गंगा बहा रहे है………
निशंक शायद ये भूल रहा है कि इसकी गद्दी हमेशा नहीं बने रहने वाली है। एक दिन जनता इसे उखाड़ फैकेगी, निशंक इसके चक्कर में बीजेपी लोगों को अपना दुशमन बनाकर वोट बैंक कम कर रही है। ये कहां का कानून है की कोई व्यक्ति तुम्हारे खिलाफ खबर दिखाए तो तुम उसके परिवार को परेशान करोगे। इस मर्द गिरी नहीं बल्कि ,,,,, ,,, कहते है। मुझे लगता है कि बीजेपी के कुछ बड़े नेताओं को निशंक दलाली के पैसों में से हिस्सा पहुंचाता है। नहीं तो इतने घोटालों के बाद भी कोई क्यों इतने भ्रष्ट नेता को मुख्यमंत्री के पद पर बैठाए हुए है। बीजेपी को शायद ये नहीं मालूम की निशंक से उसी की सरकार के आधे से ज्यादा विधायाक व कार्यकर्ता परेशान है। अगर बीजेपी नहीं समझी तो उसका खामियाजा पार्टी को चुनावों में भूगतना पड़ता है।
मैं तो निशंक से इतना ही कहना चाहता हूं की भैय्या ये मधुमक्खी का छत्ता है हाथ ड़ालोगे तो डंक तो लगेगा ही। उमेश जी का घोटालों को खोलना बहुत ही सराहनिय कार्य है, इसके लिए उन्हें धन्नयावाद देना चाहूंगा। वो भी अगर उत्तराखंड़ के और पत्रकारों की तरह सराकार की दलाली सुरू कर देते तो शायद ही इतने बड़े घोटाले का आज देश की जनता को पता नहीं चलता।
उमेश जी संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ है………………..
गजब है उमेश के दलालों तुम साला उमेश के चिकन और बोतल पर बिकने वालो कहाँ एक कथित अपराधिक प्रवृति की तुलना एक प्रदेश के राजा से क्र रहे हो. तुम पर ये बात सही फिट बैठती है की कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगू तेली. और तुम साला किस घोटाले की बात कर रहे हो इस पर तो विधानसभा में चर्चा भी हो चुकी है.
तुम हरामखोरो उमेश के चमचो जिन्दगी में कुछ नहीं कर सकते हो मेरे को फर्जी बता रहे हो सचाई यह है की तुम चाँद रुपये में बिकने वालो अंगूर न मिले तो खट्टे अब बोलोगे ही.
ye Nishak ka frustration hai jiske karan chief minister ki chavi ko kalakit ho rahi hai aur nishak ko raja kahne wale hi dalal hai aur dalal nahi frustated dalal hai jo nishank ki fhaki gayi roti per hi pal rahe hai bhadas4media media person ke liye hai kesi chor rajneta ki jageer nahi jis per uski tareef ke kasede likhe jae mei Yaswant ji bhadai deta hu aur Umesh bhaiya ke vijay ke kamna Karta hu lage
Aalok
Yashwantji, nishank ke ghotalon ka pardaphash karna sarahniya hai par lage hath ap umesh kumar par ;lag rahe aropon ka bhi sangyan lete to achha rahta aur ap bhi apne ap ko kisi apradhi ko bachane ke aropon se bacha pate. Abhi to aise vyakti ka sath dekar ap swayam katghare me hain.
एक चोर दूसरे चोर को चोर कहे तो बात हजम नहीं होती। निशंक का भाण्डाफोड़ करने वाले उमेश कुमार का भाण्डा पहले ही फूटा हुआ है।एनएनआइ के नाम पर पत्रकार बने उमेश के कितने धन्धे हैं, उनका भी खुलासा होना चाहिये। वह पत्रकारिता की आड़ में उत्तराखण्ड को चूसने आये हुये हैं। उन पर कई अपराधिक मुकदमें भी हैं। उत्तराखण्ड में उनकी ऐजेसी की कोई कमाई नहीं है, फिर उमेश जी करोड़ों कहां से कमा रहे हैं। वह अगर इतने ईमान्दार हैं तो अपने धन्धों को भी सार्वजनिक क्यों नहीं करते। सुना गया है कि इन दिनों वह एक पूर्व मुख्यमंत्री के लिये काम कर रहे हैं। प्रश्न यह उठता है कि निशंक जी का भाण्डा तो उमेश जैसे लोग फोड़ देंगे लेकिन उमेश का भाण्डा कौन फोड़ेगा? उन्होंने जो प्रोपर्टियां कब्जाई हुयी हैं उनका ब्यौरा कौन देगा। उनका पिछला इतिहास कौन बयां करेगा? लानत है ऐसी पत्रकारिता पर
KHANDURI KO EEMANDAAR BATANE WALE YAA TO MURKH HAIN YAA WE BHUT BADE THAG HAIN. YE BEYIMAAN BHUL GAYE KI KHANDURI JI JAB KENDRA MEIN MANTRI THE TO TABHI SATENDRA DUBEY HATYAKAND HUAA THAA. BHOOTAL PARIWAHAN MAUNTRALAYA JITNA BADNAAM KHANDURI KE JAMAANE MEIN HUAA UTNA KABHI NAHI HUAA. KHANDURI KO MASEEHA PROJECT KARNE WALE JAATIWADI SAMAAJ TODAK HAIN.
Umesh kr. ke baare me sameer Tyagi ji ne bhut hi sateek tippani kee hai. Bhai Sameer badhai ke patra hain. Umesh ab apne bachaaw ke liye Khanduri ji ko ghseet rage gain. wah aisa prayaash kar rahe hain jaise wah Khanduri ke aadami hain. Umesh ke kaarnamon ki janch honi hi Chahiye. Umesh Jaise log Uttarakhand ko lootne aaye huye hain.
do dost aaj dhushaman kyon ?