बदल गया बनारस : फिल्मी पीसी में सैकड़ों पत्रकार पहुंचे, पत्रकार की अंतिम यात्रा में गिनती के दिखे

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: पत्रकार शंभू सिंह पंचतत्व में विलीन : वरिष्ठ पत्रकार शंभू सिंह का एक पखवाड़े की बीमारी के बाद 27 फरवरी को पीजीआई लखनऊ में  निधन हो गया। शंभू सिंह को 14 फरवरी को ब्रेन हेमरेज तब आ जब वह सुबह चाय पीने के बाद अखबार देख रहे थे। परिवारवालों ने उन्हें तत्काल निजी अस्पताल में भर्ती कराया जहां तीन दिन बाद भी स्थिति गंभीर देखकर परिवारवाले उन्हें लेकर पीजीआई लखनऊ चले गए।

इलाज के बाद भी शंभू सिंह ने 27 फरवरी को रात्रि में दम तोड़ दिया। उनका पार्थिव शरीर उसी दिन भिखारीपुर (ककरमत्ता) स्थित आवास पर लाया गया और अगले दिन दोपहर में हरिश्चंद्र घाट पर अंत्येष्टि की गयी। शवयात्रा में भारी संख्या में पत्रकार और उनके परिवारीजन मौजूद थे। मुखाग्नि उनके छोटे पुत्र अजय सिंह ने दी। वे अपने पीछे पत्नी धर्मशीला, दो पुत्र और एक पुत्री छोड़ गए हैं। उनके निधन पर पत्रकारों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। जिन अखबारों में शंभू सिंह ने काम किया उनमें से गांडीव, आज और काशीवार्ता से किसी भी पत्रकार ने अपना चेहरा दिखाना उचित नहीं समझा।

जो पत्रकार घाट पर मौजूद थे उनके नाम हैं- आई नेक्स्ट से राजनाथ तिवारी, जागरण से दिनेश सिंह, हिंदुस्तान से रतन गहरवार,  कमलेश चतुर्वेदी और परीक्षित त्रिपाठी, अमर उजाला से पवन सिंह, पूर्वांचल दीप से आशीष बागची, अजय कृष्ण त्रिपाठी, कबीर अहमद, काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष योगेश कुमार गुप्त पप्पू, वरिष्ठ पत्रकार पदमपति शर्मा, अमिताभ भट्टाचार्य और गांडीव से मुक्त हुए जयनारायण मिश्र और समाचारपत्र कर्मचारी यूनियन के महामंत्री अजय मुखर्जी मौजूद थे। बाकी पत्रकारों ने घाट की ओर रूख तक नहीं किया। यह उन पत्रकारों की हालत है जिनके साथ शंभू सिंह ने पत्रकारीय जीवन के तीन दशक बिताए।

अभी रविवार को ही काशी के अस्सी पर बन रही फिल्म के कलाकारों साक्षी तंवर, सनी देओल, रविकिशन की प्रेस कान्फ्रेंस थी जिसमें सवा सौ पत्रकार और फोटोग्राफर मौजूद थे पर पत्रकार शंभू सिंह की शवयात्रा में महज कुछ ही आ पाए। यह पत्रकारों द्वारा एक पत्रकार के प्रति दर्शाया जाने वाला सम्मान या यों कहें उपेक्षा थी जिसकी काफी बड़ी कीमत आगे चलकर इन पत्रकारों को चुकानी पड़ती है। बनारस स्थित पूर्वांचल दीप आफिस में हुई शोक सभा में शंभू सिंह के पत्रकारिता के क्षेत्र में किए गए योगदान की चर्चा करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गयी। शोक सभा में सर्वश्री आशीष बागची, अजय कृष्ण त्रिपाठी, रामप्रकाश ओझा, जयप्रकाश दुबे गुरुजी आदि प्रमुख थे। सन्मार्ग पटना के संपादक देशपाल सिंह पंवार ने भी शंभू सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।

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Comments on “बदल गया बनारस : फिल्मी पीसी में सैकड़ों पत्रकार पहुंचे, पत्रकार की अंतिम यात्रा में गिनती के दिखे

  • wahhhhhhhh banaras ke patrakaro… aapse aur bhi ummed hi kya ki aa sakti hai… aisa pehle bar nahi hua ki press confrence me 100 aur 125 ke karib patrakaro ki bheed jama ho… aksar BHU me hone wale koi bhi program ke pahle hone wale PC me me kuch isi tarah ke patrakaro ki jamghat dekhi jati rahi hai…… lekin ab to had hi ho gai kisi ke antim yatra me sharik na hokar sunny deoel ki PC me log pahunch rahe hai… akhir ek varist stambhkar ki antim yatra ke aagy filmi star ki valu kaise kam ho sakti hai…..

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  • मदन कुमार तिवारी says:

    हा तो आपलोग भी निश्चय कर लें इनके किसी भी मुसीबत में मदद न करने की और जब ये कुत्ते की तरह निकाले जायें या इनके साथ कोई बात हो तो भडास पर जब भी खबर लिखे उसमें यह भी जिक्र कर दे की कितने खुदगर्ज हैं ये लोग

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  • Harinath Kumar, BHU says:

    varishtha patrakar Shambhoo singh ke anteshthi par jo kuchh bhi hua…sharmnak hua. Lekin aisa koi yeh pahli bar nahi hua hai. jab maharashtra ke Vidarbh kshetra me hazaron kishan aatmhatya kar rhe the to us samay matra gine chune 6 patrakar kishano par biti story ko cover kiye,jabki dusari taraf mumbai me chal rhe Lakme Fashion Week 2010 ko karib 600 patrakar cover kiye the. yeh samaj me vyapt ghor vyaktivad, bajarbad ka prinam hai.

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