महान पत्रकारों के प्रधानमंत्री से महान सवाल

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कमल शर्मा
कमल शर्मा
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने घोटालों से देश की छवि खराब होने को लेकर आज टीवी चैनलों के संपादकों को बुलाया ता‍कि वे अपनी बात को आम जन तक पहुंचा सकें। प्रधानमंत्री का कहना था कि उनकी सरकार 2जी स्पेक्ट्रम, राष्ट्रमंडल खेलों, इसरो और आदर्श घोटालों के संदर्भ में सभी दोषियों, चाहे वह किसी भी पद पर हों, को कानून में दायरे में लाने को लेकर गंभीर है। उन्‍होंने 1.76 लाख करोड़ के 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में 2007 में ही ए राजा को पत्र लिखकर चिंता जताई थी।

समूचा राष्‍ट्र प्रधानमंत्री की टीवी संपादकों के साथ चल रही इस बैठक को गंभीरता से देख रहा है क्‍योंकि प्रधानमंत्री को अपनी बात आम जनता की अदालत में सामने रखने का मौका मिला है ता‍कि हर आदमी यह जान सके कि घोटोलों को लेकर सरकार करना क्‍या चाहती है। लेकिन इस बैठक में शामिल कुछ पत्रकारों के सवाल प्रासंगिक नहीं रहे। अब एक बानगी देखते हैं कि प्रधानमंत्री के साथ सवालों की। बैग फिल्‍म्‍स की प्रबंध निदेशक जिनका न्‍यूज चैनल है न्‍यूज 24। अनुराधा प्रसाद ने पहले सवाल में कहा कि संसद पिछली बार चल नहीं सकी, जेपीसी बनाने लेकर हंगामा हुआ, इस सवाल में यह बताया गया कि बजट सत्र नहीं चला। लेकिन पिछली बार संसद का शीतकालीन सत्र था, ना कि बजट सत्र।

बजट सत्र अब शुरू होने जा रहा है। अनुराधा प्रसाद का अगला सवाल इस घोटालों और महंगाई की चिंता के बीच आया कि क्रिकेट वर्ल्‍ड कप होने जा रहा है, सारा देश चाहता है कि भारत जीते, आपकी क्‍या राय है। घोटालों पर प्रधानमंत्री की सफाई की चर्चा चल रही है लेकिन आ गया क्रिकेट। प्रधानमंत्री ने भी कहा कि मैं भी चाहता हूं कि भारत जीते। क्‍या कोई भी देश का प्रधानमंत्री यह कहता कि मेरा देश क्रिकेट वर्ल्‍ड कप नहीं जीते बल्कि पड़ोसी देश जीते। अजी हम क्‍या करेंगे कप का। हमारे यहां तो जगह ही नहीं है कप रखने की। सब कुछ तो हमें स्विटरजलैंड के बैंकों में जमा कराना पड़ रहा है, इस कप को भी क्‍या वहां ले जाकर जमा कराएंगे। अनुराधा प्रसाद का तीसरा सवाल जानिए- आपका फैवरेट प्‍लेयर कौन है। प्रधानमंत्री ने नाम नहीं बताया। मनमोहन सिंह तो अपने कैबिनेट के ए राजा जैसे प्‍लेयर से परेशान हैं लेकिन पूछा जा रहा है क्रिकेट प्‍लेयर।

अब लीजिए देश के टीवी माध्‍यम के पहले बड़े पत्रकार प्रणब राय का सवाल। प्रधानमंत्री जी यूपीए सरकार का डेढ़ साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है। घोटालों की बाढ़ है। आपका साढ़े तीन साल का कार्यकाल बचा है, क्‍या आप अगले चुनाव के बाद प्रधानमंत्री उम्‍मीदवार होंगे। मनमोहन सिंह क्‍या कहते, आपका यह सवाल प्रीम्‍योचेर है। राय साहब आप खुद सोचिए, बनाएंगे तो क्‍यों नहीं बनना चाहेंगे प्रधानमंत्री। आपको भी बनाना चाहेंगे तो आप भी मना नहीं कर पाएंगे।

लेकिन जो अहम सवाल छूट गए, वे भी पूछ लेते तो अच्‍छा रहता। जैसे, मनमोहन सिंह जी आप आज सुबह कितने बजे उठे थे। सर, यहां आने में मुझे काफी टाइम लगा, जंतर मंतर के पास ट्रैफिक था। प्रधानमंत्री जी आपने नाश्‍ते में क्‍या लिया, आलू पराठा, दही या इडली। प्रेस के लिए आज आपने बैठक के बाद नाश्‍ते में क्‍या क्‍या खिलाना तय किया है। सर, मेरे दो चार काम थे प्राइवेट, आपसे कब मिल लूं। देश की छवि को लेकर बुलाई गई गंभीर वार्ता और अति गंभीर सवालों को सुनकर देशवासी धन्‍य हो गए। मेरा भारत महान।

लेखक कमल शर्मा मुंबई के पत्रकार हैं. उनका यह लिखा उनके ब्लाग से साभार लेकर यहां प्रकाशित किया गया है. कमल ने अपने ब्लाग पर अपना परिचय कुछ इस तरह लिखा है- ”मैं देवनागरी लिपि का पत्रकार हूं. बिजनस पत्रकारिता में रचा बसा हूं. राजनैतिक लेखन की बात करें तो खासकर महाराष्‍ट्र, गुजरात और आंध्र प्रदेश पर लिखना अच्‍छा लगता है. अधिक से अधिक मीडिया समूहों में काम कर अपने अनुभव को ज्‍यादा व्‍यापक बना रहा हूं. यही वजह है अब तक तकरीबन एक दर्जन मीडिया समूह में काम करने के अलावा स्‍वतंत्र लेखन भी खूब किया. नई चुनौतियां पहली प्राथमिकता है. प्रिंट, वेब और इलेक्‍ट्रॉनिक तीनों माध्‍यमों में काम करने का सुख अच्‍छा लग रहा है. ‘वाह मनी‘ ब्‍लॉग का मकसद निवेश खासकर शेयर बाजार से जुड़ी जानकारियां हिंदी में देना है. मैं चाहता हूं कि हमारा देश आर्थिक महासत्‍ता बने और इसके नागरिकों की इसमें पूरी-पूरी भागीदारी हो.”’

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Comments on “महान पत्रकारों के प्रधानमंत्री से महान सवाल

  • Kumar Madhukar says:

    kamal sharma jee main aapke ukt sawalon ka samarthan karta hun. jab se mujhe jankari mili ki prime minister ne tv sampadakon ke sath bat karenge to laga ki pm ek ke bad ek maha ghotalon se parda uthakar desh ke samne sachchai batayenge. Lekin aisa nahi hua. man men sawal utha ki pm ko yahi kahna tha to drama kion.
    isse chokane wali bat thi ki sampadakon ka mukhota pahan kar pm ke samne baithne wale sampadak kam mukhda jiada lage. inlogon achha sawal strigar kar lete. pm ki tarah sampadak tong the.
    kumar madhukar

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  • patrakarbhai says:

    behtar hai sharma ji, jahan hamare kayi patrakar apne samay ka sadupyog kar rahe the wahin mrs prasad ko bhagwan hi sadbhuddhi de

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  • Kamal Sharmaji, aap patrakar hain. Aapko pata hona chahiye press conference kyon karwaye jaate hain. Aise man jab talwachaatu sampadak press conference me pahunche, to aap unse kya umeed rakh sakte hain. agar in sampadakon ne apni maa ka doodh piya ho, to PM se maang karte ki Niira Radia ke woh saare kai hazaar tapes desh ke saamne rakh den. Phir dekhte mazaa. Main aapko gina sakta hoon un kendriya mantriyon aur netaon ke naam jo poonjipatiyon ki jeb me hain. Inme Congress ke bhi hain, BJP ke bhi hain aur the, Kai saal pahle Pres Club of India me ek buzurg photographer ne (woh sharaab nahin petey) kaha tha ki is desh me cabinet to darasal choron ki mandli hai. Us waqt mujhe kaafi bura laga tha. Radia tapes ke baad aankhen khul gayi hai. Hamari biraadari ke log bhi is hamaam me nange hain. Ab woh Mahtma Gandhi kahan, unki Young India aur Harijan akhbar kahan. Bhool jaayiye Ganesh shankar Vidyarthi ko. Is mulq ke rahnuma bik chuke hain.

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  • manhar choudhary says:

    एक अच्छी स्क्रीप्ट का वादा करें तो पीपली लाइव पार्ट 2 जरूर बनाउगां

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  • Lila Dhar Sharma says:

    कमल शर्मा जी आपने इस प्रेस कांफ्रेस के बारे जो लिखा वो अच्‍छा लगा । मै इस बारे में यह समझता हुं कि इस प्रेस कांफ्रेस को बुलाने का मतलब ही यही था की यहॉ पर प्रधानमंत्री से कोई गभींर सवाल ही न किया जाए। पिछले दिनो मिडिया के कई बडे लोगो का पर्दाफॉस उससे जाहिर हो गया कि आज कल नेताओं और पत्रकारों में कोई ज्‍यदा फर्क नही रहा खासकर वो पत्रकार जो बडे चैनलो और बडे अखबारों के कर्ताधर्ता बने हुए है । मुझे तो लगता है बल्‍कि लगता नही सच्‍चाई भी यही है की प्रधानमंत्री की प्रेस कांफ्रेस में बडे चैनलो और अखबारों के बडे अधिकारी इसी लिए आयें थे ,इनको डर था की कोई सच्‍चा पत्रकार प्रधानमंत्री से सच्‍चा प्रश्‍न नही करे और अगर ऐसा हो गया तो उनके संस्‍थान समस्‍यओं से घिर जाएगें इसलिए देश के इन हालातों में भी उनसे ऐसे प्रश्‍न किये गये ताकि प्रेस कांफ्रेस का जो समयहै किसी तरह से पुरा हो जाए । [/b]

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