पहले तहलका। उसके बाद इकोनॉमिक टाइम्स। उनके साथ पूरे देश का मीडिया। फिर सीबीआई। और अब इस देश में सबकी माई ‘बाप’ सुप्रीम कोर्ट। दयानिधि मारन की हवा टाइट है। अब बोलती बंद है। लेकिन कुछ दिन पहले तक बहुत फां-फूं कर रहे थे। तहलका ने जब सबसे पहले मामला सामने लाया तो उसको मानहानि का दावा ठोंकने की धौंस दिखाई।
इकोनॉमिक टाइम्स ने खबर छापी तो उसको भी डराने की कोशिश की। मगर पहले भारत सरकार के कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल यानी सीएजी ने मारन के चोर होने की बात कही तो दयानिधि की सांस हलक में ही अटक गईं। और अब जब, सीबीआई ने इस देश में सबकी माई ‘बाप’ सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मारन ने बहुत माल कमाया है, तो बोलती बिल्कुल बंद हो गई है। मीडिया ने आईना दिखाया तो, आंख दिखा रहे थे। मानहानि की धोंस दिखाई। कोर्ट में घसीटने के नोटिस दे दिए। अब क्या सीएजी और सीबीआई को भी कोर्ट में घसीटोगे ? और सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया तो उसको कौनसी कोर्ट में बुलाओगे मारन !
दयानिधि और उनके भाई कलानिधि मारन तीन अरब डॉलर के मालिक हैं। और भारत के अमीरों की सूची में बीसवें नंबर के सबसे अमीर आदमी माने जाते हैं। फिर भी पेट भरा नहीं, तो देश लूटने के लिए दक्षिण से देश की राजधानी दिल्ली तक पहुंच गए। बहुत भोली सी सूरत और बेहद मासूम दिखनेवाले दयानिधि मारन के अपने ही कुल के साथ किए कपट की किताब के पन्ने कभी और पलटेंगे। आज बात सिर्फ इसी पर कि कॉरपोरेट कल्चर से राजनीति में आए मारन ने अपनी चोरी छुपाने के लिए मीडिया को उसके खिलाफ ही हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश की। उनके सन टीवी पर खूब दिखाया गया कि तहलका और टाइम्स झूठ बोल रहे हैं। बाकी मीडिया भी तहलका और टाइम्स के हवाले से जो कह रहा है, वह हलाहल झूठ है। मगर मामला जमा नहीं। मारन मीडिया को मरोड़ने चले थे, मगर खुद ही मुड़े हुए नजर आ रहे हैं। अब उनकी राजनीतिक मौत तय है।
दयानिधि मारन चोर है। देश के चोर। यह साबित हो रहा हैं। इस चोर की पोलपट्टी अब सबके सामने है। लेकिन एक बहुत पुरानी कहावत है कि साधु का भेस धारण करनेवाले चोर की जब पोल खुलती है, तो वह अपने ईमानदार होने का ढोल भी कुछ ज्यादा ही जोर से पीटता है। देश के टेलीकॉम मंत्रालय को अपने सन टीवी के फायदे की दूकान के रूप में देखने वाले दयानिधि मारन इसी कहावत पर चल रहे थे। इसीलिए मीडिया को डरा रहे थे। तहलका ने जब कहा कि मारन ने अपने सन टीवी को फायदा पहुंचाने के लिए एयरसेल को अपनी और उसकी, दोनों की औकात से भी बहुत बाहर जाकर बड़ा फायदा दिया। तो मारन ने जोरदार विरोध किया।
मामला इज्जत का था। सो, दुनिया भर के मीडिया को बुला – बुलाकर खुद के बेदाग और ईमानदार होने की बात कही। मगर सवाल तहलका की इज्जत का भी था, सो, तहलका डटा रहा। मारन ने नोटिस भेजी। फिर मानहानि का दावा भी ठोंक दिया। यही खबर जब इकोनॉमिक टाइम्स ने देश को दी, तो बराबर उसी तर्ज पर मारन ने उसे भी धमकाने की कोशिश की। रोज मीडिया के सामने आ-आकर चीख-चीख कर मारन ने कहा कि मीडिया बदनाम करने की कोशिश कर रहा है। मारन ने सोचा था कि उनके सनटीवी में जिस तरह से खबरें दबाई जाती है और जिस तरह खबरों को दबाने के बदले दबाकर माल लिया जाता है, वैसा ही किया तो मीडिया यही समझेगा कि मारन ने घोटाला तो किया है। सो, धमकाने का यह दूसरा पैतरा अपनाया।
इकोनॉमिक टाइम्स तो मारन की धोंस पर चुप सा हो गया। वह बनिये की दूकान है। वहां खबरें खुलेआम बिकती हैं। उनके ही टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ फोकट में मिलनेवाले बॉम्बे टाइम्स जैसे लोकल टाइम्सों को तो हर शहर में बाकायदा ‘एंटरटेनमेंट प्रमोशनल फीचर’ की घोषणा के साथ ही खबरों की खरीद फरोख्त के लिए बीच बाजार खड़ा किया गया है। नवभारत टाइम्स में भी हर मंगलवार को रेस्पोंस फीचर के नाम से पैसे लेकर वीडियोकॉन के मालिक विशुद्ध व्यापारी वेणुगोपाल धूत को संतों की श्रेणी में खड़ा करने की कोशिश हो ही रही है। सो, मारन के मामले में ‘टाइम्स’ से कोई बहुत उम्मीद किसी को नहीं थी। लेकिन तहलका डरनेवाला आइटम नहीं है। फिर तहलका के लोग कोई हरामखोरी के पैसे पर पलनेवाले प्राणी भी नहीं हैं।
तहलका भिड़ा रहा। लगातार कहता रहा कि मारन ने मजबूती से मलाई काटी है। बाद में तो खैर सीएजी की रिपोर्ट भी आ गई। तो सभी ने यह खबर पढ़ाई और दिखाई भी कि टेलीकॉम सर्किल के आवंटन की एवज में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन ने रिश्वत लेने का कॉर्पोरेट रास्ता खोलते हुए किस तरह अपनी कंपनी ‘सन टीवी डाइरेक्ट’ में मलेशिया की एक मामूली सी दूरसंचार कंपनी मेक्सस से निवेश के रूप में 830 करोड़ रुपए लिए। अब सीबीआई ने भी यही बात कही है। और सीबीआई कोई हवा में बात नहीं करती। वह तथ्यों को तोलती है। फिर बोलती है। और सारे सबूतों के साथ पोल खोलती है। इसीलिए मामला सुप्रीम में है। अब शिकंजा वहीं से कस रहा है। तो, मारन मौन हैं। सिट्टी – पिट्टी गुम है। मीडिया ने आईना दिखाया तो उसे गलत बताकर धमकाने लगे थे। अचानक बहुत ताकत दिखाने लगे थे। अब उसी बात को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा तो फिर सीबीआई को भी तो कोर्ट में खींचो ना भाई। मीडिया को तो बहुत ताकत दिखा रहे थे। अब वह ताकत कहां घुस गई भाई ? बोलो मारन ?
लेखक निरंजन परिहार राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार हैं.
Comments on “मीडिया को मरोड़ने वाले मारन की ‘मौत’ तय”
guru bada karra likhte ho. kya akhbaaro mein bhi itna karra likh paogey.
लिखना – लिखाना तो सब करते ही हैं, मगर आपने ये भाषा कहां से पाई है निरंजन परिहारजी ? बहुत दमदार लिखते हो। प्रभाष जोशी के जाने के बाद देश में आलोक तोमर को सबसे ज्यादा पढ़ा जानेवाला पत्रकार कहा जाता था। अब आलोक जी के जाने के बाद खालीपन सा आ गया था। ऐसा धारदार पढ़ने को ही नहीं मिलता था। आपका एसपी सिंह साहब पर भी भड़ास पर ही एक बहुत ही मार्मिक लेख पढ़ा था। पढ़कर आंकों भर गई और मन भी भारी हो गया था। उस दिन के लिए भी आपको बधाई। ले किन तीन चार महीनों बाद करारा लेख पढ़ने को मिला, तो काफी आनंद की अनुभूति हुई। आपको तहेदिल से बधाई परिहारजी। लिखते रहिये। आपको पढ़कर सुकून मिलता है।
ashockbhardwaj_lkw@gmail.com
बहुत गजब का लिखते हो मित्र। आदरणीय आलोक तोमरजी की याद आ गई।
यशवंत सिंह तथा परिहार जी दोनों को बधाई।बहुत खूब लिखा है निरंजल परिहार जी ने, तथा यशवंत सिंह जी ने अपने साइट पर डाला है। बहुत शानदार । इसे कहते हैं बेबाक लेखन। परिहार जी, कभी नवभारत टाइम्स की वेब साइट भी आपने देखी तो होगी। पूरी तरह से नंगेपन से भरी पड़ी है। पोर्न पत्रकारिता का विभत्स स्वरूप… हम महिलाएं अपने घर में किसी के सामने उस वेबसाइट को नहीं देख सकती, इतनी शर्मनाक । गंदी गंदी फोटो खुलेआम शरीर दिखाती सुंदरियां, देखकर कोई भी शर्म से सराबोर हो जाए। टाइम्स की ऐसी पोर्न पत्रकारिता पर भी कभी कलम चलाइए।
suresh kalmadi,a.raja,kanimojhi,dayanidhi maran,p.chidambaram & many
more corrupts & criminals are being protected by UPA leader mrs. Sonia
Gandhi for her vested interests.She desires to ruin our Hindustan.She is a
shrewd & a cruel lady.Mehmood Gajni looted Somnath , this lady has planned to loot Padmanabh swamy temple of Thiruanant puram of Kerala.
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