ये तो वही बात हो गयी कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटे. मेरा तो सभी भाइयों से यही अनुरोध है कि क्या कोई सड़क चलते इंसान को एक लाख रुपए बिना किसी पहचान के दे सकता है या फिर किसी का विवाद न्यायलय में चल रहा हो और उसे कोई खाली करवाने का ठेका ले सकता है. इससे भी ज्यादा मजेदार बात ये कि जनाब कोर्ट की भी अवेहलना कर रहे हैं. जब इन्हें पता है कि दुकान ना तो बेची जा सकती है और ना ही उक्त कब्जेदार से खाली करवाई जा सकती है, क्यूंकि उक्त कब्जेदार को कोर्ट ने स्टे दिया हुआ है कि जब तक ये मामला सुलझ नहीं जाता तब तक यथास्थिति बनी रहेगी और जाहिर सी बात है.
इस मामले में पुलिस को भी तो कोर्ट ने डाइरेक्शन दिया होगा, क्या कोई पत्रकार कोर्ट की रूलिंग से बड़ा हो सकता है, अगर ऐसा है तो मुझे अपने उपर लगे सभी गुनाह मंजूर हैं. यशवंत जी आप तो देहरादून की राजनीति से भली प्रकार से अवगत हैं. इस कहानी के पीछे वही लोग लगे हैं, ज़ो मुझे हटाने के लिए कितना प्रसास करते हैं. वो सभी जानते हैं. ये ज़ो योगेन्द्र मलिक साहब हैं, ये वही हैं ज़ो शाह टाइम्स में सर्कुलेशन के पद पर थे और इनके बॉस वही थे, ज़ो अब वर्तमान में आजतक के नाम पर खेल करने में लगे हुए हैं. यह बात किसी से छुपी नहीं है.
अब मामला आता है कि आखिर योगेन्द्र मलिक मुझसे क्यों परेशान हैं, तो ये जानना मेरे लिए बड़ा ही मुश्किल होगा. एक और मजेदार बात योगेन्द्र मलिक साहब अभी ही कुछ दिनों से अपने मोबाइल से फ़ोन करते हैं और कहते हैं कि वो पैसे कब दोगे और साथ में रिकार्डिंग की बीप भी चल रही हो, तो यह बात अपने आप में ये साबित कर रही थी कि जनाब मुझे किसी मामले में फंसाना चाहते हैं, इसीलिए मैंने पटेल नगर क्षेत्र में इनके द्वारा ज़ो भी कॉल मुझे किया गया, उसकी जानकारी मैंने 8 जनवरी 2011 को पटेल नगर में लिखित रूप से दी हुई है. जिसे मैं भेज रहा हूं.
भला मेरी प्रार्थना पत्र पर कोई सुनवाई नहीं और इन जनाब ने ज़ो मुझसे एक हफ्ते बाद यानी 14 जनवरी 2011 को दी उस पर इतना बवाल. ये बातें मेरी समझ से परे हैं. अगर कोई आदमी किसी को पैसे देता है तो काम नहीं होने पर तकादा भी करता है और जिस काम के लिए इनके मुताबिक मुझे पैसे दिए हैं, वो तो अपने आप में ही एक अपराध है कि जनाब को प्रशासन और न्यायालय पर भी भरोसा नहीं रहा. और यहां का एक ऐसा पत्रकार उसकी पैरवी कर रहा है, ज़ो टीवी चोरी से लेकर पंजाब पुलिस का इनामी चोर है. वेली मेल में ये जनाब पत्रकार थे. जिन्हें एक लाख की उगाही के लिए निकाला भी जा चुका है, और यकीन ना आये तो वेली मेल के मालिक को फ़ोन करके पूछ लीजिए.
मैं उन तमाम लोगों के खिलाफ defemation करने जा रहा हूं, ज़ो मेरी छवि के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. यशवंत जी क्या आप ऐसे लोगों की बातों पर विश्वास करेंगे और शायद ऐसे ही लोगों से बचने के लिए भारत के क़ानून मे सबूतों को तरजीह दी जाती है, ज़ो इनके पास कभी हो ही नहीं सकते. सबूत हो तो सजा दिलाओ. और अंत में किसी भी चीज को छपने से पहले गौर जरूर फरमाइएगा कि आपकी खबर से किसी कि नौकरी चली जाये, क्यूंकि अगर हम किसी को नौकरी नहीं दे सकते तो उसको छीनने का भी कोई अधिकार नहीं है.
अभिषेक सिन्हा
आजतक
देहरादून
Comments on “मुझे आजतक से निकलवाने की साजिश है”
dehradun me chaat aur gol gappe bechne wala bhi patrakar ban jata hai wo bhi time wale channel ka byro chief.;D;D;D
devbumi ki mahima aprampar.yaha nigam chat bhandar lagakar gol gappey aur chat bechne wala patrakar ban jata hai aur ek tv channel ka paise se bureau chief bankar malai khata hai. koi chori k aprop me nikale jane k bad DD par slot lekar dukan saja kar netao ki dalali kar lakho kamata hai. koi uyaha cal girl supplai karne wala mantri banta hai,phir pharji medical collage khol kar karodo kamata hai phir channel khol kar arabpati ban jata jai. yaha sirf dlalai karne wale mauj karte hai.imandar patrakaro ki zindagi akhbaro me chand hajaro kamate gujar jati.kya kabhi kranti ayegi…ya ye silsila aise hi chalta rahega,
सब तो ठीक है लेकिन सलीम और अभिषेक दोनों ही यहाँ खेल कर रहे है. सलीम तो दूरदर्शन के नाम पर खेल रहा है. अभिषेक आज तक सा नाम पर.दोनों ,एक दुसरे को नीचा दिखाने के लीये जुगार दूंदते रहते है. कम कोई नहीं है
जहा तक वैली मेल वाले का सवाल है तो वह तो लुटेरा है.
अभिषेक सिन्हा के खिलाफ हमेशा देहरादून का मीडिया रहा …. जिसका इस कारण यह भी है की अभिषेक की खबरे जब आजतक पर चल जाती थी तभी देहरदून के बाकी मीडिया पर्सन की नींद टूटती थी… जब मैं देहरादून था …. तो सबसे ज्यादा मदद इन्होने ही मेरी खबरों के मामले में की लेकिन काम को लेकर कहते थे भाई मेरे लिए खबर ही सबकुछ है …. इन्होने सबसे पहले …उत्तराखंड की हर खबर आजतक को पहुंचाई….. आजतक देश मैं भले ही पहले पायदान पर हो लेकिन यह सच है देहरादून में अभिषेक के ही बदोलत आजतक की पहचान बनी है …. अभिषेक दबंग है इस बात में कोई दोहराहे नहीं क्यूँ की गलत बात को वो बर्दाश नहीं करते —यह वो पत्रकार है जो न नेताओ से डरता है न पुलिस से …क्यूँ की इन्हें खुद पर भरोसा है …… मेरे अभिषेक से आज अच्छे सबंध नहीं है …. लेकिन में इनके काम की कद्र करता हूँ ….. आज देहरादून की कुछ पत्रकार जो दलाली की दलदल में धसे है —वो उन्हें बर्बाद करना चाहते है लेकिन….. इतहास गवाह है शेर का शिकार कभी कुत्ते नहीं कर पाए है ….. अभिषेक भाई , जीत आपकी होगी….
संजीव शर्मा
www .voiceofpress .com
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are mere bhai tum to sher ke bachche ho .ghabra kiyun rahe ho .dost tumko to maloom hi hai ki kutte sher ko dekh kar bhonkte hi hain magar 100 kutte bhi milkar sher ka shikar nahi kar sakte .tumhari badhti lokpriyeta se jal rahe hain dehradun ke kuchh patrkar magar ghabrane ki koi baat nahi ham apke sath hain abhishek bhai.date raho maidan mai . m faisal khan(channel one news)saharanpur
देहरादून में आजतक के दो दलाल स्ट्रिंगर हैं. एक है सलीम सैफ़ी और दूसरे हैं अभिषेक सिन्हा. दोनों ही उत्तराखंड की राजधानी में दलाली का काम करते हैं. खबर से इनका कोई लेना देना नहीं है. अभिषेक दुबे जो मुजफ्फर नगर का रहने वाला है वो भी एक समय में मुजफ्फर नगर का छुटभईया बदमाश था. सलीम सैफ़ी एक समय में बैग फिल्म के दूरदर्शन पर चलने वाले रोजाना नाम के शो के समय से देहरादून में दलाली कर रहे हैं. वो मेरठ के रहने वाले हैं. सलीम को जब दिल्ली में आजतक में नौकरी मिल गई तो उस समय सलीम ने ही अभिषेक को देहरादून में आजतक का स्ट्रिंगर बनाया ताकि सलीम का धंधा चलता रहे. उसके बाद सलीम सैफ़ी को आजतक से निकाल दिया गया और कमर वहीद नकवी की कृपा से उसे फिर देहरादून में स्ट्रिंगर बनाया गया. अब जब सलीम सैफ़ी वापस पहुचे तो तब तक अभिषेक दुबे दलाली का स्वाद चख चुके थे. अब ये दोनों लड़ रहे हैं बदनामी आजतक की हो रही है. आखिर समझ से परे है की आजतक ऐसे दलाल स्ट्रिंगरों को निकाल क्यों नहीं देता और इनकी जगह कोई दूसरा व्यक्ति क्यों नहीं नियुक्त किया जाता.
dehradun me dalal patrakaro ka giroh kam kar raha hai.salim safi,basant nigam aur sahin choudhry ka gang hai ye. jo bhi inko chunoti dene ka kam karta hai unka ye kam tamam kar dete hai. abhishek k sath bhi yahi hu hai. sarki vigyapan aur sarkari theke, transfer posting se ye lakho kama rahe hai. inki kali kamai ki janch honi chahiye.ye log devbhomi ki pavitra dharti ko apavitra kar rahe hain. nishan ji ap patrakar hokar bhi in dalal patrakaro ko sheh de rahe hai,ye uchit nahi hai. devbhomi ko in rakshaso se mukti diwaiye.patrakar biradri apki aabhari rahegi.yaswant ji ap se bhi anurodh hai ap bhi in ka kale karnamo ko benakab kare na ki inki kartutu par prda dale.
इस लेख के साथ यह भी जिक्र होना चाहिये था की किस संदर्भ में यह जबाव है । मैं तो समझ हीं नही पाया की मामला क्या है । यह गलती भडास की है । जिनके जिम्मे लेख को प्रकाशित करने का काम है , उनको देखना चाहिये की संदर्भ क्या है ।
abhishek bhai me ap k sath hu.ye puri sajish yashwant g k kathit karibi dost ki hai jo dara dhamka kar,tranfer posting,blackmailing aur na jane apne kite karnamo k chatle media me badnam hai. bhadas bhi ab sansani phelane me lag gaya hai.jo bhadas k sampadak mahoday k karibi honge unki koi khabar nahi lagegi baki jo bhi ho un k charitra ka balatkar karne me ye der nahi lagate hai.
pahli baat tto ye ki jo baat abhishek ne likhi hai wo sau pratishat sahi hai , kyunki jab patel nagar tthane me 8 jan ko abhishek ki application le li gayi tthi jiski wajah abhishen ne batayi hi ki uske paas fone aur dhamki aana..doosri baat ye ki salim saifi jo ki aaj tak ke naam per apni dukaan chala rahe hain aur akele kumbh me hi 30 lakh rupaye ka kaam gautam ke sath milkar ghatiya si vigyapan film banane ke naam per le chuke hain aur netao ki dalali karte hain inki dukaan ka bhi sawaal hai…lekin hakeekat tto ye hai ki kuch log wastav me hi khabron ke ander jaye bina apne akhbaar ki surkhiyon ke chakkar me kisi ki naukari se khel jaate hain, iss per sharm karni chahiye