लोकसभा में उठा अंशकालिक संवाददाताओं के वेतन-भत्‍ता का मुद्दा

Spread the love

दुर्ग लोकसभा क्षेत्र सांसद व भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय सचिव व चंडीगढ़ भाजपा प्रदेश प्रभारी सुश्री सरोज पाण्डेय ने लोकसभा के शून्यकाल के दौरान प्रसार भारती सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंशकालिक संवाददाताओं से जुड़ा हुआ मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय विशेषकर सरकार का काम किसी भी क्षेत्र में हो रहे शोषण को रोकना है।

प्रसार भारती के तहत देश के करीब 550 जिलों से अधिक में अंशकालिक संवाददाता ( पार्ट टाइम कोरेस्पॉडेंट पीटीसी ) कार्यरत हैं। इनके साथ शोषण हो रहा है तथा पीटीसी को माह में कम से कम 20 स्टोरी, जिले में हलचल, एफएम पर न्यूज के लिए कार्य करना पड़ता है। कुल मिलाकर पूरे माह 24 घंटे हर समय सचेत और उत्तरदायी रहना पड़ता है। इसके एवज में प्रतिमाह महज 3000रूपए मिलते हैं। इतना ही नही समाचार संग्रह एवं इसके प्रेषण के एवज में 500रूपए प्रतिमाह फोन/फैक्स खर्च और 750 रूपए प्रतिमाह यात्रा भत्ता के रूप में मिलता है। यदि प्रसार भारती के लिए ही, एक समाचार संग्रह करने कोई स्थायी संवाददाता जाता है तो वह कम से कम एक से दो हजार रूपए यात्रा भत्ता लेता है एवं प्रसार भारती द्वारा पीटीसी को दिया जाने वाला प्रतिमाह राशि भारत सरकार के श्रम कानूनों का भी उल्लंघन है।

उन्‍होंने कहा कि सरकार द्वारा पत्रकारों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए वर्किग जर्नलिस्ट एक्ट 1955 बनाया गया। प्रिंट मीडिया के पीटीसी को इस एक्ट के तहत कवर किया गया है। लेकिन तब इलेक्ट्रानिक मीडिया नहीं था। इसलिये इलेक्ट्रानिक मीडिया के पीटीसी के लिए इसमें प्रावधान नहीं किया गया है। पिछले 10 वर्षो में इलेक्ट्रानिक मीडिया प्रमुखता से सामने आया है।1955 में इलेक्ट्रानिक मीडिया नहीं रहने के कारण इसके अंशकालिक संवाददाता को सरकार के वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट में शामिल नहीं किया है। यही कारण है कि प्रसार भारती के अंशकालिक संवाददाताओं का वेतन सुविधा निर्धारित नही है। सरकार इलेक्ट्रानिक मीडिया ( प्रसार भारती ) के अंशकालिक संवाददाताओं को वर्किग जर्नलिस्ट एक्ट में संशोधन करके शामिल कराएं। जब तक संशोधन नहीं होता है तब तक प्रसार भारती के अंशकालिक संवाददाताओं के हित को सुरक्षित रखते हुए वेतन मंहगाई भत्ता, टेलीफोन भत्ता बढ़ाकर 20 हजार रूपया प्रतिमाह किये जाने की मांग की जाती है।

दीपक खोखर की रिपोर्ट.

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Comments on “लोकसभा में उठा अंशकालिक संवाददाताओं के वेतन-भत्‍ता का मुद्दा

  • एक पत्रकार says:

    अगर इतने कम पैसे मिलते हैं और इतनी ज़्यादा मुश्किलात हैं तो फिर लोग प्रसार भारती का स्ट्रिंगर बनने के लिये 25000 रुपये देने को क्यों तैयार रहते हैं (भड़ास में ही एक राज्य की राजधानी के दूरदर्शन और आकाशवाणी के समाचार संपादक के बारे में छपा था कि वो पैसे लेकर एक-एक ज़िले में कई-कई पीटीसी बना रहे हैं)। खैर ये तो बात की बात है लेकिन सारी उंगली एक जैसी नहीं हो सकती हैं। मुझे उत्तर प्रदेश के एक शहर का हाल पता है जहां पिछले कई महीनों से आकाशवाणी का कोई संवाददाता नहीं है। जिस महिला को बनाया गया था उसकी सुना है कि कहीं सरकारी नौकरी लग गई है और वो मोबाइल फोन नहीं उठाती है। लेकिन आकाशवाणी के संवाददाताओं की सूची में उसका नाम बरकरार है, जाहिर है कि उसको बिना काम किये पैसा भी जा रहा होगा। लखनऊ में आकाशवाणी समाचार संपादक से बात की जाती है तो वो कहते हैं कि नज़दीक के दूसरे शहर के अमुक पत्रकार के ज़रिये समाचार भिजवा दीजिये जबकि वो पत्रकार संवाददाता नहीं हैं लेकिन समाचार संपादक का हाथ है तो सब कुछ जायज़ है।बेशक हर जगह इस तरह का हाल नहीं होगा लेकिन ज़्यादातर जगह हाल बेहाल है। जहां समाचार संपादक इस तरह के होंगे तो वहां स्ट्रिंगर कहां से धर्माधिकारी मिल जाएंगे। सांसद महोदया ने जो कहा है उस पर गौर होना चाहिये लेकिन मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में पीटीसी स्कैम की भी जांच होना चाहिये।

    Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *