लखनऊ। अमर उजाला लखनऊ से एक खबर यह आ रही है कि रविवार की रात एक बजे संपादक की डांट खाकर जनरल डेस्क इंचार्ज को बेहोशी आ गयी। जब तक साथी लोग इंचार्ज को अस्पताल ले जाते तभी सूचना मिलने पर संपादक जी भी दौड़े हुए आ पहुंचे और तीमारदारी करके चंगा करने में जुट गए। संपादक इंदुशेखर पंचोली की डांट खाकर छह लोगों को अबतक बेहोशी आने की खबर है। कुछ लोग तो बिना किसी को कुछ बताए चुपचाप अमर उजाला को बॉय बोलकर पतली गली से अन्यत्र निकल गए।
अमर उजाला को काफी बाद में पता चला कि लोगबाग छोड़कर परम पलायित हो चुके हैं। इन सभी लोगों ने बाद में बताया कि सामने पड़ने पर संपादक की फिर से डांट न सुननी पडे़, इसलिए धीरे से निकल लेने में ही उन्होंने अपनी भलाई समझी। घरवालियों ने भी अल्टिमेटम दे दिया था कि या तो हमें छोड़ो या फिर अमर उजाला को। सो, हम लोगों ने अमर उजाला को ही बॉय बोल दिया। रविवार की रात एक बजे बेहोश होने वाले इंचार्ज का नाम है सौरभ श्रीवास्तव। शायद किसी फोटो कैप्शन में गड़बड़ी के बाद उन्हें भयानक डांट मिली थी। इसके बाद ही श्री श्रीवास्तव अपनी सीट पर जाकर गश खाकर गिर गए और हाथ-पांव अकड़ने लगे। इससे पूरे दफ्तर में हड़कंप मच गया। लोग बाग दौड़ो भागो कहने लगे।
जैसे ही संपादक को पता चला वे दौड़े हुए आए और सौरभ के चेहरे पर पानी के छींटे मारना शुरू कर दिया। फिर अपना बचाव करते हुए कहा कि खाना वगैरह न खाने की वजह से शायद सौरभ को मूर्छा आ गयी होगी। संपादक ने तुरंत ही मिठाई आदि मंगवाकर काम चलाया और सौरभ श्रीवास्तव को खड़े होने का प्रयास करते देखकर राहत की सांस ली। इस घटना को लेकर पूरे लखनऊ मीडिया में तेज अफवाहें हैं। हर आदमी अपने ढंग से इस कहानी को बयां कर रहा है। साभार : पूर्वांचलदीप
Comments on “संपादक की डांट से बेहोश हो गए डेस्क इंचार्ज!”
पंचोली जी का वाकई कोई जवाब नहीं। जवाब तो यशवंत व्यास का भी नहीं जो भास्कर से कचरेदान में फेंके जा रहे लोगों को चुन-चुन कर अमर उजाला में मलैदर पदों पर प्रतिष्ठित कर रहे हैं।
यशवंत जी को भी जय-जय करने वाले ही लोग चाहिए…हिंदी के दूसरे आलोक मेहता हैं यशवंत जी…
संपादकोँ को सकारात्मक होना चाहिए
लखनऊ को पत्रकारिता की राजधानी कही जाती है। लेकिन अमर उजाला की घटनाएं बेहद दुखी कर रही हैं। मेरे भी परिचित यहां काम कर रहे हैं। मैं भी दुखी हूं उनकी पीडा देखकर।
Get Well Soon Panchu. ;D
अमर उजाला पर बस दया ही की जा सकती है। एक के बाद एक परेशानियों में फंस रहा है ऊपर से नाकाबिल लोग अखबार का सत्यानाश किये दे रहे हैं। जो भी मालिक हों उनको अब तो कुछ सोचना चाहिये, कब तक झेलेंगे नाकारा लोगों को?
pancholi ji kota bhaskar me bhi aise hi kaamal kar chuke hai.
News paper companies ke maalik karmchariyo ka sosan karate hai. kam paisa dekar jyada se jyada kaam lena chahate hai.