: नेशनल आरटीआई फोरम इसकी भर्त्सना करती है : उत्तरदायी एवं पारदर्शी गवर्नेंस के क्षेत्र में कार्य कर रहे नेशनल आरटीआई फोरम उत्तर प्रदेश में आईपीएस अधिकारियों के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले जीआरपी गोरखपुर के सिपाही सुबोध यादव की जल्दीबाजी में एसपी जीआरपी गोरखपुर द्वारा की गयी बर्खास्तगी की कटु निंदा करती है.
हमने सुबोध यादव की 14(1) उत्तर प्रदेश अधीनस्थ पुलिस अधिकारी (आचरण एवं अपील) नियमावली 1991 के तहत बर्खास्तगी का आदेश देखा है और हम यह मानते हैं कि जिन आधारों पर उनकी बर्खास्तगी की गयी गई वह बहुत सतही और दोषपूर्ण हैं. हम सभी जानते हैं कि इस प्रदेश में सैकड़ों पुलिस कर्मी सालों से अनुपस्थित चल रहे हैं पर सुबोध मात्र 54 दिन और 14 घंटे की अनुपस्थिति के आधार पर बर्खास्त किये जा रहे हैं. वह भी तब जब आदेश के अनुसार सुबोध ने इस अवधि का चिकित्सकीय प्रमाणपत्र प्रेषित किया किन्तु एसपी जीआरपी ने इन अभिलेखों को स्वतः ही गलत मान लिया.
सुबोध की बर्खास्तगी का दूसरा कारण मु. अ. सन. 65 ऑफ 2011 धारा 353 आईपीसी व 3(2)(4) पुलिस बल (अधिकारों का प्रतिबन्ध) एक्ट 1966 थाना सिविल लाइन्स, इलाहबाद में उनका अभियुक्त होना बताया गया है. पर यह भी अपने आप में पर्याप्त कारण नहीं है क्योंकि सुबोध अभी इस अपराध में मात्र मुज्लिम बनाए गए हैं, अदालत द्वारा दोषसिद्ध नहीं हुए हैं. ऐसे में उन्हें दोषी मान कर कार्रवाई करना गलत और द्वेषपूर्ण जान पड़ता है. वे लगातार इस पूरे मुकदमे को बड़े अधिकारियों की साजिश बता रहे हैं.
यह बात अधिक महत्वपूर्ण इसीलिए हो जाती है क्योंकि सुबोध लगातार अधीनस्थ पुलिस कर्मचारियों के वाजिब हकों के लिए संघर्षरत रहे हैं और साथ ही वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के भ्रष्टाचार के विरुद्ध भी लड़ते रहे हैं. हाल में उन्होंने अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार-विरोधी मंच से सीधे-सीधे बृजलाल और एके जैन को महाभ्रष्ट बताया था. नेशनल आरटीआई फोरम का मत है कि सुबोध के साथ स्पष्टतया ज्यादती हुई है और घोर अन्याय हुआ है. फोरम सुबोध के साथ है और यह उम्मीद करती है कि उन्हें शीघ्र ही न्याय मिलेगा.
डॉ. नूतन ठाकुर
कन्वेनर, नेशनल आरटीआई फोरमम
मोबाइल – 94155-34525
Comments on “सुबोध यादव के बर्खास्तगी का आदेश सतही और दोषपूर्ण”
didi /madam aap likhti achaa hai. subodh bhaiya high cort me apeel kare tab na.aap ki bebaak lekhni k liye badhayi.