जमशेदपुर। भाजपा और टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा के बीच शुरू हुई तनातनी थमने का नाम नहीं ले रही है। भाजपा ने शनिवार को कुछ दस्तावेज जारी कर सीबीआई जांच को चुनौती देते हुए टाटा से पूछा कि क्या उनकी कंपनी टाटा स्टील ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और उनके साथियों को घूस के तौर पर 36 करोड़ रूपए और अन्य परोक्ष सुविधाएं नहीं दी थीं। कोड़ा के शासनकाल में कथित तौर पर हुए लगभग 4000 करोड़ के महाघोटाले को उजागर करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता सरयू राय ने कहा कि टाटा ने सार्वजनिक बयान दिया है कि उनकी कंपनी किसी को रिश्वत नहीं देती है।
क्या वे बताएंगे कि कोड़ा घोटाले के आरोपी तथा कोड़ा के पूर्व आप्त सचिव बसंत भट्टाचार्य का प्रवर्तन निदेशालय के जांच अधिकारियों के समक्ष दिया यह बयान सही है या नहीं कि टाटा स्टील ने कोड़ा और उनके सहयोगी विनोद सिन्हा को लौह खदान का लीज हासिल करने के लिए 36 करोड़ रूपए की रिश्वत दी थी। इसी घोटाले से जुड़े एक अन्य अभियुक्त तथा एक निजी कंपनी के निदेशक संजीव मनसोत्रा ने पूछताछ में बताया कि टाटा स्टील ने कोड़ा और सिन्हा की कंपनी शारदा कंसल्टेंट को 13 करोड़ रिश्वत दी है। इस कंपनी ने टाटा स्टील से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर पॉश इलाके में काफी महंगी जमीन कौडियों के भाव खरीदी है। साभार : पत्रिका
ajit gupta
December 15, 2010 at 11:28 am
टाटा के तो बगाल में जूते पड़ रहे थे तब मोदी ने इसे गुजरात में शरण दी लेकिन यह नमक की कीमत नहीं जानता और आज कीचड़ उछालने पर उतारू हो गया। दुनिया में ऐसा कौन सा उद्योग घराना है जो बिना रिश्वत के इतना बड़ा साम्राज्य स्थापित कर ले?
Gumsum
December 15, 2010 at 1:59 pm
Although Tata claims to be a public friendly company, the reality is its simply a business minded company. By managing political faces, the company used to under water the cases of human right violation, inhuman work stations etc. Violation of Pollution measures are prowl in the units of Tata Steel. One of the previous Director was openly taking bribe from the contractors. The system is still followed by all most all senior officials. But no body used to scan their suspicious earnings.