: टू जी तंरग घोटाले की जांच कमोवेश 1991 में सामने आए हवाला कांड जैसा होता दिख रहा है जिसमें शामिल सभी रसूखदार आरोपी कानूनी फंदे से निकल गए : सुप्रीम कोर्ट के बरसते डंडे के बीच टूजी तरंग घोटाले की सख्त जांच को मजबूर हुई सीबीआई रतन टाटा, अनिल अंबानी, प्रशांत रुईया, दयालू अम्मा, सुब्रत रॉय सहारा और नीरा राडिया को बचा रही है।
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बुरे फंसे अनिल अंबानी, एडीजी के खिलाफ चार्जशीट
: 2जी स्पेक्ट्रम मामले में सीबीआई ने राजा समेत 9 लोगों और तीन कंपनियों को आरोपी बनाया : टाटा-राडियो फोन टेप प्रकरण की सुप्रीम कोर्ट में रोजाना होगी सुनवाई : केंद्रीय जांच ब्यूरो ने अनिल अंबानी को भी नहीं बख्शा. कह सकते हैं कि 2जी स्पेक्ट्रम मामले में सरकार ने सीबीआई को कार्रवाई की खुली छूट दे रखी है. तभी तो ए. राजा समेत कुल 9 लोगों और तीन कंपनियों को आरोपी बनाते हुए सीबीआई ने चार्जशीट कोर्ट में दायर की है.
टाटा ने कोड़ा को दी थी 36 करोड़ घूस
जमशेदपुर। भाजपा और टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा के बीच शुरू हुई तनातनी थमने का नाम नहीं ले रही है। भाजपा ने शनिवार को कुछ दस्तावेज जारी कर सीबीआई जांच को चुनौती देते हुए टाटा से पूछा कि क्या उनकी कंपनी टाटा स्टील ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और उनके साथियों को घूस के तौर पर 36 करोड़ रूपए और अन्य परोक्ष सुविधाएं नहीं दी थीं। कोड़ा के शासनकाल में कथित तौर पर हुए लगभग 4000 करोड़ के महाघोटाले को उजागर करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता सरयू राय ने कहा कि टाटा ने सार्वजनिक बयान दिया है कि उनकी कंपनी किसी को रिश्वत नहीं देती है।
टाटा ने दी सफाई, नीरा का साथ लेना मजबूरी
2जी स्पेक्ट्रम मामले तथा नीरा राडिया से बातचीत के मामले में आरोपों से घिरे रतन टाटा ने सफाई दी है. टाटा का कहना है कि उन्होंने नीरा के जरिए सरकारी नियमों को तोड़ने या बदलवाने की कभी कोशिश नहीं की. उन्होंने नीरा की सेवाएं सिर्फ इसलिए लीं क्योंकि उनकी प्रतिद्वंद्वी कम्पानियां कुछ बड़े पत्रकारों के साथ मिलकर उनके हितों को नुकसान पहुंचा रही थीं. नीरा राडिया को उन्होंने सिर्फ इसलिए रखा था ताकि उनकी बात को ठीक से सुना जा सके. क्योंकि उनके पास इसका मुकाबला करने के लिए अपना कोई सम्पर्क नहीं था.
टाटा-राडिया के टेप सार्वजनिक किए जाएं : गोविंदाचार्य
पूर्व भाजपा नेता एवं विचारक केएन गोविंदाचार्य ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर टाटा-नीरा राडिया वार्ता टेप को सार्वजनिक किए जाने की मांग करते हुए कहा कि वह इस संबंध में अदालत भी जाएंगे। गुलबर्गा में 23 दिसम्बर से शुरू हो रहे 10 दिवसीय भारत विकास संगम की तैयारी के सिलसिले में आए गोविंदाचार्य ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि टाटा-नीरा राडिया के बीच हुई बातचीत के टेप को सार्वजनिक किया जाना चाहिए जनता को यह जानने का पूरा अधिकार है कि सार्वजनिक सम्पत्ति की किस तरह से बंदरबांट चल रही है।
राडिया की प्रेत साया से रतन टाटा और बरखा दत्त को बचाने का महाअभियान!
टेप कांड का कहर जारी है. डैमेज कंट्रोल में लगे हैं माननीय और माननीया लोग. रामनाथ गोयनका का धारधार एक्सप्रेस समूह धीरे धीरे धार खोता नजर आ रहा है. इंडियन एक्सप्रेस जिस तरह से रतन टाटा के बचाव में उतरा है, उससे शक होने लगा है कि इस समूह की मंशा कहीं 2जी स्कैम के लपेटे में आ रहे उद्यमियों को बचाने की तो नहीं है. शेखर गुप्ता ने रतन टाटा से विस्तृत बातचीत की. इस बातचीत को एनडीटीवी ने तो जमकर दिखाया. इस बातचीत में रतन टाटा ने टेपों के लीक होने को गलत बताया है, टेप सुने जाने को निजता का हनन कहा है, टेपों के आधार पर दूसरों को सवालों के घेरे में लेने को खराब कहा है.
टेप लीक मामले में टाटा पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
टाटा समूह के मुखिया रतन टाटा ने कंपनियों के लिए सत्ता के गलियारों में समर्थन जुटाने वाली एक शख्सियत नीरा राडिया के साथ उनकी फोनवार्ताओं के टैप को लीक किए जाने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय की शरण ली है। टाटा ने अपील की है कि लीक के जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए क्यों कि इससे उनके जीवन जीने के मूलभूत अधिकार का हनन हुआ है जिसमें निजता का अधिकार भी शामिल है।
मीडिया पर भड़के रतन टाटा
मुम्बई। उद्योगपति रतन टाटा ने कार्पोरेट घरानों के लिए लॉबिंग करने वाली नीरा राडिया और उसकी उद्योगपतियों, प्रभावशाली राजनेताओं, पत्रकारों के साथ बातचीत की टेप के लीकेज को मीडिया उन्माद करार दिया है। टाटा का कहना है कि राडिया के साथ बातचीत का तथाकथित टेप महज परदा है जिसकी आड़ में इस खेल के बड़े खिलाडियों को बचाया जा रहा है। उन्होंने मीडिया को इस मसले को अघिक तवज्जो देने का आरोप लगाया।
टाटा रिश्वतखोर मंत्री का नाम क्यों नहीं खोलते
देहरादून में एक कार्यक्रम में टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने कहा- ”वर्षों पहले मुझसे एक केंद्रीय मंत्री ने करोड़ों रुपये रिश्वत मांगी थी. तब टाटा ग्रुप सिंगापुर एयरलाइंस के सहयोग से घरेलू एयरलाइंस स्थापित करने में जुटा था. एयरलाइन इंडस्ट्री में सबसे आगे रहने के बावजूद टाटा ग्रुप को यह परियोजना शुरू करने में काफी मुश्किलें पेश आ रही थीं. इस बात को मीडिया ने उठाया. तब हमने तीन प्रधानमंत्रियों से मुलाकात की लेकिन किसी ने हमारी कोशिशों को बढ़ावा नहीं दिया. बाद में एक उद्योगपति ने आकर मुझसे कहा कि तुम बेवकूफ हो, केंद्रीय मंत्री 15 करोड़ रुपये की रिश्वत मांग रहा है, उसे क्यों नहीं दे देते, काम हो जाएगा. लेकिन मैं रिश्वत नहीं देना चाहता था और मैंने ऐसा ही किया. 10-12 साल पहले हुई इस घटना के बाद एयरलाइंस खोलने का मेरा सपना अधूरा ही रह गया.”