((जी न्यूज और जी यूपी के यूपी के फर्रूखाबाद जिले के रिपोर्टर / स्ट्रिंगर पंकज दीक्षित ने भरे मन से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने 7 अप्रैल को इस्तीफा देने संबंधी एक लंबा-चौड़ा पत्र जी न्यूज के एचआर विभाग को भेजा। यह पत्र भड़ास4मीडिया के भी हाथ लगा है। पंकज द्वारा भेजे गए इस्तीफे को पढ़ने के बाद चैनल के अंदर चलने वाली कहानी और एक जिनुइन पत्रकार की पीड़ा को समझा जा सकता है। -संपादक))
सेवा में,
वाइस प्रेजिडेंट, एचआर – जी न्यूज़ लिमिटेड
विषय : जी न्यूज़ के साथ अपनी सेवाएं समाप्त करने के संबंध में.
महोदय/महोदया,
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जनपद में पिछले तीन साल से जी न्यूज़ को मैं अपनी सेवाएं दे रहा था। आपके विभाग के श्री विशाल के दूरभाष पर मिले आदेश के क्रम में मैं अपनी सेवाएं समाप्त करते हुए जी द्वारा दिया सामान वापस भेज रहा हूं. इसके साथ मैं तीन साल के आपके साथ के अनुभव को भी व्यक्त कर रहा हूं….
- मैंने आपके ग्रुप के साथ जुड़कर काफी कुछ सीखा और अनुभव भी प्राप्त किया. मई 06 से जुड़ने के बाद मैंने 15 से 20 स्टोरी हर माह की. मेरा स्टोरी आइडिया 99 प्रतिशत तक माना गया. मगर जून 08 के बाद डिमांड कम होने के बाद काम में मेरा मन लगना कम हो गया और मैंने स्टोरी बहुत कम कर दी. कारण स्पष्ट था कि स्टोरी में लगातार लागत आ रही थी और बदले में पैसा कम मिल रहा था. मेरे पास कोई दूसरा काम नहीं था लिहाजा अपने परिवार को पालने के लिए मुझे आय के दूसरे साधन देखने पड़े. मैंने कभी शासन-प्रशासन में दलाली या सिफारिस के काम नहीं किये. विशुद्ध रूप से पत्रकारिता करना मेरा ध्येय रहा. यही कारण रहा कि कभी भी किसी अन्य राष्ट्रीय चैनल के रिपोर्टर मेरे आगे टिक नहीं पाए और आईबीएन7, एनडीटीवी, स्टार न्यूज, न्यूज24, इंडिया टीवी, आज तक जैसे चैनल मुझसे खबरों की उम्मीद करते रहे और मुझसे संपर्क करते रहे, मगर मैंने कभी अपना घर छोड़ना मुनासिब नहीं समझा.
- इधर मई 08 के बाद यहाँ के केबल ओपेरटर ने जी न्यूज को आफ एयर कर दिया जो अब तक बंद है. मेरे कई बार अनुरोध पर भी उसे चालू नहीं करवाया जा सका. नतीजतन मेरे द्वारा पूर्व में की गयी कई खबरों से दुश्मनी मान बैठे सरकारी अफसरों को लगा कि अब मैं मीडिया में काम नहीं करता हूं और उसका फायदा उठाते हुए यहां के बसपा के प्रत्याशी नरेश अग्रवाल के दबाव में मेरे खिलाफ एक फर्जी मुकदमा 65/67 इनफारमेशन एक्ट के तहत दायर करा दिया। यहां के एसपी ने मुझे फोन किया कि मैं उनसे मिल लूं मगर मैंने दबाव में काम करने के बजाय इलाहाबाद हाईकोर्ट जाकर कोर्ट से राहत ले आया। यहां के पुलिस के एसपी जो कि बसपा की सिटिंग-गेटिंग अधिकारी हैं और बसपा प्रत्याशी चाहते हैं कि मैं उनके प्रो खबर करुं जो शायद मेरे बस की बात नहीं था. मुझे यह एहसास होने लगा है कि एक स्ट्रिंगर पर जब चैनल के लिए किए गए काम के एवज में मुसीबत आती है तब उसे खुद हल करने की क्षमता होनी चाहिए.
- यहां के बसपा प्रत्याशी ने होली मिलन कार्यक्रम में एक कलाकार को 500 रुपये का नोट दिया था जो मेरी नजर में आचार संहिता का उल्लंघन नहीं था लिहाजा मैंने खबर नहीं भेजी मगर उसी खबर को जब ईटीवी और महुआ न्यूज ने दिखाया तो बसपा प्रत्याशी ने मुझे फोन किया कि मैं खबर क्यों चलवा रहा हूं. मैंने उन्हें बताया कि ये खबर ईटीवी पर चल रही है जिसका रिपोर्टर यहां है. मैंने उस रिपोर्टर का फोन नंबर भी उन्हें दिया. उन लोगों ने सभी टीवी चैनल के पत्रकारों को धमकाया. इतना ही नहीं, मेरी भी शिकायत जी न्यूज में कर दी. उसी रात मेरे पास जी यूपी के अमित पालित का फोन रात में 2.30 बजे आया और मुझसे पूछा गया कि मैंने खबर क्यूं चलवाई. मुझे नहीं मालूम बसपा प्रत्याशी की पहुच कहां तक है, न ही मैं उसे जानना चाहता हूं मगर मुझे लगता है कि अगले 45 दिन तक, जब तक चुनाव नहीं हो जाते, मेरे लिए फर्रुखाबाद से जी के लिए खबरें करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि खबर तो ज्यादातर सत्ता और शासन की कमियों की ही निकलती है और ऐसे हालत में मुझे सपोर्ट मिलने की जगह खुद मेरे ही चैनल से सवाल पूछा जा सकता है. लिहाजा मैं स्वयं को पिंजडे में कैद पंछी की तरह महसूस कर रहा था.
- जी यूपी से मुझे कई बड़ी स्टोरी करने को बोला गया मगर मैं नहीं कर सका और संकोचवश समस्या भी नहीं बता सका. पैसों के अभाव में स्टोरी करना संभव नहीं. फिर भी मैंने स्टोरी की और उसमें अच्छा काम करने का प्रयास किया, चाहे लागत कुछ भी आ जाये. मगर मैं जानता नहीं कि जिस काम पर मैं लागत लगा रहा हूं उसमे मुझे वापस क्या मिलने वाला है. मेरे पास लागत लगाने को भी नहीं है. चैनल आफ एयर होने के कारण मुझे नहीं मालूम जी न्यूज पर वर्तमान में दिखाया क्या जा रहा है और वह चाहता क्या है. हर रिपोर्टर की इतनी इच्छा तो होती है कि उसे उसका किया काम देखने को मिले या फिर इतना पैसा बह रहा हो कि उसी में बह जाये. मुझे ये दोनों नहीं दिख रहे. अभी तक हमें नहीं बताया गया कि हमें क्या मिलने वाला है.
- वर्ष 08-09 में मुझे कोई भुगतान नहीं किया गया. कई बार कहने के बाद जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो मैंने हथियार डाल दिए और मांगना छोड़ दिया. लाइब्रेरी से मेरी स्टोरी चेक की जा सकती हैं.
- वर्ष 07-08 में मेरे द्वारा भेजी गयी 37 हजार मूल्य की स्टोरी को नान-एयर्ड बताकर भुगतान काट लिया गया. जबकि उनमें से कई एयर्ड स्टोरी की रिकार्डिंग मेरे पास अब भी है.
मुझे किसी से कोई व्यक्तिगत शिकायत नहीं है. मेरे साथ सभी का व्यवहार सरल ही रहा. सबने खबरों की चाहत की और मैंने जान लड़ा कर खबरें कीं और दीं. शायद यही वो चीज थी जो मुझे जी से जोड़े हुए थी.
मैं सोमवार को जी द्वारा दिए गए आईडी को वापस भेज दूंगा.
पंकज दीक्षित
09415333325