त्रिवेणी ग्रुप के न्यूज चैनल वायस आफ इंडिया के नए कर्ता-धर्ता हैं अमित सिन्हा। निदेशक और सीईओ के रूप में अमित वीओआई को पटरी पर लाने, इसके कंटेंट को सुधारने और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की कवायद में जुट गए हैं। कौन हैं ये अमित सिन्हा? त्रिवेणी ग्रुप के साथ इनकी किस तरह की सहमति बनी है? किसने लगाया है वीओआई में पैसा? वीओआई का क्या है भविष्य? अमित की क्या है रणनीति? त्रिवेणी के मालिक मित्तल बंधु वीओआई के रोजाना के कामधाम में कितना करेंगे हस्तक्षेप? इन कई सवालों को लेकर भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह ने वीओआई के निदेशक अमित सिन्हा से बातचीत की। पेश है इंटरव्यू के कुछ अंश-
-सबसे पहले अपने बारे में बताएं? आपका बैकग्राउंड क्या है?
-मैं एक पत्रकार रहा हूं। वर्ष 1991 में जब राष्ट्रीय सहारा लांच हुआ तब मैं उसका करेस्पांडेंट बनकर मुंबई गया। बाद में राहुल देव जी ने जनसत्ता में बुलाया तो सन 1992 में जनसत्ता ज्वाइन कर लिया और वहां 97 तक रहा। जनसत्ता में रहते हुए खबरों पर काफी काम किया और लगभग रोज ही पहले पन्ने पर छपता रहा। सन 97 में मध्य प्रदेश के नवभारत ग्रुप का अखबार मुंबई में लांच हुआ। इस अखबार से जुड़ा। नवभारत के बाद मैंने खुद का काम शुरू किया। एक एड एजेंसी की स्थापना की। सर्चलाइट नाम से। हम लोगों ने कई डाक्युमेंट्री फिल्में बनाईं, एड फिल्में बनाईं, जी के लिए प्रोडक्शन का काम किया। मीडिया का हर आदमी चाहता है कि एक दिन उसका अपना मीडिया हाउस हो। मेरा भी सपना था कि एक दिन मैं भी पूरा चैनल शुरू करूं। मीडिया के जितने भी सेक्शन होते हैं- मार्केटिंग, ब्रांडिंग, रेवेन्यू, सेल्स, कंटेंट, डिस्ट्रीब्यूशन सभी को समझने की कोशिश की। यह बिलकुल सही बात है कि अगर आप मीडिया हाउस चलाते हैं और आपको इससे लाभ नहीं होता है तो एक न एक दिन आपका उत्साह जरूर ठंडा पड़ जाएगा या फिर एक दिन आप इसे बंद करने को मजबूर होंगे। तो इसीलिए कंटेंट की सर्वोच्चता को मानते हुए, कायम रखते हुए मार्केटिंग के तौर-तरीके व ट्रेंड को समझना जरूरी होता है। मुंबई में खुद की एड एजेंसी के जरिए मीडिया के हर छोटे-बड़े काम को जानने-सीखने और आगे बढ़ाने का मौका मिला। सन 94 में जैन टीवी पर हम लोगों ने एक स्लाट लिया था। उनके लिए आधे घंटे का प्रोग्राम बनाते थे।
-त्रिवेणी प्रबंधन और आपके बीच वीओआई को लेकर किस तरह की डील हुई है?
-मैं अपनी एजेंसी की तरफ से अलग-अलग चैनलों के लिए बिजनेस का काम देखता था। इसी दौरान त्रिवेणी ग्रुप के मालिकों से मुलाकात हुई। बातचीत होती रही। लगा कि हम दोनों को एक दूसरे की जरूरत है। मैंने उनसे कहा कि पूरा मार्केटिग आप हमें दे दो। चैनल को मुझे अपने ढंग से चलाने दो। जब मैं चैनल की मार्केटिंग करूंगा तो चैनल अपने हिसाब से ही चलाऊंगा। सहमति बिनी कि इतना बिजनेस आएगा तो ये होगा, उतना बिजनेस आएगा तो वो होगा। इसे रेवेन्यू शेयरिंग माडल कह सकते हैं। थोड़ा बहुत एमाउंट इनवेस्ट किया है। हम सभी मिलकर इस चैनल को चलाएंगे और इसके रोजाना के खर्चे को भी मिलकर उठाएंगे। हम लोगों ने यहां पहले ही महीने में डेढ़ करोड़ का कांट्रैक्ट साइन किया है। इस कांट्रैक्ट के एड चलने लगे हैं। पिछले एक साल में तीन करोड़ का बिजनेस किया गया था जिसमें सिर्फ एक करोड़ रुपये ही आए। डेढ़ करोड़ डिफाल्ट है। वो नहीं आ सका। पचास लाख आना बाकी है। तो एक साल में एक करोड़ आया और हम लोगों ने एक महीने में एक करोड़ का बिजनेस किया। मुझे मीडिया मार्केटिंग की समझ है। इंडिया की जो टाप मोस्ट एड एजेंसीज हैं, उनके साथ हमारा अच्छा रिश्ता है। हमने उनके साथ काम किया है। चैनल की विजिबिलिटी बढ़ेगी, कंटेंट सुधरेगा, रेटिंग में हम लोग आगे बढ़ेंगे तो हमारा बिजनेस और बढ़ेगा। यही बेसिक बात है और यही रणनीति है।
-कहा जा रहा है कि किसी बड़े नेता ने इस चैनल में पैसा लगाया है और आप उसकी तरफ से काम कर रहे हैं?
-बिलकुल गलत बात है। किसी नेता-वेता का पैसा नहीं लगा है। चैनल चलाने के लिए त्रिवेणी के मालिकों और मेरे बीच सहमति हुई है। थोड़ा बहुत एमाउंट मैंने इनवेस्ट किया है। कंपनी के कुछ शेयर मुझे दिए गए हैं। बस इतना ही है। इसमें पर्दे के पीछे जैसी कोई बात नहीं है। हम लोग मिलजुल कर चैनल चलाएंगे। जो लोग यहां पहले से काम कर रहे हैं, वही काम करेंगे। ऐसा नहीं है कि मैं अपने साथ कोई टीम लेकर आ रहा हूं। पुराने लोग काफी अच्छा काम कर रहे हैं। उनके साथ काम करेंगे। यहां की समस्याओं को दूर करना शुरू कर दिया है। समस्याएं भी कोई बड़ी नहीं हैं। छोटी-मोटी समस्याएं थीं, जिन्हें दूर किया जा रहा है।
-आपको पता है, वीओआई एक बड़ा ब्रांड नाम बनने से पहले ही कई वजहों से बदनाम हो गया?
-मैं अभी नया हूं। किसी भी कंपनी को समझने में वक्त लगता है। इतना कह सकता हूं कि वीओआई के जो मालिक हैं, दोनो भाई, वे आदमी बहुत अच्छे हैं। तभी मैंने उनसे हाथ मिलाया है। इन दोनों ब्रदर को मीडिया की समझ नहीं थी। उनके इर्द-गिर्द जो लोग थे, वे लोग उन्हें अच्छी तरह समझा नहीं सके। अब जब हम लोग मिले हैं, उन्हें पूरा समझाया है कि मीडिया चलता कैसे है, तो उन्होंने एग्री किया है। पहले उन्हें जिन लोगों ने जैसा समझाया, वैसा उन्होंने किया। किसी ने कहा, जर्नलिस्ट मार्केटिंग कर सकते हैं, किसी ने कहा फ्रेंचाइजी का माडल अच्छा रहेगा, जिसने जो समझाया, उन्होंने वैसा ही अपनाया और किया। मैं सबसे बड़ी कमी मार्केटिंग और सेल्स टीम के कंप्लीट फेल्योर होने को मानता हूं। जब चैनल अप जा रहा था, उस समय सेल्स और मार्केटिंग टीम को जो करना चाहिए, उसने नहीं किया। आपने चैनल को सजाया-संवारा, सब किया लेकिन इस चैनल को चलाते रहने का प्रोग्राम नहीं बनाया। स्टार्टिंग नींव ही गलत थी। जो भी शुरुआत के लोग थे, उनको समझाना चाहिए था, या हो सकता है समझाया भी होगा कि मीडिया बिजनेस में डे-वन से पैसा नहीं आता है। मीडिया के मामले में सब्र की जरूरत होती है। महीना बीतने पर जब ढेर सारे पेमेंट सामने खड़े होते होंगे तब इन मालिकों को लगता होगा कि पैसा तो कहीं से आ नहीं रहा, सिर्फ जा रहा है। ऐसे में इन लोगों ने खर्चे कम करने के प्रयास शुरू किए। वीओआई का प्रबंधन अच्छा है लेकिन मीडिया का अनुभव न होने के चलते चीजें सही दिशा में नहीं जा सकीं।
-आपके हिसाब से यहां की सबसे बड़ी समस्या क्या है?
-चैनल की विजबिलिटी सबसे बड़ी समस्या है। जब चैनल दिखेगा ही नहीं तो आपकी खबरें लोगों तक पहुंचेगी कैसे? जब खबरें और चैनल दिखेगा नहीं तो आप मार्केटिंग कैसे कर सकते हो? मैंने भी यही सवाल आते ही पूछा था कि सबसे बड़ी समस्या क्या है? मार्केटिंग वालों ने कहा कि विजिबिलिटी नहीं है तो हम क्या बेचेंगे। ठीक बात है। मेरा प्राइम एजेंडा फिलहाल यही है कि चैनल की विजिबिलिटी बढ़े, डिस्ट्रीव्यूशन ठीक हो। विजबिलिटी होने से ही न्यूज का मतलब है। हमारा हर जगह पहुंचना, दिखना जरूरी है। इसी को ठीक करने में लगा हूं। साथ ही कंटेंट में भी सुधार का काम चल रहा है। सब कुछ एक दिन में ठीक नहीं होता। इतना हमें पता है कि आने वाले बारह महीनों में हम मीडिया के टाप फाइव या टाप थ्री में होंगे। हमारे यहां ग्रुप एडिटर किशोर जी का विजन स्पष्ट है। जो कुछ समस्याएं हैं, उन्हें दूर कर दिया जाए तो वे और उनकी टीम बहुत अच्छा काम करेगी। वे लोग कर भी रहे हैं। मैं कहना चाहूंगा कि वीओआई के लोग बहुत अच्छे हैं। सभी विभागों में मेहनती और ईमानदार लोग हैं। मैं राजस्थान गया। वहां के ब्यूरो के लोगों से मिला। उन पर जो मार्केटिंग का प्रेशर था, उसे हटाया। मार्केटिंग की स्पेशल टीम अलग से बनाई गई। अगर शुरू में जो विजिबिलिटी आई थी, उसे खत्म नहीं किया गया होता तो स्थिति आज कुछ और होती। प्रबंधन को होल्ड करना चाहिए था। उसे लगा कि मेरा तो जा रहा है, आ कुछ नहीं रहा है। जल्दी-जल्दी के चक्कर में सब काम गड़बड़ होता है। आपको कूल होकर बैठना चाहिए था। सब पर नजर रखते। एटमासफीयर अच्छा बनाकर रखते। लोगों में काम करने का उत्साह क्रिएट करते। स्टाफ का दर्द समझते। पर मैं जल्दी में नहीं हूं। आई एम नाट इन हरी। मैं मीडिया समझता हूं। मुझे स्टाफ को साथ लेकर चलना है। यह हमारी सामूहिक लड़ाई है जिसे मैं अकेले नहीं लड़ सकता।
-कंटेंट की टीम में कोई फेरबदल करने की योजना है?
-कंटेंट की टीम में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। यही टीम काम करेगी। न तो किसी को हटाया जाएगा, न किसी को लाया जाएगा। बहुत जरूरी होने पर चार-पांच लोग रखे जा सकते हैं। जबसे मैंने चैनल देखना शुरू किया है, लोगों में नया जोश और उत्साह देखने को मिल रहा है। मेरे पास रोजाना कई फोन बड़े चैनलों में काम करने वाले लोगों के आ रहे हैं जो पहले यहां काम करते थे और वे लोग अब फिर से जुड़ना चाह रहे हैं। तो इसे मैं बड़ी उपलब्धि मान रहा हूं। लोगों में पाजिटिव मैसेज जाने लगा है। हमने कंटेंट को लेकर कई नए प्रोग्राम शुरू करने की योजना बनाई है। जितने भी माल और हैपेनिंग प्लेस हैं, उसमें कैमरा लगा रहे हैं, वहां लोग अपनी वायस रेज कर सकते हैं, किसी मुद्दे को लेकर, पक्ष या विपक्ष में। उनकी आवाज को हम सत्ता और नेता तक पहुंचाएंगे। उनकी समस्या दूर कराएंगे।
-चैनल के पास ओबी वैन तक नहीं है। कभी यह चैनल सभी सुविधाओं या यूं कहिए कि अतिरिक्त सुविधाओं से युक्त था। ऐसी स्थिति में कंटेंट कैसे ठीक करेंगे?
-ओबी वैन लौटाने को लेकर प्रबंधन को दोष नहीं दिया जाना चाहिए। जब बिजनेस नहीं आ रहा है और हर महीने सिर्फ खर्च ही खर्च हो रहे हैं तो कोई भी प्रबंधन खर्च कम करने की सोचेगा। जिन दो लोगों ने वीओआई को बहुत शौक से शुरू किया, उनका आइडिया बहुत अच्छा था लेकिन जब काम करने वाले लोग, मार्केटिंग वाले लोग प्रापर काम करके नहीं देंगे तो खर्च तो कम करने ही पड़ेंगे। चैनल शुरू होने के तुरंत बाद मंदी का दौर भी शुरू हो गया। वैसे भी, खर्च करने की कोई सीमा नहीं होती। आप रिपोर्टिंग करने के लिए हेलीकाप्टर दे दीजिए तो भी चलेगा। मुंबई में कई बड़े चैनल दो रिपोर्टर और स्ट्रिंगर के सहारे बहुत अच्छा काम कर रहे हैं तो हम क्यों नहीं कर सकते। जिन भाइयों ने यह चैनल शुरू किया, उन्होंने चैनल लांच करने और इसके इनफ्रास्ट्र्क्चर पर कितना कुछ खर्च किया। लेकिन इनको ऐसे एडवाइजर मिले कि पूछिए मत। इन भाइयों ने तो अपना हाथ काट के सामने वाले को दे दिया। सच कह रहा हूं। मैंने शुरुआत के दिनों के जो कागजात देखे हैं उससे पता चलता है कि इन लोगों ने ऐसी-ऐसी सेलरी दी है कि भारतीय मीडिया इंडस्ट्री में कहीं इस तरह का उदाहरण नहीं मिलेगा। कोई कहीं से छोड़ के आ रहा है तो उसे एक साल की सेलरी गारंटी के तौर पर दी जा रही है। उसे छोड़ने का पैसा दिया जा रहा है। यहां ऐसा हुआ है। इन भाइयों को चैनल शुरू होने के बाद लोगों पर अविश्वास आता गया। अगर किसी भी कंपनी में इनकम नहीं है और खर्च फिक्स है तो कोई भी मालिक घाटे में जा सकता है। बड़ा से बड़ा उद्योगपति भी अपनी कंपनी को या तो बंद कर देगा या फिर पट्टे पर दे देगा। कुछ न कुछ तो करेगा ही। इन लोगों ने चैनल शुरू करने में सब कुछ बहुत बढ़िया किया, सब चीजें बहुत अच्छी कीं, देखिए, इंटीरियर कितना सुंदर है लेकिन मार्केटिंग कैसी होनी चाहिए, सेल्स की रणनीति क्या हो, इसे नहीं देखा गया। इस बिंदु पर काम नहीं किया गया।
-तो इसके लिए जिम्मेदार तत्कालीन सीईओ राहुल कुलश्रेष्ठ को माना जाना चाहिए जो मार्केटिंग व सेल्स टीम से काम नहीं ले पाए?
-मैं राहुल कुलश्रेष्ठ को जिम्मेदार नहीं मानता। बात ये है कि आप चैनल शुरू कर रहे हैं तो आपमें होल्डिंग कैपसिटी होनी चाहिए। इतना बड़ा चैनल ला रहे हैं तो तीन साल की होल्डिंग कैपिसिटी भी होनी चाहिए, वरना चैनल में मत आओ। आप टीवी मीडिया में आ रहे हो और पांच चैनल चला रहे हो तो इसके साथ धैर्य की जरूरत है। इन चैनलों से कई लोगों की जिंदगियां जुड़ी होती है। छोटी-छोटी सेलरी वाले लोग होते हैं, उनका इससे जीवन जुड़ा हुआ है। अगर होल्डिंग कैपिसिटी होती तो राहुल कुलश्रेष्ठ ज्यादा अच्छा चला सकते थे। खर्चे घटाने के लिए डिस्ट्रीव्यूशन कमजोर किया। इससे विजबिलिटी घटी और आप फिर धीरे-धीरे गिरते चले गए। राहुल की जगह कोई भी होता तो कुछ नहीं कर सकता था।
-आपकी आगे की क्या योजनाएं हैं?
-जहां-जहां प्राब्लम है, उसे ठीक कर रहा हूं। चैनल को रिवाइव कर रहा हूं। राजस्थान में हम नंबर वन हैं। उसे और अच्छा बनाना है। वहां जो प्राब्लम थी, उसे शार्टआउट कर दिया है। मार्केटिंग और न्यूज को अलग-अलग कर दिया गया है। हमने टैम को एक्टिवेट किया है। किसी न्यूज चैनल के लिए जो भी चीजें होती हैं, उसे एक्टिवेट करा दिया गया है या कराया जा रहा है। हर जगह एडमिन के आदमी रख दिए गए हैं। वे दिल्ली के संपर्क में रहेंगे। सभी की सेलरी दिल्ली से जाएगी। वीओआई को लेकर मार्केट में अफवाह बहुत ज्यादा है। सफेद कबूतर उड़ा तो अपनी मंजिल पर पहुंचते-पहुंचते काला कबूतर हो गया और उसमें सफेद डाट भर रह गया। इन अफवाहों पर भी विराम तब लग जाएगा जब हम अपनी आंतरिक समस्याओं को ठीक कर लेंगे।
-आपने अपने करियर के लिए बहुत बड़ा रिस्क लिया है….
-…..रिस्क नहीं, चुनौती। चलते हुए चैनल में बैठ कर कोई भी चैनल चला सकता है लेकिन किसी चैनल को रिवाइव करने का अपना मजा है। यहां का स्टाफ बेहतरीन है। बढ़िया लोग हैं। बहुत अच्छे लोग हैं। इनकी छोटी-छोटी समस्याएं थीं जिसे दूर कर दिया गया और सभी लोग अब तन-मन-धन से काम कर रहे हैं। किशोर जी जैसा एडिटर हमारे पास है। वे वीओआई में इतने दिनों से हैं पर टीवी पर कभी नहीं आए। वे किसी न्यूज में नहीं आ रहे थे। एंकरिंग नहीं कर रहे थे। मैंने उनसे कहा, हम सभी को टीवी पर आना चाहिए, आप सभी प्रोमोज बनाएं। बाहर के लोगों को पता चलना चाहिए कि हम लोगों का कितना बड़ा सेटअप है। प्रोमोज में न्यूज रूम समेत हमारे कंटेंट लीडर्स को आना चाहिए। ये प्रोमोज अब चलने लगे हैं। 16 मई को काउंटिंग के दिन किशोर जी पहली बार वीओआई पर दिखे। किशोर जी चाहते हैं कि मैं भी न्यूज से जुड़ूं तो मैं जुड़ूंगा। मैं भी न्यूज पढूंगा, इंटरव्यू करूंगा।
-चुनाव में पैसे लेकर खबरें छापी और दिखाई गईं। क्या इसे आप पाठकों / दर्शकों से विश्वासघात मानते हैं?
-बिलकुल विश्वासघात है। ऐसा बिलकुल नहीं होना चाहिए। इस अभियान में हम आप लोगों के साथ हैं। इससे तो खबरों से विश्वसनीयता हट जाएगी। खबर का मतलब खबर है। एड की जगह खबरों को नहीं बेचना चाहिए। कलम को किसी भी हालत में नहीं बेचना चाहिए।
-क्या आपको लगता है कि वीओआई के उद्धार के जिस मिशन पर आप आए हैं, उसमें सफल हो सकेंगे?
-आज मैं किसी अखबार में अपना भविष्यफल पढ़ रहा था। उसमें लिखा था कि ईश्वर ने मुझे लोगों का दुख-दर्द दूर करने के लिए भेजा है। मैं कुछ नहीं कर रहा हूं। ईश्वर से आया हुआ संदेश है। ठीक करने का काम मिला है मुझे। मैं साईं बाबा को बहुत मानता हूं। कहीं न कहीं मेरे पर ऊपर वाले का आशीर्वाद है, जिससे ये सब हो रहा है। मेरी पत्नी और मां-पिता की दुवाएं साथ हैं। अभी एक बच्चा घर में आया है। नाम अध्ययन है। ये सब उन लोगों के चलते ही हो रहा है। मैं बिहार का रहने वाला हूं और 18 साल से मुंबई में संघर्ष कर रहा हूं। संघर्ष रोटी के लिए नहीं की। हमेशा उपर जाने की तमन्ना रखी। शुरू से बड़ा काम करने की सोच रही। हमेशा चुनौती स्वीकार किया। इस बार भी चुनौती रंग लाएगी। वीओआई के पांचों चैनलों के लिए जो सोचा है, वो पूरा होगा। मैं हड़बड़ी में नहीं हूं। मैंने एड वालों को बोल दिया है कि पहले रेटकार्ड बनाओ, प्लान बनाओ। सब कुछ प्रापर होना चाहिए। जल्दी का काम गड़बड़ होता है। आप जल्द देखेंगे, तीन महीने के भीतर हम कई नई चीजें कर रहे होंगे। सारे ब्रांड हमारे टीवी पर दिखेंगे। वीओआई को लेकर जो नकारात्मकता बनी हुई है, वह पूरी तरह खत्म हो जाएगी। वीओआई को सचमुच में देश की आवाज बनाएंगे। मुझे लगता है कि आने वाले दिनों में वीओआई की अपनी एक अलग पहचान होगी। अपना एक मुकाम होगा। अगर स्टाफ खुश है तो कंपनी खुशहाल होगी। लोग दुखी रहेंगे तो कंपनी में खुशी कैसे आ सकती है, कंपनी का उत्थान कैसे हो सकता है। तो हम लोग मिलजुल कर सब ठीक करने में जुट गए हैं। आप सभी से गुजारिश है कि हम लोगों को सपोर्ट करिए। हमारे पास अच्छा फीडबैक आने लगा है। एजेंसियों से अच्छा फीडबैक आ रहा है। मार्केटिंग टीम सक्रिय हो चुकी है और अब आरओज आने शुरू हो गए हैं। कंटेंट टीम में जोश आ चुका है। कल नेपाली दूतावास से फोन आया था। नेपाल के बारे में जो खबर हम लोगों ने दिखाई उसे बहुत अच्छा बता रहे थे। वे लोग सभी चैनल मानिटर कर रहे थे और हम लोगों को यू आर द बेस्ट कह रहे थे। तो ये चीजें शुरू हो गई हैं। बांबे की टीम बहुत अच्छा कर रही है। राजस्थान और यूपी में अच्छा काम कर रहे हैं। पंजाब और मध्य प्रदेश मुझे जाना है। हर जगह बढिया काम होगा, ये मेरी गारंटी है।
इस इंटरव्यू पर अपनी प्रतिक्रिया अमित सिन्हा तक पहुंचाने के लिए या फिर वीओआई के संबंध में कोई सलाह या सुझाव देने के लिए उन्हें [email protected] पर मेल कर सकते हैं।
vinod bansal
January 14, 2010 at 1:06 pm
wish you all the best
ashish kumar tiwari
April 7, 2010 at 2:28 pm
sir
i read your interview and ipress with your thiking i think you get success god
blees you
ashish tiwari
news repoter live india news jalaun orai u.p
mob 9415064309
9336571976
sarita bhardwaj
April 13, 2010 at 2:30 pm
ALL THE BEST SIR IN UR FUTURE PLAN . I READ UR INTERVIEW , REALLY GREAT FEEL. ALL THE BEST.
MANOJ DUBEY
May 28, 2010 at 9:39 am
all.the.best.sir..
rajendra wantrap
April 26, 2010 at 2:22 pm
Amit Sinha ji maine apka interview pada. mai ap ke jajbe ko slam karta hu. ap apne maksad me jarur kamyab honge. sai ka prasad shradha our saburi kabhi khali nahi jati. nischit hi ap ko safalta milegi.
Rajendra wantrap
Director,
scn news
scn media private limited
Aneeq Rajasthan
June 11, 2010 at 5:02 pm
tu kaaye ka kamyabyab insaan h
logo ki salery to kahaye baitha h
sb ki badduya leta phire
rakesh k sharma
June 13, 2010 at 1:58 pm
aadarniy bhaisahab , sadar pranam.
VOI ko fir bulandiyon tak pahunchaoge, isi aasha aur visvas k sath .
ARVIND KUMAR KATIYAR
June 16, 2010 at 2:57 pm
SIR HM AAP KE SATH US SAMAY JAB SAMAY KHARAB THA AUR AAJ BHI JB SAMAY SAHI AAYA HAI
Balwant Singh Rawat
June 17, 2010 at 12:38 pm
Sir.
wish you all the best
Balwant Singh Rawat
pushpendra upadhyay
July 2, 2010 at 10:16 am
wish you all the best अमित सिन्हा ji
nakul chaturvedi
February 11, 2011 at 9:55 am
[b][/b]hello sir.. amit sinha ji.. i am very impress from VOICE OF INDIA… congractulations sir.. all d best… VOICE OF INDIA bahut aage jaega…
rakesh banzhal repoter guna
October 4, 2013 at 8:57 pm
badhai