पत्रकारिता में चापलूसी के नए-नए आयाम देखे हैं मैंने : सुधांशु गुप्त

भड़ास4मीडिया पर लंबे समय से बंद ”इंटरव्यू” के स्तंभ को फिर शुरू कर रहे हैं, लेकिन नए दर्शन-फार्मेट के साथ. अब महान महान संपादकों-पत्रकारों के इंटरव्यू प्रकाशित करने की जगह हम उन लोगों को प्राथमिकता देंगे जो मीडिया इंडस्ट्री में चुपचाप लंबे समय से कार्यरत हैं या रहे हैं. ऐसे पर्दे के पीछे के हीरोज को सामने लाना ज्यादा बड़ा दायित्व है, बनस्पति उनके जो हर मोर्चों, मंचों, माध्यमों पर प्रमुखता से प्रकाशित प्रसारित मंचित आलोकित होते रहते हैं.

सुधीर चौधरी बोले- ‘नो नानसेंस कंटेंट’ है हमारी सफलता का राज

[caption id="attachment_20219" align="alignleft" width="113"]सुधीर चौधरीसुधीर चौधरी[/caption]लाइव इंडिया न्यूज चैनल अगर टीआरपी के हिसाब से लगातार आगे बढ़ रहा है तो किस वजह से बढ़ रहा है. कैसा कंटेंट दिखाया जा रहा है इस चैनल पर. क्या रणनीति अपनाई है इस न्यूज चैनल ने. ऐस ही कुछ सवालों का जवाब पाने के लिए चैनल के सीईओ और एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी को भड़ास4मीडिया ने पकड़ा.

इंडियन एक्सप्रेस से दो बार बर्खास्त किए जाने वाला एकमात्र संपादक मैं हूं…

: मेरी बर्खास्तगी के लिए इंदिरा गांधी ने रामनाथ गोयनका पर जोरदार दबाव बनाया था… : अरुण शौरी की कहिन और जीवन के तीन सबक : ((इस बीते रविवार को इकानामिक टाइम्स ने संडे स्पेशल की कवर स्टोरी के बतौर अरुण शौरी को प्रकाशित किया है. अपनी विफलताओं और सीखे गए सबक के बारे में …

जागरण वाले मेरे पीछे पड़े हैं : डा. अतुल कृष्ण

[caption id="attachment_20020" align="alignleft" width="94"]डा. अतुल कृष्णडा. अतुल कृष्ण[/caption]सुभारती समूह के सर्वेसर्वा हैं डा. अतुल भटनागर. अब इन्होंने अपना नाम बदल लिया है. हो गए हैं डा. अतुल कृष्ण. मेरठ में मुख्यालय और ठिकाना है इनका. अस्पताल, अखबार, ट्रस्ट, समाजसेवा… जाने क्या क्या काम धंधे हैं इनके. अरबों-खरबों का कारोबार, समाज-व्यापार है. दैनिक प्रभात नाम से हिंदी अखबार कई शहरों से निकालते हैं.

पब्लिक को नौकर मानने का पुलिसिया माइंडसेट : डॉ. मंजूर अहमद

: इंटरव्यू : डॉ मंज़ूर अहमद (पुलिस अधिकारी, शिक्षाविद और राजनेता) : वर्ष 73 में जो पुलिस रिवोल्ट हुआ उसमे गलतियां अफसरों की थी : जब मांग नहीं सुनी जाती है तो पुलिस एसोशिएशन के लिए आवाज़ उठती है, जो जायज है : हमारे एक डीजी थे, बहुत ईमानदार, वो रिटायर होने के बाद वो थाने जाने से बहुत डरते थे :

न्यूज चैनलों के पागलपन से दहशत में हैं अरुंधति

अमेरिका की पोलिटिकल और सोशल मैग्जीन ‘गेरनिका’ के फरवरी, 2011 के अंक में अरुंधति राय का एक लंबा इंटरव्यू छपा है. इंटरव्यू लेखक हैं अमिताव कुमार. कई मामलों में ये शानदार इंटरव्यू है. इस इंटरव्यू को बेहद सरल, सहज तरीके से पेश किया गया है, और पढ़ते हुए लगता है कि जैसे आंखों के सामने इंटरव्यू चल रहा हो. अरुंधति राय बहुत शानदार महिला हैं, बहुत उम्दा चिंतक हैं, बेहद संवेदनशील मनुष्य हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है.

जो मुझे सही लगेगा, वो कहता करता रहूंगा : अमिताभ ठाकुर

अमिताभ ठाकुरक्रिमिनल गवरनेंस वाले समकालीन समय में यूपी में एक अफसर जनता-जनार्दन और पढ़े-लिखों के बीच बदलाव के उम्मीद की लौ जगाए-जलाए है. वे हैं अमिताभ ठाकुर. अपने लिखे, कहे और जनपक्षधरता के कारण समाज के सभी सेक्शन में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं अमिताभ ठाकुर. और इसी कारण वे करप्ट सत्ताधारी नेताओं-अफसरों की आंखों की किरकिरी भी बने हुए हैं.

मशहूर कवि आलोक धन्वा को देखना-सुनना

[caption id="attachment_19510" align="alignleft" width="264"]आलोक धन्वाआलोक धन्वा[/caption]”हर भले आदमी की एक रेल होती है / जो मां के घर की ओर जाती है / सीटी बजाती हुई / धुआं उड़ाती हुई…” ये आलोक धन्वा की कविता है. आलोक धन्वा और उनकी कविताएं, एक दूसरे की पर्यायवाची बन चुकी हैं. आलोक धन्वा का जन्म १९४८ में मुंगेर (बिहार) में हुआ. वे हिंदी के उन बड़े कवियों में हैं, जिन्होंने 70 के दशक में कविता को एक नई पहचान दी. उनका पहला संग्रह है- ”दुनिया रोज बनती है”.

किसी को नंबर वन से हटाने के लि‍ए काम नहीं कर रहे : श्रवण गर्ग

[caption id="attachment_19145" align="alignleft" width="156"]श्रवण गर्गश्रवण गर्ग[/caption]हिंदी पत्रका‍रिता जगत में श्रवण गर्ग चर्चित और सम्मानित नाम हैं. लंबे समय से दैनिक भास्कर के संपादक और समूह संपादक के रूप में कार्यरत हैं. पत्रकारिता में लगभग 40 सालों से सक्रि‍य श्रवण गर्ग ने जीवन और पत्रकारिता में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. कुछ महीनों पहले भडास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह के साथ विभिन्न मुद्दों पर उन्होंने बेबाक बातचीत की. पेश है बातचीत के अंश…

तब डीजीपी और एसपी ने कहा था- ये सिपाही विद्रोह करवा देगा, इसको अरेस्ट करवा दिया जाए

[caption id="attachment_18969" align="alignleft" width="85"]ब्रिजेंद्र सिंह यादवब्रिजेंद्र सिंह यादव[/caption]: भ्रष्ट और पैसाखोर आईपीएस अफसरों को सबक सिखाने के लिए लड़ने वाले जांबाज सिपाही ब्रिजेंद्र सिंह यादव से नूतन ठाकुर की बातचीत : अपनी मौज-मस्ती और कल्याण के लिए गरीब व निरीह सिपाहियों से रकम उगाहते हैं आईपीएस अधिकारी : मुलायम सिंह यादव, श्रीराम अरुण, आरपी सिंह समेत कई नेताओं-अफसरों ने ब्रिजेंद्र को धमकाया-ललचाया पर यह शख्स न तो झुका और न डरा : ब्रिजेंद्र सिंह कहते हैं- हमको इन साहब लोगों ने प्यार से रोटी नहीं खाने दी… कोई ना कोई पंगा लगाते रहे… सस्पेंड किया… फिर ट्रांसफर… फिर सस्पेंड… फिर ट्रांसफर… और यह क्रम चलता ही रहा…. अभी हमारी संस्था का जो अध्यक्ष है फतेहपुर का, उसे देर से आने के आरोप में सस्पेंड कर दिया… ये लोग किसी न किसी प्रकार से हम लोगों को शोषण करते रहना चाहते हैं…. :

आईपीएस दोयम दर्जे की नौकरी

[caption id="attachment_18497" align="alignleft" width="74"]के. विक्रम रावके. विक्रम राव[/caption]: इसीलिए सेलेक्शन के बावजूद इस नौकरी को करना मैंने उचित नहीं समझा-  के. विक्रम राव : इंटरव्यू : के. विक्रम राव आज पत्रकारिता क्षेत्र में एक स्तम्भ बन गए हैं. ख़ास कर पत्रकारों के हक़ की लड़ाई को लेकर. प्रख्यात पत्रकार और नेशनल हेराल्ड के पूर्व सम्पादक के रामाराव के लड़के विक्रम राव स्वयं भी एक लब्धप्रतिष्ठ पत्रकार रहे हैं. पर अब मूल रूप से स्वतंत्र पत्रकारिता के साथ ही इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किग जर्नलिस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पूरे देश के पत्रकारों के विभिन्न हितों के लिए संघर्षरत हैं.

हाशिमपुरा कर्ज की तरह मेरे सिर पर लदा था, उसे अब मैं उतार रहा हूं : वीएन राय

[caption id="attachment_18294" align="alignleft" width="309"]वीएन रायवीएन राय[/caption]: इंटरव्यू : वीएन राय, कुलपति (महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय) : विभूति नारायण राय का इंटरव्यू, वादे के अनुरूप प्रकाशित किया जा रहा है लेकिन इसे टेक्स्ट फार्म में नहीं दे पा रहे हैं, इसके लिए माफी चाहता हूं. वेब मीडिया की खासियत है कि इसमें प्रिंट, इलेक्ट्रानिक और रेडियो, सभी मीडिया माध्यम समाहित हैं. सो, यह तय किया कि अगर वीडियो फार्मेट में इंटरव्यू है तो इसे टेक्स्ट में रूपांतरित करने जैसा थोड़ा मुश्किल काम क्यों किया जाए. दूसरे, वीडियो या इलेक्ट्रानिक फार्मेट जब अपने आप में कंप्लीट फार्मेट है तो उसका प्रिंट फार्म क्यों जनरेट किया जाए. सो, जस का तस रख दिया गया है पूरा इंटरव्यू. और, इसी बहाने भड़ास4मीडिया के इंटरव्यू सेक्शन में ये पहला वीडियो इंटरव्यू प्रकाशित करने का नया रिकार्ड भी कायम हो रहा है.

जितनी बड़ी पूंजी, उतना बड़ा स्वार्थ : शीतला सिंह

[caption id="attachment_18138" align="alignleft" width="122"]शीतला सिंहशीतला सिंह[/caption]इंटरव्यू : शीतला सिंह (वरिष्ठ पत्रकार और ‘जनमोर्चा’ के संपादक) : ‘जनमोर्चा’ के पहले संपादक हरगोविंदजी कहते थे- जिसमें जन हित हो उसी को पत्रकारिता का अंतिम सत्य मानो : पत्रकार को हर प्रकार के विचारों को समान रूप से देखना चाहिए : लालकृष्ण आडवाणी ने पत्रकारिता में भारी मात्रा में दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों को घुसाया : पूंजीवादी अखबारों ने पब्लिक सेक्टर को बर्बाद करा दिया :

मेरे को मास नहीं मानता, यह अच्छा है

[caption id="attachment_17405" align="alignleft" width="127"]हृदयनाथ मंगेशकरहृदयनाथ मंगेशकर[/caption]इंटरव्यू : हृदयनाथ मंगेशकर (मशहूर संगीतकार) : मास एक-एक सीढ़ी नीचे लाने लगता है : जीवन में जो भी संघर्ष किया सिर्फ ज़िंदगी चलाने के लिए किया, संगीत के लिए नहीं : आदमी को पता चलता ही नहीं, सहज हो जाना : बड़ी कला सहज ही हो जाती है, सोच कर नहीं : इतने लोगों से सीखा है कि अगर सबका गंडा बांध लेता तो हाथ भर जाता मेरा : लता मंगेशकर की सफलता से मेरा कोई संबंध नहीं है, मैं कभी उसका हाथ पकड़ कर चला ही नहीं : राज ठाकरे का निर्माण मराठियों ने नहीं, मीडिया ने किया है : अगर मेरे पिता जीवित रहते, हमारा बचपन अनाथ न होता तो हमारे परिवार में कोई भी प्ले बैक सिंगर नहीं हुआ होता, लता मंगेशकर भी नहीं : छः साल छोटी है दीदी से आशा, फिर भी आवाज़ मोटी हो गई है, दीदी की वैसी ही है जैसी पहले थी : ढाई हज़ार से अधिक बंदिशें याद हैं, इन्हें सहेज कर रख जाना चाहता हूं :

रामोजी राव संग काम करना स्पीरिचुवल प्लीजर

NK Singhइंटरव्यू : एनके सिंह (वरिष्ठ पत्रकार) : ईटीवी की व्यूवरशिप बहुत है पर टीआरपी नहीं, ऐसा फाल्टी टीआरपी सिस्टम के कारण : ईटीवी से अलग होना मेरा खुद का फैसला, नाराजगी बिलकुल नहीं है : मैं बहुत डिसीप्लीन्ड आदमी हूं :

काटे नहीं कट रही थी वो काली रात : सुप्रिय प्रसाद

सुप्रिय प्रसाद

इंटरव्यू : सुप्रिय प्रसाद (न्यूज डायरेक्टर, न्यूज 24) : पार्ट 1 : टीवी न्यूज इंडस्ट्री के ऐसे धुरंधर हैं सुप्रिय प्रसाद जो बेहद कम समय में सफलता की उस उंचाई पर पहुंच गए जहां जाने की हसरत हर एक टीवी जर्नलिस्ट पाले होता है। आईआईएमसी से पास किया और सीधे आजतक में घुस गए। धीरे-धीरे इतना बढ़ गए कि पूरे आज तक को कंट्रोल करने लगे। कौन-सी खबर चलनी है, किसे गिरा देना है, इसका मंत्र सुप्रिय देने लगे। किस खबर से टीआरपी आएगी, किससे नहीं, इसका वाचन सुप्रिय करने लगे। कैसे दूसरे न्यूज चैनलों को आगे न बढ़ने दिया जाए, इसकी रणनीति सुप्रिय तैयार करते। सुप्रिय ने एसपी, नकवी, उदय शंकर जैसे कई दिग्गजों से बहुत कुछ सीखा तो अपने से ज्यादा अनु्भवी व उम्रदराज कई दिग्गजों को बहुत कुछ सिखाया भी।

चाहता हूं कि मेरा भी कोई उत्तराधिकारी बने : हरिवंश

हरिवंशहमारा हीरो – हरिवंश (प्रधान संपादक, प्रभात खबर) : भाग-4 : देश को जो न्याय सरदार पटेल को देना चाहिए था, वह उनको नहीं दिया : मैं नीतीश कुमार से प्रभावित हो रहा हूं, इस व्यक्ति का कोई निजी एजेंडा नहीं है : हमारा लक्ष्य है कि संविधान के अनुसार राज्य चले :  पिता के शव को लेकर गंगा किनारे जलाने गया तो मुझे लगा कि जीवन है क्या? :  मुझे पुराने फिल्मी गाने बहुत पसंद है :  वाकई अब तो मन से चाहता हूं रिटायर होना : मैं खूब घूमना चाहता हूं : एक-दो लोग ऐसे मिले, जिन्होंने मेरे विश्वास को तोड़ा : जीवन में बहुत-सी चीजें हैं, जो कि छूट गई हैं, जिसे मैं करना चाहता हूं :

फिर काहे का वितंडावाद : उदय प्रकाश

उदय प्रकाश

अब और चौकन्ने हो गए उदय प्रकाश बोले- मैं किसी का समर्थन नहीं करता : हर तरह की राजनीति, सरकारी तंत्र और मीडिया ने उदय प्रकाश को पहले से ही बहुत निराश-उदास कर रखा था, ‘पुरस्कार प्रकरण‘ के बाद रचना जगत के साझा विरोध-बहिष्कार के फतवे ने उन्हें और अंदर तक झकझोर दिया है। वह जितने खिन्न, उतने ही विचलित-से लगते हैं। भड़ास4मीडिया के कंटेंट हेड जयप्रकाश त्रिपाठी से बातचीत में उदय प्रकाश ने अपनी राजनीतिक निर्लिप्तता की घोषणा कर रचनाजगत में फिर अपने लिए संदेह की गुंजाइश बढ़ा दी है क्योंकि जो निर्लिप्त होता है, वह भी किसी न किसी तरह की राजनीति के पक्ष में जरूर होता है। बातचीत में उदय प्रकाश कहते हैं- ‘लेखक को हर तरह की राजनीतिक तानाशाही से मुक्त कर देना चाहिए। मेरा किसी भी तरह से कोई राजनीतिक सरोकार नहीं, न किसी ऐसे दल से कोई संबंध है। कभी रहा भी नहीं। रहना भी नहीं चाहिए। किसी को मेरा समर्थन करना हो, करे, अथवा मत करे, मैं किसी का समर्थन नहीं करता।’

वीओआई का उद्धार कर पाएंगे अमित सिन्हा?

[caption id="attachment_14922" align="alignleft"]अमित सिन्हा, निदेशक, वीओआईअमित सिन्हा, निदेशक, वीओआई[/caption]त्रिवेणी ग्रुप के न्यूज चैनल वायस आफ इंडिया के नए कर्ता-धर्ता हैं अमित सिन्हा। निदेशक और सीईओ के रूप में अमित वीओआई को पटरी पर लाने, इसके कंटेंट को सुधारने और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की कवायद में जुट गए हैं। कौन हैं ये अमित सिन्हा?  त्रिवेणी ग्रुप के साथ इनकी किस तरह की सहमति बनी है?  किसने लगाया है वीओआई में पैसा?  वीओआई का क्या है भविष्य?  अमित की क्या है रणनीति?  त्रिवेणी के मालिक मित्तल बंधु वीओआई के रोजाना के कामधाम में कितना करेंगे हस्तक्षेप?  इन कई सवालों को लेकर भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह ने वीओआई के निदेशक अमित सिन्हा से बातचीत की। पेश है इंटरव्यू के कुछ अंश-

आनलाइन जर्नलिस्ट को टेक्नोक्रेट भी होना चाहिए : सलमा जैदी

[caption id="attachment_14901" align="alignleft"]सलमा जैदीसलमा जैदी[/caption]मुलाकात : आनलाइन हिंदी न्यूज पोर्टलों में बेहद प्रतिष्ठित और विश्वसनीय बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम की संपादक सलमा जैदी का आनलाइन जर्नलिज्म के बारे में मानना है कि यह अभी पूरी तरह जमीनी स्तर से नहीं जुड़ पाया है और तकनीक महंगी होना भी इसमें बड़ी बाधा है। जितनी जल्दी ब्रॉडबैंड कनेक्शनों का प्रसार बढ़ेगा और कंप्यूटर सस्ते होंगे, ऑनलाइन जर्नलिज्म उतना अधिक फैलेगा। उनक कहना है कि इलेक्ट्रानिक मीडिया से ऑनलाइन पत्रकारिता को चुनौती जरूर मिल रही है। न्यूज एजेंसी, अखबार, टीवी, रेडियो और वेबसाइट यानी पत्रकारिता के सभी माध्यमों में वरिष्ठ स्तर पर कार्य कर चुकीं सलमा जैदी हिंदी मीडिया के लिए जानी-मानी नाम हैं। पर घमंड उन्हें कहीं से छू नहीं सका है। वे स्वभाव से बेहद विनम्र और सहयोगी हैं। टीम वर्क को सफलता के लिए जरूरी मानने वाली सलमा से बीबीसी के दिल्ली स्थित आफिस में धीरज टागरा ने कई मुद्दों पर खुलकर बातचीत की।

अखबारों के खिलाफ आंदोलन की जरूरत : अच्युतानंद

अच्युतानंद मिश्र

हमारा हीरो : वरिष्ठ पत्रकार और माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति अच्युतानंद मिश्र इन दिनों हृदय की शल्य चिकित्सा के बाद अस्पताल से मुक्त होकर अब गाजियाबाद स्थित अपने आवास पर डाक्टरों की सलाह के अनुसार पूर्ण विश्राम कर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। अच्युता जी हिंदी पत्रकारिता के जाने-माने नाम हैं और बेहद सम्मानीय शख्सियत भी। वे ऐसे पत्रकार-संपादक रहे हैं जिनके ज्ञान-समझ के आगे बड़े से बड़े नेता और नौकरशाह भी श्रद्धा से झुक जाते हैं। यूपी के गाजीपुर जिले के रहने वाले अच्युताजी ने भारतीय पत्रकारिता के कई मोड़, उतार-चढ़ाव और बदलाव देखे हैं। भड़ास4मीडिया के रिपोर्टर अशोक कुमार ने हिंदी पत्रकारिता के इस हीरो से उनके आवास पर जाकर बातचीत की। पेश है इंटरव्यू के अंश-

वीरेन डंगवाल ने अमर उजाला को नमस्ते कहा

[caption id="attachment_14696" align="alignnone"]वीरेन डंगवालवीरेन डंगवाल[/caption]मशहूर कवि और वरिष्ठ पत्रकार वीरेन डंगवाल ने अमर उजाला, बरेली के स्थानीय संपादक पद से इस्तीफा दे दिया है। पिछले 27 वर्षों से अमर उजाला के ग्रुप सलाहकार, संपादक और अभिभावक के तौर पर जुड़े रहे वीरेन डंगवाल का इससे अलग हो जाना न सिर्फ अमर उजाला बल्कि हिंदी पत्रकारिता के लिए भी बड़ा झटका है। मनुष्यता, धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र में अटूट आस्था रखने वाले वीरेन डंगवाल ने इन आदर्शों-सरोकारों को पत्रकारिता और अखबारी जीवन से कभी अलग नहीं माना। वे उन दुर्लभ संपादकों में से हैं जो सिद्धांत और व्यवहार को अलग-अलग नहीं जीते। वीरेन ने इस्तीफा भी इन्हीं प्रतिबद्धताओं के चलते दिया।

वे अब समझ गए हैं, मैं भागने के लिए नहीं आया : प्रो. निशीथ राय

प्रो. निशीथ रायइंटरव्यू : प्रो. निशीथ राय (चेयरमैन, डेली न्यूज एक्टिविस्ट, लखनऊ)

इस जमाने में कोई आदमी यह सोचकर अखबार निकाले कि उसे विशुद्ध मिशनरी पत्रकारिता करनी है, सच को पूरी ताकत से सामने लाना है, सत्ता और दबावों के आगे झुकना-डरना-टूटना नहीं है, बल्कि सत्ता और सत्ताधारियों की करतूतों का खुलासा करना है तो आप सोच सकते हैं कि उसे किस-किस तरह की स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। लखनऊ से डेली न्यूज एक्टिविस्ट नाम से एक अखबार निकलता है।

मैं संपादकीय राजनीति का शिकार हुआ : विनोद वार्ष्णेय

विनोद वार्ष्णेयइंटरव्यू : विनोद वार्ष्णेय

कथित मंदी के नाम पर छोटे-बड़े मीडिया हाउसों के प्रबंधन की अंधी कार्यवाहियों के चलते देशभर के जिन हजारों पत्रकारों को बेरोजगार होना पड़ा है, बेहद अपमानजनक स्थितियों में संस्थानों से कार्यमुक्त किया गया है, उनमें से एक हैं वरिष्ठ पत्रकार विनोद वार्ष्णेय। वे दैनिक हिंदुस्तान, दिल्ली के नेशनल ब्यूरो चीफ हुआ करते थे। अलीगढ़ के रहने वाले विनोद ने दैनिक हिंदुस्तान, दिल्ली में बतौर प्रूफ रीडर करियर शुरू किया।

पत्रकार बस तिकड़मी बनकर रह गए हैं : हरिवंश

चौथी दुनिया में हरिवंश का इंटरव्यूचौथी दुनिया के सद्यः प्रकाशित विशेषांक में प्रभात खबर के प्रधान संपादक हरिवंश का इंटरव्यू छपा है। इसमें पत्रकारिता की दशा-दिशा पर काफी कुछ बातें हैं। समकालीन विचारवान और सरोकार वाले संपादकों में हरिवंश का नाम जाना-पहचाना है। रांची में रहकर बिहार-झारखंड के प्रमुख वैचारिक हिंदी अखबार प्रभात खबर को नेतृत्व प्रदान करने वाले हरिवंश ने बाजार के मजबूत दबाव के बावजूद विचार से समझौता नहीं किया। चौथी दुनिया में प्रकाशित यह इंटरव्यू यहां साभार दिया जा रहा है।

मैं रिस्क कैलकुलेटेड लेता हूं : पीके तिवारी

पीके तिवारीएक मुलाकात 

भोजपुरी इंटरटेनमेंट चैनल ‘महुआ‘ और हिंदी-भोजपुरी न्यूज चैनल ‘महुआ न्यूज‘ के बाद पीके तिवारी की टीम अगले दो-तीन महीनों में एक फिल्मी और एक म्यूजिक चैनल लांच करने की तैयारी में जुट गई है। पीके तिवारी सेंचुरी कम्युनिकेशन लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। सेंचुरी कम्युनिकेशन वही कंपनी है जो एक जमाने में प्रोडक्शन हाउस के रूप में दूरदर्शन के लिए प्रोग्राम बनाया करती थी।

न्यूज चैनलों का कंटेंट लीडर है इंडिया टीवी : कापड़ी

विनोद कापड़ी‘हिन्दी न्यूज का सही लीडर पैदा हो चुका है’ : ‘दर्शकों के लिए खबरों का मतलब सिर्फ इंडिया टीवी’ : ‘इंडिया टीवी लीडर है, लीडर किसी को फॉलो नहीं करता’ : हमें हर न्यूज चैनल कॉपी करने की कोशिश कर रहा’ : ‘टीवी में खबरों का दौर एक बार फिर लौट आया है’ : ‘यह यकीनन खबरों की जीत है, हम खबरों के सप्ताह में जीते हैं’ : ‘आलोचकों से निवेदन, वे स्वस्थ आलोचना करें’ : ‘गलती पर उंगली उठाएं तो अच्छाई पर पीठ भी थपथपाएं’

उस दिन मैं बाथरूम में जाकर खूब रोया

Pankaj Shuklaसपने देखने वाले उसे किस तरह यथार्थ में बदल देते हैं, पंकज शुक्ल भी इसके उदाहरण हैं। एक सामान्य देहाती और हिंदी वाला नौजवान बिना गॉडफादर के, उबड़-खाबड़ रास्तों पर चलते हुए एक दिन मंजिल के करीब पहुंच जाता है, पंकज का जीवन इसका प्रतीक है। अखबार, टीवी के बाद अब फिल्म क्षेत्र में पंकज ने अपने काम से नाम कमाया है। ‘भोले शंकर’ बनाकर पंकज ने वर्षों के अपने सपने को पूरा किया। पिछले दिनों दिल्ली आए पंकज ने भड़ास4मीडिया के एडीटर यशवंत सिंह से खुलकर बातचीत की।

बाजार के नाम पर घटिया खेल में शामिल न होंगे

छोटी-सी मुलाकात

K. Sanjay Singhअब भोजपुरी के लिए जंग शुरू होगी। महुआ, गंगा और हमार टीवी नाम से तीन नए चैनल आ रहे हैं। हिंदी मीडिया के कई दिग्गज इनसे जुड़े हैं। बात हमार टीवी की। इसे लांच करेंगे मशहूर पत्रकार कुमार संजॉय सिंह। वे चैनल के मैनेजिंग एडीटर और हेड हैं। कुमार संजॉय सिंह ने एक मुलाकात में हमार टीवी के पीछे के सपने, उन्हें अमल में लाने के बारे में जानकारी दी।