न्यूज 24 के मैनेजिंग एडिटर अजीत अंजुम का दरबार इन दिनों फेसबुक पर हर रोज सजा रहता है. वे नित्य सुबह टीआरपी फेंकू सवाल उछालते हैं और जनता दौड़ी हुई आती है. देखते ही देखते उनके सवालों पर तगड़ा विमर्श शुरू हो जाता है. एक भड़ासी साथी उनके दरबार के अर्काइव को खंगालने में जुट गया तो एक से तीन दिसंबर (2009) के बीच हुई एक मजेदार विमर्श हाथ लगा. लीजिए, आपको पढ़ाते हैं कि टीवी में कैसी-कैसी मूर्खताएं, सहज गल्तियां, मानवीय त्रुटियां आदि हो जाया करती हैं और अपनी ही गल्तियों पर टीवी वाले दिल खोलकर हंसते भी हैं व खुद को कोसते भी हैं. यह एक स्वस्थ परंपरा शुरू हो रही है कि अपनी गल्तियों पर खुद बातचीत करो और उसे स्वीकार भी करो. पूरा मसला कुछ इस तरह है.
Ajit Anjum- टीवी चैनल्स में काम करने वालों की जुबान फिसलने की दिलचस्प मिसाल.मुंबई के एक रिपोर्टर ने लाइव के दौरान कहा- ‘गाड़ी पीकर शराब चलाने के आरोप में पुलिस ने कई लोगों को पकड़ा है’. उसी रिपोर्टर ने एक बार पीटीसी किया- ‘जैसे ही डीजे ने म्यूजिक को अंजाम दिया, पुलिस आ गई’. एक रिपोर्टर की पीटीसी- ‘जैसे ही खंभा गाड़ी की तरफ बढ़ा… दोनों में टक्कर हो गई’. है न दिलचस्प. आप भी कुछ जानते हैं तो बताइए. मेरे पास तो बहुत कुछ है. कुछ साल पहले कहीं ट्रेन दुर्घटना हुई थी. काफी लोग मारे गए थे. एंकर ने कहा- ‘ये एक्सक्लूसिव लाशें सिर्फ….. चैनल पर आप देख रहे हैं’. दो तीन बार इसी तरह वो बोलती रही फिर किसी ने उसे पीसीआर से कहा होगा ये क्या बोल रही हो, तो उसने करेक्ट किया- ‘ट्रेन हादसे में मारे गए लोगों की एक्सक्लूसिव लाशों की तस्वीरें आप देख रहे हैं ….सिर्फ ….. चैनल पर’. ऐसी बहुत कहानियां हैं. कुछ आप बताएं कुछ मैं बताऊंगा. एक न्यूज चैनल में एंकर को पढ़ना था- ‘शिक्षा विकास का मूलमंत्र है’. एंकर ने पढ़ा- ‘शिक्षा विकास का मलमूत्र है’. एक न्यूज चैनल में एक एंकर को खगोलशास्त्री का फोनो करना था. जैसे ही खगोलशास्त्री फोन पर आए, एंकर ने कहा- ‘खगोल जी, नमस्कार मैं फलां बोल रही हूं फलां चैनल से….’। एक ट्रेनी ने जनरल सेक्रेटरी का अनुवाद किया- ‘साधारण सचिव’. एक चैनल में प्रणव मुखर्जी को किसी ने लिख दिया- ‘प्रणव मुर्खजी’. है न दिलचस्प गलतियां.
Vikram Dutt- हा हा हा …….. बिलकुल सही बताया आपने ! एक न्यूज चैनल ने लाइव में अपने ही रिपोर्टर की खबर में उस रिपोर्टर से ही ये पूछा कि… ‘आपने ऐसी अनोखी जूतियाँ बनाने में महारत हासिल कैसे की?’
Rohit Sakunia- Hahahaha, the first one was outstanding….
Arun Tiwari- सर आपने सही लिखा है.. आजकल ऐसे एंकरों की भरमार है… मैंने भी ऐसे कई वाकए देखे हैं… एक एंकर को पढ़ना था ‘ब्रहमांड में उल्का पात..’, लेकिन उसने पढ़ा ‘ब्रह्मण में उल्का पात…’ कभी उसने ‘गृह मंत्रालय’ सही नहीं पढ़ा वो हमेशा ‘ग्रह मंत्रालय’ ही पढ़ता है…
Ajit Anjum- अरुण जी, ऐसे एंकर्स से हमें खूब पाला पड़ा है. आप सब लोगों के पास ऐसे तजुर्बे होंगे, फेसबुक के साथियों से शेयर कीजिए .
Vaibhav Anand Srivastava- most of the problem due to english background anchor, in hindi news channel, they dont feel comfrtable with hindi words, so how much can a panal producer cope with them, and we treated anchors as a celebrity, then he or she think that “hindi learning” is a untouchable thing… and some of our bosses, ignored this problem which arrived by anchor, … See Moreand they takes classes of panal producers only in a bad manner….(sorry, all my privious bosses…) hight of the mistake example – in zee, on 2nd oct. 2008, when anchor repiditly called “rashtrapati” – insted of “rashtrapita”… ppl in PCR, corrected many time…. but her flow didnt allowed her…. god!!
Pankaj Shukla- वैसे तो बहुत है, रायपुर का ताजा-ताजा किस्सा। एक एंकर की शहर के पुलिस कप्तान से बातचीत- ‘आप जिस थाने के एसपी हैं, वहां ऐसी वारदातें रोज़ हो रही हैं…’
Ajit Anjum- नहीं वैभव, सवाल सिर्फ हिन्दी या अंग्रेजी का नहीं है. पत्रकारिता में आने से पहले तैयारी की कमी है. बहुत से एंकर या नए बच्चे पढ़ते नहीं हैं. दिल्ली टाइम्स पढ़ते हैं लेकिन टाइम्स ऑफ इंडिया नहीं. मैं तो इस पर कई सालों से रिसर्च कर रहा हूं. मेरे पास सैकड़ों उदाहरण हैं.
Sunil Dutt- एक चैनल के एसाइनमेंट पर यह बताने पर कि जोधपुर में फाइटर प्लेन क्रेश हो गया है और पायलट सुरक्षित है, तो वहां से पूछा जाता है कि पैसेंजर का क्या हुआ……. जनाब अब आप ही बताएं हिंदी चैनलों का क्या हाल है……
Ajit Anjum- ये शायद मिग के बारे में पूछा गया था, चैनल और एंकर दोनों के बारे में मैं जानता हूं. आप लोग यूं ही कुछ बताते रहें.
Vaibhav Anand Srivastava- ji, aap sahi kah rahe hain… mera to bahut jyada anubhav nahi raha hai sir, magar kah sakta hun ki naami anchors ko unki galti batao to wo jhat sudhaar lete hain,example – vinod dua ji, prasoon ji, prabhu ji, abhisaar, deepak chaurasiya, shams ji, and some more, bt problem naye ya kam anubhav wale anchors ke saath aati hai… sahi kaha aapne, na to unki pahle se taiyari hoti hai aur na hi khabron ke liye jigyaasa…
Ajit Anjum- कई बार चैनल के टॉप बैंड या स्लग में एक या दो शब्द छूट जाते हैं तो भी अर्थ का अनर्थ हो जाता है. ज्यादतर चैनलों में टॉप बैंड के लिए शब्द निर्धारित होते हैं. अगर शब्द ज्यादा होते हैं तो आखिरी के शब्द कट जाते हैं. एक चैनल के टॉप बैंड के लिए प्रोडयूसर ने लिखा- ‘डॉक्टर ने महिला की ली जान’. आखिरी शब्द जान कट गया. अब समझिए चैनल के टॉप बैंड में क्या चल रहा था.
Nabeel A. Khan- Today the majority of anchors are models not journalist so how could u expect them to be sensitive about words. The would be more concerned about their look
Vj Vinit- sir mera abhi is pattrakaaarita roopi bhavan me pravesh hua hai…aapk aise anubhavon se hume bahut kuchh seekhne ko milega dhannyavaad…
Nabeel A. Khan- Once I heard an anchor on a Hindi TV channel- “Chandra Sekhar aajad ko fansi de di gayee….” soon after in the same episode she says ‘Jab unke paas aakhri goli bachi, khud ko mar kar shaheed ho gaye” and this most often ..”Bhari matra mein aadmi maujood the’
Vineet Kumar- इन गलतियों में भी एक किस्म की सच्चाई है। एक बार इसे गलती न मानकर सहज तरीके से पढ़ा जाए तो एहसास हो जाता है।
Ajit Anjum- एपीजे अब्दुल कमाल को तो एक चैनल की एंकर हमेशा एपीजे अब्दुल कलाम आजाद ही कहती थी.
Ashish Jain- जी सर, एक बार तो आश्चर्य अपने होने पर आंसू बहाने लगा, अमेरिका में जगुआर विमान गिरा था, खबर ज्यादा बड़ी थी, उम्मीद के मुताबिक़ एंकर ब्रेकिंग न्यूज़ के साथ टीवी पर दिखने लगी, बस फिर क्या था… नमस्कार स्वागत है आपका ………में … बड़ी खबर आ रही है फलाने से …..इस बार फिर एक विमान गिरा है, कहा जा रहा है इसमें कोई हताहत नहीं हुआ है, इसमें उड़ान के वक्त कोई यात्री सवार नहीं था, अब एंकर को कौन बताये की जगुआर एक लड़ाकू विमान है, जो यात्री को लाने, ले जाने काम नहीं करता…. चैनल बड़ा था, इतना बड़ा कि पिताजी को लगने लगा शायद…. जगुआर अब पेसेंजर हो गया है, मैं मुस्कराया और सर झुका लिया..
Ravish Kumar- मेरी भी ज़ुबान एक बार फिसल गई। ओसामा की जगह ओबामा निकल गया।
Ajit Anjum- हा हा हा … जुबान फिसलना और बात है. वो तो किसी की भी फिसल सकती है क्या कोई ऐसा तर्जुबा है, जब एंकर या रिपोर्टर ने जोर से ठहाके लगाने लायक या सर पीटने लायक गलती की हो …
Vineet Kumar- रवीश की जुबान फिसलने पर चंदन (नदिया के पार) का डायलॉग याद आ रहा है- ये नाव अपने आप बह गयी क्या, बहायी गयी है?
Aditya Chaudhary- hahahaha.. aise galtiyan aksar ho jati hain sir… mujhe lagta hai jo log sidhe TV me aa rahe hain unki juban thodi jyad fisalti hai.. baaki aapko jyada pata hai..
Sanam Khan- ajit sir. Aap anchors ko kiun paked baity.. aap ko yaad hu ga.. ek badiee chanal ka jana mana reporter seher main lagi aag per live report karty huye….. main aap ko batata chalu k sutro k anusar mere peechhe aag lagee hai aur mere sutron k anusar ye aag doupher 2 bajy zahir huie hai…
Anuraag Muskaan- मेरे पुराने चैनल का वाक्या है, ईसाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस की हत्या से जुड़ी ख़बर टीपी पर थी और दूसरे छोर पर एक सुंदर एंकर… एंकर ने स्टेंस को स्टेशन पढ़ा और रनडाउन पर आकर बमक पड़ी… क्या-क्या लिख देते हैं आप लोग… स्टेशन भी ठीक से नहीं लिख सकते… स्टेंस लिख दिया.. अब तो उसे ठीक कर लें….।
Anuraag Muskaan- पुराने ही चैनल में मेरे एक मित्र एंकर विंबलडन बोलते पर ऐसे फंसे… वि की बिंदी ल पर लगाकर देर तक हकलाते रहे…। मैं भी एक बार हेडलाइंस में ग़लती होने की हड़बड़ाहट में ‘माफ़ कीजिएगा’ कह कर आगे बढ़ा था…।
Piyush Srivastava- गलतियां तो होती रहती हैं सर, और एंकर भी इंसान होते हैं जुबां फिसल जाती है… लेकिन इसे सुधारने का जिम्मा भी तो आप लोगों का है…..because u people have the power to decide and scrutinize people at the beginning, becoming an anchor is fashion now.. and people with good face (specially girls), become anchors. These kinda people only degrade our community. (hope u won’t mind)
Shamsher Kainth- hahaha.. sir, if we produce a program of all these bloopers, i m sure, it will be a big hit.. I am reminded of one such incident, when a reporter was reporting from outside Nithari village in Noida, in the morning news show he was on live chat “aap dekh sakte hain mere peechhe police ne barricades laga diye hian taaki koi bhi andar na ghus sake”.
Anuraag Muskaan- n the award goes to Shamsher… really good one.. im still laughing….. hahahahahhahahaha..
Vaibhav Anand Srivastava- really good….. shamsher ji…
Shamsher Kainth- thank you friends, but the ones posted by Ajit sir are really unbeatable, even by the dumbest of the anchors. 😛
Ram N Kumar- Too Good ajit jee…..
GArima TiwaRi- nice ones!
Nandita Pandey Jyotirvid-Tarot Exprt- Good one sir… anchors ke ye faux pas to hotey hi rehtey hain…pur un glatiyon ka kya karein jahan channel key zimmedar log un logopn ko channel par baitha detay hain jinhey apney subject ka koi gyan nahin hota… ab astrology ko hi lijiye… uccharan to bahut door ki baat- yehan to mantra hi galat boley jaatey hain… social responsibility naam ki koi cheez hi nahi rahi hai…. kisi bhi chanle mein baithey huey expert ko junta bahut seriously follow karti hai , kyonki unka vishwas channel par hota hai… for eg… agar kisi ka bhala green colur peheney se hoga aur usko green colour ko daan karney ko bol dey to uski kismet to U turn le legi aur wo aur pareshani mein pad jayega…. the question is Who will take the responsibility of these faux passes…. the ones who recruit them or the ones who appear on TV because they have been recruited by the channel.. the question lies is “WHO is responsible???”
Nandita Pandey Jyotirvid-Tarot Exprt- Vivek ji, I completely agree with you…
Vivek Gupta- sir …eh saari galtiyo ke piche zimdedaar kaun hai….us channel ka anchor ,input ya fir output..??? galti kisi ki bhi ho naam tho channel ka hi kharab hota hai ….. 🙁
Shamsher Kainth- guys, dont get serious, share more such incidents if you remember any, it is fun…
Nandita Pandey Jyotirvid-Tarot Exprt- :)))))))) God bless!!
Vivek Gupta- mujhe bhi ek kissa yaad aa raha hai, ek baar mumbai me musladaar baarish ho rahi thi, aur bollywood star amitab bachan ke saari importd Ghadiya bagal ke 5 star hotel JW Marriot me shift ho rahi thi…..isi khabar par ek entertainment channel ke reporter w/t kar rahi thi…aur usme bich me bola “KI AMITAB JI KI SAARI IMPORTED GHADIIEESS KO SHIFT KARAHA JA RAHA HAI…….note (GHADIIEESS )
Santosh Singh- सर, इसी तरह पुलिस महानिदेशक को महानिरीक्षक बोलते है, जब की पुलिस महानिरीक्षक I.G. OF POLICE, और महानिदेशक D.G. OF police होता है.
Hari Joshi- अखबार में भी ऐसी दिलचस्प गलतियां होती रही हैं। एक अखबार ने कर्फ्यू की एक खबर का पीटीआई के वायर से अनुवाद किया– दीवारों से घिरे शहर में पुलिस पेट्रोल छिड़क रही है:-) दरअसल अनुवाद होना चाहिए था कि वाल्ड सिटी यानी पुराने शहर में पुलिस पेट्रोलिंग कर रही है… इसी तरह कैटल्स हैड सोल्ड का अनुवाद हुआ- पचास हजार जानवरों के सिर बेचे गए:-))))))))
Arvind Chhabra- these are really hilarious…i am reminded of an anchor who said: “As soon as this ailing person (i am not naming the celebrity) dies, our channel will be the first to show you the visuals and break the story. so stay tuned…”
Vikas Mishra- बड़े चैनल की बात है, सुबह की शिफ्ट में प्रोड्यूसर ने हेडलाइन लिखी- टीम इंडिया के बल्लेबाजों ने लुटोई डुबिया। प्रोड्यूसर तो लिख गया। लेकिन एंकर भी महान. मोहतरमा ने उसे लुटोई डुबिया ही पढ़ा। यही नहीं उसमें कुछ गलत भी नहीं लगा। इसी चैनल में स्पोर्ट्स एंकर को हेडलाइन में टीम इंडिया का सूपड़ा साफ पढ़ना था। जीभ गच्चा दे गई. अर्थ का अनर्थ हो गया। एक प्रोड्यूसर ने हाथ जोड़कर कहा कि अब कृपया सूपड़ा शब्द का इस्तेमाल कभी न करें।
Arvind Chhabra- anchors and reporters do it all the time but others in channels are luckier that their blunders are not noticed. once i got a call from assignment saying: aapka firozabad me golikaand pe phono hai. i said why, UP guys should do it. he said: Oh it’s in UP? I thought its in haryana.” The poor chap had faridabad in mind!
Pravin Jha- aajkal ye aam bat ho gayi hai sir
Ayesha Khanum- hahha really good ones… Meiney ek baar sichaayee mantri (irrigation minister) for kheechaee mantri keh diya thaa…. mein bhi ek din zaroor anchor banoogee ajitji !!!! hahha
Rubika Liyaquat- अब जब ऐसे ही दिलचस्प किस्सों का ज़िक्र हो ही रहा है और मैं भी ठहाके लगा लगा कर हंस ही रही हूं तो एक अपनी ही ग़लती का ज़िक्र कर लेती हूं। एक बार कॉमेडी वाला program record करना था फटाफट studio पहुंची..panel producer ने cue कहा और वोल पड़ी… नमस्कार आप देख रहे है रुबिका लियाक़त.. मैं हूं (channel का नाम )…. thank GOD वो record हो रहा था.. बाल बाल बची जगहंसाई से…. वैसे तो मैं भी नई ही एंकर हूं न जाने कितनी mistakes करती हूं। अंजुम सर तो कितनों के गवाह भी होंगे….क्यों sir? ha ha ha
Ajit Anjum- शुक्रिया आएशा, तुम जैसी रिपोर्टर कई एंकर पर भारी हैं. आप लोग यूं ही कुछ-कुछ बताते रहिए. मामला दिलचस्प होता जा रहा है. जुबान फिसलने और अज्ञानता की वजह से अनाप-शनाप बोलने में फर्क है . दोनों को हम अलग करके देखें …
Rajender Kumar Sharma- Ajit jee, ek enchore ka kissa aur hey… balatkar par phono tha… anchore se kaha gaya isse kheench… madan poochhti hein… toh aap bataein kee balatkar keetni der chala aur police itni der taq wahan kyon nahin pahunch payee…
Rajender Kumar Sharma- Waise Ajitjee dilchasp galtiyan akhbaron mein bhee hoti rahi hein… Land mine blast ka translation JAMEENI SURANG PHATNE SE… aur feared dead ka DAR KAR MARE dekhan hey sir… Statesman mein tha.. Sub editor ne haath se headline likhi Alipur zoo, lekin likhne kaa andaaz kuchh aisa tha ki print mein ALIPUR 700 gaya aur unhin kee handwritten IITF, India International Trade Fair, ko 117F chhape hue bhee dekha hey sir…
Vikas Mishra- मेरठ के एक बड़े अखबार में भीतर के पन्नों में एक सिंगल कॉलम खबर छपी थी। शीर्षक था- प्रधान ने किया बच्चे के साथ कुकर्म। खबर में लिखा गया था- प्रधानमंत्री ने चार साल के बच्चे के साथ कुकर्म किया। जाने सब एडिटर किस मूड में था। बहरहाल उस वक्त प्रधानमंत्री देवेगौड़ा थे और अखबार को पीएमओ से नोटिस भेजी गई। अखबार ने माफी भी मांगी।
Vikas Mishra- मेरठ के बड़े अखबार में डेस्क पर दुश्मनी के रिश्ते चल रहे थे। खबर किसी और ने एडिट की थी। लेकिन एक बदमाश ने खबर के नीचे की लाइनों में हेरफेर कर दिया था। नीचे की लाइनें छपीं- मुजफ्फरनगर के एसएसपी ने कहा- स्साले गुंडे बदमाशों की मैं मां.. बहन.. कर दूंगा। इनके….में भुस भर दूंगा। मजे की बात एसएसपी ठहाका मारकर हंसे, माफी मांगने की जरूरत नहीं पड़ी।
Rama Solanki- bilkul sahi kahan apne sir…zubaan fisalne ke kisse abb amm ho gaye. khaskar aisi galtiyan jinhe sab dekhte hai tabhi toh pahle jo log dabbi zubaa mai baate karte the vo abb khulkar media ke galtia dekhtte hai….samajh nahi atta esse padkar hassa jaye ya fhir sharminda….
Hari Joshi- जुबां फिसल जाना और शरारत से अर्थ का अनर्थ करना अलग बात है जैसे आगरा में एक अखबार के संपादक थे रामभरोसे लाल राठौर और प्रूफ रीडर ने बदमाशी दिखाई और एक हफ्ते तक संपादक का नाम छपा राम..षणी लाल राठौर:-))) लेकिन गलत अनुवाद के जो किस्से मैने लिखे हैं वह महाशय अब एक चैनल में EP हैं; तो सोचिए कि कैसे-कैसे गुल खिला रहे होंगे:-))))
Saurabh Dubey- सर, देश के एक जाने माने चैनल में बुलेटिन पढ़ने के बाद स्टूडियो की चेयर पर ही एंकर कंघी करने लगीं और पीसीआर ने स्विच नहीं दिया होगा….ना ही कोई कमांड फिर क्या था…कंघी करतीं हुई एंकर को पूरे देश ने देखा
Saurabh Dubey- एक केस की सुनवाई सोमवार को थी जबकि एंकर ने कल बोलकर रविवार को ही सुनवाई करवा दी…
Pankaj Shukla- आमतौर नाइट शिफ्ट का आखिरी बुलेटिन बनाते वक्त एंकर लिंक्स में जहां जहां आज लिखा रहता है वहां उसे हटाकर दिन का नाम लिख दिया जाता है। तब ऑटो क्यू चलाने वाले लोग ही ये काम कर लिया करते थे। ऐसे में एक दिन किसी एंकर में लिखा था आज की नारी। और उस दिन बुधवार था। ऑटो क्यू वाले ने जहां जहां आज लिखा देखा वहां बुधवार कर दिया। और संबंधित खबर के एंकर में हो गया बुधवार की नारी। वो तो रोल होने से पहले सारे एंकर लिंक्स पढ़ने की आदत के चलते मामला पकड़ में आ गया नहीं तो एंकर तो…..
Vineet Kumar- इन दिलचस्प गलतियों को जितना हो सके, जमा कीजिए और बाद में चैनल के लतीफे नाम से एक किताब प्रकाशित करवाएं।
Ranjan Rituraj- एक एंकर को बोलना था- “फलाना नेता ‘अजमेर’ गए! एंकर ने बोला – फलाना नेता “आज मर” गए!
Ajit Anjum- इन गलतियों का संकलन करने की कोशिश कर रहा हूं विनीत. हमें जुबान फिसलने वाली गलतियां और अज्ञानता वाली गलतियों में फर्क करके देखना होगा. जुबान तो किसी की भी फिसल सकती है लेकिन अगर कोई जनरल सेक्रेटरी का अनुवाद साधारण सचिव कर दे तो क्या कहोगे. चंद्रबाबू नायडू को आज भी आंध्र का सीएम मानकर फोनो कर ले तो क्या कहोगे.
Vineet Kumar- हमें जुबान फिसलने वाली गलतियां और अज्ञानता वाली गलतियों में फर्क करके देखना होगा. इस पर सचमुच गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।
Piyush Mehta- अजित जी, एक अच्छी पहल है .. इस संकलन को तो प्रकाशित करना चाहिए ..
Pankaj Shukla- एक और दिलचस्प वाकया, प्रिंट के दिनों का। जिस यूनिट में मैं काम कर रहा था वहां के एडिटोरियल हेड को अंग्रेजी शब्दों से एलर्जी थी, वो हर शब्द का हिंदी अनुवाद चाहते थे। यहां तक कि इसके लिए एक आदमी अलग से तैनात था। एक दिन एमेच्योर बॉक्सिंग पर कोई लेख था। बंदे ने इसका अनुवाद कर दिया अवयस्क मुक्केबाजी !!!
Sarfaraz Saifi- sir aap ki nazer har news our news chennal par bariqi sai hoti hai, mujhe yaad hai haal filhal ek big news chennal par aaj kal ek anchor mumbai par anchor kar rha tha news room sai our baar baar kah rha tha…..mumbai ki ”sarko” par hazaro log pitte hai.. sir. un sahab ki zuban sai sadk lafz hi nhai nikal raha tha….
Vikram Dutt- सर मैं किसी की मजाक नहीं उड़ा रहा लेकिन अब बात आला दर्जे के रिपोर्टर की जो इन दिनों राजस्थान में नामी अखबार के संपादक है! एक दिन जोधपुर में कृषि मण्डी में आग लग गई, जनाब ने पेज पर दिया कृषि मण्डी में दावानल भड़का! और वो खबर राज्य भर में फ्लेश भी हुई !
Ranjan Rituraj- kal raat 10 baje – Ravish babu bhi Rs 47 lakh ke BUS ko Rs 47 ka bataya 🙂 shayad oonaka ees thread ke liye ek Majak tha 🙂
govind goyal,sriganganagar
January 19, 2010 at 10:26 am
dekhane wale bor nahi hote bas sir pitate hain.
akhilesh akhil
January 19, 2010 at 10:33 am
ajit anjum ji jis bahas ko chala rahe hai hai , iske liye unhe sadhubad. kisi bahane hamari kamjori to samne aa rahi hai. ajit jee sahi kah rahe hai ki juban fisalna aur jankari ke abhav me galti karna alag alag bat hai. darasal kam gyani aadmi ko patrakarita me nahi aana chahiye. lekin yaha to agyanio ki bharmar hai. ek sampadak ji ki bat suna raha hun . bihar se ek bar kali hijra chunav lad raha tha. m.p se sabnam mausi. kali ke liye pahle hi heading bana di gayee thi— bihar me hijare bhi chunav jite. kali har gaya. shabnam jit gaya. lekin yehi heading shabnam ke liye nahi laga. sampadak ne kaha ki bihar bikta hai. tukdo tukro me bihar ko becha ja sakta hai. yehi hai aaj ka media.
Janhvi
January 19, 2010 at 12:20 pm
AJIT SIR,
EK DILCHSP HAI VAN VIHAAR BHOPAAL KI GHATNA ……YAHAAN JANVARON KO KUCH PAISE LEKAR ADOPT KARNE KI AAZAADI HAI, JAB RIPORTER NE DESK ME BATAYA KI …” AMUK AADMI NE AAJ TIGER KO GOD LIYA HAI” …..TO UDHAR BAITHE EK VARISHTH KA JABAB THA KI …. “USE PAKAD KAR CHUMTE-PUCHKARTE LIVE SHOT HAI KYAA”……..JABKI VE BHEE JAANTE THE KI YE GOD LENA PRTIKATMAK HOTA HAI…. UNHE KOUN BATAYE KI TIGER KO GOD LEKAR CHUMNE PUCHKARNE KA SAHAS DUNIYA KE ANDAR KISI ME NAHI HAI…..
Prabhat Sharma
January 19, 2010 at 1:39 pm
Yah to un anchors ka haal hai jo inhi channels ke media school kee upaj hain. Ghalati en anchors kee bhee nahin hai. Jin logon ko upeksha aur apeksha, mela aur maila ke beech ka antar nahi pataa ho unse aur umeed bhee kya kee ja sakti hai. Ghaur farmaiyega. “Makar sakranti (sankranti) ke maile (meley) me har saal yahaan lakhon log shikast (shirqat) karte hein.”
aur bhi kayee example hain. waqt aane par batata rahoonga.
ranjan Rituraj
January 19, 2010 at 4:39 pm
I am not from MEDIA but my Facebook day life is incomplete without visiting Ajit Anjum sir profile .
madho singh
January 19, 2010 at 5:55 pm
अजीत अंजुम जी…एंकर की जुबान फिसलने के मामले दिलचस्प हैं…पूर्ववर्ती चैनल में काम करने के दौरान मैं पीसीआर में बैठा था…तभी बीच बुलेटिन में ब्रेकिंग ख़बर आई और एंकर को रोका…सारा माज़रा समझा दिया…ये भी बता दिया कि इसके बाद फलां ख़बर पढ़ के ब्रेक पर जाएंगे…लेकिन एंकर मेरे बोलना बंद होने के फौरन बाद ही बोल पड़ी..कि ‘आगे मरने से पहले लेते हैं एक ब्रेक’
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January 20, 2010 at 12:27 pm
aapke amitabh ojha aajkal kya kar rahe hain, pata hai
[email protected]
January 20, 2010 at 12:28 pm
patrakarita ya kuchh aur. dhyan dijiye
[email protected]
January 20, 2010 at 12:29 pm
ajit g aap head hain to apne emplyoee par v dhyan dijiye
rohit chaudhary
January 21, 2010 at 11:53 am
अजीत अंजुम जी ऐसा ही एक वाक्य मुझे भी याद आ रहा है. पिछले साल जून में पाकिस्तान ने लंदन के लॉर्डस मैदान में टी ट्वेंटी विश्व कप जीता तो आजाद चैनल का एक पुरुष एंकर कह उठा कि पाकिस्तान ने लॉर्डस के मैदान में तिरंगा लहरा दिया है.
Joy Banerjee
January 25, 2010 at 6:59 am
Ye baat tab ki hai jab hamaara channel SANSANI banata tha aur tab ye BAG hua karta tha.
Mere shahar mein ek ghtana thi ki “EK LADKI BARAT LEKAR SHADI KARNE JA RAHI THI” Meine ye khabar assignment per batayee. to Desk per maujood MADAM ne mujhse pucha ” LADKI KYA GHODE PER CHADI HAI ” maine kaha “HA CHADI HAI BARAT CHALE WALI HAI” MADAM phir puchtee hai” YE BATAO GHODA HAI KI GHODI ” meri jaban bhi phshal gayee meine kaha ” DEKHA NAHI HAI. JHUK KAR DE KE BATATA HU.” bus phir kya MADAM fire aue Input head se meri siquayat kar dali….. Daaant to phadnii hi thi
करूणा शाही
January 27, 2010 at 7:46 am
आखिर कौन है जिम्मेदार….
अजीत सर…एंकर की गलतियां…रिपोर्टस की गलतियां….और तमाम टीवी पत्रकारों के लिए मजाक…इसके लिए आप जैसे लोग भी कहीं न कहीं जिम्मेदार हैं…कहने में दो मत नहीं कि सुंदर चेहरा देख कर किसी को भी एंकर बनाने की परिपाटी भी आप जैसे सिनियर्स ने हीं शुरू की है…आप जैसे लोग जो शिर्ष पर बैठे हैं उन्हें रिपोर्टस के ज्ञान और उसकी जानकारी से कम वास्ता होता है…उसके पहनावे और हेयर स्टाइल पर विशेष ध्यान रखा जाता है…ये सच है कि टीवी में नौकरी के लिए अपडेट और अपटुडेट रहना दोनों जरूरी है…लेकिन यहां तो केवल पहनावे और सुंदरता को तरजीह दी जा रही है…भले ही हमारे भाईयों का उपरी माला खाली ही क्यों न हो….मेरा मानना है कि आज जो भी चेहरा टीवी पर एंकर के रूप में नजर आ रहा है उनमें 90 फिसदी सिर्फ टीपी रीडर हैं…उन्हें एंकर कह कर एक गलती आप भी कर रहे हैं…..लेकिन सिर्फ उनकी ही गलती नहीं है….कहीं आम बजट को अंग्रेजी में लिखने के चक्कर में मैंगो बजट लिख दिया जाता है….तो कहीं तीस हजारी कोर्ट की जगह… 30 हजारी चलाया जाता है…अब इन गलतियों के लिए आप किसे जिम्मेदार कहेंगे…सच तो ये है सर…जिस नींव पर आप लोग इमारत खड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं…उस नींव की इंट भी तो आप ही लोग लेकर आते हैं….(उनका चयन भी तो आप ही करते हैं)…शायद आप भूल रहे हैं कि जिस वक्त आप एक बड़े चैनल में सीनियर प्रोड्यूसर थे उस समय एक ऐसी एंकर ने आपके यहां ज्वाइन किया था जिसे एक चैनल से सिर्फ इसलिए नौकरी से निकाला गया था क्योंकि उसने अंजू ब़ॉबी जार्ज लंबी ‘कूद’ में पदक से चूकी…इसके बदले उसने कूद की जगह बेहद ही आपतिजनक शब्द का इस्तेमाल किया था…उसी एंकर का इंटरव्यू आपने लिया था और उसे नौकरी दी थी…वजह जानते हुए भी….शायद आपको याद आ गया होगा….उसी दौरान का एक बेहद दिलचस्प लेकिन यूं कहें कि शर्मनाक वाक्या है जब एक बड़े चैनल की खूबसूरत एंकर ने कहा कि ब्रेक से पहले हमने आपको मिलवाया साढे तीन फीट की दुल्हन से…कहीं मत जाईएगा…ब्रेक के बाद हम मिलवायेंगे उस दुल्हे से जिसका………..साढे तीन फीट का है…मोहतरमा कद पढना भुल गईं…हो गया अर्थ का अनर्थ….कहीं अच्यूतानंद की जगह एक बार नहीं दो बार नहीं बल्कि कई बार पढ़ा जाता है चूतियानंद…अब ऐसे शख्सियत के बारे में लोगों की मालूमात अगर ऐसी हो तो भला आप उसे क्या कहेंगे…किसे कहेंगे जिम्मेदार….एक और दिलचस्प वाक्या है…शायद आपको याद होगा….मिडिया के एक ऐसे शख्सियत भी हैं जिनके नाम से लगभग हर एक शख्स वाकिफ है…वो सिर्फ राम कृष्ण हेगड़े को…. डाम कृष्ण हेगरे पढने के कारण कई वर्षों तक एंकर नहीं बन पाये….अजीत सर भले आप न मानें लेकिन अपनी जिम्मेदारी आपको भी समझनी होगी…क्योंकि यहां एंकर बनने के लिए उनकी योग्यता नहीं बल्कि उनकी सुंदरता को तरजीह देने की परिपाटी तो आप लोगों ने ही शुरू की…तो अब अपनी ही गलतियों पर आंसू बहाने से क्या फायदा…बहुत लोगों ने आपकी हां में हां मिलाया….मैं भी आपकी इज्जत करती हूं लेकिन साथ ही आपके सामने है सवाल…आखिर कौन है जिम्मेदार….उम्मीद है आप जवाब जरूर देंगे….
Chandan ( Freelancer Cine Editor,Patna)
January 28, 2010 at 8:08 am
Ajit Sir
Az Bihar band hai is doran ek channel ke reporter live mai dekha rahe the ki abhi tak Dakbangla chooraha pe awa gaman chalu hai..yaha ko andolankari nahi aya hai…. lagata andolan mai dam nahi hai…. to istrah se reporter live kar rahe hai…
Arun Srivastava
February 5, 2010 at 5:01 pm
hindi ke ek nami news paper mein ek sub editor ne do bund zindgi ke ki jagah heading laga di-do ghunt zindgi ke. ab ise agyanta kahenge ya phir lapervahi.
vinay singh
February 9, 2010 at 11:08 am
g guru ajit g,humne bhi dekha suna hai aisa hi kuch,abi pichale seson ke dauran vijay chowk par r.sahara ki reporter live chat kar rahi thi librahan report par chat ke dauran usne kai bar ram mazid kaha ram mandir ki jagah.
sanjay
February 9, 2010 at 2:44 pm
….. जी, मैं भी पिछले कई वर्षों से इलेक्ट्रानिक मिडिया में संवाददाता के रुप में एक महत्वपूर्ण जिले की जि़म्मेदारी निभा रहा हूं…. इस दौरान मैने ऐसे कई वाक़ये पेट पकड़ पकड़ कर झले हैं….एक बार एक चैनल पर एंकर ने अपने संवाददाता से प्रश्न किया कि उसे इस खबर की जानकारी कैसे लगी जो दिखायी जा रही हैं….. संवाददाता ने छुटते ही ज़वाब दिया माफ किजिये मै अपने सूत्रों का खुलासा नही कर सकता यह पत्रकारिता के आदर्श के खिलाफ है… अपने संवाददाता के इस अप्रत्याशित जवाब से एंकर के पसीने छूटने लगे…. दूसरे वाक़ये में जेल की एक खबर पर एंकर ने कैदी का ही फोन नम्बर मांग डाला…. जेलर सहित फोन लाईन पर मौजूद संवाददाता दोनो ही आवाक़ रह गये…. काफी मश्क्कत के बाद एंकर को माज़रा समझ में आया….तीसरे मजेदार वाक़ये में स्थिति और भी ना केवल हास्यास्पद बल्कि गंभीर हो गई….हाईकोर्ट द्वारा पन्द्रह से अधिक स्पेशल पुलिस आफिसर ( एस पी ओ) को एक मामले में कारण बताओ नोटिस जारी होने की खबर पर एक चैनल में एंकर ने अपने संवाददाता से पूछा कि आखिर इतने अधिक पुलिस सुप्रीडेन्टों को यह नोटिस क्यो जारी की गई…बेचारा संवाददाता बार बार यह समझाने की कोशिश करता कि एस पी ओ और कुछ नही बल्कि नक्सली ईलाकों में विशेष भर्ती अभियान के तहत भर्ती किये गये पुलिस के जवान हैं लेकिन एंकर एस पी ओ को एस पी समझ कर लगातार सवाल दागता रहा…. ऐसे मामलों की कोई कमी नही हैं शायद जगह कम पड़ जाये….
anil mittal
July 8, 2010 at 8:48 am
अजीत जी ,,,,,, जब तक स्टूडियो का रास्ता चैनल हेड के बेडरूम से होकर जायेगा तब तक आप और हम कुछ नहीं कर सकते ,,,,,,,,,,,,,,,,सुंदर लडकियों को टी वी में दिखने की चाह इतनी ज्यादा होती है की ऐसे सौदे को बड़ी जल्दी कबूल कर लेती है ,,,,,,,,,,,,जब तक इस परीपाटी को ख़तम नहीं किया जायेगा तक ऐसा ही चलता रहेगा ,,,,मेरे कहने का यह मतलब नहीं है की मीडिया में सब लडकिय इसी तरह से सौदा कर के एंकर बनती है ,,,,,,,,,,,ज्यादातर लडकिय अपनी काबलियत के दम पर एंकर बनती है पर शोर्टकट से जाने वाली लडकियों की भी गिनती कम नहीं है
अनिल मित्तल देहरादून उत्तराखंड