नंदिता पुरी से मेरी और ओमपुरी की मुलाकात एक साथ, एक ही दिन कोलकाता में ‘सिटी ऑफ ज्वॉय’ की शूटिंग के दौरान एक भीड़ भरी रोड पर हुई थी। ओमपुरी रिक्शा वाला बने थे मगर ठहरे पांच सितारा होटल ‘ग्रांड’ में थे। उस जमाने की सबसे लंबी कारों में से एक कोंटेसा में ओमपुरी और मैं जब होटल पहुंचे तो नंदिता इंतजार कर रहीं थीं। वे उस समय बांग्ला दैनिक ‘आजकल’ में काम करती थीं और ओमपुरी का एक लंबा इंटरव्यू उन्होंने कई किश्तों में लिया था। जाते-जाते नंदिता ने ये भी कहा था कि आप पर किताब लिखनी है। ओमपुरी ने चलते अंदाज में कह दिया था कि उसका भी वक्त आएगा। उन दिनों ओमपुरी हमारे दोस्त अन्नू कपूर की बहन सीमा कपूर के एकतरफा प्यार में गले तक डूबे हुए थे और सच यह है कि सीमा उन्हें भाव नहीं दे रही थी। सीमा उस समय दिल्ली में मेरे साथ ही रहती थी और एक दिन रात दस बजे के आस पास ओमपुरी ने कोलकाता से फोन किया, सीमा कुछ लिख रही थी और ओमपुरी ने परम निवेदन की मुद्रा में कहा कि तुम्हारी तो दोस्त हैं, मैं बहुत प्यार करता हूं, शादी की सेटिंग करवा दो ना यार…।
मैंने कुछ देर बाद फोन करने के लिए कहा। कठपुतली नाटकों में नाम कमा चुकी सीमा से बात की और कहा कि अगर शादी नहीं करनी है तो कोई बात नहीं मगर करनी हो तो ओम बेहतर आदमी है। उम्र में पंद्रह साल का फर्क था मगर उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। सीमा का जवाब था कि अपनी ऐसी सूरत के बावजूद ओम पुरी लड़कियों में काफी दिलचस्पी लेते हैं। चार लड़कियां उनके साथ रह चुकी है और उन्होंने अपनी नौकरानी को भी नहीं छोड़ा। फिर भी थोड़ा मनाने के बाद प्रगतिशील विचारों वाली और सार्त्र, काफ्का और कामू के अलावा मार्क्स और लेनिन को पढ़ने वाली सफदर हाशमी की दोस्त सीमा राजी हो गई। फिर ओम पुरी का फोन आधी रात को आया और उनसे कहा कि सीमा मान गई है, इसके पहले कि वे अपना विचार बदले, शादी करने आ जाओ। ओम पुरी को जो पहली उड़ान मिली, उससे दिल्ली आए और गोल मार्केट के पास चर्च में अगले ही दिन शादी करवा दी गई। इसके बाद शादी की कई किश्ते हुई। एक आर्य समाज में, दूसरी अदालत में, तीसरी ओम पुरी की मां की मौजूदगी में राजस्थान के झालावाड़ में। ये शादी साल डेढ़ साल चली और सीमा अब अकेले रह कर टीवी के कार्यक्रम और विज्ञापन बनाती है।
ओम पुरी के बारे में इतना कहा जा सकता है कि वे काफी सरल इंसान है। दिल दुखे तो सबके सामने रो पड़ते हैं। खुद खाना बना कर सबको खिलाते हैं और मेरे घर में कई बार झाड़ू पोछा लगा चुके है। कपड़े धो कर सुखा कर प्रेस कर के भी रख चुके हैं। अभिनेता तो खैर वे गजब के हैं ही। दो बार अभिनय के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके हैं। ब्रिटेन ने उन्हें सर की उपाधि दी है और हॉलीवुड में फिल्मों के सेट पर वहां के बड़े सितारों की तरह उनकी इज्जत होते मैंने खुद देखा है।
नंदिता बाद में उनकी पत्नी बन गई। सीमा में जहां अलौकिक और सात्विक सौंदर्य की आभा थी वहीं नंदिता के चेहरे पर सफल पत्रकार होने का तेज है। दोनों का एक बेटा भी है। वैसे आम पुरी कभी संतान नहीं चाहते थे। मगर अब अपने बेटे को बहुत प्यार करते हैं। बेटा शरारती है और दिन भर काजोल और अजय देवगन के घर बैठ कर कोरे कागजों पर डिजाइन बनाता रहता है। कल पढ़ा कि आखिरकार नंदिता ने ओम पुरी की जीवनी लिख दी है और उसमें उनके जीवन के स्त्री प्रसंग पर पूरा एक अध्याय लिख दिया है। ओम पुरी बहुत नाराज हैं और कह रहे हैं कि वे नंदिता को कभी माफ नहीं कर सकते।
नंदिता को फोन किया तो बोली कि एक तो पूरी किताब में सिर्फ एक अध्याय ओम पुरी के जीवन में आई महिलाओं पर हैं। इनमें से एक 55 साल की नौकरानी भी थी जिसने 14 साल के ओम पुरी से बाकायदा बलात्कार किया था। मगर नंदिता के अनुसार ओम पुरी सबसे ज्यादा नाराज लक्ष्मी के जिक्र से है। लक्ष्मी आंध्र प्रदेश की है, भरी देह वाली थी, दो बच्चों की मां हैं और पति खाड़ी के किसी देश में नौकरी के लिए गया था और वहीं बस गया था। ओम पुरी से लक्ष्मी के हर तरह के रिश्ते थे और सच तो यह है कि ओम पुरी ने उसके दोनों बेटों को हॉस्टल में पढ़ाने का खर्चा दिया और खुद उसकी मदद इस हद तक की कि मुंबई में एक फ्लैट खरीद कर दे दिया। उस जमाने में मैं ओम पुरी के घर में ही ठहरता था और जब लंबे अरसे तक मुंबई रहना हुआ तब भी बरसोवा में त्रिशूल अपार्टमेंट में उनके साथ रातें गुजारता था।
अब नंदिता कहती है कि लक्ष्मी ओम पुरी को आज तक ब्लैक मेल कर रही है और ओम पुरी नियमित उन्हे पैसा देते हैं। ओम ने यह बात नंदिता को खुद नहीं बताई लेकिन नंदिता का कहना है कि उन्हें पता है। इसके अलावा बहुत सारी लड़कियों का वर्णन नंदिता ने किया है जो वे कहती हैं कि खुद ओम पुरी ने उन्हें बताया था।
अब ओम पुरी कहते हैं कि उन्होंने इतने वर्षों में इतनी मेहनत कर के जो इज्जत कमाई थी उसे इस किताब ने धूल में मिला दिया। मेहनत तो ओम पुरी ने की है। सात साल की उम्र में चाय की दुकान पर काम करते थे। फिर पंचर जोड़ने से कारों की मरम्मत करने तक उन्होंने तमाम काम किए और आखिरकार थिएटर में पहुंचे और बड़ी मुश्किल से पंजाबी उच्चारण वाली अपनी हिंदी को खरा बनाया और आज तो बड़े बड़े फिल्मकार सिर्फ उनकी आवाज का इस्तेमाल करने के लिए लाइन लगाते है। मगर किसी व्यक्ति का निजी इतिहास अगर किताब में आता है तो उसे ईमानदार होना ही चाहिए। उसमें सारे सच सामने आने चाहिए। ओम पुरी कहते हैं कि नंदिता ने किताब लिखने के पहले उन्हें दिखाई भी नहीं। ये नंदिता की किताब थी और इस पर सिर्फ उनका हक था।
उम्मीद यह है कि लिखने के बाद भी ओम पुरी से दोस्ती बनी रहेगी मगर जिन सीमा कपूर ने उन्हें अनपढ़ और जाहिल कह कर और अच्छी खासी वसूली कर के तलाक दे दिया था, वे आज भी ओम पुरी के साथ घूमती है। आखिरी मुलाकात छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के एक होटल की गैलरी में हुई थी जहां सीमा की एक फिल्म को आकार देने ओम पुरी गए हुए थे और एक साथ ठहरे हुए थे। भूतपूर्व पत्नी के साथ एक कमरे में रह कर पुरी साहब कोई राम चरित मानस तो नहीं पढ़ रहे होंगे।
हालांकि मैं इस झगड़े में पड़ना नहीं चाहता मगर मेरा मानना है कि ओम पुरी को अपनी सारी कमजोरियां उम्र के इस पड़ाव पर जब वे साठ साल के होने ही वाले हैं, स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। इससे वे एक बेहतर इंसान साबित होंगे। लेकिन यह ओम पुरी का फैसला होगा। मैं अपनी दोस्त नंदिता के साथ हूं और पत्नी के अलावा पत्रकार होने का उनका हक छीनने के खिलाफ हूं। जानता हूं कि नंदिता ओम पुरी को बहुत प्यार करती है और यह भी जानता हूं कि ओम पुरी बहुत अच्छे दिल के इंसान हैं। लेकिन उनका यह इल्जाम गलत है कि नंदिता ने अपनी किताब बेचने के लिए उनके जीवन में आई औरतों का ज्यादा विस्तार से वर्णन कर दिया है। भाई साहब आपने प्यार किया है और प्यार कोई गुनाह नहीं होता और अपने जीवन के सारे पहलू अगर सार्वजनिक हो रहे हैं तो उन्हें ईमानदार इंसान की तरह स्वीकार करने में क्या बुराई है। आप तो ऐसे न थे पुरी साहब!
लेखक आलोक तोमर हिंदी पत्रकारिता का चर्चित नाम है. वे अपने बेबाक और स्पष्टवादी लेखन के लिए मशहूर हैं.
surender sharma
January 21, 2010 at 10:40 am
mai bi om puri ka parsanasak raha hu..unke jivan me itna gotala h ki ab parsansak hona kuch thik nahi lagta.. vaise ye unka personal mamla h lekin unki wife ko unke jiwan ki sachae likhne ka adikar h aur koi bi ye chin nahi sakta…..
narendra
June 25, 2010 at 4:01 pm
sir tuse great ho