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‘इंडिया टीवी’ प्रतिबंधित हो : आलोक तोमर

आलोक तोमरसाक्षी टीवी का आखिर कसूर क्या है? : ब्रॉडकास्ट एडीटर्स एसोसिएशन (बीईए) ने एक बयान जारी किया है और खास तौर पर आंध्र प्रदेश के टीवी चैनलों को जिम्मेदारी बरतने के लिए कहा है। बीईए ने बयान में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए वाईएसआर रेड्डी के पारिवारिक चैनल साक्षी समेत आंध्र के कई चैनलों को निशाना बनाया और कहा कि उन्हें तथ्यों के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए और बगैर बात के किसी उद्योगपति पर आरोप नहीं लगाना चाहिए। जिस बीईए ने बयान जारी किया, उसमें एक ऐसे टीवी चैनल के भी संपादक सदस्य हैं जिस पर तथ्य के अलावा सब कुछ दिखता है। भारत की तस्वीर बदलने वाला यह चैनल पहले भूत-प्रेत दिखाता था और अब देश में चाहे भले सिर्फ तूफान आया हो, इस चैनल के पर्दे पर भविष्यवाणियां होती रहती है कि दुनिया खत्म होने वाली है या समुद्र उबलने वाला है या हिमालय गिरने वाला है।

आलोक तोमर

आलोक तोमरसाक्षी टीवी का आखिर कसूर क्या है? : ब्रॉडकास्ट एडीटर्स एसोसिएशन (बीईए) ने एक बयान जारी किया है और खास तौर पर आंध्र प्रदेश के टीवी चैनलों को जिम्मेदारी बरतने के लिए कहा है। बीईए ने बयान में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए वाईएसआर रेड्डी के पारिवारिक चैनल साक्षी समेत आंध्र के कई चैनलों को निशाना बनाया और कहा कि उन्हें तथ्यों के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए और बगैर बात के किसी उद्योगपति पर आरोप नहीं लगाना चाहिए। जिस बीईए ने बयान जारी किया, उसमें एक ऐसे टीवी चैनल के भी संपादक सदस्य हैं जिस पर तथ्य के अलावा सब कुछ दिखता है। भारत की तस्वीर बदलने वाला यह चैनल पहले भूत-प्रेत दिखाता था और अब देश में चाहे भले सिर्फ तूफान आया हो, इस चैनल के पर्दे पर भविष्यवाणियां होती रहती है कि दुनिया खत्म होने वाली है या समुद्र उबलने वाला है या हिमालय गिरने वाला है।

इस चैनल के संपादक जी को हाल ही में उनकी बेटी की उम्र की एक लड़की ने सार्वजनिक ई-मेल किया था। इसमें कहा गया था कि मेरा सत्यानाश करने के बाद भी आपने अपने वायदे नहीं निभाए। इन सज्जन का नाम विनोद कापड़ी है और उन्हें रजत शर्मा ने उनकी खबरों की चोरी-चकारी और उठाईगिरी की प्रतिभा को देखते हुए चैनल का मुखिया बना रखा है। मगर विनोद कापड़ी तो एक नाम और एक चेहरा भर हैं। असल में तो बीईए के इस बयान में दिल्ली के ताकतवर टीवी चैनलों की औकात उजागर हुई है जो मान कर चलते हैं कि दुनिया दिल्ली, और ज्यादा से ज्यादा मुंबई तक है, और तमिल, तेलगू और मलयालम में जो टीवी चैनल चल रहे हैं, वे किसी काम के नहीं हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो ये कथित राष्ट्रीय चैनलों के संपादक आंध्र के न्यूज चैनलों की निंदा करने का बयान आनन-फानन में जारी नहीं कर देते। अपने इलाकों में आंध्र के न्यूज चैनल बाकी सभी चैनलों को टीआरपी के मामले में मात देते हैं। वही टीआरपी जिसके लिए कथित नेशनल न्यूज चैनल पहाड़ को राई और राई को पहाड़ बनाने में दिन भर जुटे रहते हैं। इन्हीं कथित नेशनल न्यूज चैनलों ने एनडी तिवारी के स्टिंग और एक सब इंस्पेक्टर की सरेआम हत्या की खबर भी दक्षिण भारत के एक चैनल से उठा कर बगैर उसे श्रेय दिए चलाना शुरू कर दिया था।

एग्जाइल्ड नामक एक वेबसाइट में, जो कैलीफोर्निया से चलती है, एक खबर 3 सितंबर 2009 को प्रकाशित हुई। इस खबर में कहा गया है कि वाईएसआर की हत्या के पीछे भारत के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक मुकेश अंबानी का हाथ है क्योंकि आंध्र प्रदेश में अंबानी बंधुओं को एक बड़े तेल भंडार का ठेका मिला था और इसमें कोई गड़बड़ हो गई थी जिसकी वजह से वाईएसआर अपने अंतिम दिनों में सार्वजनिक भाषणों में कहते थे कि वे अंबानी का ठेका रद्द कर देंगे। वेबसाइट पर यह भी लिखा है कि अनिल अंबानी का हेलीकॉप्टर जानबूझ कर उन्हें मारने के लिए मुकेश के लोगों ने खराब किया था। मुकेश अंबानी के यहां काम करने वाले एक सज्जन इस समय बराक ओबामा के आर्थिक सलाहकार भी हैं और ओबामा नहीं चाहते कि भारत में कोई बड़ा औद्योगिक घराना पनपे और अमेरिका की हैसियत को चुनौती दे।

साक्षी चैनल को जब यह खबर मिली तो उसने इसे प्रसारित करना उचित समझा और बाकायदा कैलीफोर्निया की इस वेबसाइट का हवाला दिया। वेबसाइट पर लेख में यह भी लिखा था कि जो मुकेश अंबानी अपने छोटे भाई अनिल के जहाज के पेट्रोल टैंक में पत्थर भरवा सकता है वह वाईएसआर की हत्या भी करवा सकता है। साक्षी चैनल का पहला कसूर यह था कि उसने खबर चलाई और दूसरा कसूर यह कि वाईएसआर के बाद चैनल के मालिक जगन मोहन हो गए हैं जिनकी आंध्र प्रदेश में बहुत चलती है।

वाईएसआर के समर्थकों ने रिलायंस के स्टोर पर हमले किए, मोबाइल फोनों के टॉवर तोड़ दिए और मुकेश के साथ अनिल के पुतले भी जलाए। साक्षी टीवी ने यह भी प्रसारित किया। किसी प्रदेश में हंगामा हो रहा हो, हिंसा हो रही हो और वहां का लोकल टीवी चैनल उसे न दिखाए, यह कैसे संभव है।

दिक्कत सिर्फ यह है कि दक्षिण भारत के लोकल टीवी चैनल इतनी बड़ी पहुंच रखते हैं और केबल के साम्राज्य पर भी उनका अधिकार है कि वे दिल्ली के टीवी चैनलों को अपने यहां जड़े नहीं जमाने देते। यह टीवी साम्राज्य का उत्तर बनाम दक्षिण का युद्व है। अनिल अंबानी के हेलीकॉप्टर के पेट्रोल टैंक में पत्थर तलाशने वाला मैकेनिक दो दिन बाद रेल से कट कर मर गया मगर किसी ने संदेह के लिए भी मुकेश का नाम नहीं लिया। कहानी यह भी है कि मुकेश अंबानी ने इस सौदे के लिए पांच हजार करोड़ रुपए का रिश्वत देने का प्रस्ताव रखा था। यह लेनदेन हुआ या नहीं, यह अपने को पता नहीं हैं लेकिन मुकेश अंबानी की रईसी और अनिल के हेलीकॉप्टर के साथ छेड़छाड़ यह भी साबित करती है कि संदेह के दायरे से वे बाहर नहीं हो सकते।

मगर मुकेश अंबानी के पास दौलत है और वे दुनिया के बड़े रईसों में एक हैं। अपने देश में या तो राजनीति बोलती है या पैसा बोलता है। इस मामले में पैसा बोला और मुकेश अंबानी की ओर से उनके लोगों ने साक्षी चैनल के खिलाफ न सिर्फ रिपोर्ट लिखवाई बल्कि केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से एक बयान भी जारी करवाया जिसमें कहा गया था कि ऐसे चैनलों को जो तथ्यहीन रिपोर्ट प्रसारित करते हैं, प्रतिबंधित करने पर भी विचार किया जा सकता है। अगर सूचना और प्रसारण मंत्रालय गंभीर है तो सबसे पहले तो उसे इंडिया टीवी की खबर लेनी चाहिए जहां विनोद कापड़ी के नेतृत्व में लगातार घपले हुए हैं। कभी किसी पाकिस्तानी विद्वान महिला को आईएसआई का जासूस साबित कर दिया जाता है तो कभी तालिबानी बैतुल्ला मसूद की बाकायदा शादी होते दिखाई जाती है। पहले मामले में तो इंडिया टीवी को टीवी संगठनों के एक मंच से ही बाहर कर दिया गया था और माफी मांग कर तथा एक लाख रुपए का जुर्माना भर के यह चैनल फिर वापस आ गया और विनोद कापड़ी को प्रतिनिधि बनाया।

दक्षिण बनाम उत्तर की यह लड़ाई अभी और बढ़ने वाली है। खास तौर पर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के केबल ऑपरेटरों ने ऐलान कर दिया है कि वे दिल्ली के कुछ चैनलों को दिखाना बंद कर देंगे। यह ऐलान इसलिए महत्वपूर्ण है कि इसका सीधा असर टीआरपी नाम की चीज पर पड़ेगा जो भले ही धोखा है, मगर उसी के वजह से या उसी के नाम पर टीवी चैनल अपना कारोबार चला रहे हैं। उधर साक्षी, जेजे या सन टीवी को किसी टीआरपी की जरूरत नहीं पड़ती। इन सबके मालिकों के अपने कारोबार हैं और इनके टीवी चैनलों के कार्यालयों में फालतू का तामझाम नहीं रखा जाता। दिल्ली के टीवी चैनलों को जो, अपने आपको अखिल भारतीय कहते हैं, यह याद रखना चाहिए कि अब अखबारों की तरह टीवी की भी क्षेत्रीय पत्रकारिता का दौर आ गया है और उन्हें अपनी दुकान या तो समेटनी पड़ेगी या फिर छोटी करनी पड़ेगी।

लेखक आलोक तोमर देश के जाने-माने पत्रकार हैं.

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0 Comments

  1. rajesh jwell

    January 15, 2010 at 5:27 pm

    alokji me aapka bda fan hu, indore me patrkarita karta hu , india tv ko ban karne ki aapki bat se puri trah sahmat bhi, vakai ye chenal ut-ptang khabar hi dikhata rha hai,mujhe aaschar es bat ka hai ki rajat sharma jese patrkar ne trp ke liye sare mandado ko tak par rkh diya hai, aap esi trh subki khabar lete rhe, dhanyvad.

  2. Hemant Tyagi, journalist, ghaziabad

    January 18, 2010 at 5:49 pm

    alok bhai keep on speaking like this against these black mailer channels.The Head/owners of such channels are the CONCUBINE(KEEP-RAKHAIL)of the industrial houses and political parties.it is so said that EK CHANA BHAAD NAHI PHOD SAKTA LEKIN BHAD BHUJE KI AANKH JAROOR PHHOD SAKTA HAI

  3. shekhar pandit

    January 19, 2010 at 5:24 pm

    guru great ho aap . kaisi kaisi durbhi sandhi hai raajniti ki mandi me . mritu bhishma ki khoj rahe hai fir se log shikhandi me . arjun ka gaandiv bhala ab kitne baaju katega . chakra sudarshan kitne shishupalo ke mastak kaatega . suvidhao ke mahasindhu me sab saagar bah jayenge . aisa lagta paanchali ke kesh khule rah jayenge

  4. Sanjay Gaur

    February 2, 2010 at 8:30 am

    Alok ji, Abhi Aap kya kar rahe hain… AApka cell No. Mail karen….

  5. ashish kumar tiwari news rereporter live india jalaun

    March 8, 2010 at 5:30 am

    tv channel per bhude program dikhana per lagam ho ni chahiya akir kay dekhana
    chahte hi :'(

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