करप्शन विरोधी अभियान को न्यूज चैनलों के समर्थन से डरी सरकार ने निकाला डंडा

: लाइसेंस रिन्यूअल के फंडे को डंडे की तरह इस्तेमाल करने की रणनीति : काटजू ने नई नीति त्यागने की अपील की : केन्द्र सरकार ने न्यूज चैनलों पर अंकुश लगाने की तैयारी कर ली है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने न्यूज चैनलों के लिए जो नई गाइडलाइन जारी की है उसमें इन अंकुश का उल्लेख है. कहा गया है कि अगर कोई न्यूज चैनल पांच से अधिक बार न्यूज व विज्ञापन के लिए तय नियमावली का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

बिन अन्ना आजतक हुआ सून, इंडिया टीवी फिर किंग

अन्ना के आंदोलन के दौरान आजतक पूरे फार्म में था. दर्शकों ने सबसे ज्यादा भरोसा इसी चैनल पर किया और सबसे ज्यादा इसी को देखा. इस कारण टीआरपी में यह चैनल अपनी नंबर वन की कुर्सी पर आसीन हो गया. लेकिन अन्ना आंदोलन के शांत होने के बाद अब जो टीआरपी आई है, उससे पता चलता है कि इंडिया टीवी ने फिर से नंबर एक कुर्सी पर कब्जा जमा लिया है. इंडिया टीवी थोड़े ही मार्जिन से नंबर वन बना है लेकिन कहा तो यही जाएगा कि आजतक नंबर दो पर चला गया है.

News Express captures another 10% in its ever growing market share

: …reports TAM : 148% growth in market share in Bihar : 43.8 % growth in reach in Gujarat : 16.2 % increase in eyeballs in Rajasthan : 17 % growth in reach in Assam : New Delhi : According to the latest report published by TAM, News Express, the first high definition (HD) Hindi news channel has captured yet another 10% market share across the Hindi speaking market (HSM) in the country.

अन्ना के आंदोलन से इंडिया टीवी का बैंड बजा, रिपोर्टरों को नोटिस

: चिटफंडियों, बिल्डरों, दलालों, सरकार समर्थकों, नान-न्यूज वालों के न्यूज चैनल धड़ाम हुए : खिसियाये इंडिया टीवी प्रबंधन ने अपने रिपोर्टरों पर निकाली भड़ास : अन्ना हजारे के समर्थन में जिस तरह पूरा देश उठ खड़ा हुआ है, उससे न्यूज चैनलों पर दबाव बहुत बढ़ गया है. कामेडी, भूत प्रेत, अंधविश्वास, अपराध, चिरकुटई आदि दिखाने का वक्त नहीं है. शुद्ध हार्ड न्यूज पर खेलने का दौर है.

इंडिया टीवी की नम्‍बर वन की कुर्सी और मजबूत, चौंकाते हुए न्‍यूज24 चौथे स्‍थान पर

टामियो की टीआरपी फिर आ गई है. इस सप्‍ताह भी भूत-प्रेत वाले चैनल इंडिया टीवी ने आजतक को नम्‍बर दो के पायदान पर बनाए रखा है. इस सप्‍ताह इंडिया टीवी से आजतक से अपनी बढ़त भी बढ़ा ली है. वहीं इस बार न्‍यूज 24 आईबीएन7, जी और एनडीटीवी को पीछे छोड़ते हुए अब तक के अपने रिकार्ड चौथे स्‍थान पर पहुंच गया है. बाकी सभी चैनल यथा स्थिति बने हुए हैं.

अरुण पुरी ने कहा- टीआरपी भूलो, खबर पर लौटो!

आजतक न्यूज चैनल के बुरे हाल ने इसके मालिक अरुण पुरी की कुंभकर्णी नींद तोड़ दी है. खबर है कि उन्होंने पिछले दिनों चैनल के शीर्षस्थ लोगों की एक बैठक बुलाई और दो टूक कह दिया कि आप लोग अब टीआरपी की चिंता छोड़ दें, प्रलय और ज्योतिष आदि दिखाने बंद कर दें, हार्डकोर खबरों की तरफ लौटें, क्योंकि टीआरपी की चिंता ने चैनल की जो दुर्गति कर दी है, उससे ज्यादा दुर्गति अब ठीक नहीं. सूत्रों के मुताबिक अरुण पुरी का ऐसा आदेश इसलिए देना पड़ा क्योंकि इंडिया टीवी ने आजतक की चूलें हिला दी है.

आजतक अभीतक है नंबर तीन, नकवी और शैलेष का क्या होगा!

जो चैनल अपने शुरुआत से लेकर पिछले कुछ महीनों तक नंबर वन की कुर्सी पर आसीन रहा, यदाकदा के छिटपुट उदाहरणों-अपवादों को छोड़कर, वह अब लगातार तीसरे नंबर पर है. कभी खबरों, तेवर और सरोकार के मामले में भी नंबर वन माने जाना वाला यह न्यूज चैनल आजतक अब उन्हीं चूतियापों, कलाबाजियों और बेसिरपैर की खबरों व करतबों के लिए जाना जाता है जिसके लिए इंडिया टीवी कुख्यात व बदनाम है.

जी और आईबीएन को पीछे कर लाइव इंडिया ने चौंकाया

हम टीआरपी पर चाहे जितना हो-हल्ला कर लें लेकिन न्यूज चैनलों की अंदरुनी दुनिया में टीआरपी का बहुत महत्व है. इस ससुरी टीआरपी के लिए ही मालिक से लेकर संपादक और ट्रेनी तक चिंतित रहते हैं. लेकिन सुधीर चौधरी चिंतिंत नहीं हैं. क्योंकि उनके चैनल ने पिछले कुछ महीनों में गजब का परफार्म किया है, टीआरपी के हिसाब से. इसी कारण सुधीर के चेहरे पर मुस्कान है. लाइव इंडिया न्यूज चैनल ने टीआरपी चार्ट में जी न्यूज और आईबीएन7 को भी पछाड़ दिया है (सप्ताह 16वां, टीजी 15+, वर्ष 2011).

इंडिया टीवी को पछाड़ आजतक फिर नम्‍बर वन

टैम वाले फिर आजतक को नंबर एक की कुर्सी पर ले आए. बात सप्ताह 40वें की है. 26 सितम्‍बर से 2 अक्टूबर के बीच की जो टीआरपी टैम वालों ने जारी की है, उसमें इंडिया टीवी को पस्त दिखाया गया है. टैम वालों का यह धमाका बताता है कि आजतक में पिछले दिनों किए गए भीतरी बदलावों का असर टीआरपी पर भी हुआ है. कई सप्‍ताह से दूसरे नम्‍बर पर अटके हुए आजतक को इस हफ्ते में फिर से नम्‍बर एक की कुर्सी पर काबिज होने का मौका मिला है.

अयोध्या कवरेज में आशुतोष ने मिसाल कायम की

: आइए, आईबीएन7 की इस पत्रकारिता का स्वागत करें : तारीख 30 सितम्बर 2010. टेलीविजन मीडिया के लिए एक इम्तिहान का दिन. आमतौर पर भारतीय टेलीविजन मीडिया अपनी अपरिपक्वता और जल्दबाजी के लिए कुख्यात है. परन्तु मामला इस बार बेहद संगीन और फिसलनदार. देश-विदेश के लाखों करोड़ो लोगों की नजर अपने टेलीविजन चैनल के स्क्रीन पर चस्पा थी.

रियलिटी शोज टीआरपी नहीं, पैसा देते हैं

बुद्धू बक्से पर फैमिली ड्रामा और रियलिटी शो के बीच लंबे समय से जंग जारी है। ज्यादा से ज्यादा टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट (टीआरपी) पाने की होड़ में जहां एक ओर इमोशनल ड्रामा के जरिए छोटे पर्दे की बहुएं दर्शकों का दिल जीतने की कोशिश कर रही है। वहीं, दूसरी ओर रियलिटी शोज में सेलिब्रिटीज का जबरदस्त तड़का लगाया जा रहा है।

नकवी ने अपने आउटपुट हेड पर गिराई गाज

: रिपोर्टिंग व एसाइनमेंट से संबद्ध किए गए अजय कुमार : ‘तेज’ के शैलेंद्र बने नए आउटपुट हेड : पूनम शर्मा को ‘तेज’ की जिम्मेदारी : अगली गाज अशोक सिंघल पर गिरने के आसार : माया-मिली न राम की स्थिति में फंसे नकवी खुद की चमड़ी बचाने के चक्कर में दूसरों पर फोड़ रहे ठीकरा : सरोकार व जनपक्षधरता छोड़कर टामियों की टीआरपी के चक्कर में उटपटांग कंटेंट के पीछे भागते-भौंकते-दौड़ते रहने की जिद के कारण नंबर एक से नंबर दो पायदान पर लगातार खिसकते रहने से आजतक में मचा बवाल और तेज हो गया है.

इंडिया टीवी को रोल माडल न बनाए आजतक

आजतक में कोहराम मचा हुआ है. बाजारू दर्शकों को मापने के बाजारू यंत्र से लैस बाजारू टामियों ने इस न्यूज चैनल को नंबर दो पर क्या पटका, आजतक में बड़े-बड़ों की थूक सरकी हुई है. जिसे देखो वही नंबर दो से एक पर पुनः आसीन होने के नुस्खे आजमा रहा है, सुझा रहा है, समझा रहा है. टैम वालों की टीआरपी की जो 37वें सप्ताह की सूची जारी हुई है, रेटिंग आई है, उसमें फिर उसी इंडिया टीवी को नंबर एक की कुर्सी पर विराजमान दिखाया गया है जिसे देश के संवेदनशील व पढ़े-लिखे लोग सबसे वाहियात चैनल बताते हैं.

टामियों का दिल कहे ‘इंडिया टीवी’ नंबर वन

टैम (चैनलों की व्यूवरशिप जांचने वाली प्राइवेट कंपनी) वाले टामियों का हरामीपन चरम पर है. बेहूदा खबरें दिखाने वाले न्यूज चैनलों को ज्यादा नंबर देने का सिलसिला जारी है. ‘इंडिया टीवी’ लगातार नंबर वन घोषित किया जा रहा है. पिछले कुछ हफ्तों से टैम के टामियों की जो रेटिंग लिस्ट जारी हो रही है, उसमें इंडिया टीवी लगातार नंबर वन पर बना हुआ है. टामियों ने बुरी गत कर रखी है आजतक की. कभी नंबर वन चैनल रहा यह आजतक आजकल दो और तीन स्थान पर फुटबाल की तरह लुढ़क रहा है. नंबर वन पर तो ‘बहनों को जहरीला‘ बताने वाले इंडिया टीवी को कायम कर रखा है.

आईबीएन7 वालों ने खुद की पीठ थपथपाई

: खुद को हिंदी का नया नंबर वन न्यूज चैनल बताया : आईबीएन7 वालों ने अपनी वेबसाइट पर अपने बारे में एक खबर प्रकाशित की है जिसमें वे लोग जमकर अपने मुंह मियां मिट्ठू बने हैं. आप भी पढ़ लीजिए. -एडिटर

टामियों के दिन लदेंगे

टीआरपी के लिए सरकार ने समिति बनाने का फैसला किया : अच्छी खबर आई है. हमारी आपकी आवाज और हमारी आपकी चिंता रंग लाई है. टामियों के दिन लदने वाले हैं. टैम और एमैप जैसी एजेंसियों के हांथ से टीआरपी नापने का काम छिनने वाला है. सरकार टीआरपी को लोकहित से जुड़ा मुद्दा मान गई है.

लंगोटिया भूत से लेकर जूली चुड़ैल की कहानी करना चाहता हूं : रवीश

टीवी के आइडिया उत्पादकों का अनादर मत करो : टीवी का फटीचर काल अपने स्वर्ण युग में प्रवेश कर चुका है। सानिया की शादी को लेकर तमाम संपादकीय रणनीतिकारों ने आइडिया को त्वरति गति से पैदा करना शुरू कर दिया है। टीवी के फटीचर दर्शकों ने लेख लिखने के लिए इन तमाम कार्यक्रमों पर अपनी आंखें गड़ा दी हैं। टीआरपी फिर लौट आया है।

टैम वाले टामी कुत्ते की मौत मरेंगे!

अब चैनलों की टीआरपी तय करेगा बार्क : सरकार अब टीवी चैनलों की टीआरपी तय करने में मौजूदा एजेंसी टैम के एकाधिकार को खत्म करेगी। अब शहरी टीवी दर्शकों के आधार पर ही टेलीविजन चैनलों की लोकप्रियता का आकलन नहीं किया जाएगा। अब देश की जनसंख्या के बड़े हिस्से यानी ग्रामीण टीवी दर्शकों की पसंद का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा।

प्रिंट के एक पत्रकार की टीवी वालों को नसीहत

धीरेंद्र दैनिक जागरण, मेरठ में सब एडिटर हैं. उन्होंने एक लंबा लेख लिख भेजा है. न्यूज चैनलों के मालिकों, संपादकों और पत्रकारों को उन्होंने जी-भर समझाया है. उनकी बातों में दम है या नहीं, यह आप लोग तय करें लेकिन एक बार पढ़ जरूर लें क्योंकि धीरेंद्र ने बेहद संजीदा होकर यह सब लिखा है. एडिटर


तो क्या, स्टार न्यूज की वाकई टैम से डील हो गई?

इस हफ्ते भी इंडिया टीवी को पीछे किए रहा : टैम वाले पैसे के भूत हैं. दे दिया तो अभयदान. न दिया तो ये टाइम-टाइम पर काटे-बकोटेंगे. लाख अच्छा कंटेंट दिखा लो पर ये कुछ फर्जी मीटरों के जरिए फर्जी रेटिंग से उन्हीं चैनलों को प्रमोट करते रहेंगे जिन्होंने इन्हें पुष्पम-पत्रम प्रदान किया होगा. इस हफ्ते जो टीआरपी टैम वालों ने जारी की है उसमें आज तक को तो नंबर वन पर फिर से पहुंचा दिया है लेकिन स्टार न्यूज को नंबर दो पर ही रखा. इंडिया टीवी वाले अच्छे खासे परेशान हो रहे हैं कि आखिर अब वे ऐसा क्या दिखाएं कि उनकी टीआरपी नंबर वन नहीं तो कम से कम नंबर टू पर तो रहे ही.

संपादकों की स्थिति डायबिटिक हलवाई जैसी

[caption id="attachment_16718" align="alignleft"]किशोर मालवीयकिशोर मालवीय[/caption]रजत शर्मा कभी नहीं चाहते थे कि इंडिया टीवी पर हल्की-फुल्की खबरें चलें : लोग हमें गालियां देते थे पर खबर देखते भी थे : मोटी फीस देकर सब्सक्राइव करना बंद करें तो टैम अपनी मौत मर जाएगा : टीआरपी पर बहस अच्छी बात है लेकिन अब सिर्फ बहस से कुछ नहीं होने वाला। टीआरपी ने सम्पादकों (खासकर गंभीर संपादकों) की हालत को दयनीय बना दिया है। ज्यादातर टीवी चैनल्स (हिंदी) के सम्पादकों की स्थिति डायबिटिक हलवाई वाली हो गई है, यानी ऐसा हलवाई जो मिठाई तो बनाता है पर खुद नहीं खा सकता। मैं ऐसे कई सम्पादकों को जानता हूं जो ऐसी खबरें बनवा रहे हैं जो उन्हें खुद ही पसंद नहीं। व्यक्तिगत बातचीत में स्वीकार करते हैं। एक टीवी चैनल ने खबर को USP बनाते हुए नारा दिया और चैनल चालू किया। कुछ महीने चैनल पर न्यूज ही न्यूज प्रसारित किए गए।

आपका जर्नलिज्म टैम की गिरफ्त में कैसे?

टैम तो बाजार के लिए है पर आप तो जर्नलिस्ट थे : जो लोग हिंदी टीवी पत्रकारिता के पतन के अपराधी हैं, वो अपनी गल्ती छुपाने के लिए ‘टैम-टैम टीआरपी-टीआरपी’ चिल्ला रहे हैं. ये लोग पूरी तरह से मानसिक रूप से दिवालिया हो चुके हैं. अच्छी पत्रकारिता से भी टीआरपी कैसे पाई जाती है, इन्हें पता ही नहीं है. अखबारों पर लाख आरोप लगे हों लेकिन अखबारों का सबसे कम पढ़ा जाने वाला संपादकीय पेज आज भी जस का तस है. वहां पर विज्ञापन नहीं छपने लगे. वहां पर सेक्सी फोटो नहीं दिखाई जा रही हैं. वो एडिट पेज आज भी अपने स्थान पर कायम है. सचेत पाठक एडिट पेज पढ़ते हैं. तो इन टीवी संपादकों से पूछिए कि पूरे 24 घंटे के दौरान वे एक ऐसा कौन-सा प्रोग्राम दिखाते हैं जिसके बारे में वे कह सकें कि इस प्रोग्राम को टीआरपी को ध्यान में रखकर नहीं, पत्रकारिता और सरोकार को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. उस प्रोग्राम को वे उस समय दिखाएं जब पूरा देश सो रहा हो, अरली मारनिंग दिखाएं, उस वक्त दिखाएं जिस समय पर टीआरपी का कोई खास दबाव न हो.

टीआरपी से बगावत का स्वागत : रवीश कुमार

[caption id="attachment_16692" align="alignleft"]रवीश कुमाररवीश कुमार[/caption]रेटिंग फार्मूले में भयंकर गड़बड़ी है : क्या मान लिया जाए कि अब टीआरपी के खिलाफ लड़ाई शुरू होने जा रही है? आज सुबह पहली नज़र हिन्दुस्तान में आशुतोष के लेख पर पड़ी फिर दैनिक भास्कर में एनके सिंह के लेख पर। हैदराबाद के न्यूज़ चैनलों ने जो फर्ज़ी खबरें चलाईं हैं, लगता है कि इस भयंकर भूल ने टीआरपी लिप्त हम सभी पत्रकारों का सब्र तोड़ दिया है। आशुतोष के इस लेख से पहले कुछ साल पहले अजित अंजुम ने लिखा था कि इस बक्से को बंद करो। अब लग रहा है कि इसके विरोध को लेकर मुखरता आने वाली है। पिछले एक साल में टैम के टीआरपी के आंकड़ों को देखने का अनुभव प्राप्त हुआ। हरा, पीला और ग्रे रंग से रंगे खांचे बताते हैं कि आपका कार्यक्रम कितना देखा गया।

पागल करने वाली टीआरपी होड़ : एनके सिंह

सन् 1948 में पुनर्संगठित सीआईए के निदेशक ने अपने कर्मचारियों से कहा था, आपकी सफलताएं शायद ही कोई जान पाता है, पर आपकी एक भी असफलता पूरी दुनिया में नगाड़े की तरह बजती है। भारतीय मीडिया का भी कमोबेश यही हालत है। राठौर के करतूतों को सामने लाना और वो भी तब, जबकि एक छोटी सी सजा के रास्ते से वह अपने सारे गुनाहों को मुंह चिढ़ाते व मुस्कुराते हुए निकल रहा हो, एक बड़ी उपलब्धि है। ठीक उसी के कुछ दिन बाद आंध्र प्रदेश के कुछ चैनलों की करतूत ने भारतीय मीडिया को शर्मसार कर दिया। जनता की नजरों में मीडिया का ग्राफ फिर नीचे हो गया। संस्थाओं के ग्राफ को चढ़ाने-उतारने में व्यक्तिगत लोगों व संगठनों की बड़ी भूमिका होती है। आंध्र प्रदेश के तीन चैनलों ने जिस तरह से देश के एक औद्योगिक घराने का नाम लिया और कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्‍डी की मौत के पीछे इनका ही हाथ है और यह कि दुर्घटना महज एक इत्तफाक नहीं, बल्कि एक साजिश का हिस्सा है, इन चैनलों का एक बहुत ही भौंडा कृत्य था।

‘इंडिया टीवी’ प्रतिबंधित हो : आलोक तोमर

आलोक तोमरसाक्षी टीवी का आखिर कसूर क्या है? : ब्रॉडकास्ट एडीटर्स एसोसिएशन (बीईए) ने एक बयान जारी किया है और खास तौर पर आंध्र प्रदेश के टीवी चैनलों को जिम्मेदारी बरतने के लिए कहा है। बीईए ने बयान में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए वाईएसआर रेड्डी के पारिवारिक चैनल साक्षी समेत आंध्र के कई चैनलों को निशाना बनाया और कहा कि उन्हें तथ्यों के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए और बगैर बात के किसी उद्योगपति पर आरोप नहीं लगाना चाहिए। जिस बीईए ने बयान जारी किया, उसमें एक ऐसे टीवी चैनल के भी संपादक सदस्य हैं जिस पर तथ्य के अलावा सब कुछ दिखता है। भारत की तस्वीर बदलने वाला यह चैनल पहले भूत-प्रेत दिखाता था और अब देश में चाहे भले सिर्फ तूफान आया हो, इस चैनल के पर्दे पर भविष्यवाणियां होती रहती है कि दुनिया खत्म होने वाली है या समुद्र उबलने वाला है या हिमालय गिरने वाला है।

अभिशाप है टीआरपी : अजीत अंजुम

[caption id="attachment_16689" align="alignleft"]अजीत अंजुमअजीत अंजुम[/caption]टीवी एडिटर्स टीआरपी के कारण टीवी पत्रकारिता में आई गंदगी के खिलाफ मुखर हो रहे हैं। आज आशुतोष ने टीआरपी के खिलाफ जो कुछ कहा है, उसका हर तरफ स्वागत किया जा रहा है। कुछ इसी अंदाज में अजीत अंजुम भी टीआरपी के खिलाफ कंपेन चला रहे हैं। पिछले कुछ महीनों से वे टीआरपी के खिलाफ जगह-जगह बोल रहे हैं। फेसबुक पर अजीत अंजुम टीआरपी के विरोध में अपनी राय व्यक्त करने के साथ-साथ लोगों से भी कमेंट आमंत्रित करते रहते हैं। पिछले दिनों आईबीएन7 पर संदीप चौधरी के मुद्दा नामक कार्यक्रम में, जिसका विषय था- खबर या तमाशा, अजीत अंजुम ने टीआरपी को टीवी न्यूज चैनलों के लिए और हिंदी पत्रकारिता के लिए अभिशाप करार दिया था। न्यूज 24 के मैनेजिंग एडिटर अजीत अंजुम से भड़ास4मीडिया ने इस बारे में बात की।

टीआरपी को फौरन बंद करें : आशुतोष

आशुतोषएक विदेशी वेबसाइट के हवाले से आंध्र प्रदेश के कई न्यूज चैनलों द्वारा वाईएसआर की मौत से जुड़ी अपुष्ट खबर दिखाने, इस भ्रामक खबर को सच मान गुस्साए लोगों का सड़क पर उतरने व हिंसा भड़कने, इसके बाद मीडिया, खासकर टीवी न्यूज चैनलों की भूमिका को लेकर देशव्यापी बहस शुरू होने के इस दौर में आईबीएन7 के मैनेजिंग एडिटर आशुतोष ने स्वीकार किया है कि राष्ट्रीय न्यूज चैनलों से प्रेरणा लेकर क्षेत्रीय चैनल भी टीआरपी के लिए सनसनीखेज, अपुष्ट व अफवाह आधारित खबरें दिखाने लगे हैं। ‘हिंदुस्तान’ अखबार में आज प्रकाशित लेख में आशुतोष ने कई ऐसी बातें कहीं हैं जिसे टीवी एडिटरों द्वारा आत्मावलोकन करते हुए भविष्य के लिए सही राह तलाशने की गंभीर शुरुआत कहा जा सकता है।

ऐसी बकवास आप कैसे लिख सकते हैं?

यशवंत जी, आपकी साइट को बडे़ चाव से पढ़ता था, खासकर गासिप के लिए. जाहिर है, आप दफ्तर मे हों और किसी दोस्त से बात न हो तो हमारी दुनिया में क्या हो रहा है, उसका अंदाजा नही लगता.

टामियों ने किया धमाका- स्टार न्यूज नंबर वन

टैम वालों ने नए साल में धमाका कर दिया है। सोते-सोते जाग गए लगते हैं। लंबे समय से नंबर तीन पर विराजे स्टार न्यूज को एकदम से नंबर वन बना दिया है। टैम वालों ने जो ताजी टीआरपी जारी की है, उससे स्टार न्यूज में जश्न का माहौल है। छंटनी और टीआरपी के प्रेशर-टेंशन से जूझ रहे स्टार न्यूज के लोग सकते में रहने के आदी हो गए थे पर टामियों ने उन्हें अब सुकून में ला दिया है। नंबर एक पर रहने वाला सरताज आजतक तीसरे नंबर पर आ गया है। हालांकि ऐसा सिर्फ सीएस 15+ टारगेट ग्रुप में हुआ है। सीएस 25+ टारगेट ग्रुप में आजतक मामूली अंतर से नंबर वन बना हुआ है, इंडिया टीवी नंबर दो पर है और स्टार न्यूज नंबर तीन पर। सीएस 15+ में स्टार न्यूज नंबर वन है तो इंडिया टीवी नंबर दो और आज तक नंबर तीन।

सचमुच जोर से बोला- ‘….भौं भौं बंद करो!’

[caption id="attachment_16505" align="alignleft"]ईश्वर शर्माईश्वर शर्मा[/caption]जब मैं दफ्तर में बैठे-बैठे अचानक नारे लगाने वाली मुद्रा में जोर से बोल पड़ा कि ‘फर्जी टीआरपी के धंधे को खत्म करो, टैम वाले टॉमियों की वीकली भौं भौं बंद करो’ तो मेरे पास बैठे साथी चौंकने वाली मुद्रा में आ गए। कुछ दबी हंसी हंसे तो कुछ खिलखिला दिए। मगर मेरा हंसना मामूली न था। सबने वजह पूछी। मैंने कहा- ‘एक बार सभी मेरे साथ जोर से बोलो तब बताऊंगा।’ और फिर सबने ऐसा ही किया। मैंने उन्हें सविस्तार वजह बताई। मैं लगभग क्रांतिकारियों वाले अंदाज में गर्व से बोल पड़ा। दरअसल, जब हम लंबे समय से किसी बारे में सोचते आते हैं और लगभग वैसी ही बात नेशनल लेवल पर कोई और पूरी ताकत से कह दे तो मन ही मन अजीब-सी खुशी और विचारों में अनूठी ताकत महसूस होती है। मन करता है कि इस आदमी के गले मिल आएं या फिर जैसे भी बन पडे, अपना समर्थन उस तक पहुंचाएं। सोमवार शाम भडास4मीडिया पर टैम के टॉमियों के पीछे ‘वैचारिक, मूल्यपरक और मौलिक डंडा’ लेकर पड़ जाने वाला आलेख पढ़ा तो मानो मेरे मन की बात भी सुलग उठी।

टैम वाले टामियों की वीकली भों भों बंद करो!!

भड़ास4मीडिया पर ‘टीवी और टीआरपी’ का प्रकाशन बंद : कई लोगों के फोन आए। पूछ रहे थे। साप्ताहिक टीआरपी का प्रकाशन क्यों बंद कर दिया? उन्हें बताया गया। न्यूज चैनलों की दर्शक संख्या उर्फ टीआरपी बताने वाली संस्था टेलीविजन आडियेंस मिजरमेंट उर्फ टैम की कार्यपद्धति को जब हम अवैज्ञानिक, रहस्यमय, संदिग्ध, जनविरोधी, पत्रकारिता विरोधी, बायस्ड, शुद्ध व्यावसायिक, अपारदर्शी… मानते हैं तो इनके आंकड़ों को प्रकाशित कर इन्हें प्रसिद्धि व विश्वसनीयता क्यों दिलाएं! गांवों, कस्बों को अपने कथित रिसर्च से दूर रखने वाली इस संस्था के बड़े-बड़े शहरों के खाए-पीए-अघाए घरों के आंकड़ों से देश के टीवी न्यूज चैनलों की दशा-दिशा जब तय हो रही हो तो ऐसे में आवश्यक हो जाता है कि कुछ लोग कहें कि हम टैम और टीआरपी के घटिया व खतरनाक धंधे के विरोध में हैं और अपने किसी भी कृत्य से इस संस्था को बढ़ावा नहीं देंगे, उल्टे जो भी मंच व मौका मिलेगा, वहां टैम वालों को गालियां देंगे। इसी उद्देश्य से साप्ताहिक टीआरपी का प्रकाशन भड़ास4मीडिया पर पिछले कुछ हफ्तों से बंद किया जा चुका है और आगे भी बंद रहेगा।

टैम बहुत बड़ा धोखा, टीआरपी धूर्त आंकड़ा

[caption id="attachment_16450" align="alignleft"]आलोक तोमरआलोक तोमर[/caption]यह कहानी करोड़ों रुपए की उस ठगी के बारे में है जिसे बाकी सबको तो छोड़िए, अपने आपको बहुत चतुर मानने वाला मीडिया भी बहुत इज्जत देता है। इस ठगी का नाम टीआरपी है। टीआरपी यानी टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट्स। ये टीआरपी ही तय करती है कि कौन-सा टीवी चैनल सबसे लोकप्रिय है। अगर टीआरपी की वजह से चैनलों को मिलने वाले धंधे की गिनती कर ली जाए तो यह घपला अरबों रुपए तक पहुंचेगा। टीआरपी की तथाकथित मेरिट लिस्ट कैसे बनाई जाती है? एक संस्था है टैम यानी टेलीविजन ऑडियंस मिजरमेंट और दूसरी है इनटैम। पहली वाली संस्था में इंडिया का इन लगा दिया गया है। दोनों के पास टीवी से जोड़ कर रखने वाले पीपुल मीटर नाम के बक्से हैं जो यह दर्ज करते रहते हैं कि किस टीवी पर कौन-सा चैनल कितनी देर तक देखा गया और टीआरपी तय हो जाती है। ऐसा नहीं कि टीवी चैनलों के धुरंधर मालिकों और विज्ञापन एजेंसियों के चंट संचालकों को इस धोखाधड़ी का पता न हो कि टीआरपी असल में देश का असली सच नहीं बताती है। आम धारणा है कि टीआरपी देश के सभी टीवी वाले घरों का प्रतिनिधित्व करती है पर यह सच नहीं है।

छोटे न्यूज चैनलों को तो खा जाएंगे ये ‘टामी’!

साढ़े तीन लाख रुपये प्रत्येक महीने और सेवा-टहल के लिए अलग से देने की औकात है तो टैम के टामी आप पर भी दिखा सकते हैं मेहरबानी : लगता है टैम ने छोटे चैनलों को मिटाने की ठान ली है। इसके लिए उसने एड एजेंसियों से हाथ मिलाया है और अब वो छोटे चैनलों को निगलने के लिए रोज उल-जुलूल नियम बना रहा है। और ये सब वो अपना पिटारा भरने के लिए कर रहा है। पैसा कमाने के लिए टैम किसी भी हद तक जाने को तैयार दिखता है। सबसे हैरान कर देने वाली बात ये है कि वो न तो सरकार से डर रहा है और न ही उसे अदालती पचड़ों का खौफ है। अब आप सोच रहे होंगे कि हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, तो चलिए पहले आपको बताते हैं कि टैम है क्या। टैम एक संस्था है, जो चैनलों की मॉनीटरिंग करती है। टैम सभी चैनलों को तीन तरह के डाटा देता है और इसकी एवज में भारी भरकम फीस वसूलता है। टैम जो तीन प्रमुख डाटा देता है वो हैं- व्यूवरशिप डाटा, चैनल मोनिटरिंग का डाटा और एडेक्स सेवा।

बिहार-झारखंड की टीआरपी पटना के 40 घरों में!

अब तो सत्ताधारी कांग्रेस को भी पटा लिया है ‘टैम’ के ‘टामियों’ ने : टीवी चैनलों की व्यूवरशिप बताने वाली कंपनी टैम (टेलीविजन आडिएंस मीजरमेंट) के नए नए खेल रोज देखने को मिलते हैं। कंपनियों को बेवकूफ बनाकर करोड़ों रुपये कमाने की तरकीब किसी को अगर सीखना हो तो टैम के टॉमियों से सीख सकते हैं। टैम के इन टॉमियों ने अब कांग्रेस को भी अपनी लुभावनी चालों से अपने गिरफ्त में ले लिया है। पता चला है कि कांग्रेस मुख्यालय में टैम की इतनी पहुंच हो गई है कि अब कांग्रेस का चुनाव प्रचार टैम के टॉमियों की फौज और बड़ी-बड़ी विज्ञापन एजेंसियों के अंग्रेजीदां बाबा लोगों के हाथ में आ गई है। जहां तक टैम की टीआरपी और जीआरपी का सवाल है तो सबसे पहले झारखंड का ही उदाहरण ले लीजिए। बिहार और झारखंड में टैम के कुल जमा चालीस मीटर हैं और वो भी सिर्फ और सिर्फ पटना में हैं।

टीवी संपादकों, टीआरपी को त्रैमासिक कराओ

सप्ताह 46वां, 8 नवंबर से 14 नवंबर 09 तक : टैम वाले टामियों को कमाते रहना है, अपने धंधे को चमकाते रहना है, सो थोड़े-बहुत अंकों के हेरफेर के साथ हर हफ्ते सो-काल्ड टीआरपी में कमी-बेसी के बारे में बताते रहना है। इन टामियों को किसी डाक्टर ने कहा है कि हर हफ्ते टीआरपी रिपोर्ट जारी करें? अबे, खुद भी चैन से जियो और चैनल वालों को भी थोड़ा चैन कर लेने दो। चैनल वाले कई बेचारे तो आजकल इतने टेंशन में हैं कि परसनल और प्रोफेशनल, दोनों लाइफ बर्बाद होने की स्थिति है। कइयों की तो पहले ही बर्बाद हो चुकी है। टैम वाले अपनी रिपोर्ट को न अर्द्धवार्षिक तो कम से कम त्रैमासिक तो कर ही दें। अखबार वाले कितने सुकून में हैं। छह महीने चैन से अखबार निकालते रहते हैं। भांति-भांति के प्रयोग और फ्लेर-कलवेर घटाते-बढ़ाते रहते हैं। जनता जनार्दन की भी बात कर लेते हैं। पर ये टैम वाले टामी तो टीवी वालों को टीआरपी के अलावा कुछ सोचने ही नहीं देते। भूत-प्रेत, यू-ट्यूब वीडियो की कहानियां, हंसी वाले सीरियल और रोने-गाने-बदन दिखाने वाले रियलिटी शो के जरिए अगर टीआरपी प्राप्त होती है तो अच्छे-खासे छवि वाले न्यूज चैनल भी इन्हीं हथकंडों को अपनाने लगते हैं। इन अच्छे-खासे चैनलों के संपादक जी लोग बस बेचारा बने रहते हैं। या फिर इलेक्ट्रानिक मीडिया की ऐसी-तैसी करने के अभियान में थोड़ा-बहुत अपना भी योगदान देते रहते हैं।

‘टैम’ वाले ‘टामियों’, अब तो डूब मरो!

दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर का अंश‘टैम’ वाले कितने बड़े चोर, धंधेबाज और साथ ही साथ चिरकुट भी हैं (ये सब इसलिए लिखा जा रहा है क्योंकि दरअसल टीवी न्यूज इंडस्ट्री से कंटेंट गायब कराने का श्रेय इन्हीं ‘टैम’ वालों को जाता है और इन्हीं ‘टैम’ वालों ने टीवी पत्रकारों को जोकर बनकर काम करने को मजबूर कर रखा है), यह जानना हो तो दैनिक भास्कर  में प्रकाशित एक खबर पढ़ लीजिए। टेलीविजन आडियेंस मीजरमेंट (टैम) वाले आजकल दूरदर्शन न्यूज यानि डीडी न्यूज पर बहुत मेहरबान हो गए हैं। इसे कई निजी न्यूज चैनलों से आगे बताने लगे हैं। ये काम वे सिर्फ मौखिक नहीं कर रहे हैं, बल्कि आंकड़े देकर बता-समझा रहे हैं। वजह यह है कि केंद्र सरकार ने संकेत दे दिया है कि वे टैम वालों के रेटिंग के अर्जी-फर्जी नाटक से खुश नहीं है और जल्द ही एक राष्ट्रीय टेलीविजन मीजरमेंट एजेंसी बनाने के काम को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा।

जी न्यूज से कहिए- बंधु, आप भी जरा सोचिए!

सप्ताह 22वां, 24 मई से 30 मई 2009 तक : टैम वालों ने जी न्यूज की ऐसी दशा बना दी है कि अब जी वालों से ही पूछने का दिल हो रहा है कि ”हे भाई, हम लोगों से कब तक सोचवाते रहेंगे, जरा आप लोग भी तो सोचने का कष्ट करिए। आप लोगों को आखिर टैम वालों ने इतना नीचे क्यों गिरा दिया? क्या टैम वालों को महीने की फीस नहीं दी थी या इन बाजार बाबाओं को मैनेज करने में कहीं चूक हो गई? जो भी हो, जरा सोचिए।” 22वें हफ्ते में टैम के आंकड़े बताते हैं कि एनडीटीवी इंडिया ने जी न्यूज को फाइनली पीट दिया है। जी न्यूज छठें नंबर का न्यूज चैनल हो चुका है। पांचवें नंबर पर कब्जा जमा लिया है एनडीटीवी इंडिया ने और आईबीएन7 चौथे नंबर का चालाक चैनल बनकर उभरा है। जी न्यूज को पिछले ही हफ्ते आईबीएन7 ने पीछे कर दिया था।

टीआरपी के बहाने नकवी, शाजी और कापड़ी

टीवी और टीआरपी

इस बार टीआरपी के बहाने टाप थ्री न्यूज चैनलों के साथ-साथ इनके न्यूज लीडरों की भी बात होगी ताकि हमारे पाठक और उनके दर्शक न्यूज चैनलों के साथ-साथ उसके पीछे के चेहरों के बारे में भी राय-समझ बना सकें। स्टार न्यूज बीते (12 अक्टूबर से 18 अक्टूबर 2008) हफ्ते भले ही नंबर दो पर पहुंच गया हो लेकिन दर्शकों के दिल में इसने नंबर वन न्यूज चैनल जैसी पोजीशन बना ली है।

नान-न्यूज के जरिए आज तक की नंबर वन की कुर्सी बरकरार रखने की मुहिम ज्यादा दिनों तक सफल होती नहीं दिख रही है। कई बार उसे नान-न्यूज के उस्ताद इंडिया टीवी से मुंहकी खानी पड़ी।

आज तक- आगे यू टर्न, फिर टी प्वाइंट

टीवी और टीआरपी

राजनीतिक उठापठक वाले सप्ताह में भी आज तक अपनी टीआरपी बढ़ा पाने में नाकाम रहा। टैम मीडिया रिसर्च की  20 जुलाई से 26 जुलाई की रिपोर्ट पर यकीन करें तो इन सात दिनों में पांच सबसे ज्यादा लोकप्रिय कार्यक्रम देने का श्रेय हासिल करने के बावजूद आज तक अपनी पिछले हफ्ते की ओवरआल टीआरपी 17.3 से एक प्वाइंट भी आगे नहीं बढ़ पाया। नंबर वन का नया दावेदार और नान-न्यूज कार्यक्रमों के लिए विख्यात इंडिया टीवी पिछले हफ्ते 18 की टीआरपी के चलते नंबर वन की कुर्सी पर आसीन होने के बाद इस राजनीतिक खबरों (विश्वास मत, सांसद घूस प्रकरण) के सप्ताह में सबसे ज्यादा नीचे लुढ़का और 15.9 पर आकर रुका। बावजूद इसके वह नंबर दो पर ही रहा।