सरकार की भाषा व चाल-चलन को समझने में थोड़ा वक्त लगता है लेकिन गहराई से समझें तो सब कुछ समझ में आ जाता है. न्यूज चैनलों के बेलगाम कंटेंट पर मचे विवाद के बाद केंद्र सरकार ने इस मीडिया पर सीधे नियंत्रण की जो कोशिश शुरू की थी, उसे विरोध के चलते फिलहाल स्थगित कर दिया गया है. लेकिन चोर दरवाजे से अब एक प्राधिकरण के जरिए कंटेंट पर सरकारी कंट्रोल की कवायद की जा रही है. अगर यकीन न हो तो केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी के बयान को पढ़िए.
यह बयान समाचार एजेंसी भाषा की तरफ से रिलीज किया गया है. अंबिका सोनी का कहना है कि सरकार टीवी चैनलों के कंटेंट पर नियमन के लिए किसी तरह का कानून लाने पर विचार नहीं कर रही है. कंटेंट नियमन के लिए सेल्फ रेगुलेशन या को-रेगुलेशन जैसे तरीकों पर विचार हो रहा है. उन्होंने कहा कि कंटेंट नियमन के लिहाज से एक नोडल एजेंसी के रूप में राष्ट्रीय प्रसारण प्राधिकरण (नेशनल ब्राडकास्टिंग अथारिटी) बनाने की योजना है.
सोनी ने कहा- ”मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय चैनलों की सामग्री पर नियमन के लिए कोई विधेयक लाने पर विचार नहीं कर रहा है. इससे पहले विधेयक का एक मसौदा तैयार किया गया था लेकिन अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली. पिछले साल नवंबर में हमारे मंत्रालय ने एक विशेष कार्य बल गठित किया था जो समाज के लोगों और संगठनों से बातचीत कर समाधान पर विचार-विमर्श कर रहा है, जिससे चैनलों की सामग्री पर आत्मनियमन का खाका तैयार हो सके. संप्रग सरकार आत्मनियमन के लिए प्रतिबद्ध है और हम इसके लिए एक प्रणाली लाने पर विचार कर रहे हैं. इस दिशा में प्रसारणकर्ताओं से भी बातचीत चलती रहती है.”
अंबिका सोनी ने पायरेसी के मसले पर कहा कि पायरेसी रोकने के लिए सिनेमा का पूरी तरह डिजिटलीकरण प्रभावी होगा. सोनी के मुताबिक सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पायरेसी और कंटेंट दोनों विषयों पर दो समूह गठित किये. पायरेसी पर रिपोर्ट आ चुकी है लेकिन विषयवस्तु पर जब तक रजामंदी नहीं बनती तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता और इससे संबंधित समिति की रिपोर्ट अभी आना बाकी है. उन्होंने इंटरनेट तथा साइबर जगत के माध्यम से बढ़ती पायरेसी पर चिंता जताते हुए कहा कि इसके लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अलावा दूरसंचार मंत्रालय तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के बीच समन्वय से समाधान निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं. सोनी ने कहा कि भारत समेत पूरी दुनिया में पायरेसी बहुत तेजी से बढ़ रही है और भारत जैसे बड़े फिल्म उत्पादक देश में यह चिंता का विषय है.
उन्होंने कहा कि पायरेसी पर विचार विमर्श के लिए 2009 में एक समिति का गठन किया गया था और इस बुराई के खिलाफ कुछ सख्त नियम बनाए गए हैं, जिनसे मदद मिलने की संभावना है. उन्होंने पायरेसी को रोकने के लिए जनता के बीच इस अपराध को लेकर संवेदनशीलता बढ़ाने पर भी जोर दिया और साथ ही कहा कि लोगों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए फिल्मों खासतौर पर डीवीडी आदि के दाम कम करने होंगे क्योंकि इनकी लागत इतनी महंगी नहीं होती.
jitenksingh
September 8, 2010 at 4:46 am
चाहे तरीका जो भी हो चैनलों पर थोडा बहुत नियंत्रण तो जरुरी है.हल में ऐसे कई उदहारण सामने आए है जहा दर्शको को न सिर्फ कन्फ्यूज किया गया है बल्कि उनके मन में अच्छा खासा भय पैदा कर गया है.