प्रसारण क्षेत्र के स्वशासी निकाय पर हो रहा विचार : टीआरपी के लिए पत्रकारिता की ऐसी-तैसी करने वाले न्यूज चैनलों की बैंड बजाने पर सरकार उतारू है। ढेर सारी शाब्दिक लफ्फाजियों के बावजूद सरकार की मंशा स्पष्ट है कि वह कोई ऐसी चीज लाना चाहती है जो किसी न किसी प्रकार न्यूज चैनलों के कान उमेठ सके। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने सीएनएन-आईबीएन पर डेविल्स एडवोकेट प्रोग्राम में करण थापर से बातचीत में जो कुछ कहा, उससे पूरी तरह साफ है कि सरकार न्यूज चैनलों को बेलगाम छोड़ने के मूड में नहीं है। हालांकि सरकार यह भी नहीं कह रही है कि वह न्यूज चैनलों को किसी भी तरीके से नियंत्रित करना चाहती है।
समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा जारी खबर के मुताबिक डेविल्स एडवोकेट कार्यक्रम में करण थापर से बातचीत के दौरान सोनी ने कहा कि सरकार का इरादा एक ऐसी स्वतंत्र व स्वशासी प्रणाली विकसित करने का है, जिसका दायरा प्रसारण क्षेत्र के सभी पहलुओं पर होगा। केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने कहा कि सरकार इस पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार का इरादा टीवी के न्यूज चैनलों को नियंत्रित करना नहीं है। इस पर विश्वास करें या न करें, सरकार का इरादा कोई निगरानी की व्यवस्था करने का नहीं है। उन्होंने कहा कि हां, यह जरूर होगा कि अभी विचार हो रही यह व्यवस्था स्वतंत्र स्वशासी निकाय जैसी होगी, जिस पर सरकार का नियंत्रण नहीं होगा। यह सभी मंत्रालयों से संबंधित मुद्दों की देखरेख करेगा।
इस कार्यक्रम में थापर ने सोनी से पूछा कि उनका मंत्रालय टीवी न्यूज चैनलों पर नियामक की व्यवस्था क्यों कर रहा है, जबकि इस तरह की कोई योजना प्रिंट मीडिया के लिए नहीं है। इस पर सोनी ने कहा कि वे एक तंत्र के बारे में विचार कर रही है। इसे नियामक कहा जा सकता है। लेकिन इस नियामक का मतलब नियंत्रण के अर्थ में नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मसले पर लंबे समय से बहस चल रही है कि यह नियामक किस तरह का हो। हालाकि इस नियामक को स्थापित किए जाने के संबंध में अभी कोई निश्चित समय सीमा तय नहीं की गई है। सोनी ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है कि इस संबंध में क्या निर्णय किया जाएगा। अभी न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन और अन्य ब्रॉडकास्टर्स के संगठनों से बातचीत हो रही है। इन संगठनों के खुद के नियामक तंत्र हैं। उन्होंने खुलकर कहा कि उनका मंत्रालय नियामक की भूमिका अदा नहीं करना चाहता है। इस मामले में उनका विचार खुला है। उन्होंने पहले ही खुलकर कह दिया है कि मंत्रालय के तरफ से उनका इरादा नियामक बनने का नहीं है। लेकिन एक ऐसा नियामक जरूर होना चाहिए, जो स्वतंत्र व स्वशासी हो।