भूखण्ड घोटालेबाजों के कारण पूरी पत्रकार बिरादरी हो रही है बदनाम : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने एक बार फिर पत्रकारों को भ्रष्ट बताकर मीडिया जगत को आत्ममंथन करने के लिए विवश कर दिया है। भोपाल के रवींद्र भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह बात कही कि पत्रकारों का एक वर्ग भ्रष्ट है। मुख्यमंत्री की इस बेबाक़ टिप्पणी को लेकर मीडिया जगत में कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री ने कहीं यह बात हाल ही में चर्चा में आए राजधानी पत्रकार गृह निर्माण समिति के सदस्यों द्वारा किये गये भूखण्ड घोटाले के संदर्भ में तो नहीं कही?
हालांकि मुख्यमंत्री ने यह बात कहते समय किसी पत्रकार का नाम नहीं लिया और न ही कार्यक्रम में ऐसा कोई विषय था जिसमें मुख्यमंत्री को मीडिया के आचरण को लेकर टिप्पणी करना जरूरी था। शायद इसीलिए यह माना जा रहा है कि भूखण्ड घोटाले में शामिल भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार ही मुख्यमंत्री के निशाने पर थे।
शिवराज सिंह चैहान इससे पहले इंदौर में आयोजित एक दैनिक समाचार पत्र के कार्यक्रम में भी मीडिया को कटघरे में खड़ा कर चुके हैं। उस समय उन्होंने मीडिया के गंदगी से गठजोड़ को लेकर चिंता व्यक्त की थी। तब उनकी बात को किसी से जोड़ कर इसलिए नहीं देखा गया चूंकि वो मीडिया का मंच था और मीडिया के विषय पर चर्चा होना स्वभाविक बात थी। लेकिन इस बार मुख्यमंत्री ने जिस प्रकार से बिना किसी मौक़ा दस्तूर के पत्रकारों पर निशाना साधा है, वो आईना दिखाने वालों को आईना दिखाने जैसा है। उचित होता कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह लगे हाथ उन पत्रकारों के नाम भी उजागर कर देते जो पत्रकार की खाल पहन कर भ्रष्टाचार कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी पर मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के कोषाध्यक्ष शिशुपाल सिंह तोमर ने नाराज़गी व्यक्त करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री ने पत्रकारों को भ्रष्ट बताकर समूचे मीडिया जगत को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि उचित होता कि मुख्यमंत्री भ्रष्ट पत्रकारों के नाम उजागर करके उन्हें समाज के सामने बेनकाब करते जिससे समाज भी इन बहुरूपियों को पहचान कर उनसे सावधान रहता।
मध्य प्रदेश की पत्रकारिता में हाल के कुछ वर्षों में जो गिरावट आयी है, उसे लेकर पत्रकारों के एक बड़े वर्ग में चिंता व्यक्त की जा रही है, लेकिन सुरसा की तरह फैल चुकी इस बीमारी को मिटाने की कोई सूरत नज़र नहीं आ रही है। उसका कारण यह है कि इन तत्वों को सत्ता में बैठे लोगों का खुला संरक्षण मिला हुआ है। वेबसाइटों और फीचर एजेंसिंयों के नाम पर करोड़ों की राशि इन पर लुटायी जा रही है। फर्ज़ी पत्रकारों की बाढ़-सी आयी हुयी है, ऐसे-ऐसे लोग अधिमान्य पत्रकार का कार्ड लेकर घूम रहे हैं जिन्हें अंगूठा भी ठीक से लगाना नहीं आता। इस फ़र्ज़ीवाड़े का जिम्मेदार कौन है, इस पर भी विचार करने की जरूरत है।
भोपाल से वरिष्ठ पत्रकार अरशद अली खान की रिपोर्ट.