भोपाल के कुछ पत्रकारों के आंदोलन का सच

भोपाल। पिछले 10 दिनों से मध्य प्रदेश जनसम्पर्क संचालनालय के सामने कुछ पत्रकार धरने पर बैठे हुए हैं। आंदोलनकारी पत्रकार विभाग के कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों को विज्ञापन शाखा से हटाने की मांग कर रहे हैं। इनमें जनसम्पर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के जनसम्पर्क अधिकारी मंगला मिश्रा का नाम भी शामिल है। चर्चा है कि इस आंदोलन के पीछे कथित रूप से बड़े कहे जाने वाले एवं धंधेबाज़ पत्रकारों की खोपड़ी काम कर रही है।

मध्य प्रदेश के अख़बार मालिक सरकारी दबाव में

: रवीन्द्र जैन के बाद अवधेश बजाज हुए सरकारी दबाव के शिकार : भोपाल। मध्यप्रदेश के अख़बारों पर शिवराज सरकार का दबाव निरंतर बढ़ता जा रहा है और दबंग पत्रकार इस दबाव का शिकार हो रहे हैं। रवीन्द्र जैन के बाद इस कड़ी में एक नाम और जुड़ गया है. अवधेश बजाज ने भी अख़बार प्रबंधन से खटपट के चलते पीपुल्स समाचार के समूह सम्पादक के पद से इस्तीफ़ा दे दिया है।

किसान आंदोलन को तोड़ने के लिए दलाल पत्रकारों के सहारे सरकार

किसानमध्‍य प्रदेश के हजारों किसान अपनी मांगों के समर्थन में कड़कड़ाती सर्दी में भोपाल की सड़कों पर जब आंदोलन कर रहे थे, तब भोपाल के कुछ पत्रकार उनके ज़ख्मों पर मरहम लगाने की बजाय सरकारी दलाल बनकर किसानों के आंदोलन को विफल करने के प्रयास में लगे हुए थे। सरकारी खर्च पर जीवन गुज़ारने वाले इन तथाकथित पत्रकारों ने नीचता की सारी हदें पार करते हुए एसएमएस के जरिए शहर में यह अफ़वाह फैलाने का प्रयास किया कि सरकार और किसानों के बीच समझौता हो गया है।

छह पत्रकारों के विरूद्ध डकैती का मामला दर्ज

भोपाल : रीजनल हिन्दी समाचार चैनल टाईम टुडे के 6 पत्रकारों के विरूद्ध भोपाल के एमपी नगर थाने में डकैती का प्रकरण दर्ज किया गया है. प्तीन माह से टाईम टुडे के पत्रकारों-गैर पत्रकारों को वेतन नही मिला है. इसी विवाद के चलते मामला थाने पहुंचा. बताते हैं की जब चैनल के कर्मचारियों ने प्रबंधन से वेतन मांगा तो प्रबंधन के प्रतिनिधि और चैनल के प्रधान संपादक रमेश लाम्बा ने पत्रकारों के साथ अभद्र व्यवहार किया और जान से मारने की धमकी दी.

चापलूस पत्रकार यहां पाते हैं सम्मान!

एमपी में पत्रकार सम्मान अभियान : मध्य प्रदेश में एनजीओ की तर्ज पर चलने वाले गैर-पत्रकारों व पत्रकारों के कथित संगठनों के सिर पर पत्रकारों का सम्मान करने का भूत सवार है। पिछले 8 महीनों में प्रदेश में 655 पत्रकारों का सम्मान हो चुका है।

पत्रकारों का एक वर्ग भ्रष्ट है : शिवराज

भूखण्ड घोटालेबाजों के कारण पूरी पत्रकार बिरादरी हो रही है बदनाम : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने एक बार फिर पत्रकारों को भ्रष्ट बताकर मीडिया जगत को आत्ममंथन करने के लिए विवश कर दिया है। भोपाल के रवींद्र भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह बात कही कि पत्रकारों का एक वर्ग भ्रष्ट है। मुख्यमंत्री की इस बेबाक़ टिप्पणी को लेकर मीडिया जगत में कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री ने कहीं यह बात हाल ही में चर्चा में आए राजधानी पत्रकार गृह निर्माण समिति के सदस्यों द्वारा किये गये भूखण्ड घोटाले के संदर्भ में तो नहीं कही?

समिति के चुनाव संपन्न, घोटालेबाजों की वापसी

भोपाल में भूखण्ड घोटाले को लेकर चर्चा में आयी राजधानी गृह निर्माण समिति के संचालक मंडल के चुनाव भोपाल स्थित होटल पलाश मे संपन्न हो गए। चुनाव में पुरानी पैनल की रणनीति खूब काम आयी और उसके 11 में से 10 संचालक विजयी घोषित हुए। परिवर्तन पैनल को एक संचालक से संतोष करना पड़ा। मतदान स्थल पर सवेरे से ही इस बात की चर्चा थी कि सेन्ट्रल प्रेस क्लब पैनल ही चुनाव में सफल होगा।

भोपाल में वरिष्ठ पत्रकारों ने किया भूखंड घोटाला

अरशद अली खानभोपाल के रामभुवन सिंह कुशवाह, एके भंडारी, सुरेश शर्मा, राजेंद्र तिवारी, राजेंद्र शर्मा जैसे पत्रकारों-मालिकों ने जेनुइन पत्रकारों का हक मारा : भोपाल स्थित ‘राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी समिति’ के पदाधिकरियों ने पत्रकारों के लिए सस्ते दर पर सरकार से मिली भूमि को आपस में बांटकर आवासहीन पत्रकारों के अधिकारों पर न केवल अतिक्रमण किया है बल्कि शासन की आंखों मे धूल झोंककर धोखाधड़ी भी की है। जरूरतमंद पत्रकार आज भी घर की तलाश में दर-दर की ठोकरें खाते फिर रहे हैं। घर का सपना दिखाते हुए पत्रकारों की भीड़ जुटाकर राजनीति करने वालों ने एक साथ चार-चार भूखण्ड जुगाड़ लिये। इस घटना से ये भी साफ हो गया है कि मध्य प्रदेश की पत्रकारिता में धंधेबाजों का कितना दख़ल है और वे किस तरह पत्रकारिता की आड़ में धीरे-धीरे भू-माफि़या बनते जा रहे हैं। इन कथित पत्रकारों की करतूत के कारण ही समाज में पत्रकारों की इज्जत नहीं बची है। आइए, समिति के पदाधिकारियों के बारे में एक-एक कर बात करते हैं-