सहारा समय, बिहार-झारखंड के आउटपुट हेड और पटना के ब्यूरो चीफ रह चुके संजय कुमार ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने आर्यन टीवी में आउटपुट हेड के रूप में नई पारी की शुरुआत की है.
संजय पिछले आठ वर्षों से सहारा में कार्यरत थे. इनके हटने से बिहार-झारखंड की सहारा की टीम कमजोर हुई है. बताया जाता है कि संजय ने सहारा की नई कार्यप्रणाली खफा होकर इस्तीफा दिया है. आर्यन टीवी ने कल दो दिन पहले ही झारखंड में दर्जन भर सहारा के रिपोर्टरों को अपने पाले में किया.
kumarsingh
September 1, 2010 at 4:59 am
सहारा में काम करने वाले कर्मयोगियों का हो रहा हैं इस्टिंग आपरेशन
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यशवंत जी नमस्कार। भडास के माध्यम से हम तमाम मीडिया जगत के मठाधीशों को यह बताना चहाते है कि आज के समय में पत्रकारों के साथ किसी तरह का व्यौहार किया जा रहा है। वह भी ऐसी संस्था में जो खुद को विश्व का सबसे बड़ा परिवार होने का दावा करती है। लेकिन लगता हैं कि इस परिवार में ही सबसे ज्यादा बच्चों का शोषण और अपमान हो रहा है।
पहली बात सहारा समय यूपी चैनल के दो इंट्ररन रहे कार्यकर्ताओं को माननीय उपेद्र राय के सौजन्य से सीधे सीनियर प्रोड्रयूसर बना दिया गया। (अनिल राय एवं अनिल शाही) बाकि के जो लोग इस क्षेत्र में बीस-बीस साल से लगे हैं…वह आज भी सहारा में या तो प्रोड्क्शन असिस्टेंन है….या इंट्ररन। इससे पहले भी सहारा समय यूपी चैनल के कुछ माननीयों ने एक ऐसे व्यक्ति को आऊट पूट हेड बना दिया…जिसने सहारा से ही..पत्रकारिकता शुरू की है और आज तक यह व्यक्ति आंधे घंटे के बुलिटेन के शिवाया कोई योगदान सहारा में नहीं देता था…जबकि इस व्यक्ति से वरिष्ठ कई लोग आज भी यूपी चैनल में मौजूद है…लेकिन क्या करें…यह तो सहारा में हमेशा हो ही रहा है। जो बॉस के रूम में चटाई बिछाता हैं,या बॉस का करीबि हो गया है…उसकी सहारा में हमेशा भले-भले रही है। इसके बाद सहारा के तथाकथित बॉस,लोगों पर काम का दबाव निरंतर बनाते है। लगता हैं…माननीय सहाराश्री जी को यह सब दिखायी नहीं देता है। या उन तक ये सारी बाते पहुंचती ही नहीं…।
दूसरी बात आज कल सहारा के न्यूज़ रूप में हर तरफ कैमरे लगा दिए गए है। जिसके बारे में सहारा में जोर-शोर से चर्चा हैं कि यह सब इस लिए किया गया हैं कि सहारा के कार्यकर्ता बॉस लोगों के बारे में क्या चर्चा कर रहे है। उनकी आवाज का कार्यप्रणाली में निरंतर नजर रखी जा रही है। इससे सहारा के कार्यकर्ताओं में इन माननीयों के प्रति भारी रोश है।
सहारा में जब से उपेंद्र राय जी सर्वे-सर्वा हुए है। तब से एक विशेष वर्ग के लोगों अपनी छाती चोड़ी कर घुम रहे है। वह पहले जो काम करते थे…उसकी जगह वह अब उपेंद्र जी को अपनी सेवाएं दें रहे है। लेकिन उपेंद्र जी को यह नहीं भुलना चाहिए की माननीय यह सहारा है..यहां व्यक्ति जितनी जल्दी चोटी पर चढ़ता है..उससे तेजी के साथ ज़मीन पर आ गिरता है…जिसके पुख्ता उदाहरण..विनोद दुआ जी से लेकर प्रभात डबराल तक रहे है।
इससे हमारा निवेदन है…उपेंद्र जी की कृपया…सिर्फ एक विशेष वर्ग के ऊपर ध्यान न दें…यहां बहुत लोग हैं…जो मेहनत करते है…और काम करने ही कंपनी में आते है। फिर उपेंद्र जी का भी क्या भरोसा..न जाने कब चला चली की बेला आ जाएं
कुमार सिंह
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September 1, 2010 at 5:34 am
बधाई हो संजय जी, मुक्ति मिली;)