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मीडिया दंगे न भड़काने की कसम खाए

: वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमड़िया ने की अपील : अयोध्या में बाबरी मस्जिद की जमीन पर राम मंदिर बनाने के विवाद ने हजारों जानें अब तक ले ली हैं। इस विवाद ने सामाजिक ताने बाने को क्षति पहुंचाने में भी बड़ी भूमिका अदा की है।

<p style="text-align: justify;">: <strong>वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमड़िया ने की अपील</strong> : अयोध्या में बाबरी मस्जिद की जमीन पर राम मंदिर बनाने के विवाद ने हजारों जानें अब तक ले ली हैं। इस विवाद ने सामाजिक ताने बाने को क्षति पहुंचाने में भी बड़ी भूमिका अदा की है।</p> <p>

: वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमड़िया ने की अपील : अयोध्या में बाबरी मस्जिद की जमीन पर राम मंदिर बनाने के विवाद ने हजारों जानें अब तक ले ली हैं। इस विवाद ने सामाजिक ताने बाने को क्षति पहुंचाने में भी बड़ी भूमिका अदा की है।

साम्प्रदायिक सदभाव को नष्ट किया है। राजनीति के सामाजिक कल्याण के बुनियादी उद्देश्यों से भटकाने में कारगर मदद की है। 1991 में नई आर्थिक नीतियों के लागू करने के फैसलें में इस मुद्दे ने मदद इस रूप में की कि समाज धार्मिक कट्टरता के आधार पर बंट गया और उसने इस साम्राज्यवादी साजिश को एकताबद्ध होकर विफल करने की जिम्मेदारी से चूक गया। 17 सितंबर को अयोध्या –बाबरी मस्जिद विवाद पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला संभावित है। ऐसे में साम्प्रदायिक और साम्राज्यवादी समर्थक शक्तियां फिर से 1992 जैसे हालात पैदा करना चाहती है।

हम चाहते हैं कि मीडिया की उस समय जैसी भूमिका थी हम उस पर अंकुश ऱखने के लिए पहले से निगरानी रखें। हमें पता है कि साम्प्रदायिक तनाव बढाने और समाज में साम्प्रदायिक विद्वेष फैलाने में मीडिया की बड़ी भूमिका रही है। कई सरकारी और गैर सरकारी जांच समितियों ने भी इसकी पुष्टि की है कि किस तरह से मीडिया ने साम्प्रदायिक दंगों को भड़काने में अहम भूमिका अदा की। हम चाहते हैं कि मीडिया का कोई हिस्सा अब इस साजिश को अंजाम नहीं दे सकें।

जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी (जेयूसीएस) ने इस मायने में एक सार्थक पहल की है कि मीडिया में अयोध्या से संबंधी खबरें और टिप्पणियों पर नजर रखेंगी। वह उनके साम्प्रदायिक मंसूबों को उसका असर दिखाने से पहले ही धवस्त करेंगी। मीडिया स्टडीज ग्रुप ने इस पहल का स्वागत किया है। उसने देश भर में अपने सदस्यों और लोकतंत्र समर्थक पत्रकार बिरादरी के सदस्यों के नाम अपील जारी की है कि वह इस मुहिम में शामिल हो। हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू या किसी भी भारतीय भाषा में प्रकाशित और प्रसारित खबरों पर वे नजर रखें। उन खबरों या टिप्पणियों का तत्काल विश्लेषण प्रस्तुत करें कि वे कैसे साम्प्रदायिक उन्माद में शामिल हो रही है। वैसी खबरों और टिप्पणियों के प्रति हम लोगों को सचेत करें।

ब्लाग्स, वेबसाईट के अलावा समाचार पत्रों में वैसी खबरों और टिप्पणियों पर अपना विश्लेषण हम प्रस्तुत करेंगे। हम अपने सदस्यों और दूसरे जागरूक लोगों से अपील करते हैं कि वे ऐसी खबरों और टिप्पणियों के बारे में हमें तत्काल सूचित करें और उन पर अपना विश्लेषण भी भेंजे।

मीडिया स्टडीज ग्रुप की तरफ से अनिल चमड़िया द्वारा जारी

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0 Comments

  1. Prem Arora

    September 3, 2010 at 1:15 pm

    बहुत अच्छी अपील है इस तरह की एक घटना याद है जब में मेरठ में ई टी वी में था तो सोहराब गेट थाना क्षेत्र में आपस में कहा सुनी को दंगे का रूप देने की कोशिश की गई परन्तु वहां के समझदार एस पी सिटी राकेश जोली ने मीडिया के सहयोग से इस कोशिश को नाकाम कर दिया और रात ही रात में दो परिवारों में समझोता हो गया. मीडिया की अच्छी भूमिका में मेरठ का सारा मीडिया एक जुट था इस बात के गवाह राकेश जोली खुद हैं जो शायद इस समय बरेली में एस पी सिटी हैं
    प्रेम अरोड़ा
    काशीपुर उत्तराखंड
    9012043100

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