कहानी उलझ रही है या सुलझ रही है यह तो आप तय करे। अपना काम आपको तथ्य बताने का है। पीटर मुखर्जी ने एक टीवी चैनल शुरू किया था। नाम है ’’न्यूज एक्स’’। चैनल बहुत धूम धड़ाके से शुरू हुआ और इसके पहले संपादक थे- वीर सांघवी। उन्हें चैनल में शेयर्स भी दिए गए थे मगर कुछ ही दिनों बाद वहां से चलते बने।
चैनल चला नहीं और फिर दृश्य में आई हमारी आपकी परिचित सुपर फिक्सर नीरा राडिया। उनके फोन की टैप की हुई बातचीत से पता चला है कि इंदौर के एक सेठ विनय छजलानी को उन्होंने सिर्फ मुखौटा बन कर यह चैनल खरीद लेने के लिए पटा लिया। पैसा अंबानी परिवार का लगा था और दो विदेशी कंपनियों के जरिए लगाया गया था। अब यह चैनल सिर्फ सत्तर करोड़ रुपए में जी समूह ने खरीद लिया है और इस खरीद से सिर्फ इनकम टेक्स के मामले में समूह को एक सौ साठ करोड़ रुपए की राहत मिली है। विनय छजलानी अभय छजलानी के बेटे हैं। अभय छजलानी हाल ही में पद्म श्री प्राप्त कर चुके हैं और इस उपलब्धि के चक्कर में पूरे देश के पत्रकारों को बुला कर शाही दावत दे चुके हैं।
छजलानियों के समूह के एक बड़े पत्रकार का नाम भी राडिया के दोस्तों में हैं मगर अभी दस्तावेज सामने नहीं आए इसलिए वे अपना आलोक बिखेर रहे हैं। मगर कहानी यह नहीं है। आज हम आपको यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि राजनीति, कारोबार और पत्रकारिता आपस में इतने घुल मिल गए हैं कि समझ में नहीं आता कि कौन कहां है और क्यों है? एनडीटीवी की बरखा दत्त पर ए. राजा को मंत्री बनाने के लिए भागदौड़ करने का इल्जाम लग चुका है मगर उनकी तरफ से कोई सफाई नहीं आई और किसी भी चैनल या पत्रिका ने उनसे सवाल भी नहीं पूछा। अब प्रणय रॉय एनडीटीवी के मालिक हैं। उनकी पत्नी राधिका बृंदा करात की बहन हैं। बृंदा करात मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो में हैं और इसके महासचिव प्रकाश करात की पत्नी भी है। प्रकाश करात चेन्नई में एन. राम, पी. चिदंबरम और मिथिली शिवरामन के साथ एक डिबेटिंग क्लब में थे और एक पत्रिका भी निकालते थे।
मार्क्सवादी पार्टी के सीताराम येचुरी की पत्नी का नाम सीमा चिश्ती है। सीमा चिश्ती इंडियन एक्सप्रेस की स्थानीय संपादक हैं। इंडियन एक्सप्रेस के संपादक शेखर गुप्ता एनडीटीवी पर एक बहुत शानदार कार्यक्रम करते हैं। राजदीप सरदेसाई पहले एनडीटीवी के प्रबंध संपादक थे। उनकी शादी सागरिका घोष से हुई है। सागरिका घोष नाइन एक्स वाले भास्कर घोष की बेटी हैं। भास्कर घोष दूरदर्शन के महानिदेशक थे और उन्होंने एनडीटीवी को एक प्रोडक्शन हाउस के तौर पर करोड़ों रुपए के कार्यक्रम दिए। सागरिका की बुआ रुमा पाल सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश रही हैं और दूसरी चाची अरुंधती घोष संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि है।
करन थापर आईटीवी कंपनी चलाते हैं जो बीबीसी के लिए कार्यक्रम बनाती है। करन थापर के पिता जी जनरल प्राण नाथ थापर के नेतृत्व में 1962 में चीन से हारा था भारत। करन थापर बेनजीर भुट्टो और वर्तमान पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खास दोस्त हैं। करन थापर के मामा की शादी जवाहर लाल नेहरू की भांजी और विजय लक्ष्मी पंडित की बेटी नयन तारा सहगल से हुई थी। राहुल बोस खालिद अंसारी के साढ़ू हैं। खालिद अंसारी मिड डे समूह के मालिक रहे हैं और हाल ही में दैनिक जागरण समूह को उन्होंने प्रकाशन बेच दिया है। खालिद अंसारी के पिता जी अब्दुल हमीद अंसारी कांग्रेस के नेता थे और स्वाधीनता संग्राम सेनानी भी थे। भारत में क्रिश्चियन आंदोलन के प्रवक्ता जॉन दयाल मिड डे के संपादक थे।
एन राम की पहली पत्नी का नाम सूजन हैं और वे आयरलैंड से हैं। इन दोनों की बेटी विद्या राम पत्रकार है। एन राम की शादी अब मरियम से हुई है और एन राम, जेनिफर अरुल और के एम रॉय कैथोलिक विषक कांफ्रेंस चलाने वाली संस्था के संस्थापक हैं। जेनिफर अरुल दक्षिण भारत में एनडीटीवी की स्थानीय संपादक हैं। वे इंडोनेशिया के चैनल एस्ट्रो स्वामी के लिए भी काम करती हैं। के एम राय हिंदू अखबार में काम करते हैं और समूह के मंगलम प्रकाशनों के संपाकद भी है। उन्हें ऑल इंडिया कैथोलिक यूनियन लाइफ टाइम पुरस्कार मिल चुका है जिसके उपाध्यक्ष डॉक्टर जॉन दयाल है। जोसेफ डिसोजा महासचिव हैं और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अनुसूचित जाति, जनजाति समिति के सलाहकार भी है।
सुहासिनी हैदर सुब्रमण्यम स्वामी की बेटी है जिनकी शादी सलमान हैदर के बेटे से हुई है। सलमान हैदर 1996 तक भारत के विदेश सचिव के और बाद में ब्रिटेन और चीन में राजदूत भी रहे हैं। वे खुद स्टेटस मैन में कॉलम लिखते हैं और फोर्ड फाउंडेशन से पैसा ले कर साउथ एशियन पॉलिटिकल इनिशिएटेड नाम की एक दुकान चलाते हैं। तोसीह नाम का एक फारसी अखबार है जिसके हैदराबाद से निकलने वाले वार्ता से व्यवसायिक संबंध हैं। वार्ता एजीएफ पब्लिकेशंस चलाता है जिसके मालिक गिरीश सांघी हैं। गिरीश सांघी अखिल भारतीय वैश्य फैडरेशन के अध्यक्ष हैं जिसके सलाहकार समूह में दैनिक जागरण के चेयरमैन महेंद्र मोहन गुप्ता है।
डेक्कन क्रॉनिकल आईपीएल में टीम के मालिक होने के अलावा आंध्र भूमि नाम का एक तेलगू अखबार भी निकालता हैं। एमजे अकबर द्वारा शुरू किए गए एशियन एज को अब उसने हड़प लिया है। न्यूयार्क टाइम्स का प्रकाशन साझीदार बन गया है और इंटरनेशन हैराल्ड ट्रिब्यून का प्रकाशन भी करता हैं। डेक्कन क्रॉनिकल के मालिक टी वेंकट राम रेड्डी कांग्रेस की ओर से राज्य सभा के सदस्य भी रह चुके हैं। इसी समूह के संपाकद रहे एम जे अकबर भी एक बार कांग्रेस की ओर से लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं।
आंध्र प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वाई एस राजशेखर रेड्डी वाई एस जगन अखबार और टीवी चैनल चलाते हैं। उनके दोस्त करुणाकर रेड्डी तिरुपति न्यास के अध्यक्ष है और साक्षी नाम का अखबार चलाते हैं। ये अखबार लैंको ग्रुप के निवेश से चलता है और इसके उपाध्यक्ष श्रीधर के भाई एल राजगोपाल कांग्रेस के सासंद रह चुके हैं और वे भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री पी उपेंद्र के दामाद हैं। कहानी अभी और भी हैं और बगैर राजनैतिक या व्यापारिक संपर्कों के अगर आप पत्रकारिता में शिखर पर पहुंचना चाहते हैं तो आपकी उम्मीदें काफी हद तक बेकार साबित होंगी। यह रिश्तों, सौदों, दलालियों और भारी निवेश का खेल बन गया हैं।
लेखक आलोक तोमर जाने-माने पत्रकार हैं. उनका अनुरोध है कि अगर उपरोक्त आलेख के तथ्यों में कहीं कोई गड़बड़ी-गल्ती दिखे तो मीडिया के जानकार लोग उसे नीचे कमेंट लिखकर दुरुस्त करा सकते हैं.
Comments on “रिश्तों और रिश्तेदारों की पत्रकारिता”
Sir,
Zee ne 65 karod mein 9X ko kharida hai…NewsX ko nahin….
Apka
Mayank
Thats what I wanted to say that Zee has bought 9X which is a music channel and NewsX is an English news channel. As far as income tax “relief” is concern, yes Zee has got some facility because 9X is a lossmaking or sick unit and if any company buys a troubled unit it gets several “reliefs” from IT dept.
sab ek hi tali ke chatte batte hai. pata nahi kis par vishwas karen.
Hello
Alok Tomar ji
Aapka lekh kaapfi sahi hai राजनैतिक या व्यापारिक संपर्कों के अगर आप पत्रकारिता में शिखर पर पहुंचना चाहते हैं तो आपकी उम्मीदें काफी हद तक बेकार साबित होंगी। यह रिश्तों, सौदों, दलालियों और भारी निवेश का खेल बन गया हैं।
Aub patrakaartia rishto or ristodaro ki baisakhi ban chuka hai . Aaj bhi kitne log sadko par ghum rahe jo un logo se kahi hoshiyaar or pade likhe jo TV par yaa Newspaper ki headline bankar chha rahe hai. AGar aap sahi tareeke se tv dekhte hai to kuchh Reporter or Editor ese bhi mil jayege jisko bolne ki tameej or tahjeev bhi nahi bakli bah ek bade patrakaar hai. Kya media keval rishto par kendarit ho gyaa hai. yaa fir kisi bade Business man or rajneta ka paltu kutta ban gaya hai. Jab chahe puchkare yaa mare ?
http://www.sakshatkar.com
alok ji appka lekha padhakar patrkarita mean bhi kis tarah ghaal-mel chal raha hea.
in present day if any one wanna to succeed in the field of journalism he is bound to be prfect in JUGAD TECHNOLOGY, otherwise he will get secrified with his ambitions in midway of his career. when like this environment prevails around us ‘the budding journalists’ really feel frutrated and this is the only reason why the field of journalism is failing to attract cream of this country.
आपने सही लिखा है कि बगैर राजनैतिक या व्यापारिक संपर्कों के अगर आप पत्रकारिता में शिखर पर पहुंचना चाहते हैं तो आपकी उम्मीदें काफी हद तक बेकार साबित होंगी। दिल्ली ही नहीं मुंबई में भी यह अमर बेल बहुत ही फल फूल रही है। मुंबई में निरंजन परिहार इसकी ताजा मिसाल है। आज वे करोड़ों में खेलते हैं और जूहू जैसे पाश और बहुत ही महंगे इलाके में उनके तीन तीन आलीशान फ्लैट हैं। क्या यह सिर्फ पत्रकारिता से संभव है? पूरी पत्रकारिता आज रिश्तों, सौदों, दलालियों और भारी निवेश का खेल बन गया हैं।
कहानी अभी और भी हैं और बगैर राजनैतिक या व्यापारिक संपर्कों के अगर आप पत्रकारिता में शिखर पर पहुंचना चाहते हैं तो आपकी उम्मीदें काफी हद तक बेकार साबित होंगी। यह रिश्तों, सौदों, दलालियों और भारी निवेश का खेल बन गया हैं।…सही और एकदम सही है आपकी स्टोरी का यह आखिरी पैरा।
yeh to Hari katha anantta hai..
kahate raho..majha aaraha hai
Hari anant hari katha ananta
आलोक जी, में आपसे सिर्फ इतना ही कहूंगा कि, ऐसे ही लिखते रहिये .. ऐसे ही लिखते रहिये. और ऐसे ही लिखते रहिये.
धन्यवाद
CORRECTION—NAI DUNIA BOUGHT NEW X (AND NOT 9 X) AND SOLD IT TO ZEE. IT’S PROMOTER WAS PETER MUKHARJEA AND NOT BHASKAR GHOSH. THE ERROR IS REGRETTED.
नए पत्रकारों की जमात – ————————————युवा पत्रकार नहीं जानते कि लेख कैसे लिखा जाता है ,जो मन में आता लिख देते है ऐसे ही एक युवा पत्रकार है राहुल कुमार जो बिहार के बेगुसराय ज़िले के निवासी हैं पिछले कुछ सालो से डेल्ही में रह रहे है । अभी दो महीने पहले इनके दिल दिमाग में पत्रकार बनने का सपना आया । आवेश में आकर http://www.vichar.bhadas4media.com/ को एक लेख लिखकर भेज दिया ।
लेख का शीर्षक रखा है मैं मर्द हूं, तुम औरत, मैं भूखा हूं, तुम भोजन!! । लेख कि भाषा इतनी घटिया है कि कुछ नहीं कहा जा सकता है । लेख का सारांश निकाला जाये तो ये जनाव तो औरतों को पैर की जूती समझते है । लेख का मजबून कुछ इस तरह है
मैं भेड़िया, गीदड़, कुत्ता जो भी कह लो, हूं। मुझे नोचना अच्छा लगता है। खसोटना अच्छा लगता है. मुझसे तुम्हारा मांसल शरीर बर्दाश्त नहीं होता. तुम्हारे उभरे हुए वक्ष॥ देखकर मेरा खून रफ़्तार पकड़ लेता हूं. मैं कुत्ता हूं. तो क्या, अगर तुमने मुझे जनम दिया है. तो क्या, अगर तुम मुझे हर साल राखी बांधती हो. तो क्या, अगर तुम मेरी बेटी हो. तो क्या, अगर तुम मेरी बीबी हो. तुम चाहे जो भी हो मुझे फ़र्क़ नहीं पड़ता. मेरी क्या ग़लती है? घर में बहन की गदरायी जवानी देखता हूं, पर कुछ कर नहीं पाता. तो तुमपर अपनी हवस उतार लेता हूं. घोड़ा घास से दोस्ती करे, तो खायेगा क्या? मुझे तुम पर कोई रहम नहीं आता. कोई तरस नहीं आता. मैं भूखा हूं. या तो प्यार से लुट जाओ, या अपनी ताक़त से मैं लूट .
राहुल ने अपनी भड़ास मगर रिश्तो को भूल कर निकली है । आगे कुछ और लिखते है…………..
पिछले साल तुम जैसी क़रीब बीस बाईस हज़ार औरतॊं का ब्लाउज़ नोचा हम मर्दों नें। तुम जैसे बीस बाईस हज़ार औरतों का अपहरण किया। अपहरण के बाद मुझे तो नहीं लगता हम कुत्तों, शेरों या गीदड़ों ने तुम्हे छोड़ा होगा. छोड़ना हमारे वश की बात नहीं. तुम्हारा मांस दूर से ही महकता है. कैसे छोड़ दूं. क़रीब अस्सी-पचासी ह़ज़ार तुम जैसी औरतों को घर में पीटा जाता है. हम पति, ससुर तो पीटते हैं ही, साथ में तुम्हारी जैसी एक और औरत को साथ मिला लिया है जिसे सास कहते हैं. और ध्यान रहे ये सरकारी रिपोर्ट है. तुम जैसी लाखों तो अपने तमीज़ और इज्ज़त का रोना रोते हो और एक रिपोर्ट तक फ़ाईल करवाने में तुम्हारी…. फट जाती है. तुम्हारे मां-बाप, भाई भी इज्ज़त की दुहाई देकर तुम्हे चुप करवाते हैं और कहते हैं सहो बेटी सहो. तुम्हारे लिये सही जुमला गढ़ा गया है, “नारी की सहनशक्ति बहुत ज़्यादा होती है.” तो फिर सहो।
मै ये कहना चाहुगा आजकल औरतों मर्दों की गुलाम नहीं रही है वह सब जानती है अगर वह अपने पर आ जाये कुछ भी कर सकती है । औरत शक्ति का दूसरा रूप है । वह हमारी माँ – बहन भी हो सकती है । औरतों को कमजोर समझने वाला ही खुद मानसिक रूप से कमजोर है।
एडिटर – सुशील गंगवार
साक्षात्कार डाट काम
un logo ko isse patrkarita ke vyavsay ko samjhne men madad milegi jo patrakarita ko keval abhivyakti ka hi auzar mante hai.
Namaskar Aalok Bhai,
Aalekh accha likha Politics,Business,aur media mixed ho gai to samzo Samaaz aur Desh kaa band baz gayaa…..politician,businessmen ke hoto desh ki media nahi jaani chahiye mai 10 years tak patrakarita me raha E-TV,Zee Mumbai,Lokmat samaacharm philahaal Center govt me PRO hu Pune me.lekin accha patrakar banaane hetu acche media college open karne kaa plan banaa raha krupaya madat kare….
gangwr jee, Rahul ki manah istithi samjhane ki jaroorat hai .krishna mohan
हा -हा -हा ! आलोक जी, मजा आ गया ! कितना मजा आया, इसका अंदाजा बस इतने से लगाईये कि मैंने इस रिपोर्ट को तुरंत ही कॉपी -पेस्ट कर लिया . धन्यवाद देकर आपकी मेहनत को काम नहीं करना चाहता . अगली किश्त की भी उम्मीद रखें क्या?