अचानक तबादला किए जाने से नाराज थे : अमर उजाला या राजस्थान पत्रिका में जाने की चर्चा : दैनिक भास्कर, जालंधर से सूचना है कि संजय पांडेय ने इस्तीफा दे दिया है. वे अभी तक जालंधर यूनिट के संपादक के रूप में काम देख रहे थे पर पिछले दिनों उनकी जगह अमर उजाला से आए अभिजीत मिश्रा को कमान सौंपने का फैसला प्रबंधन ने कर लिया. साथ ही, संजय पांडेय का दिल्ली तबादला करने का भी फैसला ले लिया गया.
अचानक जालंधर यूनिट से हटाकर दिल्ली भेजे जाने के फैसले से एक्जीक्यूटिव एडिटर संजय पांडेय आहत हुए. सूत्रों का कहना है कि संजय ने प्रबंधन को एक लंबा पत्र भी भेजा. बताया जा रहा है कि प्रबंधन द्वारा फैसले पर पुनर्विचार न करने के कारण संजय ने इस्तीफा देने का फैसला ले लिया. हालांकि एक चर्चा यह भी है कि संजय पांडेय की अमर उजाला में बात पक्की हो चुकी है और वे जल्द ही अमर उजाला की एक यूनिट के आरई बनाए जा सकते हैं. अमर उजाला में कब ज्वाइन करेंगे और किस यूनिट के आरई बनेंगे, इसको लेकर भी कयास का बाजर गर्म है.
कुछ लोगों का कहना है कि अमर उजाला प्रबंधन अपने मेरठ एडिशन से खुश नहीं है इसलिए संभव है सूर्यकांत द्विवेदी को आरई पद से हटाकर उनकी जगह संजय पांडेय को लाया जाए. पर ये सारी बातें अभी तक पुष्ट नहीं है. यह सब इतना गुपचुप तरीके से किया गया कि संजय पांडेय को भनक तक नहीं लगी.
उधर, एक चर्चा यह भी है कि संजय पांडेय को एहसास हो चुका था कि भास्कर प्रबंधन उनसे खुश नहीं है इसलिए उन्होंने राजस्थान पत्रिका में बात कर ली थी. कुछ लोगों का कहना है कि वे पत्रिका से साथ नई पारी शुरू कर सकते हैं.
सूत्रों का कहना है कि भास्कर के एमडी सुधीर अग्रवाल ने चंडीगढ़ में हुई मीटिंग में जालंधर यूनिट को लेकर अपनी नाराजगी जता दी थी. तभी से माना जा रहा था कि देर-सबेर संजय पांडेय को भास्कर, जालंधर से हटना पड़ सकता है. संजय पांडेय को ग्रुप एडिटर श्रवण गर्ग का करीबी माना जाता है और कई महीनों से भास्कर में श्रवण गर्ग के करीबियों को खासतौर पर निशाने पर रखा गया है.
इस्तीफे के बारे में जानने के लिए भड़ास4मीडिया की तरफ से जब संजय पांडेय को फोन किया गया तो उन्होंने फोन नहीं पिक किया.
raghav
April 27, 2010 at 7:12 pm
श्रवण गर्ग के एक एक आदमी को ठिकाने लगाया जा रहा है। पहले दिनेश मिश्रा गए, रतनमणि को रुखसत किया, फिर मुकेश से इस्तीफा लिया गया, राजेंद्र तिवारी गए, विनोद पुरोहित को जाना पड़ा और अब संजय पांडेय। देखना है अवनीश जैन का नंबर कब आता है। नवनीत गुर्जर से इन लोगों को सीखना चाहिए जो अब श्रवण गर्ग को गालियों से नवाज कर अपना कद और पद बचाए हुए हैं।
DARPAN LAL
April 28, 2010 at 5:35 am
LO JI …JOR KA JHATKA DHEERE SE YASHVANT JI LAGTA HAI AB AANE WALE DINO ME APKO JALANDHAR BHASKAR SE KAI NEWS MILNE WALI HAI…KYOKI PANDEY JI KI REHMT SE KAI KAAM CHOR PAL RAHE THE, YAHI NAHI CHAHE REPORTRO KE LOCAL CHUTTI LEKAR BINA BTAYE VIDESH JANE KI BAAT HO YA FIR NAGAR NIGAM ME MAYOR KE SATH REPORTER KE PANGEY KI BAAT HO HAR MAMLE PAR PANDEY JI NE PARDA DAAL KAR REPORTRO KI LAAJ BACHAI..MGR AB WO SAB LOG MAYOOS HAI JINHE CHUTTI HONE KA DAR HAI..
indorewala
April 28, 2010 at 6:19 am
maut nischit hai, koi pahle jata hai, koi baad me
Rajan Sinha
April 28, 2010 at 9:40 am
वैसे भी भास्कर में सिर्फ उन्हीं लोगों की दाल ज्यादा गलती है,जो किसी मठ से संबंध रखते हों। क्योंकि कई मठाधीश पाए जाते हैं। यागनिक मठ, गर्ग मठ, खांडेकर मठ, मैनेजमेंट मठ आदि। एक मठाधीश दूसरे की बजाने में कोई कसर नहीं छोड़ता है। किसी ने सच ही कहा है कि लोकसभा से ज्यादा राजनीति अखबार के दफ्तर में होती है।
Kalu Ganju
April 28, 2010 at 10:05 am
Kaha jata hai Vinaash kale vipreet budhi.Yeh sahi hai ki Kalpesh Yagnik jese badmizaz aur chmchon se ghire rehne wale vayakti Bhaskar sansthan ki jade khodne main laga hua hai.Tabhi to Shyam Sharma jaise bhrast vayakti ko Alwar ka sampadak banaya,Kuldeep Jaise ko Jodhpur ki kaman saunpi to vishwa ke satven ascharya ke rup main Ram Singh jaise maha bharasht vyakti ko jaipur main chief reporter ke pad se nawaja gaya.Jaisa ki media samoh ke log jante hain ke yeh sabhi Kalpesh Yagnik ki hajri main khare rehte they.hala ki chmchon ki is faouj main se 2 wicket to gir chuke hain rahe sahe chamchey aur thikane lag jayenge.Kalpesh ka bhaskar group ka editor banana ganje key sir main bal ane key saman hai tabhi to jaipur main rajasthan ka editor rehte huai Kalpesh ki paglon jaise harkaton se kai reporter to marne par utaru ho gaye thai.Sanjay Pandey ka istifa Shrawan Garg ke logon ko thikane lagane ki Kalpesh ki muheem ka hissa bhar hai.Abhi to kai achey log badmizaz Kalpesh ka shikar hongey.Bhagwan kare Bhaskar prabandhan ko sadbudhi aaye aur chamde key sikkey chalane wale Kutuubudin Abak jaise ankhon ke andhey-nam nayansukh Kalpesh ki harkaton par rok lagaye aur is nikrisht vayakti ko bhar ka rasta dikhain.
Sachin Gupta
April 29, 2010 at 4:57 am
अरे इतना ही नहीं भाई साहब, ग्रुप और मालिकान तो अच्छे हैं लेकिन उन्होंने जिन लोंगों को की पोजीशन दे रखी है वो अपने प्रभाव का दुरुपयोग करने में लगे रहते हैं। तभी तो ऐसे लोगों को संपादक की श्रेणी में लाने की कोशिश की जा रही है जिन्हें “कृति” और “क्रति” में फर्क नहीं पता है। लेकिन ऐसे लोगों को आउट ऑफ टर्म प्रमोशन दिया जाता है और मंदी में भी स्पेशल इंक्रीमेंट दिया जाता है। यहां तक कि अपने चमचों को आगे बढ़ाने के लिए ऐसे पोस्ट पर भी बिठा दिया जाता है जिसके लायक वो है ही नहीं। कहने का मतलब कि गुल्ली डंडा के खिलाड़ी को गोल्फ खेलने के लिए उतार दिया जाता है। और वो लोग जो देर रात तक कैबिन के बाहर दरबान की तरह खड़े रहें और हां में हां मिलाते रहें उनका तो उद्धार निश्चित है कल्पेश जी के राज में। ऐसे एक नहीं सैकड़ों उदाहरण देखने को मिल सकते हैं। चमचागिरी से आगे आने वाले लोग भी अपने ही टाइप के लोगों को आगे ला रहे हैं। न जाने भास्कर प्रबंधन की नींद कब खुलेगी.
ramkumar
April 29, 2010 at 2:43 pm
संजय पांडेय के इस्तीफे से एक बात तो साफ हो गई है कि अब भास्कर में उन लोगों के लिए कोई जगह नहीं बची, जिन लोगों की काबिलियत के दम पर भास्कर ने राजस्थान से षिखर पर पहुंचने का सफर प्रारंभ किया था। भास्कर ने गर्व के साथ दुनिया के कई इनाम बटोरे तब तक संजय पांडेय उनकी आंख के तारे हुआ करते थे। भास्कर के लोग जानते हैं कि संजय पांडेय का मतलब है हरफनमौला खिलाडी। ले-आउट के मास्टर इस बंदे ने भास्कर के फं्रट पेज को नई पहचान दी, लेकिन धुआंधार पारी खेलने वाला यह खिलाडी राजनीति के पिच पर आउट हो गया। कोई खुलकर कहता है तो कोई दबी जुबान से, लेकिन भास्कर में काम करने वाले यह जुमला रटने लग गए हैं कि यदि भास्कर में रहना है तो कल्पेष याग्निक जिंदाबाद तो कहना ही होगा। याग्निक सबके सामने यह कहते नहीं थकते-मैंने हिंदी पत्रकारिता में नए युग का सूत्रपात किया है। अगर खुद के चैम्बर में निकम्मों की तरह हाजिरी बजाने वाले चमचों को पहली पंक्ति में खडा करके उन्हें लगता है कि यह नए युग का सूत्रपात है तो वाकई इसे याग्निक साहब का चमत्कार कहा जाना चाहिए।
sonu kumar
April 30, 2010 at 8:05 am
bhaskar me mathadiso ke khilap virodh bhi khada ho gya hai. in logo ne akhbar ka esa beda gark kiya ki ab ye kam chalu akbar ke alava khuch nhi
xyz
May 2, 2010 at 9:42 am
Bhaskar chamcho se bhari padi hai,
pandey ji ke saath
May 7, 2010 at 7:56 am
Bhaskar ka matlab hi ho gaya hai nikamoon ke fauj. Kaam Karne walon ke yahan koi okat nahin, bas jee hajoor bolen aur jo dil kare wo pad payen. Chaleye ek baat to hai ke Pandey ji ke jane se Amritsar ke Executive Editor Chetan Sharda ka rasta to saaf ho gaya hai. Ve kafi sanay se manmanian nahi kar pa rahe the, ab jo marji karo kaun poochne wala hai.