: संघ का एजेंडा लागू करने के सवाल पर बोले प्रो. बीके कुठियाला : माखनलाल पत्रकारिता विवि के ‘कुल’ में कलह : माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की इन दिनों विवादों के कारण पूरे देश में थू-थू हो रही है। कुलपति बीके कुठियाला के खिलाफ अपनों ने ही मोर्चा खोल दिया है। उन पर न सिर्फ अनियमिताओं का आरोप लग रहा है बल्कि भष्ट्राचार के आरोपों से भी वे घिर चुके हैं। जिस दिन से कुठियाला पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति की कुर्सी पर बैठे हैं, उसी दिन से विवाद शुरु हुआ है। कुलपति के हर निर्णय के खिलाफ आवाज उठ रही है।
चाहे वह नए कोर्स शुरु करने की बात हो या फिर अपने लिए महंगा मकान किराए पर लेने की। हर निर्णय पर विश्वविद्यालय के कर्मचारी और शिक्षक कुलपति को आंख दिखा रहे हैं। पूर्व कुलपति अच्युतानंद मिश्र की जगह जब हरियाणा से बीके कुठियाला को लाने की बात चली तो विश्वविद्यालय के कुछ अधिकारी उनके पुराने चिट्ठे खोलने में लग गए। सूचना के अधिकार कानून का इस्तेमाल कर उनका बॉयोडाटा और पुराने कागजात निकाले गए। जिसके आधार बनाकर उन पर एक के बाद एक हमला किया गया। नए विवाद की शुरुआत उस वक्त हुई जब कुलपति ने नए अध्ययन केंद्र खोलने की इजाजत दी। इसके अलावा कुलपति पर बिना पीएचडी के ही कुलपति बनने का आरोप लगा। साथ में अपनों की भर्ती में भी वे निशाने पर रहे। कर्मचारियों का कहना है कि कुलपति अपने लोगों को चुन-चुनकर भर रहे हैं। शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. श्रीकांत सिंह खुले शब्दे में कहते हैं कि कुलपति से जो अपेक्षाएं थीं, वे उस पर बिलकुल भी खरे नहीं उतरे।
पिछले दिनों कर्मचारियों ने अध्ययन केंद्र के संचालकों के साथ मिलकर कैंपस में ही कुलपति के खिलाफ नारेबाजी की। रीवा में पत्रकारिता विश्वविद्यालय का सेंटर चलाने वाले राजेंद्र सिंह कहते हैं तो कुलपति के लोग नए अध्ययन केंद्रों के माध्यम से वसूली करने भी पीछे नहीं हैं। सेंटर संचालकों का कहना है कि किसी भी नए केंद्र खोलने के लिए प्रबंधन समिति और महापरिषद के अनुमोदन की आवश्यकता होती है, जिसके अध्यक्ष प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान है। लेकिन कुलपति ने जल्दी से जल्दी पैसे बनाने के लिए नए अध्ययन केंद्रों को पंद्रह अगस्त से पहले खोलना चाहते थे। कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर उन्होंने वेबसाइट पर नए सेंटर के लिए आवेदन मंगाए। यही नहीं निरीक्षणकर्ताओं ने भाजपा और कुलपति के नाम पर दो-दो लाख की मंग भी की।
विश्वविद्यालय के कुछेक कर्मचारियों और अधिकारी दबी जुबान में स्वीकार करते हैं कि कुलपति के आने के बाद से काफी कड़ाई हो गई है। कुलपति पेपर वर्क पर ज्यादा ध्यान देते हैं जो कि कर्मचारियों को पसंद नहीं आ रहा है। इनका आरोप है कि कुलपति अपना निर्णय सब पर लादने की कोशिश करते हैं। वे लगातार विभागाध्यक्षों और कर्मचारियों के अधिकारों पर अतिक्रमण कर रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि कुलपति छात्रों और शिक्षकों पर तानाशाही रवैया अख्यिातर करते हैं। इसके अलावा विभागाध्यक्ष के अधिकारों में भी कटौती कर दी।
पूर्व छात्र कर रहे हैं आंदोलन की तैयारी : विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र भी कुलपति से दो-दो हाथ करने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए बकायदा रणनीति तैयार की गई है। जिसमें विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षक और कर्मचारी उनकी मदद कर रहे हैं। इसके अलावा फेसबुक पर भी उनके खिलाफ अभियान चल रहा है जिसमें कुलपति की बखिया उधेड़ी जा रही है।
शिक्षकों पर लादा बोझ : कुछ विभागाध्यक्षों का कहना है कि कुलपति ने गेस्ट फेकल्टी पर भी अंकुश लगा दी है। सभी विभागों को भेजे गए एक आर्डर में कुलपति ने गेस्ट फेकल्टी को कम करने को कहा है। इसमें कहा गया है कि वर्तमान में जितने शिक्षक मौजूद हैं, उनका उपयोग किया जाए। शिक्षकों का कहना है कि ऐसा करने से कुलपति छात्रों के भविष्य से खेल रहे हैं
ये हैं आरोप
नियम को ताक पर रख कर लिया अपने लिए महंगा मकान
नए अध्ययन केंद्र खोलने की इजाजत दी
नए कोर्स शुरु कर यूनिवर्सिटी का भगवा करण किया
विभागाध्यक्षों के अधिकारों में की कटौती- बिना योज्यता के बन बैठे कुलपति। पीएचडी तक पूरी नहीं।
शिक्षकों और कर्मचारियों के साथ बुरा बर्ताव
किसी की नहीं सुनते। अपनी बात खोपते हैं
भाई-भतीजावाद फैला रहे हैं
भ्रष्टाचार को दे रहे हैं बढ़ावा
गेस्ट फेकल्टी पर लगाया अंकुश
कुलपति बीके कुठियाला से सीधी बात
– आप अपनों को यूनिवर्सिटी में भरे रहे हैं।
–ऐसा कुछ भी नहीं है। हरियाणा से सिर्फ मैं, मेरी धर्मपत्नी और एक खाना बनाने वाला आया है।
-आपने अपने एक पूर्व स्टूडेंट को रखा हुआ है।
–हां, वह मेरा स्टूडेंट है। विश्वविद्यालय के काम के लिए उसे रखा हुआ है।
-आप पर आरोप है कि आप संघ का भगवा एजेंडा लागू कर रहे हैं?
–ऐसा नहीं है। योग और पारंपरिक संचार के कोर्स को क्या आप संघ का एजेंडा कहेंगे?
-आप पर आरोप है कि आप तानाशाह हैं।
–यह मुझे नहीं पता। विश्वविद्यालय में कोई भी निर्णय मैं नहीं बल्कि हम करते हैं। मैं विश्वविद्यालय के विस्तार और अच्छाई के लिए काम कर रहा हूं। आगे भी करता रहूंगा।
-क्या यूनिवर्सिटी के कर्मचारी आपसे संतुष्ट नहीं हैं?
–नो कमेंट। विचारों में मतभेद हो सकते हैं लेकिन कोई अंसतोष नहीं है।
-क्या आप कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
–कानून का उल्लंघन करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा। लेकिन हमारा यहां कोई भी ऐसा नहीं है जिसने कानून को तोड़ा हो।
-आपको 22 हजार के महंगे मकान में रहने की क्या आवश्यकता है?
–पांच साल पहले भी घर का किराया आठ हजार ही मिलता था और आज भी। मेरे लिए जिस मकान की तलाश की गई है, वह मैंने नहीं यूनिवर्सिटी की कमेटी ने ही की है। इसे मैनेजिंग कमेटी में रखा जाएगा। यदि प्रस्ताव नहीं माना गया तो बाकी किराया मैं दूंगा।
-लोग आपके इतने खिलाफ क्यों हैं?
–जब भी परिवर्तन होता है तो कुछ लोगों को रास नहीं आता। मैं इसकी परवाह नहीं करता हूं। मेरा काम अपने विश्वविद्यालय को सफल और विस्तार करना है।
वर्जन
कुलपति से जो अपेक्षाएं कीं उस पर वे खरे नहीं उतरे। कुलपति लगातार अपने लोगों को भर रहे हैं। दो अधिकारियों के आर्डर हो चुके हैं। जबकि एक ने तो ज्वाइन भी कर लिया। -डॉ श्रीकांत सिंह, अध्यक्ष, शिक्षक संघ
कुलपति अपने आपको मुख्यमंत्री के ऊपर समझते हैं। तभी तो मुख्यमंत्री की अनुमति के बिना नए अध्ययन केंद्र खोलने की इजाजत दे दी। हम उन्हें कामयाब नहीं होने देंगे। -राजेंद्र सिंह, संचालक, सार्क कम्प्यूटर, रीवा
दैनिक भास्कर, भोपाल में प्रकाशित आशीष महर्षि की रिपोर्ट
om prakash gaur
August 27, 2010 at 12:42 am
माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में लुटेरों की गैंग लम्बे अरसे से सक्रिय है. वह पोल खुलने के डर से चिल्ला रही है. लेकिन चोरों के पैर नहीं होते है. संघी जरा संकोची होते है, डरपोक या बेईमान नहीं. धैर्य रखें, दिल थाम कर बैठे. जल्दी सच बाहर आएगा. ओम प्रकाश गौड़
dhirendra prata singh
August 27, 2010 at 4:31 pm
sri kuthiyala ji desh ke jane mane sikshavid h.ye baat pure desh ka siksha jagat janata h. unka jivan simple living and high thinking ka bemisal udahran h.kuthiyal ji ko mane kai karkramo me dekha h. unke jaisa jeevan kisi sant ka hi ho sakta h.rahi baat un pr lag rahe aaropo ki to ye sabhi jante h ki vishvidyalay ke sikshak neta aur karmchari aaj kitane bhrast aur kam chor ho gaye h keval rajniti ke ve aur kuchh karna hi nahi chahte h. kuthiyala ji ne galat baat aur harkat ko kabhi maaf nahi kiya h yahi karan h ki inke hariyana ke ak param sishya hone ka dava karne vale ashutosh ne to inke khilaf abhiyaan hi chalaya hua h. lekin use is baat ko janana chahiye ki saty ki ladai asty kabhi nahi lad sakata.khair suraj pr mitti fekane se use koi fark nahi padta balki fekane vala bhale hi us mitti ka grass ban jata h-meri subh kamnaye sri bk kuthiyala ji ke sath h-
dhirendra prata singh
August 27, 2010 at 4:32 pm
sri kuthiyala ji desh ke jane mane sikshavid h.ye baat pure desh ka siksha jagat janata h. unka jivan simple living and high thinking ka bemisal udahran h.kuthiyal ji ko mane kai karkramo me dekha h. unke jaisa jeevan kisi sant ka hi ho sakta h.rahi baat un pr lag rahe aaropo ki to ye sabhi jante h ki vishvidyalay ke sikshak neta aur karmchari aaj kitane bhrast aur kam chor ho gaye h keval rajniti ke ve aur kuchh karna hi nahi chahte h. kuthiyala ji ne galat baat aur harkat ko kabhi maaf nahi kiya h yahi karan h ki inke hariyana ke ak param sishya hone ka dava karne vale ashutosh ne to inke khilaf abhiyaan hi chalaya hua h. lekin use is baat ko janana chahiye ki saty ki ladai asty kabhi nahi lad sakata.khair suraj pr mitti fekane se use koi fark nahi padta balki fekane vala bhale hi us mitti ka grass ban jata h-meri subh kamnaye sri bk kuthiyala ji ke sath h-
dhirendra pratap singh state head hindusthan samachar dehradoon uttrakhand