बरेली में अखबारों की आपसी लड़ाई में नया मोड़ आ गया है. हिंदुस्तान आधे दाम में पहले की तरह बिक रहा है पर अमर उजाला व दैनिक जागरण अपने पाठकों से ज्यादा पैसे वसूलने लगे हैं.
अमर उजाला और दैनिक जागरण को पिछले साल अक्टूबर महीने से आधे दाम पर खरीद रहे बरेली के पाठकों को आज उस समय झटका लगा जब उन्हें आफर खत्म होने की बात बताते हुए अखबार पर प्रकाशित दाम के हिसाब से पूरे पैसे वसूल किए गए. हिंदुस्तान जब बरेली में आया तो आपसी होड़ में सभी ने दाम आधे कर दिए. जागरण और उजाला भी प्रिंटेड प्राइस में पचास प्रतिशत आफ का आफर चला रहे थे. सोमवार से शुक्रवार तक साढ़े तीन रुपये का दैनिक जागरण और अमर उजाला पाठकों को पौने दो रुपये में पड़ता था और शनिवार व रविवार को चार रुपये वाले ये अखबार दो रुपये में मिलते थे.
अब इन अखबारों ने आधे दाम वाली स्कीम बंद कर प्रिंटेड मूल्य पहले से कम कर दिए हैं. जागरण व उजाला का नया मूल्य है सोमवार से शुक्रवार के लिए ढाई रुपये और शनिवार व रविवार के लिए तीन रुपये. मतलब साफ है. आधे दाम में अखबार खरीदकर पढ़ने-पढ़ाने का आफर खत्म किया गया और पहले के मुकाबले दाम में थोड़ी कमी कर दी गई. पर दोनों कवायदों का नतीजा यह है कि पाठक को अब पहले से ज्यादा पैसे देने पड़ रहे हैं.
अमर उजाला और दैनिक जागरण के आफर खत्म करने का असर हिंदुस्तान अखबार पर नहीं पड़ता दिख रहा है. पैसा फूंककर तमाशा देखने बरेली आए हिंदुस्तान अखबार को पाठक अब भी आधे दाम पर खरीद रहे हैं. हिंदुस्तान से निपटने के लिए चर्चा है कि अमर उजाला व दैनिक जागरण नई स्कीम शुरू करने जा रहे हैं.
जागरण ने तो नई स्कीम शुरू भी कर दी है. यह स्कीम कूपन वाली है. रोज कूपन छपेग, उसे काटो, चिपकाओ और जागरण आफिस भेजो. जागरण वाले ड्रा निकालेंगे व इनाम बांटेंगे. यह पुरानी स्कीम हिंदुस्तान के आधे दाम वाली स्कीम से निपटने में कितनी कारगर होती है, यह तो वक्त बताएगा. माना यही जा रहा है कि आधे दाम में अखबार पढ़ाने का हिंदुस्तान का अभियान जागरण व उजाला पर भारी पड़ेगा.
दैनिक जागरण, बरेली में पहले पेज पर अखबार के मूल्य व कूपन स्कीम को लेकर एक संक्षिप्त सूचना प्रकाशित हुई है जो इस प्रकार है- पाठक बंधुओं, दिनांक 01 अप्रैल 2010 से दैनिक जागरण का कवर प्राइस पचास प्रतिशत आफ का आफर समाप्त किया जा रहा है। अब दैनिक जागरण का मूल्य सोमवार से शुक्रवार रू. 2.50 एवं शनिवार, रविवार को रू. 3.00 होगा। सभी पाठकों से पूर्ववत सहयोग का अनुरोध है। -प्रसार व्यवस्थापक
देखिए, पाठक कितना सहयोग बनाए रखते हैं.