पायनियर के संपादक बोले- पत्रकारिता के पेशे की आड़ लेकर की गई गिरफ्तारी गलत नहीं : वैचारिक प्रतिबद्धता निष्पक्ष पत्रकारिता के कभी आड़े नहीं आती- राजनाथ सिंह सूर्य : लखनऊ में विश्व संवाद केन्द द्वारा संचालित जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान में तीन दिनी पत्रकारिता प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में पायनियर के सम्पादक और राज्यसभा सदस्य चंदन मित्रा शामिल हुए। चंदन ने अपने भाषण में कई बातें कहीं। वामपंथी से दक्षिणपंथी बने चंदन ने नक्सलवाद और माओवाद से जुड़े चक्रधर महतो और कोबाद गांधी की गिरफ्तारी पर मीडिया में उठे बवंडर पर अपना स्टैंड बयान किया। उन्होंने कहा कि कोई आदमी बहुत योग्य हो या धनी हो तो उसके अपराध कम नहीं हो जाते। एक साल में हुई छह हजार हत्याओं के लिए कौन जिम्मेदार है?
यह बात सामने आ चुकी है। इसी तरह यदि कोई हत्याओं की घटनाओं को बढावा देने वाली विचारधारा से जुड़ा है या उसके कारण आतंक फैल रहा हो तो हम पत्रकार या पत्रकारिता के पेशे की आड़ लेकर की गई गिरफ्तारी को गलत नहीं मानते। उन्होंने कहा कि कम से हमारे पेशे ने किसी अपराधी को पकड़ने में मदद की जो कि हजारों हत्याओं के लिये जिम्मेदार है और यदि वह नहीं पकड़ा जाता तो और न जाने कितनी हत्यायें हो जातीं। चंदन मित्रा ने पत्रकारिता में आ रहे विश्वसीनयता के संकट को सबसे बड़ा संकट बताया। उन्होंने कहा कि इसका मुकाबला करना देश के सामने एक बड़ी चुनौती है, यह हम सबकी जिम्मेदारी भी है। पत्रकार सत्यनिष्ठा और कर्तव्यनिष्ठा को अक्षुण्य बनाये रखने के लिये भी सजग रहें। श्री मित्रा ने कहा कि आज की पत्रकारिता में उठ रहे सवालों को देखते हुए इसकी छवि को सुधारने की आवश्यकता है। छवि पर लगे पश्न चिन्हों को हटाना है। उन्होंने पत्रकारिता की गिरती छवि के लिए वैश्वीकरण और बाजारवाद को जिम्मेदार माना। इसके कारण प्रतिबद्ध और देशभक्त पत्रकार निराश हो रहे हैं। साथ ही पत्रकारिता में बढते धन के प्रलोभन पर भी अपनी चिन्ता व्यक्त की। आज पैसे लेने के लिये मालिक मूल्यों को दरकिनार करने को तैयार हैं।
उन्होंने गत लोकसभा चुनाव में पैसा लेकर चुनावी खबरें छापे जाने पर भी चिन्ता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अखबारों ने चुनाव में पूरा-पूरा पेज ही बेच दिया। यह स्थिति जारी रही तो विश्वसनीयता कहां जाएगी तथा पत्रकारिता का क्या होगा। इससे देश और समाज को भयानक नुकसान होगा। इसका मुकाबला पत्रकारों को इकट्ठा होकर करना होगा। इसमें मालिकों को भी शामिल किया जाना चाहिए। चन्दन मित्रा ने इलेक्ट्रानिक मीडिया में टीआपी को लेकर बढती होड़ पर अपनी चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि इसी के चलते मीडिया की विश्वनीयता का संकट बढ़ा है। टीआरपी की लड़ाई में चैनल सत्यनिष्ठा से हटते जा रहे हैं।
पत्रकारों के दायित्वों की चर्चा करते हुए श्री मित्रा ने कहा कि पत्रकारों के लिये राष्ट्रहित सर्वोपरि होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकार स्टेनोग्राफर नहीं है, वह भावना भी है और सोच भी है। पत्रकार के लेखन में सोच झलकनी चाहिए। पशिक्षण लेने आये नवोदित पत्रकारों से उन्होंने कहा कि पत्रकारिता ग्लैमर नहीं, जिम्मेदारी है। पत्रकारिता में आ रहे बदलावों की चर्चा करते हुए श्री मित्रा ने कहा कि अब इंटरनेट ने सब कुछ बदल दिया है। वेब पत्रकारिता और ब्लाग ने आम जनता को भी ऐसे अवसर दिये हैं कि वे अपनी बात स्वतंत्र रूप से रख सकते हैं। इसमें किसी समाचार पत्र की मीडिया पालिसी या सम्पादक का एकाधिकार आड़े नहीं आयेगा। उन्होंने कहा कि अब वह दिन दूर नहीं है जब घर-घर में कम्प्यूटर होंगे और लोग अपने लैपटाप से ब्लाग लिखकर स्वयं ही पत्रकारिता करेंगे। उन्होंने कहा कि यह अवसर तकनीक के परिवर्तन ने दिया है।
स्वतंत्र भारत के पूर्व सम्पादक एवं राज्यसभा के पूर्व सदस्य राजनाथ सिंह सूर्य ने कहा कि पत्रकारिता में वैचारिक प्रतिबद्धता कभी निष्पक्ष पत्रकारिता के आड़े नहीं आती है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को कभी भी तथ्यों के साथ समझौते नहीं करने चाहिए। समाचार में तथ्य के अलावा कुछ नहीं होता इसलिए कभी भी तथ्यों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। पत्रकार अहंकार से बचें।
नई दुनिया के स्थानीय संपादक योगेश मिश्र ने कहा कि नवागान्तुक पत्रकार इस पेशे में आने से पहले इसकी चुनौतियों का अध्ययन कर लें क्योंकि अधिकतर लोग इस पेशे में दिखाई देने वाले ग्लैमर के कारण आते हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकार को अपनी भूमिका एक रसाइयें की तरह निभानी चाहिए।
पायनियर के स्थानीय सम्पादक विजय प्रकाश सिंह ने कहा कि नये पत्रकार तकनीक का प्रशिक्षण भी अवश्य लें। अब तकनीक के बगैर पत्रकारिता करना मुश्किल काम है।
उ.प्र. जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के पदेश महामंत्री सर्वेश कुमार सिंह ने कहा कि इंटरनेट ने पत्रकारिता का परिदृश्य बदल दिया है। अब आम आदमी भी ब्लाग के माध्यम से पत्रकारिता के क्षेत्र में आ रहा है। उन्होंने इसे पीपुल्स जर्नलिज्म की संज्ञा देते हुए कहा कि अब कोई भी अपनी बात को स्वतंत्र रूप से प्रस्तुत कर सकता है। यह विधा पत्रकारिता के नये आयाम के रूप में सामने आ रही है। श्री सिंह ने नवागान्तुक पत्रकारों को ग्रामीण क्षेत्र की पत्रकारिता में आने की सलाह दी। उन्होने कहा कि ग्रामीण भारत की पत्रकारिता भारत के नवनिर्माण में योगदान की पत्रकारिता है।
इस अवसर स्वतंत्र भारत के पूर्व सम्पादक नन्द किशोर श्रीवास्तव आदि ने अपने विचारों से छात्र छात्राओं को अवगत कराया।