बिहार, झारखंड और यूपी खबरों के लिए वेबसाइट पर अलग सेक्शन : गूगल की ओर से जागरण की बजाय भास्कर को प्राथमिकता : बिहार के मैदानी और झारखंड के पहाड़ी और पठारी इलाके हिन्दी के प्रमुख अखबारों के घमासान का अखाड़ा बनने की ओर बढ़ रहे हैं. बिहार में जहां हिन्दुस्तान और दैनिक जागरण का दबदबा है तो झारखंड में प्रभात खबर मार्केट लीडर है.
बिहार और झारखंड के बाजार में चौथे बड़े खिलाड़ी के तौर पर दैनिक भास्कर पांव रखने की तैयारियों में जुटा है. लेकिन अखबार को बिहार या झारखंड पहुंचाने से पहले दैनिक भास्कर समूह ने अपनी वेबसाइट पर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश की खबरों के लिए एक अलग सेक्शन देकर इशारा कर दिया है कि मुकाबला रोचक और रोमांचक बनाने में वो अपनी तरफ से कोई कसर नहीं उठाने जा रहा.
दैनिक भास्कर के सूत्रों के मुताबिक बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में भास्कर डॉट कॉम के लिए संवाददाता रखे गए हैं. इन संवाददादातओं से कहा गया है कि वो अपने इलाके की हर छोटी-बड़ी खबर पर नजर रखें और उसे भास्कर की वेबसाइट के लिए रीयल टाइम में भेजने की कोशिश करें. यानी अखबार की लड़ाई के साथ ही टीवी चैनलों से भी होड़ की तैयारी. भास्कर की वेबसाइट पर रीयल टाइम में खबर पूरी हिन्दी पट्टी से मंगवाई जा रही है और इसके लिए अलग से समर्पित नेटवर्क तैयार किया जा रहा है. संवाददाताओं की इस टोली को यही समझाया गया है कि भविष्य की पत्रकारिता वेब पर ही होगी और खबरों को तुरंत फ्लैश करने की टीवी की ताकत का मुकाबला वेब ही कर सकता है.
इसके साथ ही वेब की दुनिया में गौर करने लायक एक और चीज दिख रही है. गूगल पर हिन्दी में सर्च करने पर पहले बहुत सारे अखबारों की खबरें नतीजे वाले पन्नों पर आती थीं. लेकिन इन दिनों गूगल पर जब भी हिन्दी समाचार में कुछ खोजने की कोशिश करें तो पता चलता है कि नतीजे के 70-80 फीसदी हिस्से पर दैनिक भास्कर का कब्जा है. एक पल के लिए लगेगा कि गूगल और भास्कर में कहीं कोई करार तो नहीं हो गया है. गूगल और भास्कर के बीच कुछ हुआ है या नहीं हुआ है ये पता नहीं, लेकिन यह तो सबको पता है ही कि दैनिक जागरण की वेबसाइट अब याहू के साथ हाथ मिलाकर चल रही है. अगर बात बढ़ा-चढ़ाकर की जाए तो यह कह सकते हैं कि हिन्दी के अखबारों के झगड़े में याहू और गूगल भी जागरण और भास्कर के साथ मोर्चा बना रहे हैं.
बिहार और झारखंड के पाठकों के मिजाज को देखते हुए यह माना जा सकता है कि भास्कर की राह बहुत आसान नहीं होगी क्योंकि भास्कर खुद को अप मार्केट अखबार की तरह पेश करता है जबकि पाठकों की यह पट्टी आर्थिक विकास के मामले में पीछे रह गई है. राज्य अमीर है लेकिन जनता गरीब. ऐसे में भास्कर को खबरों को बनाने और पेश करने के अपने मूल रवैए में कुछ संशोधन की जरूरत महसूस हो सकती है. खैर जो भी हो, बिहार और झारखंड में दो-चार अखबारों के बीच ही नौकरी कर रहे पत्रकारों के लिए यह अच्छी खबर है. अगर भास्कर ने बुलाया तो बल्ले, नहीं बुलाया तो जहां रह जाएंगे वहां भी बल्ले-बल्ले.
Ajay
March 31, 2010 at 9:51 am
We welcome the move of Bhaskar.com — At least now we have the market leader who will feed us, the staes of Bihar, UP and Jharkhand with quality news.
Cheers Bhaskar !!! 8)
abhishek
April 1, 2010 at 6:43 am
chalo ab bhaskar chala up,bihar ko murkh banane………………………………..pahale free me akhabar batega……………………chatare lene vali khabare chhapega………..mast balao ki tasveere dikhayega……………………..fir hinduo ko gali dena sharu………………jay secular dev ki…………
Ravi Tkahur
September 10, 2010 at 5:58 pm
BHASKAR KI TO AADAT HE……JID KARO….DUNIYA BADLO