गरीबों को उनका वाजिब हक दिलाने के लिए उन्होंने तहसील स्तर से लेकर जिला स्तर तक धरना प्रदर्शन करने व आमरण अनशन तक करने में संकोच नहीं किया. सही मायने में वे एक एक्टिविस्ट जर्नलिस्ट थे. पीत पत्रकारिता के हमेशा विरोधी रहे शिवकुमार जिंदगी भर साइकिल से ही चले. 72 वर्षीय शिवकुमार खुद का साप्ताहिक पत्र ‘‘कौन करे कुर्बानी’’ निकालते थे. वह पिछले 19 वर्षों से अपना साप्ताहिक अखबार अपने गॉव बेहटा सन्वात, विकासखण्ड पुवायॉ जनपद शाहजहॉपुर से अनवरत रूप से निकाल रहे थे.
शिवकुमार का अन्तिम समय बहुत कष्ट में बीता. उनके जीवन का अन्तिम समय शासन द्वारा मिले बीपीएल राशन कार्ड और इन्दिरा आवास योजना के अंतर्गत मिले एक कमरे में बीता. गांव के दक्षिण दिशा में बने चकरोड पर उनके पुत्र प्रभाष चन्द्र मिश्रा ने मुखाग्नि दी. इस मौके पर गांव के चन्द लोगों के अलावा पुवायॉ से वेदप्रकाश पाण्डेय, विमलेश गुप्ता, कमल भटट, पंकज मिश्रा आदि पत्रकार मौजूद थे.
दुखद यह है कि उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन पत्रकारिता के लिये समर्पित कर दिया लेकिन उनकी अन्तिम यात्रा के समय जिले से कोई भी पत्रकार अथवा प्रशासनिक अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा. शिवकुमार के निधन के बाद पुवायॉ में पत्रकारों ने शोकसभा कर उन्हें श्रद्वाजलि दी. इस मौके पर साप्ताहिक पत्र के सम्पादक कमलकान्त भटट, पुवायॉ टाइम्स के रामकुमार गुप्त, इन्डियन जंग के ब्यूरो प्रमुख रमेश शंकर पाण्डेय, वेदप्रकाश पाण्डेय, यूपी न्यूज के विमलेश गुप्ता, अजीत मिश्रा, रामलडैते तिवारी, नीरज मिश्रा, ज्ञान सवेरा के सम्पादक सन्तोष तिवारी, जयप्रकाश पाण्डेय, राजेश गुप्ता, विनीत रस्तोगी, प्रवीण मिश्रा, अमित मिश्रा, रामनिवास पाठक आदि पत्रकार मौजूद थे.
awanish yadav, kanpur
March 20, 2010 at 2:53 pm
samay bahut badal gaya hai………………………….
gulshan saifi
March 21, 2010 at 7:11 am
patarkarita ko jiwan dene walo ko kam se kam abh to sabak lena chahiye