चैनलों ने मंत्री के सामने उठाया कैरिज फीस का मामला : सूचना व प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने खबरिया चैनलों से कहा है कि वे खबरों के अपने समय में से 5 प्रतिशत हिस्सा उन खबरों के लिए आवंटित करें जो विभिन्न विपरीत परिस्थितियों के बीच आने वाली मानवीय उपलब्धियों के बारे में हो। उन्होंने कहा कि मीडिया इस बात को लेकर किसी तरह का संशय ना पाले कि सरकार चैनलों के कार्यक्रमों पर नियंत्रण से संबंधित कोई कदम उनसे बिना विचार विमर्श के उठाएगी। एक कार्यक्रम में मंत्री ने कहा कि उनकी इच्छा है कि सामाजिक सरोकार और मानवीय उपलब्धियों से संबंधित खबरों को भी उचित प्राथमिकता दी जाए। मीडिया संगठनों के प्रमुखों ने मंत्री से लगातार बढ़ रहे कैरिज फीस (केबल आपरेटरों द्वारा चैनलों की दिखाने के एवज में ली जाने वाली रकम) के बारे में चर्चा की और अनुरोध किया कि इस पर सरकार कुछ करे।
अंबिका सोनी ने उनसे कहा कि इससे बचने का एकमात्र तरीका डिजिटाइजेशन है। मंत्री ने यह भी बताया कि सूचना व प्रसारण मंत्रालय और कैबिनेट ने हिट्स (प्रसारण की एक तकनीक) को 2008 के अक्टूबर महीने में अनुमति दे दी थी लेकिन अब इस पर मंत्रालय दुबारा काम शुरू कर रहा है और उम्मीद है कि अगले साल के शुरू में इसे शुरू कर दिया जाएगा। इस अवसर पर चैनलों के प्रतिनिधियों ने आमतौर पर प्रसारण इंडस्ट्री के लिए एक रेगुलेटर (नियामक) की जरूरत के प्रस्ताव को स्वीकार किया लेकिन सरकार से अनुरोध किया कि वह खबरों के क्षेत्र में 49 प्रतिशत एफडीआई देने की मीडिया इंडस्ट्री की मांग को मान ले। अंबिका सोनी ने उनसे कहा कि उनका मंत्रालय इस मामले को वित्त मंत्रालय के सामने उठा चुका है और वित्त मंत्रालय इस पर विचार कर रहा है। मंत्री ने कहा कि लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें इस पर भारी आपत्तियां हैं। और इसलिए या तो हमें इन लोगों को सहमत करना चाहिए या हमें उनसे सहमत होना चाहिए। मंत्री ने एफएम रेडियो के क्षेत्र में उठ रहे रॉयल्टी के मसले को भी मानव संसाधन मंत्रालय के सहयोग से जल्द निबटाने का आश्वासन दिया। मौजूदा टीआरपी व्यवस्था के बारें में उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में प्रत्यक्ष तौर पर शामिल नहीं है लेकिन चैनल चाहते हैं कि यह व्यवस्था खत्म हो। साभार : हिंदुस्तान, दिल्ली